मंगलवार, 19 सितंबर 2017

किसानों को अब खेती करना बंद कर देना चाहिए।

किसानों को अब खेती करना बंद कर देना चाहिए और केवल अपने परिवार के लायक उपजा कर बाकी ज़मीन को पड़त छोड़ देना चाहिए।
जो लोग अपने बच्चों को डेढ़ लाख की मोटर साइकल, लाख का मोबाइल लेकर देने में एक बार भी नहीं कहते कि महँगा है, वे लोग किसानों की माँग पर बहस कर रहे है कि दूध और गेहूँ महँगा हो जाएगा।

माॅल्स में जाकर अंधाधुंध पैसा उजाड़ने वाले गेंहूँ की कीमत बढ़ जाने से डर रहे हैं। तीन सौ रुपये किलो के भाव से मल्टीप्लैक्स के इंटरवल में पॉपकॉर्न खरीदने वाले मक्का के भाव किसान को तीन रुपये किलो से अधिक न मिलें इस पर बहस कर रहे है।

एक बार भी कोई नहीं कह रहा कि मैगी, पास्ता, कॉर्नफ़्लैक्स के दाम बहुत हैं। सबको किसान का क़र्ज़ दिख रहा है और यह कि उस क़र्ज़ की माफी की माँग करके किसान बहुत नाजायज़ माँग कर रहा है। यह जान लीजिए कि किसान क़र्ज़ में आप और हमारे कारण डूबा है। उसकी फसल का उसको वाजिब दाम इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि उससे खाद्यान्न महँगे हो जाएँगे।

1975 में सोने का दाम 500 रुपये प्रति दस ग्राम था और गेंहू का समर्थन मूल्य किसान को मिलता था 100 रुपये। आज चालीस साल बाद गेंहू लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल है मतलब केवल पन्द्रह गुना बढ़ा और उसकी तुलना में सोना आज तीस हज़ार रुपये प्रति दस ग्राम है। मतलब 60 गुना की दर से महँगाई बढ़ी मगर किसान के लिए उसे पन्द्रह गुना ही रखा गया।

ज़बरदस्ती, ताकी खाद्यान्न महँगे न हो जाएँ।
1975 में एक सरकारी अधिकारी को 400 रुपये वेतन मिलता था जो आज साठ हज़ार मिल रहा है मतलब एक सौ पचास गुना की राक्षसी वृद्धि उसमें हुई है।

इसके बाद भी सबको किसान से ही परेशानी है। किसानों को आंदोलन करने की बजाय खेती करना छोड़ देना चाहिए। बस अपने परिवार के लायक उपजाए और कुछ न करे। उसे पता ही नहीं कि उसे असल में आज़ादी के बाद से ही ठगा जा रहा है।

किसान क्यों हिंसक हो गया है यह समझना होगा, जनता को भी और सरकार को भी। किसान अब मूर्ख बनने को तैयार नहीं है। बरसों तक किया जा रहा शोषण अंततः हिंसा को ही जन्म देता है।

आदिवासियों पर हुए अत्याचार ने नक्सल आंदोलन को जन्म दिया और अब किसान भी उसी रास्ते पर है। आप क्या चाहते हैं कि आप समर्थन मूल्य के झाँसे में फँसे किसान के खून में सनी रोटियाँ अपनी इटालियन मार्बल की टॉप वाली डाइनिंग टेबल पर खाते रहें और जब किसान को समझ में आए सारा खेल तो वह विरोध भी नहीं करे।

आपको पता है आपका एक सांसद साल भर में चार लाख की बिजली मुफ़्त फूँकने का अधिकारी होता है, लेकिन किसान का चार हजार का बिजली का बिल माफ करने के नाम पर आप टीवी चैनल देखते हुए बहस करते हैं।

यह चेत जाने का समय है। कहिए कि आप साठ से अस्सी रुपये लीटर दूध और कम से कम साठ रुपये किलो गेंहू खरीदने के लिए तैयार हैं, कुछ कटौती अपने ऐश और आराम में कर लीजिएगा। 

नहीं तो कल जब अन्न ही नहीं उपजेगा तो फिर तो आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों से उस दाम पर खरीदेंगे ही जिस दाम पर वे बेचना चाहेंगी।

एक किसान की नजर..

