गुरुवार, 26 अगस्त 2021

महाराजा गुरुदत्त सिंह बहरेलिया (महाराजा सिंह जू )

भारत वर्ष मैं हर क्षत्रियो का इतिहास छिपाया गया।
गलत तरीके से बदनाम करने मे लगे रहे। और कई महान राजाओ एवं कई वंशो को गुमनाम कर दिया गया।

लेकिन कुछ क्षत्रिय वंशो ने दिन रात संघर्ष कर के अपने अपने इतिहास को एवं महान राजाओ को भारत मे दुबारा से उजागर किया।

लेकिन कुछ क्षत्रिय वंश एवं महान राजा लुप्त हो गये और उनकौ गलत तरीके से बदनाम करने मे लगे रहे। एवं गुमनाम कर दिया।

सेल्यूलर जेल मैं शहीदो के नाम लिखे हुए हैं उस लिस्ट मैं अधिकतर उत्तर प्रदेश राजस्थान के राजपूत है।
अंग्रेजो के पेर किसी ने भारत भूमी से उखाड़े तोह वे राजपूत थे।

क्युं इनके नाम गुमनाम कर दिये गये ? 

इसी तरह इन राजा और इस क्षत्रिय वंश को गुमनाम एवं इतिहास मिटा दिया गया।

सूरजपुर बहरेला बाराबंकी उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय बहरेलिया सिसोदिया राजवंश के एक महाराजा, जिनका नाम महाराजा गुरुदत्त सिंह बहरेलिया (सिंह जु) इन्होने अंग्रेजो की नाक में दम कर रखा था। ऐशा गजेटियर मे भी लिखा हुआ है। 

महराजा गुरुदत्त सिंह बहरेलिया (सिंह जू) एक ऐशे महान राजा थे। जिन्होने अंग्रेजो की हुकुमत स्वीकार नही की।
अवध प्रांत मे सभी अंग्रेज महाराज सिंह जू से डरते थे। महाराज सिंह जू का नाम सुनते ही सारे अंग्रेज कांप जाया करते थे। ब्रिटिश काल मे अंग्रेज भारतवासियो पर बहुत अत्याचार करते थे। 

भारतीयो के साथ बहुत बुरा बर्ताव होता था. उन्हें गंदे बर्तनों में खाना दिया जाता था, पीने का पानी भी सीमित मात्रा में मिलता था. यहां तक कि जबरदस्ती नंगे बदन पर कोड़े बरसाए जाते थे, और जो ज्यादा विरोध करता था उसे तोप के सामने खड़ाकर उड़ा दिया जाता था।

यही दिशा महाराज सिंह जू ने भी अंग्रेजो की कर रखी थी।
 सूरजपुर बहरेला रियासत के आस पास भी अंग्रेज भटका नही करते थे। क्योकी महाराज सिंह जू अंग्रेजो के खिलाफ थे।अगर कोई अंग्रेज सूरजपुर रियासत की तरफ आता तो वह जिन्दा वापस नही जाता था।

महराज सिंह जू ने अंग्रेजो से जम कर लोहा लिया था। महराज सिंह जू की आज्ञा अनुसार अंग्रेजो को परिवार समित जिन्दा जला दिया गया था जिन्दा दफना दिया गया था। इन सभी नजारो को देखकर ब्रिटिश गर्वनर जरनल बहुत दुखी व परेशान थे।

 महराज सिंह जू को खत्म करने के लिये कई सारे प्रयास किए गये, लेकिन अंग्रेज असफल रहे। अंत मे जाकर
 इस परेशानी को देखते हुए उन्होने अयोध्या के राजा दर्शन सिंह के पुत्र राजा मान सिंह का साथ लिया। क्योकी राजा मान सिंह सूरजपुर रियासत को भली भाती जानते थे। 

