शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

🔝【पूरे शरीर में सिर से लेकर पैर तक की ब्‍लॉक नसों को खोलने का ये घरेलु उपाय।】🔝

आज के भगदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी को प्रचुर मात्रा में आहार नहीं मिल पाता है कहीं न कहीं कुछ न कुछ कमी हो ही जाती है। इसी बिगड़ी जीवन-शैली के कारण जब रक्त में अपशिष्ट पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है तो इससे नशों में रक्त के स्राव में रुकावट आने लगती है।

इसके चलते व्यक्ति के हृदय में भी रक्त के प्रवाह में बाधा आ जाती है। जिसके कारण हार्ट अटैक जैसी समस्याएं उतपन्न होती हैं। आज हम आपको ऐसे उपाय बताने जा रहे है जिनसे नशों की ब्लॉकेज को खोलने में आपको मदद मिल सकती है, ऐसे में व्यक्ति को सर्जरी व दवाईयों का सहारा शायद ही लेना पड़े।

★ ये घरेलू सामान चाहिए

◆ 1 ग्राम दाल चीनी
◆ 10 ग्राम काली मिर्च साबुत
◆ 10 ग्राम तेज पत्ता
◆ 10 ग्राम मगज
◆ 10 ग्राम मिश्री डला
◆ 10 ग्राम अखरोट गिरी
◆ 10 ग्राम अलसी टोटल

 

बनाने की विधि :-

सभी सामान को मिक्सी में पीस के बिल्‍कुल पाउडर की तरह बना लें और 6 ग्राम की 10 पुडि़या बन लें। एक पुडि़या हर रोज सुबह खाली पेट पानी से लेनी है और एक घंटे तक कुछ भी नहीं खाना है। ऐसा करने से एड़ी से लेकर चोटी तक सारी बंद नसें खुल जाएगी। अगर हार्ट पेसेन्‍ट इस औषधी को ले तो वो पूरी जिंदगी हार्ट अटैक से दूर रहेगा।


गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

🐚【आखिर तक पढ़ना ये पोस्ट सिर्फ 1 मिनट लगेगा!】🐚

आखिर तक पढ़ना 🙏
⏰1 मीनट लगेगा
💘एक बालक अपने
🙏माँ-बाप की खूब सेवा किया करता था
💞उसके दोस्त उससे भी कहते कि
🌹अगर इतनी सेवा तुमने
💜भगवान की की होती तो तुम्हे
🌻भगवान मिल जाते !
💙लेकिन इन सब चीजो से
💐अनजान वो अपने
💔माता पिता की सेवा करता रहा !
🌺एक दिन उसकी माँ बाप की
💛सेवा-भक्ति से खुश होकर
🌷भगवान धरती पर आ गये !
💘उस वक्त वो बालक अपनी
💚माँ के पाँव दबा रहा था !
🌲भगवान दरवाजे के बाहर से बोले-
❤दरवाजा खोलो बेटा
🍀मैं तुम्हारी माता-पिता की सेवा से
💖प्रसन्न होकर तुम्हे
🌳वरदान देने आया हूँ !
💞बालक ने कहा -
🌸इंतजार करो प्रभु
💛मैं माँ की सेवा मे लगा हूँ !
🙏भगवान बोले -
💐देखो मैं वापस चला जाऊँगा!
💘बालक ने कहा -
🌵आप जा सकते है
❤भगवान मैं सेवा बीच मे
🌲नही छोड़ सकता !
💚कुछ देर बाद
🌳उसने दरवाजा खोला तो
💜क्या देखता है
🌷भगवान बाहर खड़े थे !
💙भगवान बोले -
🌹लोग मुझे पाने के लिये
💔कठोर तपस्या करते है
🌻पर मैं तुम्हे सहज ही मे मिल गया
💖पर तुमने
🍀मुझसे प्रतीक्षा करवाई !
💞बालक ने जवाब दिया -
🌺हे ईश्वर जिस माँ बाप की सेवा ने
💛आपको मेरे पास आने को
💐मजबूर कर दिया
💕उन माँ बाप की सेवा बीच मे छोड़कर
🌵मैं दरवाजा खोलने कैसे आता !
💘यही इस जिंदगी का सार है !
🌲जिंदगी मे हमारे
❤माँ-बाप से बढ़कर कुछ नही है !
🌳हमारे माँ-बाप ही
💚हमे ये जिंदगी देते है !
🌷यही माँ-बाप अपना
💜पेट काटकर बच्चो के लिये
🌻अपना भविष्य खराब कर देते है
💙इसके बदले
🍀हमारा भी ये फर्ज बनता है कि
💔हम कभी उन्हे दुःख ना दे !
🌺उनकी आँखो मे
💖आँसू कभी ना आये
💐चाहे परिस्थिति जो भी हो
💞प्रयत्न कीजियेगा!