कृपया किसानों एवं हिंदुस्तान के हित में इस  पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
एक किसान का बेटा हूँ।🙏

कांग्रेस हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों करवाती है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?

कभी आपने सोचा है की कांग्रेस हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों करवाती है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?

क्योंकि कांग्रेस के नेता ईसाई या मुसलमान है बस धोखे देने को नाम ही हिन्दू की तरह है हिन्दू वोटरो को लुभाने के लिए....

• सबसे पहले सोनिया गांधी असली नाम एंटोनिया माइनो कट्टर कैथोलिक ईसाई।

• राहुल गांधी असली नाम राउल विंची।

• प्रियंका गांधी का पति राबर्ट वाड्रा कट्टर ईसाई।

• प्रियंका के दो बच्चे रेहना और मिराया।

• दिग्विजय सिंह ईसाई धर्म अपना चुका है, इसकी वेबसाइट पर जाकर देख सकते है।

• छतीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म
अपना चुका है।

• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ईसाई बन चुके है और उनकी पत्नी नलिनी 167 ईसाई
मिशनरी एनजीओ की मालकिन है।

• पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृषडन भी ईसाई धर्म अपना चुके है।

• 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा ईसाई है।

• द्रमुक प्रमुख एम के करुणानिधि व उनका पूरा खानदान ईसाई बन चुका है।

• वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी, सुबोध कान्त सहाय, कपिल सिब्बल, सत्यव्रत चतुर्वेदी, अंबिका सोनी,पीवी थामस, ए के एन्टोनी, जनार्दन दिवेदी, मनीष तिवारी ये सभी ईसाई
धर्म अपना चुके है।

• धर्म को अफीम मनाने वाले कम्युनिस्ट सीताराम येचूरी, प्रकाश करात, विनायक
सेन ईसाई है।

• अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेस, सारे कांग्रेसी पत्रकार ईसाई हो चुके है।

• आंध्र प्रदेश के 150 से ज्यादा मंत्री ईसाई बन चुके है इसलिए आंध्र प्रदेश मे सारे
मंदिरो को तोड़ा जा चुका है।

• बाकी बचे नेता मुस्लिम है जैसे सलमान खुर्सीद, अहमद पटेल इत्यादि ।

• आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रेड्डी ईसाई है और उसका बेटा अनिल जो की ईसाई मिशनरी समाज का सबसे बड़ा माफिया है, इसी अनिल पर यह भी आरोप है की धर्म परिवर्तन के लिए जो कमीशन बाहर से आता है उसके लेन-देन संबंधी बँटवारे को लेकर अनिल ने वाईएसआर के हत्या का षड्यंत्र रचा था । इसी अनिल ने पूरे भारत के जन-मानस को ईसाई बनाने का ठेका लिया है । इसके पास 21 निजी हेलीकाप्टर है व खरबो रुपये की संपति है। इसने केवल हैदराबाद मे ही 100 से ज्यादा Conversion Workshops लगा रखी है, धर्म परिवर्तन के लिए।
इसका ढांचा किसी बहुत बड़ी एम एन सी कंपनी द्वारा बनाया गया जिसमे सीईओ से लेकर मार्केटिंग Professionals तक भर्ती किए जाते है। प्रत्येक ईसाई मिशनरी को टार्गेट दिया जाता है की प्रति सप्ताह 10 हिन्दुओ को ईसाई बनाने का और कमीशन दिया जाता है।
औसतन 200 हिन्दुओ को ईसाई धर्म परिवर्तन न करने के कारण जला दिया जाता है।
यह सरकारी आंकड़ा है असली संख्या इससे ज्यादा हो सकती है ।

जवाहरलाल नेहरू की अदूरदर्शी और मूर्खताओं की सज़ा,जो हम आज तक भुगत रहे हैं।

#जिनको नहीं #पता उनके लिए
*#जवाहरलाल_नेहरू की #अदूरदर्शी और #मूर्खताओं की #सज़ा, जो #हम आज तक #भुगत रहे हैं।