 अवध के बहुत सारे हिन्दु राजा अंग्रेजो की सेना में मिलकर अपनो के खिलाफ युद्ध करते थे। बख्तावर सिंह से लेकर 1838 में दर्शन सिंह और फिर उनका पुत्र मान सिंह 1870 तक अंग्रेज़ों के गुलाम थे।

राजा मान सिंह को अंग्रेजो के ब्रिटिश गर्वनर जरनल ने आज्ञा दी की सूरजपुर के राजा सिंह जू ने हमारे सिपाहीयो को जिन्दा जला दिया है। 

उसने हमारे नाक मे दम कर रखा है। उसको दण्ड दिया जाए। इस आज्ञा को सुनकर राजा मान सिंह ने युद्ध की तैयारी शुरू कर दी।

वह अशुभ दिन - 20 मार्च 1845 (24 मार्च को होली का त्योहार था।)
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राजा दर्शन सिंह के पुत्र राजा मान सिंह ने और ब्रिटिश सेना ने सूरजपुर बहरेला के महाराज सिंह जू पर भारी संख्या मे युवा मजबूत और बहादुर पुरुषों के साथ धोके से रातो रात हमला किया I क्योकी महाराजा सिंह जू को केवल धोके से ही हराया जा सकता था। राजा मान सिंह पुरी तेयारी से हमला करने आए थे। और महाराजा सिंह जू बिना किसी सूचना के रात मे विश्राम कर रहे थे। और पुरा सूरजपुर बहरेला के बहरेलिया राजपूत।

 राजा मान सिंह ने बिना सूचना दिये रातो रात सूरजपुर बहरेला मे हमला कर दिया। बहुत घमाशान युध्द हुआ युध्द में, राजा मान सिंह ने अपने कई सदस्यों को खो दिया और महाराज सिंह जू के भी कई बहरेलिया राजपूत मारे गए और कुछ घायल हो गए और अंत में राजा सिंह जू को घेरा बनाकर अंग्रेजो ने पकड कर बंधी बना लिया।

राजा सिंह जू को पकड कर उनके कई बहरेलिया राजपूतो के साथ लखनऊ जेल भेज दिया गया। और महराज सिंह जू की जेल मे मृत्यु कर दी गई। राजा मान सिंह ने सभी बंदूकों, तोपो, हाथियों, ऊंटों को जब्त कर लिया और राजा सिंह जू के बहरेलिया राजपूतो को रिहा कर दिया गया। 

यह सभी नरसंहार के बाद कुछ महाराजा सिंह जू की पत्नी रानी लेखराज कुँवर के साथ रहे। राजा के कई लोग मारे गए लेकिन चुंडा और इंदल सिंह रानी के साथ रहे और उन्होंने 4 साल तक अपना सूरजपुर बहरेला रियासत ठीक करने की कोशिश की। रानी लेखराज कुँवर एक उत्कर्ष्ट महिला थी।

सारी रियासत महाराजा सिंह जू की पत्नी के पास आ गई थी। लेकिन कुछ हिस्सा गर्वनर जरनल के सिपाहीयो को दे दिया गया था। राजमाता लेखराज कुंवर के साथ मिलकर अंग्रेज़ो से रियासत वापस पाने के लिए प्रयत्न किया। बाद में राजा न होने के कारन ये सूरजपुर बहरेला क्षेत्र बीहड़ हो गया। 

रानी लेखराज कुँवर ने बाद मे चमेरगंज और राम सनेही घाट का निर्माण किया, जैसा कि इमारतें और बाज़ार उनके द्वारा बनाए गए और यह इलाका उनकी जागीर में आ गया।

रानी लेखराज कुँवर ने राम सनेही घाट को अपना मुख्यालय बनाया।

कैप्टन ऑर ने 2 या 3 साल बाद फिर हमला किया। 
(1848 में 3 साल बाद). बहरेलिया राजपूत जो सुरक्षित थे, अंग्रेज़ो की यातनाओ से तंग आकर सभी संपत्तियों और घर को छोड़कर वहाँ से परिवारों के साथ खुद को पड़ोसी जिलों में बसा लिया। 

