मंगलवार, 19 सितंबर 2017

हिन्दू धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है।

1. हिन्दू धर्म : -
भारत के प्रमुख धर्म के रूप में मशहूर हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म माना जाता है। इस धर्म का कोई संस्थापक भी नही है।इस धर्म के मुख्य ग्रन्थ वेद,गीता,रामायण आदि है। इस धर्म की आबादी पूरी दुनिया में एक बिलियन के लगभग है।यह धर्म मुख्य रूप से,भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, नेपाल, बांग्लादेश, मलेशिया, अफ्रीका, दक्षिण और उतरी यूरोप में पाया जाता है।

2. ईसाई धर्म : -
दुनिया में सबसे ताकतवर धर्म माना जाने वाले ईसाई की शुरुवात आज से लगभग 2000 साल पहले की गयी थी। ईसा मसीह को ईसाई धर्म का संस्थापक माना जाता है, जिन्हे जीसस क्राइस्ट भी कहा जाता है। इस धर्म के लोग रोमन कैथोलिक,पूर्वी रूढ़िवाद प्रतिवादी पंथ के लोग होते है। माना जाता है दुनिया में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है। पूरी दुनिया में इस धर्म के 2 अरब से अधिक अनुयायी है।

3. इस्लाम : -
इस्लाम की खोज आज से करीब 1400 साल पहले हई थी। इस धर्म के खोजकर्ता मोहम्मद को माना जाता है।इस धर्म के अनुयायी मोहमद के जीवन के अनुसार जीवन जीते है।इस धर्म का प्रमुख ग्रन्थ कुरान है।इस्लाम धर्म के अनुयायी पूरी दुनिया में लगभग 1.5 बिलयन है।यह मुख्य रूप से बांग्लादेश,इंडोनेशिया,पाकिस्तान,पूर्वी यूरोप और अफ्रीका में पाये जाते है।

4. बौद्ध धर्म : -
इस धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे। यह धर्म लगभग 2500 साल पुराना है।बौद्ध धर्म का मुख्य ग्रन्थ त्रिपिटिका है। यह धर्म तीन भागो में विभाजित प्रथम हियानन यह श्रीलंका,कंबोडिया और थाईलैंड में पाये जाते है।द्वितय महायान यह चीन,जापान,वियतनाम,कोरिया में पाये जाते है।तृतीय वज्रयान यह तिब्बत,मंगोलिया,जापान में पाया जाता है।

फिजी, मारीशस, इंडोनेशिया और गुयाना में हिन्दू आबादी के बारे में जानें।

फिजी :-
फिजी ऑस्ट्रेलिया के महाद्वीप में बसा हुआ एक देश है। यहाँ पर बड़ी मात्रा में हिन्दू रहते है फिजी में सबसे बड़ी आबादी ईसाईयों आबादी के लिहाज से हिन्दू दूसरे नंबर पर आते है।

मारीशस :-
मॉरीशस एक बड़ा ही खूबसूरत देश है। यह अफ्रीका महाद्वीप में बसा हुआ है। इस देश में हिन्दुओ की एक बड़ी आबादी निवास करती हैं। मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश से आये हुए लोग यहाँ बेस हुए है। इस देश में भोजपुरी भाषा का भी काफी प्रभाव है।

इण्डोनेशिया :-
अगर बात करें इंडोनेशिया की तो यह किसी समय हिंदुओं का देश हुआ करता था और यहाँ पर बड़ी मात्रा में हिन्दुओ की आबादी निवास करती थी। लेकिन फिलहाल इंडोनेशिया एक मुस्लिम बहुल देश है। लेकिन यहाँ आज भी एक बड़ी आबादी हिन्दुओं की है। खासकर बाली द्वीप तो हिन्दू बहुल भी है। यहाँ पर आज भी हिन्दू धर्म का काफी प्रभाव है।

गुयाना :-
गुयाना कैरीबियन देश है जो कि दक्षिण अमेरिका में स्थित है। गुयाना में भी हिन्दुओं की बड़ी आबादी निवास करती है। उन हिन्दुओं में से लगभग सभी भारत से ले जाए गये वे गिरमिटिये मजदूर हैं जिन्हें बंदी बनाकर अंग्रेज मजदूरी करवाने ले गये थे।