*1. #कोको_आइसलैंड* -
1950 में नेहरू ने भारत का 'कोको द्वीप समूह' (Google Map location
-14.100000, 93.365000) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है। बाद में बर्मा ने यह द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।

*2. #काबू_वैली_मणिपुर -*
नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू वैली मित्रता के तौर पर बर्मा को दी। काबू वैली का क्षेत्रफल
लगभह 11,000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।

आज बर्मा ने काबू वैली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है।

*3 #भारत_नेपाल_विलय* -
1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल के भारत में विलय का प्रस्ताव नेहरू के सामने रखा।

लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी कि इस विलय से दोनों देशों को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। यही नहीं, इससे नेपाल का पर्यटन भी खत्म हो जाएगा।

*#जबकि असल वजह ये थी की नेपाल जम्मू कश्मीर की तरह विशेष अधिकार के तहत अपनी हिन्दू राष्ट्र की पहचान को बनाये रखना चहता था जो की नेहरू को मंजूर नही थी*

*4 #सुरक्षा_परिषद_स्थायी_सीट* -
नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत को सुरक्षा परिषद ( United Nations) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। नेहरू ने इसकी जगह चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली। चीन आज पाकिस्तान का हम दर्द बना हुआ है। वह पाक को बचाने के लिए भारत के कई प्रस्तावों को सुरक्षा परिषद में नामंजूर कर चुका है।

हाल ही उसने आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारतीत प्रस्ताव को कई बार वीटो किया है।

*5.  #जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन* -
लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है कि नेहरू और लेडी माउन्टबेटन के बीच अंतरंग संबंध थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से अनेक राजनैतिक निर्णय करवाए थे जिनमें कश्मीर में युद्ध विराम व सयुंक्त राष्ट्र के हस्ताक्षेप का निर्णय भी शामिल है।

*6 #पंचशील_समझौता* -
नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। 1954 में उन्होंने चीन के साथ पंचशील समझौता किया और तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता दे दी। 1962 में इसी चीन ने भारत पर हमला किया और चीन की सेना इसी
तिब्बत से भारत की सीमा में दाखिल हुई।

*7. #1962_भारत_चीन_युद्ध* -
चीनी सेना ने 1962 में भारत को हराया था। हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले. जनरल हेंडरसन और कमान्डेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी।

दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।

रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना जब अरुणाचल प्रदेश,असम, सिक्किम तक अंदर घुस आई थी, तब भी नेहरू ने हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेने से रोके रखा। परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 वर्ग किमी भाग पर चीन ने कब्जा कर लिया।

इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।

*#भारत का सही इतिहास जानना आपका हक़ है*
हमारा पोष्ट जरूर लाइक और #शेयर करें।

कौन है असली ज़िम्मेदार..?

#18_लाख साल पहले भारत में एसी तकनीक थी जब समुद्र पर पुल और मन कि गति से चलने वाले पुष्पक विमान हम बना सकते है। स्त्रोत- रामायण(राम सेतु पुल)
------------------------------------------------
#5000_साल पहले हमारे पास एसी तकनिक होती है कि न्यूक्लिय विस्फ़ोट हम तीर के माध्यम से कर सकते है और - स्त्रोत महाभारत युद्ध, प्रमाणित
------------------------------------------------
#1000_साल पहले आर्य भट्ट नौ ग्रह, सात दिन , पृथ्वी कि गति, धुरी , दिन रात और अंतरिक्ष विज्ञान कि खोज करते है। भष्कराचार्य, लीलावति पूरे विश्व को गणित से अवगत कराते है।
-------------------------------------------------
#100_से_200 साल पहले विवेकानंद जी भारत को विश्वगुरू साबित करते है और पूरी दुनीया भारत को फ़ौलो करती है।
-------------------------------------------------
#महज_60 साल में कोंग्रेस के देश में आते ही देश भ्रष्टाचारी, आतंक का घर, गरीब, कमजोर, विदेशीकरण को अपनाने वाला अपनी सभ्यता को गाली देने वाला, और धर्म जो परम विज्ञान है उसे पाखंड बताने वाला बन जाता है।