 

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📝【हास्य कहानी : श्रीमती की नजर】📝

जब तक हम अविवाहित थे यह बात हमारी समझ से परे थी कि पत्नियों की नजर अपने पतियों पर कम उन की पौकेट पर अधिक होती है. तब यह सुन कर ऐसा लगता था मानो पत्नी कोई सुलताना डाकू हो जो पति की जेब पर डाका डाल कर दरियादिली से अपने और अपने बच्चों के ऊपर पैसा लुटाती हो।

जो भी हो, अविवाहित रहते हुए हम कभी भी इस बात से इत्तेफाक न रख सके कि पत्नी की नजर पति की पौकेट पर होती है. तब तो शादी के खयाल मात्र से ही मन में खुशी का बैंडबाजा बजने लगता था. ‘आह, वो ऐसी होगी, वो वैसी होगी’ यही सोचसोच कर मन में लड्डू फूटते रहते थे।

पत्नी का मतलब हमारी दृष्टि में एक सच्ची जीवनसाथी जो पति का खूब खयाल रखती है उस से अधिक कुछ और नहीं था. पत्नी का पौकेटमार होना हमारे लिए सोचना भी पाप था. वह उम्र ही ऐसी थी।

यह सही है कि जब तक नदी में गोता न लगा ले तब तक उस की गहराई की केवल कल्पना की जा सकती है, वास्तविक गहराई नहीं जानी जा सकती. ऊंट को अपनी ऊंचाई का सही आभास तब तक नहीं होता जब तक वह पहाड़ के नीचे से न निकल जाए।

हर मर्द शादी से पहले अपनेआप को बड़ा ऊंचा ऊंट समझता है और जब शादी के पहाड़ के नीचे से गुजरता है तब उसे अपने वास्तविक कद का पता चलता है. बड़ेबड़े हिटलर पत्नी के आगे पानी मांगते हैं जब वह टेढ़ी या तिरछी नजर से देखती है।

हम भी बचपन से अपने को बड़ा पढ़ाकूपिस्सू और कलमघिस्सू समझते रहे. अपनेआप को बड़ा ज्ञानी, ध्यानी समझते रहे. हमें ऐसा लगता था जैसे सारी दुनिया का ज्ञान हम ने ही बटोर रखा है. कोई रचना प्रकाशित हुई नहीं कि बल्लियों उछलने लगते थे।

शादी के बाद जब एक रचना छप कर आई तो श्रीमतीजी पर रोब गालिब करने और अपने लेखक होने की महानता को सत्यापित कराने के लिए उस रचना को महत्त्वपूर्ण सर्टिफिकेट की तरह उन के सम्मुख प्रस्तुत किया।

श्रीमतीजी ने पहले तो उस रचना को बड़ी ही उपेक्षित नजर से देखा. इस से हमारा दिल दहल गया. लेकिन हमारा सम्मान रखते हुए 2-3 लाइनें पढ़ीं और फिर पूछा, ‘‘डार्लिंग, इस का कितना पैसा मिलेगा?’’
हम श्रीमती के प्रश्न और प्रश्नवाचक नजर से कुछ असहज हुए और फिर अचकचाते हुए बोले, ‘‘ये तो छापने वाले जानें.’’

