रविवार, 11 दिसंबर 2016

हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै..!!

हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै,
सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै!
है दिल मेरा दरीया सा,
जिसपर है अनेक घाव!
तकलीफ जब होती है तुझको,
अपने आप बदलते है मेरे भाव!
तेरे गौरव का है मुझे अभिमान बडा,
तेरी रक्षा हेतु हुँ मै क्षितिज पर खडा!
हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै,
सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै!
आज ये क्या हो रहा?
माँ रोती रही और बेटा सो रहा!
माँ कराहती रही और बेटा गाता रहा,
लगता है नही आज कोई माँ बेटे का नाता रहा!
हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै,
सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै!
हुँ मै वतन का रखवाला,
हरदम हरपल उठती है मेरे सीने मे विप्लव की ज्वाला!
संसद मे लुट रही माँ की ईज्जत,
लगता है छोड दी है,
आज बेटे ने लज्जत! 
महफिल मे आज मै गुँगा बहरा गा रहा,
नही है किसी के पास वक्त जो कोई मेरी बात को सून पा रहा!
याद कर उन वीरोँ को,
तोड दो भारत माँ की जंजीरोँ को!
हे मातृभूमी तुझे नित नित वंदन करुँ मै,
सारे अधिकार छिनने वालो का खंडन करुँ मै!

:-'अक्षय'कुँवर विश्वजीत सिँह सिसोदिया 'जिन्दादिल'

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