सूरजपुर बहरेला बाराबंकी में आज भी है। बहुत सारे महल जंगलों में दफ़न हो गए और कुछ खड़े है अपने साथी की तलाश में। 

लगभग हर रियासत जो अब के प्रतापगढ़, सुल्तानपुर और फैज़ाबाद में आती है। सबको अंग्रेजो के साथ मिलाकर राजा मान सिंह या उनके पिता दर्शन सिंह ने सताया है। 

अयोधया के राजा गर्गवंशी हरिदयाल सिंह को भी मान सिंह ने ही मारा था। भदरी, अमेठी और कालाकांकर जैसी रियासतों के साथ मान सिंह अंग्रेज़ों के कहने पर कर वसूलने के चक्कर में गलत किया। 

1838 लेकर 1870 के बीच में लिखे गए ग्रंथों में महराज सिंह जू या बहरेलिया क्षत्रिय वंश सूरजपुर बहरेला का नाम नहीं है खासकर लखनऊ से फैज़ाबाद के बीच में।

1870 के बाद भी किसी ने सूरजपुर बहरेला के बारे में नही लिखा। और जो किताबें लिखी गयी वो राजा मान सिंह द्वारा ही लिखी गयी और जो बाद मे लिखी गई वौ मान सिंह द्वारा लिखी किताबों से लिया गया था और राजा मान सिंह ने अपने को ऊचा दिखाने के लिये अपनी किताबो मे कैसे गलत लिखा गया राजा सिंह जू एवं उनके बहरेलिया वंश के बारे में।

बहुत ने तो लिख भी रखा है कि मान सिंह ने बाराबंकी में सूरजपुर बहरेला और बहरेला डीह में कत्लेआम कर गरीबों को बचा लिया।

और राजा सिंह जू को डाकू बता दिया गया। कैसे झूठ लिखा गया। बस एक गलती की थी कि अंग्रेज़ों के सामने सर नहीं झुकाया इसलिये महराज सिंह जू एवं बहरेलिया वंश को गलत लिख कर दर्शाया गया।

 बाराबंकी ,उत्तरप्रदेश के एक छोटे से क्षेत्र , सूरजपुर बहरेला - के राजा , अपने देश एवं अपने लोगो के लिये इतना लडे की उन्हे जेल में शहीद होना पड़ा.... लेकिन शर्म की बात ये है कि बाराबंकी सूरजपुर बहरेला में ही इस महान आत्मा को कोई नही पूंछता, उत्तर प्रदेश की सरकारो एवं इनके वंशजो ने इस देशभक्त को कभी याद नही किया ,और भारत सरकारों एवं इनके वंशजो को तो पता भी नही होगा कि महाराजा सिंह जू भी कोई क्रांतिकरी थे ...

ये समाज का व देश का दुर्भाग्य ही है, की इतने बड़े राजा एवं क्रांतिकारी के त्याग,व बलिदान को ना के बरावर लोग जानते है।

महाराजा सिंह जू की प्रतिमा देश के हर कोने मैं होनी चाहिये उनका व्यक्तित्व इतना बडा है की इससे देशवासियो को प्रेरणा मिल सके।

ऐसे महान राजा एवं क्रांतिकारी शहीद के चरणों मे मेरा शत शत नमन! 💐🙏🏻💐

 जय महाराजा सिंह जू
 जय बहरेलिया राजवंश
 जय जय राजपूताना
 राजपूत एकता जिन्दाबाद
 जय महाराजा गुरुदत्त सिंह बहरेलिया

नोट:- इस पोस्ट को हर राजपूत भाई आगे जरुर शेयर करें।

1 टिप्पणी:

  1. चौहान सहाब कृपया कर इसमे महाराजा गुरुदत्त सिंह जु बहरेलिया जी की चित्र जरूर लगा दीजिए इस पोस्ट का लेखक मे ही हू चित्र मुझसे ले लीजिए my whatsapp numbar 8447882167

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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