सोमवार, 4 सितंबर 2017

⛳🚩 भगवा केसरिया की आत्मकथा 🚩⛳

#मै_भगवा_केसरिया_बोल_रहा_मेरा_दर्द_तो_सुनो :-

#मैं_भगवा_केसरिया_हूँ जो भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का साक्षी रहा है। गूंगा हूँ पर सुनता हूँ देखता हूँ।
मैं मुक गवाह हूँ इस प्राचीन देश के बनते और बिगड़ते का।
जब एक फिल्म अभीनेता कमल हासन ने कहा कि मुझे सभी रंग पसंद है लेकिन भगवा पसंद नही है तो दर्द छलक आया।
मै फिर जोर-जोर से रोने लगा और रोते-रोते इतिहास अपने स्वर्णमिम इतिहास में खो गया।
जो वैदिक काल में कभी देवराज इन्द्र के ऐरावत पर लहराया करता था।जब ऋषि-मुनी यज्ञ करते थें तो मुझे छोटे-छोटे आकार में बनाकर देवताओं पर चढाया जाता था।

#मै_वही_भगवा_केसरिया...मेरा निर्माण और नामकरण ऋषिओं ने किया था।उषाकाल के सूर्य और अग्नि के रंग को देखकर ऋषिओं ने उसी रंग में मुझे रंग डाला।देवी उषा भग के बहन थी इसलिए ऋषिओं ने मेरा नाम भगवा कर दिया क्योंकी उषाकाल के समय आकाश और ब्रह्मांड दोनों ही भगवा रंग में रंगा रहता है।ऋग्वेद के मंत्रों में मुझे अरूणा कहा गया।

...वैदिक काल में मैं ऋषिओं के कुटीओं में लहराया करता था फिर उंचे-उंचे महलों पर भी मुझे स्थान दिया गया।

...रामायणकाल में श्री राम ने भी मुझे बहुत सत्कार किया जब राम-रावण युद्ध शुरू हुआ तो सैनिकों की एक टुकड़ी बना दी गयी थी जो मुझे थामे हुए आगे-आगे चलते थे और पिछे-पिछे श्री राम की सेना चलती थी।मेरा रंग श्री राम के सेना के पहचान था।

..महाभारतकाल में श्री कृष्ण ने भी अपना पहचान बनाया उन्होनें अपने रथ पर मुझमें हनुमान के चित्र अंकित कर लहराया।युधिष्ठीर के रथ पर मुझमें नछत्र से युक्त चंद्रमा को अंकित किया गया।

..मध्यकाल में भी कई राजाओं ने मेरा मान रखा।अनेक राजमहलों के उंचे शिखर पर हमें लहराया जाता था किसी ने मुझपर तलवार का चित्र उकेर दिया तो किसी ने सूर्य का, किसी ने चंद्रमा का ,किसी ने स्वास्तीक का तो किसी ने वृक्ष का तो किसी राजा ने अपने कुलदेवता का।मुझ पर उकेरा गया चित्र ही राजाओं के अपना-अपना पहचान होता था।

..फिर #भक्तिकाल_में_शिव_के_शैवभक्तों ने #मुझपर_नंदी_का_चित्रांकन_कर_नंदी_ध्वज बोला

तो #विष्णु_के_भक्त_वैष्णवों ने #गरूड़_को_अंकित_कर_गरूड़ध्वज बोला

तो उसी तरह #देवी_सम्प्रदाय_वाले_शाक्तों ने #सिंह_का_प्रतिक_देकर_मुझे_सिंहध्वज बताया।