यह सुनते ही श्रीमतीजी ने रचना को एक ओर रखते हुए कहा, ‘‘माल (रचना) तुम्हारा और कीमत जानें पत्रिका वाले, यह भी कोई बात हुई.’’
हम ने श्रीमतीजी को थोड़ा समझाते हुए कहा, ‘‘अभी हम इतने बड़े कालिदास नहीं हुए कि अपनी रचनाओं की कीमत स्वयं तय करें. वे छाप देते हैं, क्या यह कम बड़ी बात है.’’

‘‘टाइमवेस्ट और कुछ नहीं,’’ श्रीमतीजी हमें बालक की तरह नसीहत देती हुई बोलीं.
उस दिन हमें कुछकुछ लगा कि पत्नियां पौकेटमार भी होती हैं, पैसे पर नजर रखती हैं।

उस दिन हमें सचमुच यह भी लगा कि अपुन की औकात क्या है? मन तो हुआ कि सब लिखनापढ़ना छोड़ दें और डिगरी कालेज की लेक्चररी में ही अपनी जिंदगी काट दें. पर लिखने का कीड़ा जिसे काटता है वही जानता है. इस के काटने के दर्द में कितना मजा होता है।

जब भी श्रीमतीजी हमें लिखता हुआ देखतीं तो मुंह बिचका कर निकल जातीं, जैसे हम न जाने कितना घटिया और मनहूस काम कर रहे हों. उस समय श्रीमतीजी की नजर में हम स्वयं को कितना लज्जित महसूस करते, उस का वर्णन करना मुश्किल है. इस अपमान से बचने का हमारे पास एक ही रास्ता बचा था कि श्रीमतीजी की नजरों से बच कर चोरीछिपे लिखा जाए।

एक दिन ऐसा हुआ कि हम ने अपना सीना कुछ चौड़ा महसूस किया. हुआ यह कि 2 रचनाओं के चैक एकसाथ आ गए. इन चैकों की रकम इतनी थी कि श्रीमतीजी की पसंद की साड़ी आराम से आ सकती थी. हम ने श्रीमतीजी को मस्का लगाते हुए कहा, ‘‘लो महारानीजी, तुम्हारी साड़ी आ गई.’’

साड़ी का नाम सुनते ही श्रीमतीजी ऐसे दौड़ी चली आईं जैसे भूखी लोमड़ी को अंगूरों का गुच्छा लटका नजर आ गया हो. आते ही चहकीं, ‘‘कहां है साड़ी? लाओ, दिखाओ?’’

हम ने दोनों चैक श्रीमतीजी को पकड़ा दिए. श्रीमतीजी ने दोनों चैकों की धनराशि देखी और थैंक्यू बोलते हुए हमारे गाल पर एक प्यारी चिकोटी काट ली. हम इस प्यारी चिकोटी से ऐसे निहाल हो गए जैसे हमें साहित्य अकादमी का साहित्यरत्न अवार्ड मिल गया हो।

हमें एकबारगी यह ख्वाब आया कि श्रीमतीजी यह तो पूछेंगी ही कि किन रचनाओं से यह धनराशि प्राप्त हुई है. लेकिन उन्होंने यह पूछने की जहमत नहीं उठाई. बस, कसी हुई नजर से इतना कहा, ‘‘जहां से ये चैक आए हैं वहीं रचना भेजा करो. मुफ्त वालों के लिए लिखने की जरूरत नहीं है.’’

हम मान गए कि श्रीमतीजी को हमारी रचनाओं से मतलब नहीं, उन की नजर सिर्फ आने वाले चैकों पर है।

इस के बाद जब कभी भी पोस्टमैन आता तो हम से पहले श्रीमतीजी उस के दर्शन के लिए पहुंच जातीं. एक दिन पोस्टमैन की आवाज आते ही श्रीमतीजी रसोई से दौड़ती हुई दरवाजे पर पहुंचीं. हम भी चहलकदमी करते हुए श्रीमतीजी के पीछेपीछे दरवाजे तक पहुंचे.
पोस्टमैन बोला, ‘‘बाबूजी, आप का मनीऔर्डर है.’’