रविवार, 17 सितंबर 2017

कांग्रेसी राज में हुए बम धमाको के आकडे जरा इन आँकड़ों पर भी ध्यान दें।

२००९ लोक सभा चुनावों से पहले के धमाके::::

२९ अक्टूबर, २००५: दिल्ली के बाजारों में तीन जोरदार धमाकों में ६६ लोगों की
मौत।
७ मार्च, २००६: बनारस में तीन बम धमाकों में १५ लोगों की मौत ६० घायल।
११ जुलाई, २००६: मुंबई के रेलवे स्टेशनों और लोकल ट्रेनों में ७ बम धमाकों में
१८० से अधिक लोगों की मौत।
८ सितंबर, २००६: मुंबई से २६० किलोमीटर दूर मालेगाँव में एक मस्जिद के निकट एक
के बाद एक धमाकों में ३२ लोगों की मौत।
१९ फरवरी, २००७: भारत से पाकिस्तान जा रही समझौता एक्सप्रेस में दो बम फटे, ६६
से अधिक मौतें, मरने वाले अधिकतर पाकिस्तानी थे।
१८ मई, २००७: हैदराबाद में जुमे की नमाज के समय मस्जिद में बम फटा, ११ लोगों
की मौत।
२५ अगस्त, २००७: हैदराबाद में ही एक मनोरंजन पार्क और सड़क किनारे के ढाबे में
चंद मिनटों के अंतराल पर तीन धमाके, ४० की मौत।
१३ मई, २००८: जयपुर में एक के बाद एक ७ धमाके, ६३ लोगों की मौत।
२५ जुलाई, २००८: बेंगलुरु में ७ धमाकों में एक व्यक्ति की मौत, १५ घायल।
२६ जुलाई, २००८: अहमदाबाद में ७० मिनट के अंदर २१ बम धमाकों में ५६ लोगों की
मौत और २०० घायल।
१३ सितंबर, २००८: राजधानी दिल्ली के महत्वपूर्ण बाजारों में सीरियल धमाकों में
२६ लोगों की मौत।
२८ सितंबर, २००८: दिल्ली के महरौली इलाके में धमाका, ३ की मौत।
२९ सितंबर, २००८: गुजरात के मोदासा और महाराष्ट्र के मालेगाँव में धमाके,
मालेगाँव में ५ लोग मरे।
२१ अक्टूबर, २००८: मणिपुर पुलिस कमांडो काम्प्लेक्स के निकट बम धमाके में १७
लोग मारे गए।
३० अक्टूबर, २००८: असम के अलग-अलग इलाकों में १८ आतंकवादी हमलों में कम से कम
४५ लोगों की मौत और १०० से अधिक घायल।
२६ नवम्बर, २००८: मुम्बई में आतंकी हमला १६० लोगों की मौत, २५० से ज्यादा लोग
घायल

अब जरा २००९-२००१३ के बम ब्लास्ट पर भी एक नजर::::::

१३ फरवरी, २०१०: पूणे जर्मन बेकरी ब्लास्ट में १७ की मौत, १३ घायल
७ दिसंबर, २०१०: बनारस के घाट पर धमाकों में १ की मौत २५ घायल
१३ जुलाई, २०११: मुम्बई झावेरी बाजार धमाकों में २१ मौत, १५० से ज्यादा घायल
१ अगस्त, २०११: मणिपुर धमाके में ५ की मौत, २० घायल
१७ सितंबर,२०११: आगरा हाॅस्पिटल में धमाका
३ अगस्त, २०१२: पूणे में ४ सिरियल धमाके
७ सितंबर, २०१२: दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर धमाकें में १३ लोगों की मौत
२१ फरवरी, २०१३: हैदराबाद दिलसुखनगर धमाके, २२ मौत, १२० से ज्यादा घायल

अब ये तो बस बानगी भर है, आप खुद समझ सकते हैं, २००९ में चुनावों से ठीक पहले
धड़ाधड़ धमाके हुये और चुनावों के बाद के चार सालों में बस गिने चुने
धमाके।।।। क्यों?

