रविवार, 20 अगस्त 2017

इन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लंबे वक्त तक गुलाम रहा..आज भी लोग इन्हें धिक्कारते हैं।

देश का नमक खाकर देश के साथ गद्दारी करने वाले इन राजाओं ने अपने निजी स्वार्थ और घटिया राजनीति के लिए देश को गुलाम बने रहने दिया और अंग्रेजो की मदद करते रहे। चलिए जानते हैं किन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लम्बे वक्त तक गुलाम रहा ...

जयचंद- किसी को भी जयचंद कहना ही इस बात का द्योतक है कि उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। कहा जाता है कि जयचंद कन्नौज के राजा थे और दिल्ली के शासक पृथ्वी राज सिंह चौहान की बढ़ती प्रसिद्धि से ख़ासे शशंकित थे। इसके साथ ही एक और बात जो कई जगह पढ़ने को मिल जाती है कि पृथ्वीराज सिंह चौहान उनकी पुत्री संयोगिता की ख़ूबसूरती पर फिदा थे और दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे। यह बात जयचंद को कतई नामंजूर थी और शायद इसी खुन्नस में उन्होंने पृथ्वीराज के दुश्मन और विदेशी आक्रांता मुहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया। जिसके परिणाम स्वरूप तराइन के प्रथम युद्ध 1191 में बुरी तरह हारने के बाद मुहम्मद गोरी ने जयचंद की शह पर दोबारा 1192 में पृथ्वीराज सिंह चौहान को हराने और उन्हें मारने में सफल रहा।

मान सिंह- एक समय जहां महाराणा प्रताप भारत वर्ष को अक्षुण्ण बनाने की कोशिश में दर-दर भटक रहे थे, घास की रोटियां खा रहे थे। मुगलों से उनकी सत्ता को बचाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाए हुए थे वहीं हमारे देश में कई ऐसे बी वीर बहादुर थे जो मुगलों के सेना की अगुआई कर रहे थे और उनमें से एक थे मुगलों के सेना प्रमुख मान सिंह। राजा मान सिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत थे। महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच लड़े गए भयावह और ख़ूनी जंग (1576 हल्दी घाटी) युद्ध में वे मुगल सेना के सेनापति थे। इस युद्ध में महाराणा प्रताप वीरता पूर्वक लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो जाने के पश्चात् जंगलों की ओर भाग गए थे और जंगल में ही रह कर और मुगलों से बच-बच कर ही उन्हें पराजित करने और उनका राज्य वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

मीर जाफर- किसी को गद्दार कहने के लिए मीर जाफर कहना ही काफी होता है। मीर जाफर बंगाल का पहला नवाब था जिसने बंगाल पर शासन करने के लिए छद्म रास्ते का अख़्तियार किया। उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है। 1757 के प्लासी युद्ध में सिराज-उद-दौल्ला को हराने के लिए उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का सहारा लिया था। जिस देश ने उसके सारे विदेशी आक्रांताओ को भी ख़ुद में समाहित कर लिया उसे शासकों ने उनके निहित स्वार्थ के तहत तार-तार कर दिया।

मीर कासिम- मीर क़ासिम सन् 1760 से 1763 के बीच अंग्रेजों की मदद से ही बंगाल नवाब नियुक्त किया था। तो भाई लोग सोचिए कि दो बंदरों की लड़ाई का फायदा किस प्रकार कोई बिल्ली उठा लेती है। इस पूरी लड़ाई में अगर किसी ने कुछ या सबकुछ खोया है तो वह हमारा भारतवर्ष ही है। हालांकि मीर क़ासिम ने अंग्रेजों से बगावत करके 1764 में बक्सर का युद्ध लड़ा था, मगर अफ़सोस कि तब तक बड़ी देर हो चुकी थी और भारत बड़ी तेज़ी से गुलामी की जकड़न में फंसता चला गया था।

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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