
विग्रहराज द्वितीय के बाद दुर्लभराज द्वितीय ने चौहान सत्ता संभाली दुर्लभराज के काल मे भी चौहान साम्राज्य ने खासी उन्नति की तथा अपना भौगोलिक विस्तार किया।
दुर्लभराज के बाद विरायानामा चौहानों की गद्दी पर विराजमान हुए ओर उनके बाद 1040ईस्वी से 1065 ईस्वी तक चौहान साम्राज्य के सिंहासन पर चामुंडाराज चौहान गद्दी पर विराजमान हुए इन्हें बहुत ही धार्मिक राजा माना जाता है चामुंडाराज ने नरपुरा में भगवान विष्णु का एक बहुत ही भव्य मंदिर बनवाया था चामुंडाराज के समय भी भारत मे मुसलमानों के हमले लगतार हो रहे थे प्रबन्धकोश के अनुसार चामुंडाराज ने मुसलमानों से बहुत युद्ध किये थे ओर उन्हें रोके रखा हम्मीर महाकाव्य में चामुंडाराज की मुस्लिम शाशक हजिम-उ-दीन पर विजय का उल्लेख है।
सुरमान चरित्र में भी चामुंडाराज की मुस्लिमो पर विजय का उल्लेख है ऐतिहासिक साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि मुस्लिम पंजाब तक के क्षेत्र को अपने अधीन कर चुके होते अगर चामुंडाराज उन्हें न् रोकते तो चामुंडाराज ने अपनी राजधानी गजनी के निकट ही स्थापित की जिससे सीमा ओर ही मल्लेछो से डटकर लोहा लिया जा सके ओर भारत मे प्रवेश करने से पहले ही उन्हें खदेड़ मारा जाएं।
चामुंडाराज के बाद चाहमान साम्राज्य की गद्दी दुर्लभराज तृतीय ने संभाली इन्हें वीरसिंह के नाम से भी जाना जाता है पृथ्वीराज विजय के अनुसार दुर्लभराज तृतीय उर्फ वीरसिंह ज़्यादा समय तक शासन नही कर सके ओर मातंगों ( मुसलमानों ) के साथ युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए।
दुर्लभराज के बाद चौहान साम्राज्य की गद्दी विग्रहराज चौहान तृतीय को मिली इतिहास में इन्हें विसलदेव के नाम से भी जाना जाता है हम्मीर महाकाव्य में विसलदेव की सहाबुद्दीन गौरी एवं चालुक्यों ओर विजय का उल्लेख है।
दुर्लभराज के बाद चाहमान साम्राज्य की गद्दी पृथ्वीराज चौहान प्रथम ने संभाली पृथ्वीराज बहुत ही धार्मिक प्रवर्ति के राजा थे सोमनाथ जाने वाले रास्तों में उन्होंने अपार अन्नभंडार बनवाये जिससे तीर्थयात्रियों को रास्ते मे भोजन की कोई कमी न रहें पृथ्वीराज प्रथम के समय भी भारत और मुसलमानों के भयंकर आक्रमण हुए थे प्रबन्धकोश में पृथ्वीराज को बहुत ही शक्तिशाली तथा वीर शाशक बताते हुए इनका सुल्तान बागुली शाह से आपसी संघर्ष का उल्लेख किया गया है मिनहास अस सिराज ने अपने ग्रन्थ तबाकत ए नासिरी में लिखा है अल्लाउदीन मसूद के शासन काल 1098 से 1115 ईस्वी में मुसलमानों ने गंगा नदी पार कर हिंदुस्तान में प्रवेश किया तथा चारो ओर भयंकर तबाही मचा दी प्रतीत ऐसा होता है कि बागुली शाह अल्लाउद्दीन मसूद का सेनापति रहा होगा म्लेच्छ मुसलमानों की आती तबाही को चौहान शाशक पृथ्वीराज ने रौका तथा इतिहास में अपना नाम अमर करवाया।
पृथ्वीराज प्रथम के बाद चाहमान गद्दी पर महाराज अजयराज चौहान विराजमान हुए इनका शासनकाल 1105 से 1130 ईस्वी तक माना जाता है अजयराज चौहान ऐसे शाशक थे जिन्होंने मालवा से भी ज़्यादा सम्पनता ओर सुविधा अपने राज्य के निवासियों को दी अजयराज चौहान के बाद चाहमान शाशन की गद्दी अर्णोराज चौहान ने संभाली अर्णोराज चौहान ऐसे वीर शासक थे जिन्होंने मुसलमानों के रक्त से पूरा अजमेर रंग दिया था।
जय राजपूताना जय मां भवानी धर्म क्षत्रिय युगे युगे।
रॉयल राजपूत अज्य ठाकुर गोत्र भारद्वाज सूर्यवंशी।
पढ़ते रहिये गाथा वीर चौहानों की।
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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