रविवार, 11 दिसंबर 2016

जद रजपुती भाल चमकतो

जद देखूँ मैं उगतो सूरज,रीस घणी ही आव है।
उगतो छीपतो सुरजड़ो ओ टीस घणी दे ज्यावे हैं।।

उगतोड़ो तो रजपुती रो जसड़ो याद दिराव है।
छीपतोड़ो तो रजपुती री,पतन री बात बताव है।।

जद जद देखूँ रजपुती न,सनाँ में समझाव है।
कठ्य गया ब रणधीरा,बाँ री याद घणी ही आव है।।

जद रजपुती भाल चमकतो,सुरजड़ो ओट लगावो हो।
धरा हालति पगल्यां सुं,जद कोई कुख सिघणी री जावो हो।।

रजपुती तो बा ही कहिजे,रजवट कायर कीकर है।
खून खोळतो ठण्डो कीकर,नाड्यां ढीली कीकर है।।

लेखनी
कुं नरपत सिंह पिपराली

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