गुरुवार, 24 अगस्त 2017

ये हैं शक्तिशाली हिंदू शासक महाराणा प्रताप के वंशज, रोल्स रॉयस से मर्सडीज तक हैं इनके पास

महाराणा प्रताप के वंशज अभी भी राजस्थान में रह रहे हैं। अरविंद सिंह मेवाड़ नाम के वंशज ने विदेश में पढ़ाई की है और इन्हें पुरानी महंगी कारों का शौक है।

अब वो 72 साल के हो चुके हैं और उदयपुर में अपने फैमिली के साथ रह रहे हैं। मैनचेस्टर इवनिंग न्यूज ने ये स्टोरी पब्लिश की है। उदयपुर राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ घराने के 76वें संरक्षक हैं। उनके पिता भगवत सिंह ने 1955 से 1984 तक मेवाड़ घराने की कमान संभाली। बता दें कि अरविंद सिंह की शुरुआती पढ़ाई मेयो कॉलेज से हुई है। इसके बाद वे होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने ब्रिटेन चले गए।

विंटेज कारों के शौकीन अरविंद सिंह के पास कई रोल्स रॉयस गाड़ियां हैं। ये सभी गाड़ियां मेवाड़ के राजाओं की निशानी हैं। उनके पास एक एमजी टीसी,1939 कैडिलेक कन्वर्टेबल और मर्सडीज के कई मॉडल्स हैं। वे अक्सर नई गाड़ियों के लॉन्च प्रोग्राम में देखे जाते हैं। यह भी कहते हैं कि कई गाड़ियां तो खासतौर से मेवाड़ के राजाओं के लिए डिजाइन की गई हैं। लग्जरी गाड़ियां आम लोग भी देख सकें,इसके लिए राजघराने की ओर से खास इंतजाम भी किए गए हैं।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है 🗡यह देश के हर जगह पाये जाते है 🗡यह 22 साल की आयू तक कुँवर साहब कहलाते है🗡ईसके बाद यें बंन्ना का विकराल रूप धारण कर लेते है🗡 रात के 8 बजे के बाद ईनके पास नही जाना चाहीए🗡 ,खतरनाक साबीत हो सकता है🗡
ईन्हे राज करना आता है 🗡बंन्दूकों और तलवारों से खेलना ईनका शौक है 🗡ईस प्रकार के प्राणी ज्यादातर फौज में भरती होते है🗡क्योंकी ईनका दिमाग कम और ✋🏻हात ज्यादा चलता है...
Rajput Boy....

Jai Rajputana..✍🏻

कुंवर साहब

#कुंवर__साहब_के_घर_कोई_मिलने_वाला_आया।

#कुंवर__सहाब_ने_बन्दुक_उठाई_और_हवा_में_2_फायर #कर_दिए ।

#मिलने_वाला_आदमी_भी_भौचक्का_सा_देखता_रह_गया ।

#डरते_डरते_पूछा - #कुंवर_साहब_आपने_फायर_क्यों #किये ❓
#कुंवर__साहब -  #ठेके_वाले_को_2__बियर_बोली_है !
🍻🍻🍺🍺

रविवार, 20 अगस्त 2017

इन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लंबे वक्त तक गुलाम रहा..आज भी लोग इन्हें धिक्कारते हैं।

देश का नमक खाकर देश के साथ गद्दारी करने वाले इन राजाओं ने अपने निजी स्वार्थ और घटिया राजनीति के लिए देश को गुलाम बने रहने दिया और अंग्रेजो की मदद करते रहे। चलिए जानते हैं किन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लम्बे वक्त तक गुलाम रहा ...

जयचंद- किसी को भी जयचंद कहना ही इस बात का द्योतक है कि उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। कहा जाता है कि जयचंद कन्नौज के राजा थे और दिल्ली के शासक पृथ्वी राज सिंह चौहान की बढ़ती प्रसिद्धि से ख़ासे शशंकित थे। इसके साथ ही एक और बात जो कई जगह पढ़ने को मिल जाती है कि पृथ्वीराज सिंह चौहान उनकी पुत्री संयोगिता की ख़ूबसूरती पर फिदा थे और दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे। यह बात जयचंद को कतई नामंजूर थी और शायद इसी खुन्नस में उन्होंने पृथ्वीराज के दुश्मन और विदेशी आक्रांता मुहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया। जिसके परिणाम स्वरूप तराइन के प्रथम युद्ध 1191 में बुरी तरह हारने के बाद मुहम्मद गोरी ने जयचंद की शह पर दोबारा 1192 में पृथ्वीराज सिंह चौहान को हराने और उन्हें मारने में सफल रहा।

