रविवार, 11 दिसंबर 2016

आग धधकती है सीने मे

आग धधकती है सीने मे,
आँखों से अंगारे,
हम भी वंशज है राणा के,
कैसे रण हारे...?
कैसे कर विश्राम रुके हम...?
जब इतने कंटक हो,
राजपूत विश्राम करे क्योँ,
जब देश पर संकट हो.
अपनी खड्ग उठा लेते है,
बिन पल को हारे,
आग धधकती है सीने मे...........
सारे सुख को त्याग खडा है,
राजपूत युँ तनकर,
अपने सर की भेँट चढाने,
देशभक्त युँ बनकर..
बालक जैसे अपनी माँ के,
सारे कष्ट निवारे.
आग धधकती है सीने मे...........

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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