श्रीमतीजी हमें बिना कोई अवसर दिए तुरंत बोलीं, ‘‘कितने का है?’’
‘‘मैडमजी, 50 रुपए का.’’
‘‘क्या? क्या कहा, 50 रुपए का?’’ श्रीमतीजी ऐसे मुंह बना कर बोलीं जैसे पोस्टमैन से बोलने में गलती हो गई हो।

हम ने स्थिति को संभालते हुए कहा, ‘‘अरे भाई, ठीक से देखो. आजकल 50 रुपए कोई नहीं भेजता, 500 रुपए का होगा.’’

हमारे कहने पर पोस्टमैन ने एक बार फिर से मनीऔर्डर को देखा. धनराशि अंकों में देखी, शब्दों में देखी. फिर आश्वस्त हो कर बोला, ‘‘बाबूजी, 50 रुपए का ही है.’’

जैसे ही पोस्टमैन ने 50 रुपए का नोट निकाल कर श्रीमतीजी की ओर बढ़ाया तो वे खिन्न हो कर बोलीं, ‘‘यह दौलत इन्हीं को दे दो, बच्चे टौफी खा लेंगे.’’

पोस्टमैन ने व्यंग्यात्मक मुसकराहट के साथ वह 50 रुपए का नोट हमारी ओर बढ़ा दिया. मेरे लिए तो वह 50 रुपए का नोट भी किसी पुरस्कार से कम नहीं था।

लेकिन श्रीमतीजी के खिन्नताभरे व्यंग्यबाण और पोस्टमैन की व्यंग्यात्मक हंसी ऐसी लग रही थी जैसे हिंदी का लेखक दीनहीन, गयागुजरा और फालतू का प्राणी हो जिस को कई प्रकार से अपमानित किया जा सकता हो और बड़ी आसानी से मखौल का पात्र बनाया जा सकता हो।

उस दिन श्रीमतीजी की नजर में हम 50 रुपए के आदमी बन कर रह गए थे।

✍【चाणक्य की ये बातें हमेशा ध्यान में रखें !】✍

धर्मनीति, कूटनीति और राजनीति में पारंगत कौटिल्य जिन्होंने अपने ज्ञान के बल पर चंद्रगुप्त मौर्य को राजा तक बना दिया, दुनिया उन्हें आचार्य चाणक्य के नाम से भी जानती है। आचार्य ने दुनिया भर को अपने ज्ञान से फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।


लेकिन ऐसा नहीं है कि आचार्य ने सिर्फ अर्थशास्त्र और राजनीति क्षेत्र से जुड़े विषयों पर अपने अनुभव दुनिया से साझा किए हैं बल्कि उन्होंने आम मानवीय व्यवहार, स्त्री-पुरुष गुण-दोष और भावी संकटों की पहचान करने के संबंध में तमाम ऐसी गूढ़ बातें बताईं है जो आज के समय में भी यथार्थ के काफी करीब जान पड़ती हैं।

चाणक्य ने कुछ ऐसी बातें भी दुनिया को बताई हैं जिन्हें जानना आपके लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि इन बातों की जानकारी से काफी कुछ बेहतर कर सकते हैं।

ब्राह्मणों के पास ज्ञान और स्त्री के पास सुंदरता-
चाणक्य मानते थे कि जिस प्रकार ब्राह्मण के पास ज्ञान ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है उसी प्रकार एक स्त्री का रुप ही उसकी शक्ति होती है। जिस तरह से ब्राह्मण अपने ज्ञान के दम पर कुछ भी प्राप्त कर सकता है उसी प्रकार एक स्त्री अपने सौंदर्य के दम पर कुछ भी पा सकती है। यह बात हर किसी को भली-भांति मालूम होनी चाहिए।