मान सिंह- एक समय जहां महाराणा प्रताप भारत वर्ष को अक्षुण्ण बनाने की कोशिश में दर-दर भटक रहे थे, घास की रोटियां खा रहे थे। मुगलों से उनकी सत्ता को बचाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाए हुए थे वहीं हमारे देश में कई ऐसे बी वीर बहादुर थे जो मुगलों के सेना की अगुआई कर रहे थे और उनमें से एक थे मुगलों के सेना प्रमुख मान सिंह। राजा मान सिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत थे। महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच लड़े गए भयावह और ख़ूनी जंग (1576 हल्दी घाटी) युद्ध में वे मुगल सेना के सेनापति थे। इस युद्ध में महाराणा प्रताप वीरता पूर्वक लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो जाने के पश्चात् जंगलों की ओर भाग गए थे और जंगल में ही रह कर और मुगलों से बच-बच कर ही उन्हें पराजित करने और उनका राज्य वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

मीर जाफर- किसी को गद्दार कहने के लिए मीर जाफर कहना ही काफी होता है। मीर जाफर बंगाल का पहला नवाब था जिसने बंगाल पर शासन करने के लिए छद्म रास्ते का अख़्तियार किया। उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है। 1757 के प्लासी युद्ध में सिराज-उद-दौल्ला को हराने के लिए उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का सहारा लिया था। जिस देश ने उसके सारे विदेशी आक्रांताओ को भी ख़ुद में समाहित कर लिया उसे शासकों ने उनके निहित स्वार्थ के तहत तार-तार कर दिया।

मीर कासिम- मीर क़ासिम सन् 1760 से 1763 के बीच अंग्रेजों की मदद से ही बंगाल नवाब नियुक्त किया था। तो भाई लोग सोचिए कि दो बंदरों की लड़ाई का फायदा किस प्रकार कोई बिल्ली उठा लेती है। इस पूरी लड़ाई में अगर किसी ने कुछ या सबकुछ खोया है तो वह हमारा भारतवर्ष ही है। हालांकि मीर क़ासिम ने अंग्रेजों से बगावत करके 1764 में बक्सर का युद्ध लड़ा था, मगर अफ़सोस कि तब तक बड़ी देर हो चुकी थी और भारत बड़ी तेज़ी से गुलामी की जकड़न में फंसता चला गया था।

रविवार, 21 मई 2017

📶【भूलकर भी स्त्रियों को नहीं करना चाहिए ये 4 काम】📶

हमारे समाज में स्त्रियों, लड़कियों का बहुत ही ऊंचा दर्जा है। उन्हें घर की लक्ष्मी माना जाता है। जिनके बिना घर मंदिर के बजाय और ही कुछ बन जाता है। एक स्त्री किसी भी रुप में हो सकती है। फिर चाहे वो मां, बहन, पत्नी या दोस्त ही क्यों न हो। इस कारण इनकी रक्षा, मान-सम्मान करना हमारा फर्ज है। स्त्रियों को लेकर गरुड़ पुराण में कई ऐसी चीजें बताई गई है। जो कि हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालती है।  
गरुण पुराण हिंदू धर्म का एक ग्रंथ है। इसे वेदव्यास ने रचा था। उस पुराण में 279 अध्याय और 18000 श्लोक है। जिसमें मृत्यु के बाद की घटनाएं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक स्वरुपी जीवन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है।
गरुड़ पुराण में ये बताया गया है कि स्त्रियों को किस बात का ध्यान रखना चाहिए। जिससे कि उनका मान-सम्मान हमेशा बने रहे। जानिए इन बातों के बारें में।

अपनों का न करें अपमान :-
कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कभी भी अपने लोगों की बुराई करके पराए लोगों की हमदर्दी लेने की कोशिश न करें। पराए लोग आपके खुशहाल जीवन में समस्याएं ला सकते है।   

किसी पराएं के घर न जाएं :-
कभी बी ऐसे घर में मत जाएं। जिसके घर के लोगों के बारें में आप न जानती है। न ही किसी पराएं के घर में रुकना चाहिए। इससे आपको किसी बड़ी आपदा का बी सामना करना पड़ सकता है। पराए घर में रहने वाली स्त्री को घर-परिवार और समाज में भी गलत नजर से देखा जाता है। इससे आपके चरित्र से संबंधित सवाल हो सकते है।

