रविवार, 2 अक्टूबर 2022

राजपूतों के जमींदारी के अंत का कारण :- एक विश्लेषण!

एक सर्वे के अनुसार करीब 180 साल पहले क्षत्रियों के पास 84% जमीन हुआ करती थी। आजादी के बाद यह प्रतिशत घटकर 52% हुआ। सन् 2000 में 31% और सन् 2013 में 16% । आने वाले 10 साल में परिस्थितियाँ क्या होंगी, यह आसानी से समझा जा सकता है।

 Facebook :-    Thakur Sachin Chauhan

कारण:-

1- बेटी की शादी है:- जमीन बेच दो।

2- घर बनवाना है:- जमीन बेच दो।

3- नशा करना है:- जमीन बेच दो।

4- लड़ाई झगड़े का केस लडना है:- जमीन बेच दो।

5- चाहे कुछ भी हो:- जमीन बेच दो।


अरे भाई जमीन कोई सामान नहीं "अचल सम्पत्ति है, हमारी शान है, हमारी मूल, हमारी पहचान है । अगर जमीन को माँ की सँज्ञा दी जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी और जो अपनी जरूरतें पूरी करने के लिये माँ का सौदा करे वो काहे का क्षत्रिय। भाइयो, शब्द कडवे जरुर हैं पर सच हैं। 

शपथ लेते हैं कि कुछ भी करेंगे, चाहे मजदूरी क्यों न करना पड़े, पर अपना पैतृक जमीन नहीं बेचेंगे। हम क्षत्रिय हैं क्षत्रिय -जिसका सारे संसार ने लोहा माना है .. खुद मिट जायेंगे पर अपना वजूद नही बिकने देगे।


आज गाँव के संपन्न और बुद्धिजीवी राजपूतों को चाहिए कि बेरोजगार व निर्धन राजपूतों को मदद करे ताकि जमीन बेचने की नौबत न आए। मजबूरी में जमीन बेचना भी पड़े तो राजपूत की जमीन राजपूत ही खरीदे! क्षत्रिय संस्थाओं का भी कर्तव्य है कि इस सम्बंध में समाज में जागरूकता लाए।

1 टिप्पणी:

🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻‍♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