अब फिर से धमाकों का दौर चलने वाला है, क्योंकि चुनावी साल में प्रवेश कर रहें
हैं सब, तो सबका ध्यान अपने काले कारनामों से हटाने के लिये कांग्रेसी कोई ना
कोई चाल तो चलेंगे ना।।।।।

शनिवार, 16 सितंबर 2017

*हिन्दू संगठन के भाइयों को मेरा संदेश - मेरे व्यक्तिगत विचार*

*क्यों संकट में है भारतीय संस्कृति व धर्म?*

आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है। क्यों हिन्दू समाज संरक्षण के लिए राजनेताओं और न्यायालयों के मुंह ताकता फिरता है?

प्रथम दृष्ट्या हमारे पास यही उत्तर होता है कि *हिन्दू संगठित नही है*।

क्यों संगठित नही है? क्योंकि हमें ब्रिटिशकाल के समय से हमें भाषा, प्रान्त, क्षेत्र, खानपान, जाति में बांटा गया।

*रचना करना विध्वंश से कहीं अधिक बड़ा और कठिन कार्य है।*

इसलिए हमारा या समाज का विघटन करना आसान है और संगठित करना बहुत कठिन। उदाहरण के तौर पर किसी भवन को ले लीजिए निर्माण में वर्षों लग जाएंगे परंतु तोड़ना होतो कुछ ही पल पर्याप्त हैं, तोड़ने में संसाधन भी कम लगेंगे।

इसलिए समाज को तोड़ने वाले वामपंथी, ईसाई और मुल्ले किसी न किसी रूप में हम पर हावी रहे हैं।

*लेकिन शत्रुओं से ज्यादा समस्या हम हिन्दुओ से ही है।*

क्योंकि अगर कोई हिंदुओं को संगठित करने के लिए निःस्वार्थ भाव से आगे आये भी तो उसको हिन्दू ही टांग पकड़ कर नीचे खींच देते हैं।

*हिंदुत्ववादी संगठनों में आपस मे विवाद।*
*एक दूसरे की बुराई व शिकायत करना।*
*छोटी छोटी बातों पर एक दूसरे का विरोध  करना।*

*उसे ये पद क्यों और कैसे? और मुझे फलाना पद नही तो मैं कार्य नही करूँगा।*

ये उक्त नैसर्गिक गुण दिखाई देते हैं तथाकथित *हिंदुत्ववादी* लोगों में। अरे भाई! कोई अहसान कर रहे हैं क्या हम-आप समाज के लिए कार्य करके?

मुझे पीड़ा होती हिंदुओं के मानसिक दिवालियापन को देखकर। खासकर उन्हें देखकर जिनके लिए हिन्दू संगठन राजनीति का अखाड़ा हैं अथवा राजनीति में घुसने का एक मार्ग।

हर हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता के मन कुछ बातें स्पष्ट होनी चाहिए।

१. *लक्ष्य* - भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करवाना (न कि स्वयं को कोई पद दिलवाना या चुनाव लड़ना)

२. *मार्ग* - त्याग। सब कुछ त्याग कर देने की  क्षमता विकसित करना राष्ट्र और धर्म के लिए (न कि एक दूसरे से विवाद करना,  शिकायत करना, आपस मे politics खेलना)

३. *आचरण* - धार्मिक होना, धैर्यवान होना, विवेकशील होना, *अनुशासित होना* (न कि पोस्टरबाजी करना, fb/whatsapp डायलॉगबाजी करना)

४. *विचार* - हर समय राष्ट्र की, भारत माता की, सनातन धर्म व संस्कृति के बारे में विचार करना (न कि फलाने ने मेरे बारे में ये कहा, उसने वो किया, किसी को कैसे गिराऊं किसी को कैसे उठाऊं?