#मै_भगवा_केसरिया.हूं मुझ में ही .#भगवान_जगन्नाथ_मंदिर_के_शिखर पर #बिचोबिच_अर्धचंद्र_अंकित_किया_गया_है तो #दक्षीण_के_मंदिरों_में_हमारे_बिचोबिच #ॐ_को_चित्रांकित_कर_उनके_शिखरों पर फहराया जाता है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूं मुझे ही #गुजरात_के_द्वारिकाधीश_मंदिर_के_शिखर_पर #चक्र_के_चित्र_के_साथ_लहराया_गया।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..इसके अलावा #महाभारत_के_युद्धकाल में #मेरा_नाम_भीमध्वज_के_रूप अलग प्रयोग संकेत के रूप में होता था।
हमें #युद्ध_में_तेजी_लाने_के_संकेत के रूप लहराया जाता था।

#मै_भगवा_केसरिया_हँ #मेरे_ध्वज_के_तले_भारतवर्ष_की_भूमि पर #अनेक_युद्ध_हुए_हैं !
मैं भारत वर्ष में लड़े गये प्रत्येक युद्ध का #मूक_गवाह_हूँ।

##मै_भगवा_केसरिया_हूँ #चंद्रगुप्त_की_राजधानी_पाटलिपुत्र के #हर_भवननुमा_शिखरों पर भी #मुझे_उचीत_स्थान_दिया_गया।

मुझे समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन , विक्रमादित्य , यशोवर्मा , पृथ्वीराज चौहान आदि सभी #सनातनी_हिन्दू_बौद्ध_जैन_सिख_राजाओं ने भी बहुत मान बढाया।

मुगलकाल में छत्रपति शिवा जी ,महाराणा प्रताप और राजा कृष्ण देवराय ने अपना-अपना प्रतिक बनाया।नावीकों ने अपने-अपने नावों पर भी मुझे लहराने की कोई कसर नही छोड़ा।

..भारतवर्ष में जब अंग्रेज आए तो मुझे दरकिनार किया गया।फिर मेरे लिए खुशी के दिन तब आया जब 1926 में करांची में कांग्रेस के अधिवेशन में मुझे राष्ट्रध्वज बनाने का प्रस्ताव किया लेकिन खुशी तब काफुर हो गयी जब बाद में अनेक मुस्लिम नेताओं ने विरोध कर दिया।एक बार फिर जब देश को राष्ट्रध्वज चुनने की बात आयी तो सरदार वल्लभ भाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू,-डा.पट्टाभि सीतारमैया, डा.ना.सु.हर्डीकर ,आचार्य काका कालेलकर, मास्टर तारा सिंह आदि ने एक स्वर में यह मांग की राष्ट्रध्वज भगवा ही होना चाहिए लेकिन गांधी जी ने धूर्ततावश मुझे राष्ट्रध्वज के रूप में रखने से इंकार कर दिया।

तब से दरकिनार पड़ा हूँ।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मेरे दर्द को समझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डाक्टर केशव बलराम हेडगेवार जी ने अपने संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आन ब पहचान बनाया।

... मेरी पहचान कभी वीरता,त्याग और संस्कृति के प्रतिक के रूप में होता था अचानक से 2008 के बाद वामपंथी षडयंत्र कम्युनिष्टी सोष़्लिष्टी ईसाई मिशनरी इस्लामी जिहादी मुल्ला मौलवियों एवं जातिवादी वर्गवादी क्षेत्रवाद भाषावादी बौद्धिक षड़यंत्रकारी आतंकवादियों ने मेरी पहचान भगवा आतंकवाद के रूप में होने लगी है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ इस दर्द से मै तभी से ब्यथित हुं मुझे अभी तक न्याय नहीं मिला है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मुझे न्याय चाहिए कि मुझ जैसे  त्याग, तप, विरता और संस्कृति के प्रतिक को #आतंक का प्रतिक कब किसने क्यों कैसे किसलिये बना दिया गया ?

