शनिवार, 29 सितंबर 2018

गाथा वीर चौहानों की - भाग 3


पृथ्वीराज विजय में कहा गया है, की चौहान साम्राज्य के विस्तार में विग्रहराज चौहान का योगदान अविस्मरणीय है , लेकिन विग्रहराज प्रथम का शाशन ज़्यादा लंबे समय तक नही चल पाया , लेकिन् विग्रहराज प्रथम ने अपने अल्पकाल में ही अनेक युद्ध लड़े, अपनी तलवार से उन्होंने पूरे भारत मे धुंध मचा दी । विग्रहराज प्रथम ने अल्पायु में ही इतिहास् में अपना नाम अमर कर लिया।

विग्रहराज चौहान के दो पुत्र थे --
चन्दनराज प्रथम ( 759 ईस्वी - 771 ईस्वी )
गोपेन्द्रनाथ ( 771 ईस्वी से 784 ईस्वी )
विग्रहराज प्रथम के दोनों ही पुत्रो ने ही क्रमशः राज किया, प्रबन्धकोश से हमे ज्ञात होता है कि उस समय तक भारत पर मुसलमानों के हमले हो चुके थे ।
मुहम्मद बिन कासिम ने जब सिंध पर आक्रमण किया था, उस समय चाहमान शाशन की बागडोर गोपेन्द्रराज के हाथो में थी । मुल्तान ओर सिंध को रौंदते हुए कासिम राजस्थान की ओर बढ़ा, मुहम्मद बिन कासिम ने अपने सबसे शक्तिशाली सेनापति " बेग वारिस " के नेतृत्व में एक विशाल टिड्डी दल चाहमान शाशक गोपेन्द्रराज चौहान पर आक्रमण करने के लिए भेजा । किंतु गोपेन्द्र राज ने मुसलमानी सेना को ऐसा सबक सिखाया की उन्हें उल्टे पाँव सिर पर चप्पल लेकर भागना पड़ा ।
चौहानों ने अरब सेना की हालत इतनी खराब कर दी कि मुसलमानों का यह टाइटेनिक बहुत जल्द ही असफलता के समंदर में डूब गया । कासिम जैसे अत्याचारी को सबक सिखाने वाले गोपेन्द्रनाथ चौहान का नाम आज इतिहास् में नही है, यह हमारी सबसे बड़ी हार है । गोपेन्द्रराज ने तो कासिम को हरा दिया, लिजिन कलम ने गोपेन्द्र राज चौहान को वह स्थान् नही दिया, जिसके वह हकदार थे।
आगे के भाग चौहानों की वीरगाथा का एक ओर भाग ....
गाथा वीर चौहानों की ...🙏
💪✌🏹🚩

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