*राजनीति का हिन्दुत्वकरण होना था परंतु हिंदुत्व का राजनीतिकरण हो गया* जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।

आज हर हिन्दू और विशेषतः हिन्दू संगठनों के कार्यकर्तों के कंधे पर बड़ा बोझ है समाज को एक धारा में लाने का उन्हें संगठित करने का।
व्यक्ति भी वही बड़ा बन पाया है जिसने अपने व्यक्तिगत हितों को त्यागकर लोगों को संगठित किया है।

राजनीतिक महत्वकांशा वाले हिन्दू भाइयों को मेरा इतना कि कहना है कि किसी भी सड़क पर चलते व्यक्ति से (या स्वयं से) अपने क्षेत्र के पिछले 5 विधायक सांसदों के नाम पूछिये और भारत के सभी प्रधानमंत्रियों/राष्ट्रपतियों के नाम पूछिये...मेरा दावा है 99% लोग नही बात पाएंगे। यह समाज उसको याद रखता है जिसने समाज को शक्ति दी, संगठित किया। उसी दिशा में हमारा जीवन होना चाहिए। संगठित करना कठिन है परंतु असंभव नही। बहुत त्याग की आवश्यकता है। और सबसे पहले स्वार्थ और अहंकार का त्याग आवश्यक है।

*जय जय श्री राम*
*जय श्री महाकाल*

*ठाकुर सचिन चौहान - योगी सेवक*

आये दिन साम्प्रदायिक हिंसा के मामले देश में बढ़ते ही जा रहे हैं।

आये दिन साम्प्रदायिक हिंसा के मामले देश में बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके बावजूद देश के कुछ तथाकथित सेक्युलर नेता देश में रोहिंग्या कट्टरपंथियों को घुसाने की वकालत कर रहे हैं। कुछ ही वक़्त पहले गणेश विसर्जन के दौरान देश में कई जगहों पर साम्प्रदायिक माहौल बन गया था और अब एक नया मामला भगवान् शिव के मंदिर को लेकर सामने आया है। ताजा मामला यूपी लखीमपुर थाना मैलानी की पुलिस चौकी कुकुरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मुड़ा खजुहा का हैं।
शिवा मंदिर में कूड़ा फेकने को लेकर काटा बवाल !
यहाँ भगवान् शिव का एक प्राचीन मंदिर है. पिछले कुछ दिनों से कुछ मुस्लिम यहाँ कूड़ा फेकना शुरू हो गए। प्रतिदिन कूड़ा देख आसपास के लोग बेहद हैरान थे। दरअसल खुद को शान्ति प्रिय समुदाय कहने वालों की योजना थी, कूड़ा फेंक-फेंक कर पूरी जगह को कूड़े के ढेर से धक् देंगे और जगह हथिया लेंगे। कल जब मंदिर की सफाई का काम चल रहा था, तो कुछ मुस्लिम युवक वहां आ गए और सफाई से रोकने लगे।
सफाई का काम जारी रहने पर, उन युवकों ने कई अन्य लोगों को बुला लिया। फिर देखते ही देखते कट्टरपंथियों की भीड़ जमा हो गयी। कट्टरपंथी मुस्लिम युवकों ने लाठी-डंडों से उनको मारना शुरू कर दिया। जिसके बाद हिन्दू भी भड़क उठे और झगड़ा काफी बढ़ गया। मुस्लिम युवकों ने कश्मीर की ही तर्ज पर पथराव शुरू कर दिया।
हिंसा के चलते काफी लोगो को गम्भीर चोटे आई है। मिली जानकारी के मुताबिक़ कट्टरपंथियों ने वहां से आने-जाने वालों को भी पीटना शुरू कर दिया। यहाँ तक कि औरतो को भी नहीं छोड़ा गया। पथराव व् डंडों के कारण जियालाल पुत्र भवानी, मालती देवी पत्नी हरिचंदन लाल, कौसिल्या देवी पत्नी रामपाल पासी बुरी तरह से घायल हो गए। हालत गंभीर होने के कारण उन्हें फ़ौरन जिला अस्पताल रेफर किया गया।
हिंसा की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँच गई. तब जा कर मामला शांत हुआ। मौके पर पहुची पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया और घायलों को अस्पताल में एडमिट करवाया। सवाल ये खड़ा हो रहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को देश में बसाने की मांग करने वालों के समर्थक जिस तरह से देश की अलग-अलग जगह पर हिंसा व् उपद्रव मचा रहे हैं। उसे देखते हुए क्या इन पर सख्त एक्शन नहीं लेना चाहिए ? 🇮🇳🙏