सेकुलर लोग कांग्रेस के किन कामो पर गर्व करते हैं।

#सेकुलर लोग #अल_कांग्रेस के किन कामो पर #गर्व करते हैं :-

1- #जवाहर लाल नेहरू के कपड़े विदेश में धूल कर आते थे, इस बात पर (भले ही उस समय देश की आधी जनता अर्द्धनंगी घूम रही थी) |

2- #मोहनदास करमचंद गांधी के ब्रह्मचार्य के अनूठे प्रयोग की तरकीब पर |

3- #जिस तरह से मोहन दास करमचंद गांधी ने अपने रास्ते के रोड़े भगत सिंह , राजगुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद को हटाया उस तरकीब पर |

4- #जिस तरह से देश का बंटवारा करवाया गया और 4.5 लाख हिन्दू और 2.6 लाख मुसलमानो को मरवाया गया उस तरकीब पर |

5- #मोहनदास करमचंद गांधी के वध के बाद मात्र 28 घंटों में 6200 महाराष्ट्रियन ब्रह्मणों की निर्मम हत्या पर |

6- #जिस तरह से इंदिरा गाँधी ने अपने रास्ते के रोड़े लाल बहादुर शास्त्री जी और संजीव उर्फ़ संजय गाँधी को हटाया उस तरकीब पर ||

7- #जिस तरह से इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद 11 हज़ार 750 सिखों को बेरहमी से मारा गया , लुटा गया , बलात्कार किया गया उस तरकीब पर |

8- #भोपाल गैस काण्ड के बाद 22 हज़ार सरकारी और 35 हज़ार गैरसरकारी मौतों के जिम्मेदार पीटर एंडरसन को जिस तरह से अपने व्यक्तिगत हावाई जाहज से देश से बहार भेजा गया उस तरकीब पर |

9- #देश में हुए पहले सेना जीप घोटाले से लेकर वर्तमान में कोयला और थोरियम घोटाले पर |

10- #एक विदेश औरत के इशारों पर किस तरह नाचा जाता है इस तरकीब पर |

11- #एक 5वि कक्षा के बच्चे के सामन्य ज्ञान के समकक्ष वाले 50 वर्षीय बुजुर्ग को युवा बता कर उसको प्रधानमंत्री पद का दावेदार और मोदी जैसे राजनीति के प्रोद्धा को टक्कर देने वाली बेवकूफी भरी बातों पर ||

#अब जिसको ये सच जानकार भी अल-कांग्रेस को वोट देना है वो अपने घरों में अपनी कब्र खोद ले क्योकि मुग्लिस्तान की नीव पाकिस्तान की जनक अल-कांग्रेस के द्वारा डाली जा चुकी है ||

#हिन्दुओं के दमन हेतु साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा निवारण बिल 2011 लाया जा रहा था ||

#जागो सेकुलरों क्योकि मुल्लों और अल-कांग्रेसियों के लिए तुम हिन्दू ही हो..!!

जय जय सियाराम,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ,, जय जय माँ भारती के लाल ||

हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है।

1. हिन्दू धर्म : -
भारत के प्रमुख धर्म के रूप में मशहूर हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। इस धर्म का कोई संस्थापक भी नही है।इस धर्म के मुख्य ग्रन्थ वेद,गीता,रामायण आदि है। इस धर्म की आबादी पूरी दुनिया में एक बिलियन के लगभग है।यह धर्म मुख्य रूप से,भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया, अफ्रीका, दक्षिण और उतरी यूरोप में पाया जाता है।

2. ईसाई धर्म : -
दुनिया में सबसे ताकतवर धर्म माना जाने वाले ईसाई की शुरुवात आज से लगभग 2000 साल पहले की गयी थी। ईसा मसीह को ईसाई धर्म का संस्थापक माना जाता है, जिन्हे जीसस क्राइस्ट भी कहा जाता है। इस धर्म के लोग रोमन कैथोलिक,पूर्वी रूढ़िवाद प्रतिवादी पंथ के लोग होते है। माना जाता है दुनिया में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। पूरी दुनिया में इस धर्म के 2 अरब से अधिक अनुयायी है।

