शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

महाराज राजा गोविन्द्र जी

(1114 से 1154 ई.)- 

गोविंदचंद्र के पिता का नाम मदनपाल (मदन चन्द्र) और माता का नामरल्हादेवी था गहड़वाल शासक था, पिता के बाद गोविंदचंद्र उत्तराधिकारी बना गोविंदचंद्र को अश्वपति, नरपति, गजपति, राजतरायाधिपति की उपाधियाँ थी गोविंदचंद्र की चार पत्नियां थी :–

  1.- नयांअकेली देवी
  2.- गोसलल देवी
  3.- कुमार देवी
  4.- वसंता देवी

गोविंदचंद्र गहड़वाल वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा था 'कृत्यकल्पतरु' का लेखक लक्ष्मीधर इसका मंत्री था।

गोविन्द चन्द्र ने अपने राज्य की सीमा को उत्तर प्रदेश से आगे मगध तक विस्तृत करके मालवा को भी जीत लिया था, उसके विशाल राज्य की राजधानी कन्नौज थी।

1104 से 1114 ई. तक तथा उसके बाद राजा के रूप में 1154 ई. तक एक विशाल राज्य पर शासन किया, जिसमें आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार का अधिकांश भाग शामिल था। 

उसने अपनी राजधानी कन्नौज का पूर्व गौरव कुछ सीमा तक पुन: स्थापित किया, गोविन्द चन्द्र का पौत्र राजा जयचन्द्र (जो जयचन्द के नाम से विख्यात हुआ है।) जिसकी सुन्दर पुत्री संयोगिता को अजमेर का चौहान राजा पृथ्वीराज अपहृत कर ले गया था।

इस कांड से दोनों राजाओं में इतनी अधिक शत्रुता पैदा हो गई, कि जब तुर्कों ने पृथ्वीराज पर हमला किया, उस समय जयचन्द ने उसकी किसी भी प्रकार से सहायता नहीं की। 

1192 ई. में तराइन (तरावड़ी) के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज पराजित हुआ और उसने स्वयं का प्राणांत कर लिया, दो वर्ष बाद सन 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में तुर्क विजेता शहाबुद्दीन मुहम्मद ग़ोरी ने जयचन्द को भी हराया और मार डाला तुर्कों ने उसकी राजधानी कन्नौज को खूब लूटा और नष्ट-भ्रष्ट कर दिया उसके साथ ही गहड़वाल वंश का अंत हो गया।

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