*क्षत्रिय साम्राज्य की टीम के अनुसार भारत के समस्त राज्यों से राजपूतो जनसँख्या।*

*क्षत्रिय साम्राज्य की टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से राजपूत  जनसँख्या जानने की कोशिश की है जिसके अनुसार सूची तयार हुई है। उम्मीद है राजपूत अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे। :-*

*1) जम्मू कश्मीर :- 2 लाख + 4 लाख विस्थापित*
*2) पंजाब :- 9 लाख राजपूत*
*3) हरयाणा :- 14 लाख राजपूत*
*4) राजस्थान :- 78 लाख राजपूत*
*5) गुजरात :- 60 लाख राजपूत*
*6) महाराष्ट्र :- 45 लाख राजपूत*
*7) गोवा :- 5 लाख राजपूत*
*8) कर्णाटक :- 45 लाख राजपूत*
*9) केरल :- 12 लाख राजपूत*
*10) तमिलनाडु :- 36 लाख राजपूत*
*11) आँध्रप्रदेश :- 24 लाख राजपूत*
*12) छत्तीसगढ़ :- 24 लाख राजपूत*
*13) उड़ीसा :- 37 लाख राजपूत*
*14) झारखण्ड :- 12 लाख राजपूत*
*15) बिहार :- 90 लाख राजपूत*
*16) पश्चिम बंगाल :- 18 लाख राजपूत*
*17) मध्य प्रदेश :- 42 लाख राजपूत*
*18) उत्तर प्रदेश :- 2 करोड़ राजपूत*
*19) उत्तराखंड :- 20 लाख राजपूत*
*20) हिमाचल :- 45 लाख राजपूत*
*21) सिक्किम :- 1 लाख राजपूत*
*22) आसाम :- 10 लाख राजपूत*
*23) मिजोरम :- 1.5 लाख राजपूत*
*24) अरुणाचल :- 1 लाख राजपूत*
*25) नागालैंड :- 2 लाख राजपूत*
*26) मणिपुर :- 7 लाख राजपूत*
*27) मेघालय :- 9 लाख राजपूत*
*28) त्रिपुरा :- 2 लाख राजपूत* 

*सबसे ज्यादा राजपूत वाला राज्य:- उत्तर प्रदेश*
*सबसे कम राजपूत वाला राज्य :- सिक्किम*

*सबसे ज्यादा राजपूत  राजनैतिक वर्चस्व :- पश्चिम बंगाल*

*सबसे ज्यादा प्रतिशत वाला राज्य :- उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % राजपूत*

*अत्यधिक साक्षर राजपूत राज्य :- केरल और हिमाचल*

*सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में राजपूत  :- आसाम*

*सबसे ज्यादा राजपूत मुख्यमंत्री वाला राज्य :- राजस्थान*

*सबसे ज्यादा राजपूत  विधायक वाला राज्य :- उत्तर प्रदेश,*
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*भारत लोकसभा में राजपूत  :- 48 %*
*भारत राज्यसभा में राजपूत  :- 36 %*
*भारत में राजपूत राज्यपाल :- 50 %*
*भारत में राजपूत कैबिनेट सचिव :- 33 %*
*भारत में मंत्री सचिव में राजपूत :- 54%*
*भारत में अतिरिक्त सचिव राजपूत :- 62%*
*भारत में पर्सनल सचिव* *राजपूत :-70%*
*यूनिवर्सिटी में राजपूत* *वाईस चांसलर :- 51%*
*सुप्रीम कोर्ट में राजपूत  जज:- 56%*
*हाई कोर्ट में राजपूत जज:-40 %*
*भारतीय राजदूत राजपूत  :- 41%*
*पब्लिक अंडरटेकिंग राजपूत  :-*
*केंद्रीय : 57%*
*राज्य : 82 %*

*बैंक में राजपूत  : 57 %*
*एयरलाइन्स में राजपूत : 61%*
*IAS राजपूत 72%*
*IPS राजपूत : 61%*
*टीवी कलाकार एव* *बॉलीवुड : राजपूत 83%*
*CBI Custom राजपूत 72%*

*" मिट गये जहां से हमको मिटाने वाले ,*
*कुछ बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी !! "*

*इस संदेश को इतना फैलाओ कि हर राजपूत के मोबाईल मे पहुँचे ...!!*

भाईयो आज हम महाराज खेतसिंह के पूर्बज तथा वंशजो के नामो से परिचित होते है !