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..अंत में मैं यही कहना चाहुंगा ---------
"अपने ही निगाहों में हमने अपना चमन जलते देखा।
अपना मधुवन जलते देखा अपना उपवन जलते देखा ।।
बस्तियां जलाने वाले को कोई दोष न दे तो अच्छा है।
घर के चिरागों से हमने ये घर आंगन जलते देखा। 🙏🇮🇳

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

गुरुवार, 31 अगस्त 2017

श्री महाराणा प्रताप सिंह जी

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह

अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक' था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,
मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम
इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर
के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर
आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि
हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |

3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|

कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान
उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |

5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और
अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी
समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है|
मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे
जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे|
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |

13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी
की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया
हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और
महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |

16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी
की कहानी:

मित्रो आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी, जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की जब महाराणा
प्रताप पर अकबर ने चढाई की
थी तब उसने दो चीजो को
ही बंदी बनाने की मांग की
थी एक तो खुद महाराणा
और दूसरा उनका हाथी
रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है
की वो हाथी इतना समझदार
व ताकतवर था की उसने
हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही
अकबर के 13 हाथियों को मार
गिराया था

वो आगे लिखता है कि
उस हाथी को पकड़ने के लिए
हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर
14 महावतो को बिठाया तब
कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय
जानवर की स्वामी भक्ति।

उस हाथी को अकबर के समक्ष
पेश किया गया जहा अकबर ने
उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने
और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने
18 दिन तक मुगलों का न
तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद
हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि
जिसके हाथी को मैं अपने सामने
नहीं झुका पाया उस महाराणा
प्रताप को क्या झुका पाउँगा।
ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ
जानवर थे।

इसलिए मित्रो हमेशा अपने
भारतीय होने पे गर्व करो।
पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो
तो शेयर कर देना।
                जय महाराणा
                  जय मेवाड़
              ⛳जय राजपुताना।🙏

बुधवार, 30 अगस्त 2017

हिन्दु क्यों दुर हो रहा है अपने धर्म से ?

हिन्दु क्यों दुर हो रहा है अपने धर्म से ?

हिन्दु को राम राम कहने में क्यों आती है शर्म ?

हिन्दु तिलक लगाने में क्यों हिचकता है ?

हिन्दु मंदिर जाने में क्यों शरमाता है ?

कारण एक ही है.........

आप फिल्में तो देखते ही हैं उसमें आपने देखा होगा की फिल्म में जो नमस्ते करता है ,
राम राम कहता है ,
भगवान का नाम लेकर बात करता है ,
बात करते करते हे!राम बोलता है , उस पर सब हंसते हैं
उसकी हंसी उड़ाते हैं ,
उसे गांव वाला कहा जाता है..

कुछ दृश्यो में दिखाया जाता है कि लड़कियां उन लड़को को बिलकुल भाव नहीं दे रही जिनके गले में रुद्राक्ष की माला है ,
तिलक लगा रखा है , भगवान
का नाम ले रहा है , मंदीर जा रहा है..
क्या किसी फिल्म में किसी दुसरे धर्म को मानने पर उसे इस तरह गांव वाला दिखाया गया हो जरा याद किजिए..
नहीं याद आ रहा ना , आयेगा भी नहीं क्योंकी एसा किसी फिल्म
में दिखाया ही नहीं गया है..
चलिए और गोर से समझ लेते हैं आप किसी हिन्दु के छोटे बच्चे को राम राम बोलो वो आपको बदले में क्या जवाब देगा..

फिर एक दुसरे धर्म के बच्चे को उसके धर्म के अनुसार कहिये वो आपको क्या जवाब देता है..

आप खुद समझ जायेंगे की हमारी आने वाली पिढ़ी कहा जा रही है..
एक और उदाहरण.......

अब अपने आफिस में किसी हिन्दु को राम-राम बोलो..

आप भी जानते हैं सब हंसने लगेंगे
आपको हाय हलो कहने को कहेंगे..
अब अगर कोई गलती हो जाये तो हे!राम बोलिये
सब फिर हंसेंगे पर
ओह गॉड बोलिये कोई नहीं हंसेगा..
अब अगर आपके फ्रेंड्स में कोई मुस्लिम हो तो उसे अस-सलाम-वालेकुम बोलिए चाहे वो कितना भी पढ़ा लिखा हो वो हंसेगा नहीं आपको वालेकुम-अस-सलाम जरुर बोलेगा..
और आपके अंदर हिम्मत हो तो उस पर हंस कर बताइये..