सुंदर लड़की से विवाह न करें अक्लमंद लोग-
विवाह के संबंध में भी आचार्य चाणक्य ने अपना मत दुनिया के सामने रखा था। उनका मानना था कि बुद्धिमान व्यक्ति को किसी रुपवान स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए। आचार्य का मानना था कि व्यक्ति के चेहरे की सुंदरता के बजाए उसके मन की सुंदरता को परखना चाहिए, क्योंकि बाहरी सुंदरता को छद्म होती है। वो मानते थे कि सुंदर स्त्री अधार्मिक और चरित्रहीन भी हो सकती है।

इन चीजों पर कभी पैर न मारें-
मनुष्य स्वभाव से विचरण करने वाला होता है। वह इधर-उधर घूमता रहता है। घर के बड़े बुजुर्ग भी अक्सर यह सलाह देते रहते होंगे कि इन चीजों पर भूलकर भी पैर नहीं मारना चाहिए। ये चीजें अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी कन्या, वृद्ध और बालक। क्योंकि इन पर अचानक पैर लगना भी अशुभ माना जाता है। अगर भूलवश हमसे ऐसा होता है तो हमें माफी मांगनी चाहिए।

इन लोगों को सोते देख तुरंत उठा दें-
सोना और नींद लेना यूं तो मानवीय स्वभा है,लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें अगर आप सोता हुआ देखें तो तुरंत जगा देना चाहिए। नींद से ज्यादा प्रधान कर्म होता है इसलिए कुछ लोगों को दायित्व और कर्तव्य के लिहाज से सोते पर से जगा देना चाहिए। ये लोग द्वारपाल, नौकर, राहगीर, भूखा व्यक्ति, भंडारी और विद्यार्थी होते हैं। अगर आप इन्हें कहीं भी सोता हुआ पाएं तो तुरंत जगा देना चाहिए। 🔩

बुधवार, 12 अप्रैल 2017

★【सक्सेस मंत्र : कोई भी काम करने से पहले एक बार सोच लें।】★

एक युवक ने विवाह के दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार करने की इच्छा पिता से कहीं। पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती पत्नी को मां-बाप के जिम्मे छोड़कर व्यापार करने चला गया। परदेस में मेहनत से बहुत धन कमाया और वह धनी सेठ बन गया। 17 साल धन कमाने में बीत गए तो सन्तुष्टि हुई और वापस घर लौटने की इच्छा हुई।

पत्नी को पत्र लिखकर आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया। उसे जहाज में एक व्यक्ति मिला जो दुखी मन से बैठा था।
सेठ ने उसकी उदासी का कारण पूछा तो उसने बताया कि इस देश में ज्ञान की कोई केंद्र नहीं है। मैं यहां ज्ञान के सूत्र बेचने आया था पर कोई लेने को तैयार नहीं है। सेठ ने सोचा 'इस देश में मैनें बहुत धन कमाया है और यह मेरी कर्मभूमि है, इसका मान रखना चाहिए। उसने ज्ञान के सूत्र खरीदने की इच्छा जताई। 

उस व्यक्ति ने कहा- मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 500 स्वर्ण मुद्राएं है। सेठ को सौदा तो महंगा लग रहा था..लेकिन कर्मभूमि का मान रखने के लिए 500 स्वर्ण मुद्राएं दे दी। व्यक्ति ने ज्ञान का पहला सूत्र दिया- कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट रूककर सोच लेना।

सेठ ने सूत्र अपनी किताब में लिख लिया। कई दिनों की यात्रा के बाद रात्रि के समय सेठ अपने नगर को पहुंचा। उसने सोचा इतने सालों बाद घर लौटा हूं तो क्यों न चुपके से बिना खबर दिए सीधे पत्नी के पास पहुंच कर उसे उपहार दूं।

घर के द्वारपालों को मौन रहने का इशारा करके सीधे अपने पत्नी के कक्ष में गया तो वहां का नजारा देखकर उसके पांवों के नीचे की जमीन खिसक गई। पलंग पर उसकी पत्नी के पास एक युवक सोया हुआ था। 