भाईयो डाभराय वंश का आरम्भ डाभराय से होता है जो कि सृष्टी कर्ता ब्रह्मा के द्बारा उत्पन्न माने जाते है। :-

१-डाभराय के दशरथसेन

२-दशरथसेन के शत्रुगुण

३-शत्रुगुण के प्रभुजीत

४-प्रभुजीत के पुंडरीक

५-पुंडरीक के हेमरक

६-हेमरक के रिखपाल

७-रिखपाल के दीनरिख

८-दीनरिख के पत्रसुन्न

९-पत्रसुन्न के बेणुआ
(इनकी पत्नि नागनीचा)

१०-बेणुआ के महदुआपाल उर्फ महीपाल उर्फ मेनकपाल

११-महीपाल के नर सुल्तान
(इनकी पत्नि निहालदे कीचकगढ़ की थीं )

१२-नरसुल्तान के गूजरमल
(हमीर गढ़ का राज्य किया)

१३-नरसुल्तान के महपाल

१४-महपाल के अजयधीरपाल

१५-अजयधीरपाल के नाहरराय
(मंडोबर का राज्य किया जूनागढ़ मडोबर शाशित प्रदेश था तथा महाराज नाहरराय ने पुष्कर तीर्थ की स्थापना कराई)

१६-नाहरराय के नौधनराय (नौधनराय के १२ पुत्रों से ही हमारा वंश १२ प्रशाखाओं में वटजाता है )

१७-नौधनराय के खेंगेराब (खेंगेराव से ही खंगार वंश का प्रारम्भ होता है खेंगेराब को रावखंगार भी कहा जाता था रावखंगार ने ही कच्छ में मांडली का राज्य किया तथा सोमनाथ का मंदिर बनबाया )

१८-खेंगेराब के भीमजी

१९-भीमजी के उदलजी

२०-उदलजी के रूढ़खंगार (रूढ़खंगार को रायकवाट भी कहा जाता था इनकी पत्नि चित्तोढ़गढ़ के राणासांगा की पुत्री किशोर कुंअर थीं रूढ़खंगार ने संबत ११२५ में जूनागढ़ मे तालाव बनबाया,देबी का मंदिर बनबाया तथा संबत ११३३ में जूनागढ किले का परकोटा बनबाया )

२१-रूढ़खंगार के खेता (खेता ने जसमनगढ़ का तालाब बनबाया, बाग लगबाया तथा अपने भाई कानपाल को जूनागढ़ का राज्य देकर पृथ्वीराज चौहान के साथ दिल्ली आगये और वैसाख सुदी ३-अक्षयतृतीया संबत ११४० मे गढ़कुंडार को जीता तथा संबत ११५३ में अपने कुटुम्ब को भी अपने पास बुला लिया ! खेतसिंह की तीन रानिया एंब एक दासी थी ! जिनकी संतानो का विबरण आगे देने की कोशिश करेंगे ! तथा सिंह को चीर देने के बाद से ही खेतसिंह कहलाये ,आमेरी का किला वनबाया )

२२-खेतसिंह के नंदपाल

२३-नंदपाल के क्षत्रशाल

२४-क्षत्रशाल के खूबसिंह (खूबसिंह की दो रानियॉ थी संबत १३०२ मे गढ़कुडार के किले मे मॉ सिंहबाहिनी का मंदिर वनबाया तथा संबत १३०७ में मूर्ती स्थापित कराई )

२५-खूबसिंह के मानसिंह  (संबत १३०९ में गद्दी संभाली मान सिंह की पुत्री केशरदे(विशालकुंअर) की मॉग की गई दिल्ली शासक द्बारा न देने पर युद्ध हुआ तथा संबत १३१३ मे खंगार सत्ता का पतन )। 🙏

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

क्षत्रियों के रीति रिवाज जिनकी जानकारी हमारे लिए आवश्यक है।

1.) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !!