पर

हिन्दु को राम-राम बोलो वो चार दिन तक आपकी हंसी उड़ायेगा..
ये सब हिन्दुओं के दिमाग में किसने भरा की राम राम बोलने वाला गांव वाला और हाय हैलो बोलने वाला पढ़ा लिखा और हाई-फाई..

जवाब है .......

फिल्मों ने ये एक षडयंत्र रचा है हिन्दुओं के खिलाफ ताकी हिन्दु दुर हो जाये अपने धर्म से..

जरा सोचिये..

हिन्दुस्तान में लगभग 75 करोड़ हिन्दु है,
ये फिल्में अपनी कमाई का 70% हमसे ही कमाते हैं और हमारे ही धर्म की कब्र खोद रहे हैं।

हाय हाय नहीं राम-राम बोलो
क्योंकी हाय हाय तो हिजड़े भी बोलते हैं।

अब एक किस्सा सुनो..!!

पिछले संडे को मैने सोचा सबको राम राम बोल के देखुं तो संडे को घुमने का मुड़ था सब दोस्त एक मॉल के बाहर मिले कुछ लड़कियां भी थी..
तो वहां मैने सोचा चलो सबको राम राम बोलता हुं और सबके सामने जाते ही कहा राम-राम दोस्तो..
जैसा की होना था साले पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगे..

मैं भी कमर कस के गया था मैने वहां से एक मुस्लमान निकला, मैने उसे अस-सलाम-वालेकुम कहा उसने
तुरंत वालेकुम-अस-सलाम कहा..
सबकी शकल देखने लायक थी..
मैं बोला दम हो तो अब हंस के
दिखाओ..

आप भी समझ गये होंगे.. की हमें क्या करना है..
फिर भी याद रखने के लिए...!!👇

🚩अपने घर में छोटे बच्चो को राम राम कहिये,
उनसे भी जवाब में राम-राम कहने की आदत डालिए।

🚩उन्हे रोज़ मंदिर घुमाने लेकर जाइए।

🚩हिन्दु देवी देवताओं की कहानी सुनाये।

🚩महाराणा प्रताप , शिवाजी राव जैसे वीरो की कहानी सुनाये ना की अकबर बीरबल और
सिकंदरो की।

🚩उन्हे तिलक लगाने की आदत डालें।

🚩गायत्री मंत्र , हनुमान चालीसा , व महा मृत्युन्ज्य मंत्र याद करायें।

🚩गलती होने पर हे!राम बोलने की आदत डालें बजाय ओह गॉड के।

🚩मुसीबत आये तो "हे! हनुमान रक्षा करो" बोले बजाय
"ओह गॉड सेव मी" के।

🚩ये सारी बातें आप भी अपनाये व अमल में लायें।

हिन्दु संस्कृति बचेगी ,
तब ही हिन्दु बचेगा...!!

🚩 जय श्री राम 🚩

रविवार, 27 अगस्त 2017

सभी राजपूत समाज को जागरूक करने की एक छोटी सी कोशिश!

हुक़्म जय माता जी की सा
  हुक्म आजकल एक नया फैशन युग आया है कि हम अपने बच्चो के नाम आजकल ऐंजल " लवली" " पिमु" सिमु रिहान पिहांन  रखते है क्या है भाइयो यह सब !...हमारे पूर्वज हमारे दादोसा हुक्म हमारे नाम भी ऐसे रखते थे ! की नाम से ही पता लग जाता था !...की यह राजपूत घराने से है !....जैसे यशवर्द्धन प्रताप योगेन्द्र प्रताप "भवानी प्रताप " कुँवर अभिमन्यू  सिंह सूर्य प्रताप लक्ष्यराज .आदि आदि यह नाम कुछ हज़ारो में है यह सभी नाम राजपूत  घराने के बन्ना लोगो के नाम है और सोभा भी देते है उनको  !....तो आप सब अपने अपने बच्चो के नाम अपने योद्धाओ के नाम पर ही रखे !.....