3. इस्लाम : -
इस्लाम की खोज आज से करीब 1400 साल पहले हई थी। इस धर्म के खोजकर्ता मोहम्मद को माना जाता है।इस धर्म के अनुयायी मोहमद के जीवन के अनुसार जीवन जीते है।इस धर्म का प्रमुख ग्रन्थ कुरान है।इस्लाम धर्म के अनुयायी पूरी दुनिया में लगभग 1.5 बिलयन है।यह मुख्य रूप से बांग्लादेश,इंडोनेशिया,पाकिस्तान,पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में पाये जाते है।

4. बौद्ध धर्म : -
इस धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। यह धर्म लगभग 2500 साल पुराना है।बौद्ध धर्म का मुख्य ग्रन्थ त्रिपिटिका है। यह धर्म तीन भागो में विभाजित प्रथम हियानन यह श्रीलंका,कंबोडिया और थाईलैंड में पाये जाते है।द्वितय महायान यह चीन,जापान,वियतनाम,कोरिया में पाये जाते है।तृतीय वज्रयान यह तिब्बत,मंगोलिया,जापान में पाया जाता है।

फिजी, मारीशस, इंडोनेशिया और गुयाना में हिन्दू आबादी के बारे में जानें।

फिजी :-
फिजी ऑस्ट्रेलिया के महाद्वीप में बसा हुआ एक देश है। यहाँ पर बड़ी मात्रा में हिन्दू रहते है फिजी में सबसे बड़ी आबादी ईसाईयों आबादी के लिहाज से हिन्दू दूसरे नंबर पर आते है।

मारीशस :-
मॉरीशस एक बड़ा ही खूबसूरत देश है। यह अफ्रीका महाद्वीप में बसा हुआ है। इस देश में हिन्दुओ की एक बड़ी आबादी निवास करती हैं। मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश से आये हुए लोग यहाँ बेस हुए है। इस देश में भोजपुरी भाषा का भी काफी प्रभाव है।

इण्डोनेशिया :-
अगर बात करें इंडोनेशिया की तो यह किसी समय हिंदुओं का देश हुआ करता था और यहाँ पर बड़ी मात्रा में हिन्दुओ की आबादी निवास करती थी। लेकिन फिलहाल इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है। लेकिन यहाँ आज भी एक बड़ी आबादी हिन्दुओं की है। खासकर बाली द्वीप तो हिन्दू बहुल भी है। यहाँ पर आज भी हिन्दू धर्म का काफी प्रभाव है।

गुयाना :-
गुयाना कैरीबियन देश है जो कि दक्षिण अमेरिका में स्थित है। गुयाना में भी हिन्दुओं की बड़ी आबादी निवास करती है। उन हिन्दुओं में से लगभग सभी भारत से ले जाए गये वे गिरमिटिये मजदूर हैं जिन्हें बंदी बनाकर अंग्रेज मजदूरी करवाने ले गये थे।

रविवार, 17 सितंबर 2017

कांग्रेसी राज में हुए बम धमाको के आकडे जरा इन आँकड़ों पर भी ध्यान दें।

२००९ लोक सभा चुनावों से पहले के धमाके::::