2.) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता, हां ,सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हो, तो सर ढकने के लिए हाथ रखें।

3.) पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते।

4.) मटिया, गहरा हरा, नीला, सफेद ये शोक के साफे है।

5.) खम्मा घणी का असली मतलब है "माफ़ करना में आप के सामने बोलने की जुरत कर रहा हूं, जिस का आज के युग में कोई मायने नहीं रहा गया है !!

6.) असल में खम्माघणी , चारण, भाट, राज्यसभा मे ठिकानेदार / राजा /महाराजा के सामने कुछ बोलने की आज्ञा मांगने के लिए प्रयोग करते थे।

7.) ये सरासर गलत बात है की घणी खम्मा, खम्मा-घणी का उत्तर है, असल में दोनों का मतलब एक ही है !!

8.) हर राज के, ठिकाने के, यहाँ Clan/Subclan के इस्थ देवता होते थे, जो की जायदातर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूपों में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार आप का गreet करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की...जय गोपीनाथ जी की ।

9.) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नंगारा, निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!

10.) मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे।

11.) अमल घोलना, चिलम, हुक्का या दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई, बंधु, भाईपे, रिश्तेदारों को एक जाजम पर लाना !!

12.)ढोली के ढोल को "अब बंद करो या ले जायो" नहीं कहा जाता है "पधराओ " कहते हैं।

13.) आज भी कई घरों में तलवार को म्यान से निकालने नहीं देते, क्योंकि तलवार की एक परंपरा है - अगर वो म्यान से बाहर आई तो या तो उनके खून लगेगा, या लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार म्यान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से म्यान में डालते है !!

14.) तोरण मारना इसलिए कहते है क्योकि तोरण एक राक्षश था, जिसने शिवजी के विवाह में बाधा डालने की कोशिश की थी और उसका शिवजी ने वध किया था।

15.) ये कहना गलत है की माताजी के बलि चढाई, माताजी तो माँ है वो भला कैसे किसी प्राणी की बलि ले सकती है, दरअसल बलि माताजी के भेरू (शेर) के लिए चढ़ती है, उसको प्रसन्न करने के लिए।

सोमवार, 11 सितंबर 2017

क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में नमाज और जुम्मे अर्थात शुक्रवार का क्या महत्व है..??

दरअसल यह जानना इसीलिए जरुरी है... क्योंकि... आज दुनिया में हर जगह मुसलमान ""धार्मिक स्वतंत्रता"" का नाम लेकर नमाज़ पढने को लेकर तूफ़ान मचाए हुए हैं.....

और स्थिति तो यह है कि.... मुल्ले कहीं भी चादर बिछा कर नमाज पढ़ने बैठ जाते हैं....
चाहे वो व्यस्ततम सड़क ही क्यों ना हो....!

लेकिन, यह जानकर आपका मुँह खुला का खुला रह जाएगा कि.....

इस्लाम के धार्मिक ग्रन्थ कहे जाने वाले तथाकथित किताब कुरान में .... ""नमाज"" शब्द का कहीं "जिक्र तक नहीं" है...!

हालाँकि... मुझ समेत दुनिया के हरेक लोगों ने नमाज के समय ""मुर्गे की बांग की तरह दिए जाने वाले अजान"" को सुना होगा.... लेकिन, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि....
उस "अजान में भी" नमाज शब्द का कहीं कोई जिक्र नहीं है... बल्कि... उसमे "हय्या अलस्-सलात" कहा जाता है...जिसका अर्थ होता है .... "खुदा की इबादत के लिए आओ"

तो, सबसे बड़ा सवाल ये ही उठता है कि..... आखिर ये नमाज है किस बला का नाम और ... ये शब्द आया कहाँ से ....??????

कुछ कूढ़मगज किस्म के लोगों का मानना है कि.... नमाज एक ""फारसी शब्द"" है.... और, फारसी शब्द का मूल यानी धातु "मसदर" कही जाती है,

लेकिन, मजे की बात यह है कि..... नमाज का मसदर नम हो तो....... नम का अर्थ गीला या भीगा हुआ होता है... मतलब कि .... नहाना या भीग जाना हो गया ....!