अत्यंत क्रोध में सोचने लगा कि मैं परदेस में भी इसकी चिंता करता रहा और ये यहां अन्य पुरुष के साथ है। 

दोनों को जिन्दा नहीं छोड़ूगां। क्रोध में तलवार निकाल ली। वार करने ही जा रहा था कि उतने में ही उसे 500 स्वर्ण मुद्राओं से प्राप्त ज्ञान सूत्र याद आया- कि कोई भी कार्य करने से पहले दो मिनट सोच लेना। सोचने के लिए रूका। तलवार पीछे खींची तो एक बर्तन से टकरा गई। बर्तन गिरा तो पत्नी की नींद खुल गई। 

जैसे ही उसकी नजर अपने पति पर पड़ी वह ख़ुश हो गई और बोली-आपके बिना जीवन सूना-सूना था। इंतजार में इतने वर्ष कैसे निकाले यह मैं ही जानती हूं। 
सेठ तो पलंग पर सोए पुरुष को देखकर कुपित था।

पत्नी ने युवक को उठाने के लिए कहा- बेटा जाग।  तेरे पिता आए हैं युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका माथे की पगड़ी गिर गई। उसके लम्बे बाल बिखर गए। 

सेठ की पत्नी ने कहा- स्वामी ये आपकी बेटी है। पिता के बिना इसके मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान ही पालन पोषण और संस्कार दिए हैं। 

यह सुनकर सेठ की आंखों से आंसू निकलने लगे। पत्नी और बेटी को गले लगाकर सोचने लगा कि यदि आज मैने उस ज्ञानसूत्र को नहीं अपनाया होता  तो जल्दबाजी में कितना अनर्थ हो जाता।

ज्ञान का यह सूत्र उस दिन तो मुझे महंगा लग रहा था लेकिन ऐसे सूत्र के लिए तो 500 स्वर्ण मुद्राएं बहुत कम हैं।

कोई भी काम करने से पहले दो मिनट सोच लेना चाहिए। 

@【कुछ बातें सोचना गलत है आपके लिए, क्या है सही जाने!】@

दोस्तों जिंदगी में कुछ बातें ऐसी भी होती है जिससे हमें हमारे दिमाग से निकलना बेहद जरुरी है, कुछ ऐसे विचारो के बारे में बात करेंगे जिसको छोड़ना या फिर उसे निकलना बेहद जरुरी है. ऐसा करने से आप आप की अपनी जिंदगी खुशियो से भर जाएँगी और कुछ प्रोब्लेम्स से लड़ना भी आपके लिए एकदम आसान हो जायेगा. तो क्या है वो बातें आइये जानते है आगे।

 

ये बातें आपको नहीं सोचनी चाहिए

 

■ दुसरे लोगो की कही गयी बात को अपनी निजी तौर पर नहीं ले लेनी चाहिए. अगर कोई आपको कुछ बोलता है तो आपको उसे सुनते ही तुरंत रिएक्ट नहीं करना चाहिए. इससे आप खुद भी परेशां होंगे और दुसरो को भी परेशां करेंगे. तो ऐसी बातो से हमें बचना चाहिए।

 

■ आपको कोई भी काम करने से पहले हंमेशा उसका ख्वाब देख लेना चाहिए, ताकि उससे आपको कुछ पता लग सकता है की आप उस मामले में कहा तक पहुच सकते हो और ये आपके लिए कितना सही रहेगा, और उन सपनो को हासिल करने के लिए आपको एक कदम उठाना होंगा, और आगे बढ़ना होगा।

 

■ आप दुसरे लोगो को तो प्यार करते है. पर आप अपने आपको भी प्यार करे, आप औरो के प्रति मान-सन्मान करते हो उतना ही आप अपने आपके प्रति भी करे ताकि आपके विचारो को भी इससे इज्जत मिले और ये आगे चल कर आपके जीवन में कुछ नया पर ला सकता है।

 