दूसरी बात :----सभी बाईसा लोगो से निवेदन है कि आप अपने fb frnd भी ज्यादा से ज्यादा अपने राजपूताना समाज के ही रखे !..... ताकि आप एक अच्छे परिवार संस्कारी घर की बहू बहन बेटी लगो !.....मै काफी बार देखता हूं जो गैर समाज के उनके frnd उनकी पॉस्ट पर cmnt करते है कि nicy..... oya..... mst lg rhi ho yrr.......ooh kha chli ....ohh gjb yh sb cmnt अक्शर दूसरे समाज के लोगो के ज्यादा देखे मैंने बुरा मत मानना मैं बूरा नही हु मुझे दर्द होता है आपका हु तब कह रहा हु !!!.....

तीसरी बात :----सभी भाभीसा हुक्म दादीसा व बाईसा यह सूट जीन्स साड़ियां यह सब आप देखते है आजकल जो सीरियल आते है टीवी पर राजपूताना के उसमे किसी ने यह पहना है !...... नही तो आप सब मेरी बहन माता जी अपने रजपूती पोशाक ओढ़ना ही पहने जितना हो सके ताकि आप दूर से लगे की यह ठाकुर साहब के घर से है बाईसा !......

चौथी बात:---आजकल बन्ना लोगो ने शौक पाले है कुते रखने का bully . Roadvhiler.....pummy smmy pta नही क्या क्या है इनके नाम भी !....
अगर आप पालने का शौक़ ही है तो आप गौ माता को पालो ★
हाथी पालो .-घोड़े पालो -शेर पालो
मगरमच्छ पालो - चीते पालो अरे बावले भाई कुते कब से हम पालने लगे !........😷👿😨😱😰  बात कड़वी पर सोच राजपूताना की है !.....

पांचवी बात :--- ज्यादा किसी के मुँह मत लगो अपने काम से काम करना है हमने क्योकि हम आज की हालात को देखते हुए राजपूताना काफी नीचे स्तर पर जा रहा है !.....तो बन्ना बाईसा ज्यादा से ज्यादा पढं लिखकर अच्छे जॉब की तैयारी करो !....और एक बड़े अफशर बनकर अपने समाज की सेवा करो फिर देश की करो     क्योकि अपने पहले है मेरी नजरो में !......
जब देश धर्म पर बात आती है तो उसकी आवाज बनो!...और एक बेहतरीन राजपूताना ऐसे ही कायम रखो एक बनकर रहो दुनियॉ पर राज करो !....... कभी गलत मत करो गलत दुनियॉ में कभी जाना मत ! क्योकि वो एक ऐसे दुनिया है !...एक बार पैर फस गया तो वापिस नही निकलता क्योकि वो बिन बैक गेर की गाड़ी है !.......

:---आपके घर ठिकाने रावले में जहाँ मेहमानों का कक्ष होता है जैसे की guest room ,,,,, उसमे अपने सभी महान पूर्वजो की तस्वीरें और ढाल तलवारे लगाये !.......ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियों को भी लगे की हमारे पूर्वजो को राजपूताना पर काफी गर्व था !....ताकि आने वाली पीढ़ी भी राजपूताना कल्चर को बरक़रार रखे !......... ओर विवाह शादी पार्टी में कही भी उपस्थित हो तो बन्ना बाईसा सभी अपने रजपूती पोशाक और तलवार और साफा लगाकर जाये
क्योकि कुछ लोगो ने हमारे इतिहाश तो चोरी कर ही लिए !..... कही हमारे रजपूती साफा और तलवार का trade भी न चुराले !..... कई लोग हमारे योद्धाओ को अपना बताने लगे बड़ी खुसी की बात है कि हमारे बाप दादाओ को वो अपना मानते  है 😜😝😜

अभी आप इन सब मेरी बातों पर अम्ल करे !.....मेरे दिल की गहराइयों की बात है यह !!!...... आप किसी को मेरी बात सोच गलत लगे तो अपना समझकर माफ़ करना !!!....... जय महाराणा जय  जय मेवाड़ जय जय भवानी जय जय राजपूताना !.......

