अब वह समय आ चुका था जब हिंदुस्थान की धरती पर शाशन कौन करें इसका टूर्नामेंट शुरू हो चुका था लगभग इसी समय ईस्वी 944 के आसपास चाहमान शाशन की सत्ता पर वाक्यतिराज विराजमान थे।
पृथ्वीराज विजय में वाक्यतिराज की शोर्यगाथा का अद्भुत रूप से वर्णन किया गया है वाक्यतिराज एक महान् शिवभक्त थे ओर उन्होंने धरती पर तांडव भी भगवान शिव की तरह ही किया।
वाक्यतिराज चौहान ने अपने जीवन मे कुल 188 युद्ध किये ओर सभी युद्ध जीते इस बात का प्रमाण पृथ्वीराज विजय है यहां तक कि वाक्यतिराज चौहान ने महाशक्तिशाली प्रतिहार साम्राज्य को भी परास्त कर दिया ओर चौहानों को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।
वाक्यतिराज की प्रतिहारो पर विजय के बाद चौहानों का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर जा पहुंचा चौहानों की प्रतिहारो पर विजय का उल्लेख हर्ष शिलालेख में कुछ इस तरह किया हुआ है।
यैनादैन्य सव्सैन्य कथमपि दद्यता वाजि वल्गा मुमुक्षः
प्रागेव प्रासितेव सरसि करि रट्ड डिण्डिमेर डिण्डु जेद्ध वन्ध क्ष्मार्भुराज्ञांम समदमभिवहन्ना गेतानन्त
इस श्लोक का अर्थ यह है कि चौहान राजा वाक्यतिराज ने पहले तो प्रतिहार शाशक तंत्रपाल को फटकारा क्यो की वह अहंकारवंश बहुत से हांथियो की सेना के साथ चौहानों के राज्य में घुस आया था हर्ष चरित्र कहता है कि पहला वार वाक्यतिराज ने नही किया उन्होंने प्रतिहार राजा को शांतिपूर्ण तरीके से वापस लौट जाने को कहा लेकीन् तंत्रपाल ने चौहानों पर आक्रमण कर दिया तब चौहानों की घुड़सवार सेना ने प्रतिहारो की हस्ति सेना को बड़ी बुरी तरह परास्त किया।
यही से किसी भी चौहान सामन्त को पहली बार महाराज की उपाधि मिली थी चौहान अब भारतेश्वर बन चुके थे चौहानों की अंधाधुंध विजयें यहीं से शुरू होती है इंतजार किजिये अगले भाग का।
जय राजपूताना जय माँ भवानी धर्म क्षत्रिय युगे युगे।
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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