२९ अक्टूबर, २००५: दिल्ली के बाजारों में तीन जोरदार धमाकों में ६६ लोगों की
मौत।
७ मार्च, २००६: बनारस में तीन बम धमाकों में १५ लोगों की मौत ६० घायल।
११ जुलाई, २००६: मुंबई के रेलवे स्टेशनों और लोकल ट्रेनों में ७ बम धमाकों में
१८० से अधिक लोगों की मौत।
८ सितंबर, २००६: मुंबई से २६० किलोमीटर दूर मालेगाँव में एक मस्जिद के निकट एक
के बाद एक धमाकों में ३२ लोगों की मौत।
१९ फरवरी, २००७: भारत से पाकिस्तान जा रही समझौता एक्सप्रेस में दो बम फटे, ६६
से अधिक मौतें, मरने वाले अधिकतर पाकिस्तानी थे।
१८ मई, २००७: हैदराबाद में जुमे की नमाज के समय मस्जिद में बम फटा, ११ लोगों
की मौत।
२५ अगस्त, २००७: हैदराबाद में ही एक मनोरंजन पार्क और सड़क किनारे के ढाबे में
चंद मिनटों के अंतराल पर तीन धमाके, ४० की मौत।
१३ मई, २००८: जयपुर में एक के बाद एक ७ धमाके, ६३ लोगों की मौत।
२५ जुलाई, २००८: बेंगलुरु में ७ धमाकों में एक व्यक्ति की मौत, १५ घायल।
२६ जुलाई, २००८: अहमदाबाद में ७० मिनट के अंदर २१ बम धमाकों में ५६ लोगों की
मौत और २०० घायल।
१३ सितंबर, २००८: राजधानी दिल्ली के महत्वपूर्ण बाजारों में सीरियल धमाकों में
२६ लोगों की मौत।
२८ सितंबर, २००८: दिल्ली के महरौली इलाके में धमाका, ३ की मौत।
२९ सितंबर, २००८: गुजरात के मोदासा और महाराष्ट्र के मालेगाँव में धमाके,
मालेगाँव में ५ लोग मरे।
२१ अक्टूबर, २००८: मणिपुर पुलिस कमांडो काम्प्लेक्स के निकट बम धमाके में १७
लोग मारे गए।
३० अक्टूबर, २००८: असम के अलग-अलग इलाकों में १८ आतंकवादी हमलों में कम से कम
४५ लोगों की मौत और १०० से अधिक घायल।
२६ नवम्बर, २००८: मुम्बई में आतंकी हमला १६० लोगों की मौत, २५० से ज्यादा लोग
घायल

अब जरा २००९-२००१३ के बम ब्लास्ट पर भी एक नजर::::::

१३ फरवरी, २०१०: पूणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट में १७ की मौत, १३ घायल
७ दिसंबर, २०१०: बनारस के घाट पर धमाकों में १ की मौत २५ घायल
१३ जुलाई, २०११: मुम्बई झावेरी बाजार धमाकों में २१ मौत, १५० से ज्यादा घायल
१ अगस्त, २०११: मणिपुर धमाके में ५ की मौत, २० घायल
१७ सितंबर,२०११: आगरा हाॅस्पिटल में धमाका
३ अगस्त, २०१२: पूणे में ४ सिरियल धमाके
७ सितंबर, २०१२: दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाकें में १३ लोगों की मौत
२१ फरवरी, २०१३: हैदराबाद दिलसुखनगर धमाके, २२ मौत, १२० से ज्यादा घायल

अब ये तो बस बानगी भर है, आप खुद समझ सकते हैं, २००९ में चुनावों से ठीक पहले
धड़ाधड़ धमाके हुये और चुनावों के बाद के चार सालों में बस गिने चुने
धमाके।।।। क्यों?

अब फिर से धमाकों का दौर चलने वाला है, क्योंकि चुनावी साल में प्रवेश कर रहें
हैं सब, तो सबका ध्यान अपने काले कारनामों से हटाने के लिये कांग्रेसी कोई ना
कोई चाल तो चलेंगे ना।।।।।

शनिवार, 16 सितंबर 2017

*हिन्दू संगठन के भाइयों को मेरा संदेश - मेरे व्यक्तिगत विचार*

*क्यों संकट में है भारतीय संस्कृति व धर्म?*

आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है। क्यों हिन्दू समाज संरक्षण के लिए राजनेताओं और न्यायालयों के मुंह ताकता फिरता है?