परन्तु.... यदि आप इसी ""नम शब्द"" का अर्थ संस्कृत में ढूँढोगे तो.....

संस्कृत में इसी नम का अर्थ है .......""झुकना""

लेकिन... फिर सवाल वहीँ आ खड़ा होता है कि..... झुकना.... लेकिन किसके लिए और क्यों...??????

तो.... इसका जबाब जाहिर है ..... इबादत के लिए.......

लेकिन, किसकी इबादत के लिए......??????

तो जबाब होगा..... खुदा की इबादत के लिए....!!

परन्तु.... इसके बाद तो..... और भी बड़ी समस्या हो जाती है..... क्योंकि...

इस्लाम कि मान्यता के अनुसार तो खुदा ""अज यानी अजन्मा है"".... और, अजन्मा का जब आकार ही नहीं तो इबादत किस ओर .....और... कैसे करें....???

अब मुल्ले कहेंगे कि.... मक्का मदीना की ओर...!!

तो ....

तथ्यों से अब ये स्थापित हो चुका है कि.....

जिसे आज मुसलमान ....मक्का मदीना के नाम से जानते हैं..... उस मक्का मदीना का प्राचीन नाम मख-मेदीनी है....वहां गुरू शुक्राचार्य का मठ था..., जिसे मोहम्मद ने तोड़ दिया....!

और.... अगर मुसलमानों को ये बात नहीं मालूम है तो मैं उन्हें बता दूँ कि....

उस ज़माने में गुरू शुक्राचार्य के मठ में पूजा तथा यज्ञ "अज" अर्थात भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए होता था..... एवं...... यज्ञों में पूजा आहुति देकर होती ही होती है ...

और, यह हम सभी जानते हैं कि..... किसी भी यज्ञ मे आहुति हमेशा ही बैठ कर या झुक कर ही प्रदान की जाती है... इसीलिए , मुसलमान उसी तर्ज़ पर झुक कर ही नमाज पढ़ते हैं....!

और, वहां के गुरु शुक्राचार्य थे..... इसीलिए, शुक्राचार्य के नाम पर ""शुक्र"" का दिन मुसलमानों के लिए ""बड़ा"" हो गया ....

और, ""शुक्र"" का फ़ारसी अनुवाद ""जुम्मा"" होता है ... इसीलिए, मुसलमानों के लिए ""जुम्मे का दिन भी बड़ा"" हो गया ....!!

और, जहाँ तक बात रह गई नमाज के दौरान दिए जाने वाले अजान की तो......

अब अजान की क्या कहानी है... और.. इसकी शुरुआत कैसे हुई.... जरा इसे भी समझ लें...!

हुआ कुछ यूँ कि..... जब मुहम्मद मक्का से मदीना आए, तो एक रोज़ इकठ्ठा हो कर सलाह मशविरा किया कि ... नमाज़ियों को नमाज़ का वक्त बताने के लिए कि क्या तरीका अपनाया जाए ...!

इसपर... सभी ने अपनी-अपनी राय पेश कीं....

और, किसी ने राय दी कि.. यहूदियों की तर्ज़ पर सींग बजाई जाए... तो किसी ने हिन्दू की तर्ज़ पर नाक़ूश (शंख) फूंकने की राय दी.. तो किसी ने कुछ किसी ने कुछ....!

मुहम्मद चुपचाप सब की राय को सुनते रहे.... मगर अंत में उनको उमर की ये राय पसंद आई कि...... अज़ान के बाकायदा एक बोल बनाए जाएँ.... और, उस बोल को बाआवाज़ बुलंद पुकारा जाए.....

इस पर मुहम्मद ने बिलाल को हुक्म दिया.... उठो बिलाल अज़ान दो." (बुखारी ३५३)

इस तरह ... अज़ान चन्द लोगों के बीच किया गया एक मजाकिया फैसला था ....जिस में मुहम्मद के जेहनी गुलामों की सियासी टोली थी...!!

🙏 जय महाकाल...!!🙏