■ जब तक आप साँस ले रहे है तब तक आपको हररोज कुछ न कुछ नया सोचे जिससे आपका ज्ञान भी बढेगा और काम में भी दिक्कत नहीं आएगी, अपने हर दिन की शुरुआत नए से शुरू करे. तभी ही आपमें कोई बदलाव आ सकेगा, इसीलिए आप खुद को ऐसा फिल मत करिए की जिससे आपकी उन्नति में अड़चन न पैदा हो।

 

■ इस बात पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए की जब हमारा मन ये सोचने लगता है की दुसरो को देने के लिए हमारे पास खुच भी नहीं है, क्युकी असल जिंदगी में दुसरो को सिर्फ पैसे देये जाये ये जरुरी नहीं है आप दुसरो को, आपका अपना सबसे किम्मति वक्त, प्यार, और अपनापन भी दे सकते हो।

 

■ हम कई बार ये सोचते है की जो होगा वो देखा जायेगा या फिर दुसरो के भरोसे पर छोड़ देना. ये आपकी एक सबसे बुरी आदत है. कोई भी काम या चीज को दुसरो पर नहीं छोड़ देना चाहिए इसीलिए गुजराती में एक कहावत है की “पारकी आश सदा निराश”।

 

■ आप अपनी तुलना दुसरो के साथ मत किया करो, या फिर दुसरो के साथ मुकाबला भी मत किया करो, क्युकी भगवान ने हर कोई को अलग अलग टेलेंट दिया है इसीलिए आप जो कर सकते हो वो दुनिया में और कोई भी नहीं कर सकता क्युकी वो कला सिर्फ आपके पास है और किसी के पास नहीं।

 

■ सोचना एक अच्छी बात है परहर पल सोचना अच्छी बात नहीं है क्युकी हर वक्त सोचने से हमारे दिमाग में अजीबो गरीब ख्याल आने लगते है. अगर हम सोच ते है तो हमारे दिमाग में सकारात्मक विचार आते है, पर हम जब बार बार सोचते है तो वो सकारात्मक विचार नकारात्मक में डाइवर्ट हो जाता है।

 

■ आप अपनी जिंदगी से प्यार करते हो और सबको ये कहते फिरते हो को, में ही अपनी मर्जी का मालिक हु और में अपने आपने सर्वश्रेठ हु तो ऐसा बोलना गलत है, क्यिकी क्युकी हर कोई अपनी जिंदगी से प्यार करता है पर कभी अपने विचारो से भी प्यार कर लिया करो, या फिर अपने फैसले से भी प्यार कर लिया करो. तो हम मानेंगे की आप सबसे सर्वश्रेठ है।

 

क्यों मैंने सही कहाना!

 

दोस्तों इन विचारो के साथ चलो में आपको चेलेंज करता हूँ की आपको कोई नहीं रोक पायेगा, और आप खुद की दुनिया के मालिक होंगे।
आपको हमारे ये विचार कैसे लगे, हमें कमेंट करके जरुर बताये और अपने दोस्तों को भी शेयर करे।

∆【कहने को अगर जीभ मिली है।】∆

खुद का मान अगर चाहो तो
              औरों का भी मान रखो...

कहने को अगर जीभ मिली है
        तो सुनने को भी कान रखो .....

उनकी 'परवाह' मत करो,
            जिनका 'विश्वास'
    "वक्त" के साथ बदल जाये..
                 'परवाह'
          सदा 'उनकी' करो;
    जिनका 'विश्वास' आप पर
             "तब भी" रहे'
जब आप का "वक्त बदल" जाये।

◆【कुछ ऐसी सोच जो जीवन मे उतार लें तो जीवन को खूबसूरत बना सकते हैं।"】◆

जरूर पढें  ■

एक दिन चिड़िया बोली - मुझे छोड़ कर कभी उड़ तो नहीं जाओगे

चिड़ा ने कहा - उड़ जाऊं तो तुम पकड़ लेना.