प्रथम दृष्ट्या हमारे पास यही उत्तर होता है कि *हिन्दू संगठित नही है*।

क्यों संगठित नही है? क्योंकि हमें ब्रिटिशकाल के समय से हमें भाषा, प्रान्त, क्षेत्र, खानपान, जाति में बांटा गया।

*रचना करना विध्वंश से कहीं अधिक बड़ा और कठिन कार्य है।*

इसलिए हमारा या समाज का विघटन करना आसान है और संगठित करना बहुत कठिन। उदाहरण के तौर पर किसी भवन को ले लीजिए निर्माण में वर्षों लग जाएंगे परंतु तोड़ना होतो कुछ ही पल पर्याप्त हैं, तोड़ने में संसाधन भी कम लगेंगे।

इसलिए समाज को तोड़ने वाले वामपंथी, ईसाई और मुल्ले किसी न किसी रूप में हम पर हावी रहे हैं।

*लेकिन शत्रुओं से ज्यादा समस्या हम हिन्दुओ से ही है।*

क्योंकि अगर कोई हिंदुओं को संगठित करने के लिए निःस्वार्थ भाव से आगे आये भी तो उसको हिन्दू ही टांग पकड़ कर नीचे खींच देते हैं।

*हिंदुत्ववादी संगठनों में आपस मे विवाद।*
*एक दूसरे की बुराई व शिकायत करना।*
*छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे का विरोध  करना।*

*उसे ये पद क्यों और कैसे? और मुझे फलाना पद नही तो मैं कार्य नही करूँगा।*

ये उक्त नैसर्गिक गुण दिखाई देते हैं तथाकथित *हिंदुत्ववादी* लोगों में। अरे भाई! कोई अहसान कर रहे हैं क्या हम-आप समाज के लिए कार्य करके?

मुझे पीड़ा होती हिंदुओं के मानसिक दिवालियापन को देखकर। खासकर उन्हें देखकर जिनके लिए हिन्दू संगठन राजनीति का अखाड़ा हैं अथवा राजनीति में घुसने का एक मार्ग।

हर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता के मन कुछ बातें स्पष्ट होनी चाहिए।

१. *लक्ष्य* - भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करवाना (न कि स्वयं को कोई पद दिलवाना या चुनाव लड़ना)

२. *मार्ग* - त्याग। सब कुछ त्याग कर देने की  क्षमता विकसित करना राष्ट्र और धर्म के लिए (न कि एक दूसरे से विवाद करना,  शिकायत करना, आपस मे politics खेलना)

३. *आचरण* - धार्मिक होना, धैर्यवान होना, विवेकशील होना, *अनुशासित होना* (न कि पोस्टरबाजी करना, fb/whatsapp डायलॉगबाजी करना)

४. *विचार* - हर समय राष्ट्र की, भारत माता की, सनातन धर्म व संस्कृति के बारे में विचार करना (न कि फलाने ने मेरे बारे में ये कहा, उसने वो किया, किसी को कैसे गिराऊं किसी को कैसे उठाऊं?

*राजनीति का हिन्दुत्वकरण होना था परंतु हिंदुत्व का राजनीतिकरण हो गया* जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

आज हर हिन्दू और विशेषतः हिन्दू संगठनों के कार्यकर्तों के कंधे पर बड़ा बोझ है समाज को एक धारा में लाने का उन्हें संगठित करने का।
व्यक्ति भी वही बड़ा बन पाया है जिसने अपने व्यक्तिगत हितों को त्यागकर लोगों को संगठित किया है।

राजनीतिक महत्वकांशा वाले हिन्दू भाइयों को मेरा इतना कि कहना है कि किसी भी सड़क पर चलते व्यक्ति से (या स्वयं से) अपने क्षेत्र के पिछले 5 विधायक सांसदों के नाम पूछिये और भारत के सभी प्रधानमंत्रियों/राष्ट्रपतियों के नाम पूछिये...मेरा दावा है 99% लोग नही बात पाएंगे। यह समाज उसको याद रखता है जिसने समाज को शक्ति दी, संगठित किया। उसी दिशा में हमारा जीवन होना चाहिए। संगठित करना कठिन है परंतु असंभव नही। बहुत त्याग की आवश्यकता है। और सबसे पहले स्वार्थ और अहंकार का त्याग आवश्यक है।

*जय जय श्री राम*
*जय श्री महाकाल*

*ठाकुर सचिन चौहान - योगी सेवक*