एक बार औरंगजेब के दरबार मे एक शिकारी जंगल से बहुत बडा भयानक शेर पकड कर लाया, शेर को लोहे के पिंजरे में बंद किया गया था, पिंजरे में बंद शेर बार-बार दहाड रहा था।
औरंगजेब अपने दरबार में पिंजरे में बंद भयानक शेर को देख इतराते हुए बोला “इससे बडा भयानक शेर दूसरा नही नहीं है ” औरंगजेब के दरबार में बैठे उसके गुलाम स्वरुप दरबारियो ने भी उसकी हाँ में अपनी हाँ मिलाई…
परन्तु जोधपुर के महाराजा यशवंत सिंह ने औरंगजेब की इस बात से असहमति जताते हुए कहा कि “इससे भी अधिक शक्तिशाली शेर तो हमारे पास है ” बस फिर क्या था महाराजा यशवंत सिंह की बात को सुनकर मुग़ल बादशाह औरंगजेब बड़ा क्रोधित हो उठा।
उसने यशवंत सिंह से कहा कि यदि तुम्हारे पास इस शेर से अधिक शक्तिशाली शेर है, तो अपने शेर का मुकाबला हमारे शेर से करवाओ, लेकिन तुम्हारा शेर यदि हार गया तो तुम्हारा सार काट दिया जाएगा।
महाराजा यशवंत सिंह ने औरंगजेब की चुनौती को सहर्ष स्वीकार किया, अगले दिन किले में शेरों की लड़ाई का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठी हुई औरंगजेब अपने स्थान पर एवं महाराजा यशवंत सिंह अपने बारह वर्षीय पुत्र बालक पृथ्वी सिंह के साथ अपना आसन ग्रहण किये हुए थे।
औरंगजेब ने यशवंत सिंह से प्रश्न किया “ कहाँ है तुम्हारा शेर ” यशवंत सिंह ने औरंगजेब से कहा “ तुम निश्चिन्त रहो, मेरा शेर यहीं मौजूद है, तुम लड़ाई शुरू करवाओ “
औरंगजेब ने शेरों की लड़ाई शुरू की जाने की घोषणा की और औरंगजेब के शेर को लोहे के पिंजरे में छोड़ दिया गया।
अब बारी थी महाराजा यशवंत सिंह के शेर की
महाराजा यशवंत सिंह ने अपने बारह वर्षीय पुत्र बालक पृथ्वी सिंह को आदेश दिया कि आप शेर के पिंजरे में जाओ और हमारी और से औरंगजेब के शेर से युद्ध करो।
यह सब देख वहां उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए…
अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए बालक पृथ्वी सिंह पिता को प्रणाम करते हुए शेर के पिंजरे में घुस गए …
शेर ने बालक पृथ्वी सिंह की तरफ देखा उस तेजस्वी बालक की आँखो में देखते ही वह शेर पूंछ दवाकर अचानक पीछे की ओर हट गया।
यह देख किले में उपस्थित सभी लोग हैरान रह गए तब मुग़ल सैनिकों ने शेर को भाले से उकसाया, तब कहीं वह शेर बालक पृथ्वी सिंह की और लपका।
शेर को अपनी और आते देख बालक पृथ्वी सिंह पहले तो एक और हट गए बाद में उन्होंने अपनी तलवार म्यान में से खीच ली।
अपने पुत्र को तलवार खीचते देख महाराजा यशवंत सिंह जोर से चीखे “ बेटा तू ये क्या कर रहा है , शेर के पास तलवार तो है नही फिर क्या तलवार चलायेगा, ये तो धर्म युद्ध नही है।”
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पिता की बात सुनकर बालक पृथ्वी सिंह ने तलवार फेक दी और वह शेर पर टूट पड़े , काफी संघर्ष के बाद उस वीर बालक पृथ्वी सिंह ने शेर का जबडा अपने हाथो से फाड दिया, और फिर उसके शरीर के टुकडे-टुकडे कर के फेंक दिये।
सभी लोग वीर बालक पृथ्वी सिंह की जय जयकार करने लगे, शेर के खून से सने हुआ बालक पृथ्वी सिंह जब बाहर निकले तो राजा यशवंत सिंह जी ने दौडकर अपने पुत्र को छाती से लगा लिया।
( कहा जाता हैं कि उस दुष्ट और कपटी मुग़ल ने बालक पृथ्वी सिंह को उपहार स्वरूप् वस्त्र दिए जिनमे जहर लगा हुआ था.. उन्हें पहने के बाद बालक पृथ्वी सिंह की मृत्यु हो गयी थी...)
ऐसे थे हमारे पूर्वजों के कारनामे जो वीरता से ओतप्रोत थे।
🚩जय माँ भवानी।🙏🏻
👑जय💪🏻राजपूतताना⚔️
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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
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