ज्यादा समय तक न रहे अपने पति से दूर :-
इस पुराण में बताया गया है कि अगर आपकी शादी हो चुकी है, तो कोशिश करें कि अपने पति से द्यादा समय के लिए दूर न रहें। पार्टनर से विरह स्त्री को मानसिक रूप से कमजोर कर सकता है। पति से दूर रहने वाली महिला को समाज में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही समाज की नजरों, मान-सम्मान में बी उंगली उठने लगती है।           
 

                                                 
बुरे चरित्र वालों के साथ संगत :-
कहा जाता है कि अगर आप बुरे लोगों के साथ रहेगे, तो समाज में उन्हीं में से आपकी गिनती की जाएगा। गलत आचरण के लोगों की संगत से कभी भी संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है। जिस व्यक्ति की सोच गलत हो, वो कभी भी किसी के बारें में अच्छा नहीं सोच सकता है। अगर आप ऐसे लोगों के साथ है, तो आपको असुरक्षा, अपमान आदि का सामना करना पड़ सकता है।

शनिवार, 13 मई 2017

🌞☀【सूर्य देव को जल चढ़ाते इन बातो का रखे ध्यान】☀🌞

हिन्दू धर्म में सूर्यनारायण को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देते कुछ ऐसी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखना होता है। 

हमारे शास्‍त्रों में पूजा-पाठ की सारी विधियां लिखी हुई हैं, मगर हम उन्‍हें नज़र अंदाज कर देते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से जहां मन को शांति का अनुभव होता है वहीं पर शरीर के रोग नष्ट होते है, और जिंदगी में खुशहाली आती है।

शास्त्रों के अनुसार सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देते कुछ ऐसी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखना होता है। क्योंकि अगर सूर्य को अर्घ्य देते हुए ये गलतियां हो जाती हैं तो भगवान प्रसन्न होने के बजाय क्रोधित हो जाते हैं।


सूर्य देव को हमेशा नहाने के बाद ही जल चढ़ाना चाहिये। आप उन्‍हें 8 बजे के अंदर ही जल चढाएं।

साथ ही यह कार्य ब्रह्म मुहूर्त की कर लेना चाहिये।जल चढ़ाने के लिये चांदी, शीशे या स्‍टील के लोटे या गिलास का प्रयोग नहीं करना चाहिये। सूर्यदेव को तांबे के पात्र से ही जल दें।

जल सदैव सिर के ऊपर से अर्पित करें। इससे सूर्य की किरणें व्यक्ति के शरीर पर पड़ती है। जिससे सूर्य के साथ नवग्रह भी मजबूत बनते हैं।

जल चढ़ाते वक्‍त सूर्य को सीधे ना देंख कर बल्‍कि लोटे से जो जल बह रहा हो, उसकी धार में ही सूर्य के दर्शन करें। पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके ही जल देना चाहिए। यदि किसी दिन ऐसा हो कि सूर्य देव नजर ना आ रहे हों तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल दे दें।

मंगलवार, 9 मई 2017

🔯【मंगल और शनिवार को बदलिए कलावा, जानें इसे बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण】🔯

अस्‍था का प्रतीक :-

कलावा बांधना वैदिक परंपरा का एक अहम हिस्‍सा है। यह कलाई में बांधा जाता हैं। धार्मिक अस्‍था का प्रतीक कलावा यज्ञ की शुरुआत में बांधा जाता है। इसके अलावा मांगलिक कार्यक्रमों में भी इसे बांधना अनिवार्य माना जाता है।  

रक्षा कवच है कलावा :- 

हिंदू शास्‍त्रों के मुताबिक कलावा बांधने से देवताओं की विशेष कृपा मिलती हैं। कलावा किसी भी देवी देवता के नाम का बांधा जा सकता है। यह हमेशा संकटों और विपत्तियों के समय रक्षा कवच बनता है। वहीं कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन बदला जाता है। 

 

 

3 बार ही लपेटें :-

मान्‍यता है कि कलावा केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए। पुरुषों को व अविवाहित कन्याओं को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। इसके अलावा विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। वहीं ध्‍यान रखें कलावा बांधते समय मुट्ठी बंधी हो और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। 

यह मंत्र जरूर पढ़ें :- 

कलावा किसी पुरोहित से बांधना शुभ होता है क्‍योंकि यह मंत्रों से बांधे जाने पर ज्‍यादा असर करता है। हालांकि आज बड़ी संख्‍या में ऐसे लोग हैं जो अपने हाथ से घर पर भी कलावा बांध लेते हैं। ऐसे में उन्‍हें कलावा बांधते समय यह मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए। 

‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’

 

 

