मंगलवार, 6 दिसंबर 2016

क्षत्रिय







विवरण

क्षत्रिय हिन्दुओं के चार वर्णों में से दूसरा वर्ण है। इस वर्ण के लोगों का काम देश का शासन और शत्रुओं से उसकी रक्षा करना माना गया है।

अन्य नाम

क्षत्रिया, क्षत्राणी

क्षत्रिय का अर्थ

जो दूसरों को क्षत से बचाये

सामाजिक मान्यता

ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार क्षत्रियों की गणना ब्राहमणों के बाद की जाती थी, परंतु बौद्ध ग्रंथों के अनुसार चार वर्णों में क्षत्रियों को ब्राह्मणों से ऊँचा अर्थात समाज में सर्वोपरि स्थान प्राप्त था।

साहित्यिक संदर्भ

वैदिक साहित्य में क्षत्रिय का आरम्भिक प्रयोग राज्याधिकारी या दैवी अधिकारी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। “क्षतात त्रायते इति क्षत्य अर्थात क्षत आघात से त्राण” देने वाला।

क्षत्रिय वंश का उद्भव

क्षत्रिय वंश के उद्भव का प्रारम्भिक संकेत पुराणों से मिलने लगता है कि सूर्यवंश और चंद्रवंश ही क्षत्रिय वंश परम्परा के मूल स्त्रोत है।

क्षत्रिय और राजपूत

क्षत्रिय और राजपूत शब्द को लेकर कुछ विवाद भी की स्थिति है। कुछ लोग दोनों को अलग-अलग मानते हैं। लेकिन अधिकांश इतिहासकार मानते हैं कि राजपूतों का संबंध क्षत्रियों से है। प्रत्येक राजा प्रायः क्षत्रिय हुआ करते थे। अतः राजपूत्र का अर्थ क्षत्रिय से माना गया।

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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
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