चिड़िया-मैं तुम्हें पकड़ तो सकती हूँ, पर फिर पा तो नहीं सकती,यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपने पंख तोड़ दिए और बोला अब हम

हमेशा साथ रहेंगे,लेकिन एक दिन जोर से तूफान आया,

चिड़िया उड़ने लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़
जाओ मैं नहीं उड़ सकता,चिड़िया- अच्छा अपना ख्याल रखना, कहकर उड़ गई ,जब तूफान थमा और चिड़िया वापस आई तो उसने देखा की चिड़ा मर चुका था,और एक डाली पर लिखा था,काश तुम एक बार तो कहती कि मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकती"तो शायद मैं तूफ़ान आने से पहले नहीं मरता।"

ज़िन्दगी के पाँच सत्य

सच नं. 1 माँ के सिवा कोई वफादार नही हो सकता…

सच नं. 2 गरीब का कोई दोस्त नही हो सकता…

सच नं. 3 आज भी लोग अच्छी सोच को नही,
अच्छी सूरत को तरजीह देते हैं…!!!❣

सच नं. 4 इज्जत सिर्फ पैसे की है, इंसान की नही…

सच न. 5 जिस शख्स को अपना खास समझो, अधिकतर वही शख्स दुख दर्द देता है।

गीता में लिखा है कि...

✍अगर कोई इन्सान बहुत हंसता है , तो अंदर से वो बहुत अकेला है।

अगर कोई इन्सान बहुत सोता है , तो अंदर से
वो बहुत उदास है।

✍अगर कोई इन्सान खुद को बहुत मजबूत दिखाता है और रोता नही , तो वो अंदर से बहुत कमजोर है।

✍अगर कोई जरा जरा सी बात पर रो देता है तो वो बहुत मासूम और नाजुक दिल का है।

✍अगर कोई हर बात पर नाराज़ हो जाता है तो वो अंदर से बहुत अकेला और जिन्दगी में प्यार की कमी महसूस करता है।

लोगों को समझने की कोशिश कीजिये ,जिन्दगी किसी का इंतज़ार नही करती ।
लोगों को एहसास कराइए की वो आप के लिए कितने खास है सर..!!

"★★★★★★★★★★"

1.अगर जिंदगी मे कुछ पाना हो तो तरीके बदलो...ईरादे नही..

2.जब सड़क पर बारात नाच रही हो तो हॉर्न मार-मार के परेशान ना हो...गाडी से उतरकर थोड़ा नाच लें..., मन शान्त होगा। टाइम तो उतना लगना ही है..

3. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चूका है।

🌹❣ सत्य वचन ❣ 🌹

4. रास्ते में अगर मंदिर देखो तो,,, प्रार्थना नहीं करो तो चलेगा . . पर रास्ते में एम्बुलेंस मिले तब प्रार्थना जरूर करना,शायद कोई जिन्दगी बच जाये...

5. जिसके पास उम्मीद हैं, वो लाख बार हार के भी, नही हार सकता..

6. बादाम खाने से उतनी अक्ल नहीं आती...
जितनी धोखा खाने से आती है...

7. एक बहुत अच्छी बात जो जिन्दगी भर याद रखिये,,, आप का खुश रहना ही आप का बुरा चाहने वालों के लिए सबसे बड़ी सजा है..

8.खुबसूरत लोग हमेशा अच्छे नहीं होते, अच्छे लोग हमेशा खूबसूरत नहीं होते...

9.रिश्ते और रास्ते एक ही सिक्के के दो पहलु हैं... कभी रिश्ते निभाते निभाते रास्ते खो जाते हैं,और कभी रास्तो पर चलते चलते रिश्ते बन जाते हैं...

10. बेहतरीन इंसान अपनी मीठी जुबान से ही जाना जाता है,वरना अच्छी बातें तो दीवारों पर भी लिखी होती है...

11. दुनिया में कोई काम "असंभव" नहीं,बस हौसला और मेहनत की जरूरत है...

12 .प्यार, जिन्दगी मे उससे करो जो आपसे प्यार करता हौ,ना की उससे जिससे आप..!!