नमन करता हूँ और करता रहूंगा सदैव ★राजस्थान ★की भूमि धरा को जिसने हमेशा हम राजपूत क्षत्रियों के लिए  शूरवीर योद्धाओ ने जन्म लिया नमन है राजस्थान की धरा को  !!!.......जिस की मिट्टी के कण कण में क्षत्रियो का खून है !......अखण्ड राजपूताना बुलन्द राजपूताना   क्षत्रिय एक बनो राज करो।    :---मेरे रग रग विच खून राजपूती दौड़े

              *जय राजपूताना *

गुरुवार, 24 अगस्त 2017

ये हैं शक्तिशाली हिंदू शासक महाराणा प्रताप के वंशज, रोल्स रॉयस से मर्सडीज तक हैं इनके पास

महाराणा प्रताप के वंशज अभी भी राजस्थान में रह रहे हैं। अरविंद सिंह मेवाड़ नाम के वंशज ने विदेश में पढ़ाई की है और इन्हें पुरानी महंगी कारों का शौक है।

अब वो 72 साल के हो चुके हैं और उदयपुर में अपने फैमिली के साथ रह रहे हैं। मैनचेस्टर इवनिंग न्यूज ने ये स्टोरी पब्लिश की है। उदयपुर राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ घराने के 76वें संरक्षक हैं। उनके पिता भगवत सिंह ने 1955 से 1984 तक मेवाड़ घराने की कमान संभाली। बता दें कि अरविंद सिंह की शुरुआती पढ़ाई मेयो कॉलेज से हुई है। इसके बाद वे होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने ब्रिटेन चले गए।

विंटेज कारों के शौकीन अरविंद सिंह के पास कई रोल्स रॉयस गाड़ियां हैं। ये सभी गाड़ियां मेवाड़ के राजाओं की निशानी हैं। उनके पास एक एमजी टीसी,1939 कैडिलेक कन्वर्टेबल और मर्सडीज के कई मॉडल्स हैं। वे अक्सर नई गाड़ियों के लॉन्च प्रोग्राम में देखे जाते हैं। यह भी कहते हैं कि कई गाड़ियां तो खासतौर से मेवाड़ के राजाओं के लिए डिजाइन की गई हैं। लग्जरी गाड़ियां आम लोग भी देख सकें,इसके लिए राजघराने की ओर से खास इंतजाम भी किए गए हैं।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है 🗡यह देश के हर जगह पाये जाते है 🗡यह 22 साल की आयू तक कुँवर साहब कहलाते है🗡ईसके बाद यें बंन्ना का विकराल रूप धारण कर लेते है🗡 रात के 8 बजे के बाद ईनके पास नही जाना चाहीए🗡 ,खतरनाक साबीत हो सकता है🗡
ईन्हे राज करना आता है 🗡बंन्दूकों और तलवारों से खेलना ईनका शौक है 🗡ईस प्रकार के प्राणी ज्यादातर फौज में भरती होते है🗡क्योंकी ईनका दिमाग कम और ✋🏻हात ज्यादा चलता है...
Rajput Boy....

