मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

क्षत्रिय और राजपूत

क्षत्रिय और राजपूत शब्द को लेकर कुछ विवाद भी की स्थिति है। कुछ लोग दोनों को अलग – अलग मानते हैं। लेकिन अधिकांश इतिहासकार यह मानते हैं कि राजपूतों का संबंध क्षत्रियों से है। प्रत्येक राजा प्रायः क्षत्रिय हुआ करते थे। अतः राजपूत्र का अर्थ क्षत्रिय से माना गया। 12 वीं सदी के बाद राजपूत्र का मुख्सुख राजपूत हो गया जो कालान्तर में क्षत्रिय का जाति सुचक शब्द बन गया। 600 ई. से 1200 ई. तक काल को राजपूत काल कहा गया है। क्योकिं पूरे देश् में इस काल में इनका प्रभुत्व था। राजपूत निडर, निर्भय, साहसी, बहादुर, देश भक्त, सत्यवादी, वीर धुन के पक्के. कृतज्ञ, युद्ध कुशल, मर्यादापूर्ण, धार्मिक, न्यायप्रिय, उच्चविचार रखने वाला तो है हि सदैव ही भारतमाता की रक्षा के लिये अपना सब कुछ न्योछावर करने को तत्पर रहते थे। राजपूतों का एक बड़ा गुण यह भी था कि वे अपनी मानमर्यादा, आन-बान-सम्मान पर हर क्षण अपना सब कुछ दांव पर लगाने के लिये तत्पर रहते थे। कर्नल टॉड ने भी राजपूतों के उपर्युक्त गुणों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। 600 वर्षों तक राजपूतों ने न केवल भारत पर शासन किया, बल्कि विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ़ देश की रक्षा करें। भारतीय सभ्यता, संस्कृति तथा धर्म के संरक्षण एवं पोषण में इस जाति का प्रभाव श्लाघनीय एवं अतुलनीय है।
राम
राजनीतिक अवस्था के बाद भी राजपूत काल साहित्य, कला के उन्नति का काल था। स्थापत्य तथा शिल्पकला की इस समय बडी उन्नति हुई। मूर्तिकला और चित्रकला विकसित अवस्था में थी। साथ ही आर्थिक दशा भी इस समय अच्छी थी। अपूर्व पौरुषता और साहस की प्रतीक यह जाति बलिदान, सहिष्णुता और सिद्धांतों के त्याग के लिये इतिहास प्रसिद्ध रही है। भारतीय संस्कृति की रक्षा करने में जन समुदायों में श्रेष्ठ क्षत्रिय राजपूत कुलों का योगदान सर्वोपरि रहा है। क्षत्रिय वंशजों के खून से सिंचित
यह पुरातन संस्कृति अन्यों की अपेक्षा वर्तमान में भी अजर-अमर है।

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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