दो तरह का कलावा :-  

कलावा 3 धागों वाला और 5 धागों वाला भी होता है। जिसमें 3 धागों वाले में लाल, पीला और हरा होता है। इसे त्रिदेव का कलावा कहते हैं। वहीं 5 धागों वाले कलावे में लाल, पीला हरा, नीला और सफेद रंग का धागा होता है। जिसे पंचदेव कलावा कहते हैं। 

वैज्ञानिक कारण भी :-

कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे रोगों से बचाने में मददगार है। इससे नसों में दबाव पड़ता है। पुराने वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में बंधवाते थे। 

 

 

सकारात्‍मक ऊर्जा :- 

कलावा बांधने से व्‍यक्‍ति को हर पल शक्‍तिशाली होने का अहसास होता है। उसे अपने अंदर से सकारात्‍मक ऊर्जा मिलती रहती है। इतना ही नहीं उसका मन शांत रहता है और भटकाव नहीं होता है। जिससे वह एक सही दिशा में चलता रहता है। 

गुरुवार, 4 मई 2017

👹☠【दुश्मन बिना बात परेशान कर रहा है, तो इस पारंपरिक उपाय को आजमाएं】☠👹


कई बार कोई आपको बिना बात के परेशान करता रहता है :-

किसी को आपकी हंसी और खुशी नहीं भाती। ऐसे लोग आपके जीवन में अड़ंगा लगाते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह पारंपरिक उपाय बरसों से गांव में प्रचलित है। आप भी आजमा कर देख लें....
साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाएगा।

अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए :-

यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर आप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यह प्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है।

★【राशि के अनुसार जानें कौन सा रंग रहेगा लकी।】★

राशियां भविष्य के बारे में पूर्वानुमान बताती हैं। इनकी संख्या 12 होती है। लेकिन हर राशि के जातक को किसी विशेष रंग का तालमेल अपनी जिंदगी में जरूर रखना चाहिए। ऐसा करने पर भविष्य में सफलताएं आपके साथ होंगी। परेशानियां दूर रहेंगी।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

मेष :-
इस राशि के जातक मंगल ग्रह के प्रभाव में रहते हैं। इसलिए इनके लिए लाल रंग बेहद शुभ होता है। यदि यह जातक गुलाबी रंग भी उपयोग करते हैं तो यह उन्हें शांत रखेगा।

वृषभ :-
इस राशि के जातक शुक्र ग्रह से संबंधित होते हैं। इसलिए इन्हें नीला, फिरोजी, हरे और क्रीम कलर के वस्तुएं और वस्त्रों का उपयोग करना चाहिए। यह इनके लिए हमेशा शुभ होते हैं।

मिथुन :-
बुध ग्रह के प्रभाव में रहने वाले इस राशि के जातक के लिए सफेद, क्रीम, हल्का रंग शुभ होता है।
कर्क: चंद्रमा के प्रभाव में रहने वाले कर्क राशि के जातकों के लिये पीला, सफेद, क्रीम और हल्का गुलाबी रंग शुभ होता है।

तुला :-
नारंगी और पीला रंग तुला राशि के जातकों को विशेष शुभ होते हैं। इनके अलावा हल्के गुलाबी रंग का उपयोग इन्हें शांत रखता है।

कन्या :-
ऐसे जातक जिनकी राशि कन्या है यदि वह बुधवार को हरे रंग के वस्त्र पहनें तो शुभ होता है। इसके अलावा इस राशि के जातकों के लिए शुभ रंग स्वर्ग पीला, हरा और गुलाबी शुभ होता है।

तुला :-
इस राशि के जातक रोमांटिक और स्टाइलिश पर्सनेलिटी के होते हैं। इसलिए अमूमन काले, नीले और हरे रंग इनके लिए विशेष शुभ होते हैं।

वृश्चिक :-
इस राशि के जातक यदि लाल, भूरा, काल और ग्रे कलर उपयोग में लाएं तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है।

धनु :-
बैंगनी और सफेद रंग इस राशि के जातकों के लिए बेहतर माने जाते हैं। यह रंग इस राशि के जातकों को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं।

मकर :-
काला और नीला रंग इस राशि के जातकों के लिए शुभ होता है। इसके अलावा भूरे रंग का भी उपयोग कर सकते हैं।

कुंभ :- 
यह राशि शुक्र ग्रह के अंतर्गत आती है। इस राशि के जातक यदि बैंगनी और लाल रंग का उपयोग करें तो उन्हें विशेष सफलता मिलती है।

मीन :-
बृहस्पति इस घर का शासक है। इस साल पीले रंग से बचने और हल्के नीले, नीले आकाश और फ़िरोज़ा पहनने की सलाह दी जाती है।