Jai Rajputana..✍🏻

कुंवर साहब

#कुंवर__साहब_के_घर_कोई_मिलने_वाला_आया।

#कुंवर__सहाब_ने_बन्दुक_उठाई_और_हवा_में_2_फायर #कर_दिए ।

#मिलने_वाला_आदमी_भी_भौचक्का_सा_देखता_रह_गया ।

#डरते_डरते_पूछा - #कुंवर_साहब_आपने_फायर_क्यों #किये ❓
#कुंवर__साहब -  #ठेके_वाले_को_2__बियर_बोली_है !
🍻🍻🍺🍺

रविवार, 20 अगस्त 2017

इन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लंबे वक्त तक गुलाम रहा..आज भी लोग इन्हें धिक्कारते हैं।

देश का नमक खाकर देश के साथ गद्दारी करने वाले इन राजाओं ने अपने निजी स्वार्थ और घटिया राजनीति के लिए देश को गुलाम बने रहने दिया और अंग्रेजो की मदद करते रहे। चलिए जानते हैं किन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लम्बे वक्त तक गुलाम रहा ...

जयचंद- किसी को भी जयचंद कहना ही इस बात का द्योतक है कि उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। कहा जाता है कि जयचंद कन्नौज के राजा थे और दिल्ली के शासक पृथ्वी राज सिंह चौहान की बढ़ती प्रसिद्धि से ख़ासे शशंकित थे। इसके साथ ही एक और बात जो कई जगह पढ़ने को मिल जाती है कि पृथ्वीराज सिंह चौहान उनकी पुत्री संयोगिता की ख़ूबसूरती पर फिदा थे और दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे। यह बात जयचंद को कतई नामंजूर थी और शायद इसी खुन्नस में उन्होंने पृथ्वीराज के दुश्मन और विदेशी आक्रांता मुहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया। जिसके परिणाम स्वरूप तराइन के प्रथम युद्ध 1191 में बुरी तरह हारने के बाद मुहम्मद गोरी ने जयचंद की शह पर दोबारा 1192 में पृथ्वीराज सिंह चौहान को हराने और उन्हें मारने में सफल रहा।

मान सिंह- एक समय जहां महाराणा प्रताप भारत वर्ष को अक्षुण्ण बनाने की कोशिश में दर-दर भटक रहे थे, घास की रोटियां खा रहे थे। मुगलों से उनकी सत्ता को बचाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाए हुए थे वहीं हमारे देश में कई ऐसे बी वीर बहादुर थे जो मुगलों के सेना की अगुआई कर रहे थे और उनमें से एक थे मुगलों के सेना प्रमुख मान सिंह। राजा मान सिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत थे। महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच लड़े गए भयावह और ख़ूनी जंग (1576 हल्दी घाटी) युद्ध में वे मुगल सेना के सेनापति थे। इस युद्ध में महाराणा प्रताप वीरता पूर्वक लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो जाने के पश्चात् जंगलों की ओर भाग गए थे और जंगल में ही रह कर और मुगलों से बच-बच कर ही उन्हें पराजित करने और उनका राज्य वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

मीर जाफर- किसी को गद्दार कहने के लिए मीर जाफर कहना ही काफी होता है। मीर जाफर बंगाल का पहला नवाब था जिसने बंगाल पर शासन करने के लिए छद्म रास्ते का अख़्तियार किया। उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है। 1757 के प्लासी युद्ध में सिराज-उद-दौल्ला को हराने के लिए उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का सहारा लिया था। जिस देश ने उसके सारे विदेशी आक्रांताओ को भी ख़ुद में समाहित कर लिया उसे शासकों ने उनके निहित स्वार्थ के तहत तार-तार कर दिया।

मीर कासिम- मीर क़ासिम सन् 1760 से 1763 के बीच अंग्रेजों की मदद से ही बंगाल नवाब नियुक्त किया था। तो भाई लोग सोचिए कि दो बंदरों की लड़ाई का फायदा किस प्रकार कोई बिल्ली उठा लेती है। इस पूरी लड़ाई में अगर किसी ने कुछ या सबकुछ खोया है तो वह हमारा भारतवर्ष ही है। हालांकि मीर क़ासिम ने अंग्रेजों से बगावत करके 1764 में बक्सर का युद्ध लड़ा था, मगर अफ़सोस कि तब तक बड़ी देर हो चुकी थी और भारत बड़ी तेज़ी से गुलामी की जकड़न में फंसता चला गया था।