#मै_भगवा_केसरिया_बोल_रहा_मेरा_दर्द_तो_सुनो :-
#मैं_भगवा_केसरिया_हूँ जो भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का साक्षी रहा है। गूंगा हूँ पर सुनता हूँ देखता हूँ।
मैं मुक गवाह हूँ इस प्राचीन देश के बनते और बिगड़ते का।
जब एक फिल्म अभीनेता कमल हासन ने कहा कि मुझे सभी रंग पसंद है लेकिन भगवा पसंद नही है तो दर्द छलक आया।
मै फिर जोर-जोर से रोने लगा और रोते-रोते इतिहास अपने स्वर्णमिम इतिहास में खो गया।
जो वैदिक काल में कभी देवराज इन्द्र के ऐरावत पर लहराया करता था।जब ऋषि-मुनी यज्ञ करते थें तो मुझे छोटे-छोटे आकार में बनाकर देवताओं पर चढाया जाता था।
#मै_वही_भगवा_केसरिया...मेरा निर्माण और नामकरण ऋषिओं ने किया था।उषाकाल के सूर्य और अग्नि के रंग को देखकर ऋषिओं ने उसी रंग में मुझे रंग डाला।देवी उषा भग के बहन थी इसलिए ऋषिओं ने मेरा नाम भगवा कर दिया क्योंकी उषाकाल के समय आकाश और ब्रह्मांड दोनों ही भगवा रंग में रंगा रहता है।ऋग्वेद के मंत्रों में मुझे अरूणा कहा गया।
...वैदिक काल में मैं ऋषिओं के कुटीओं में लहराया करता था फिर उंचे-उंचे महलों पर भी मुझे स्थान दिया गया।
...रामायणकाल में श्री राम ने भी मुझे बहुत सत्कार किया जब राम-रावण युद्ध शुरू हुआ तो सैनिकों की एक टुकड़ी बना दी गयी थी जो मुझे थामे हुए आगे-आगे चलते थे और पिछे-पिछे श्री राम की सेना चलती थी।मेरा रंग श्री राम के सेना के पहचान था।
..महाभारतकाल में श्री कृष्ण ने भी अपना पहचान बनाया उन्होनें अपने रथ पर मुझमें हनुमान के चित्र अंकित कर लहराया।युधिष्ठीर के रथ पर मुझमें नछत्र से युक्त चंद्रमा को अंकित किया गया।
..मध्यकाल में भी कई राजाओं ने मेरा मान रखा।अनेक राजमहलों के उंचे शिखर पर हमें लहराया जाता था किसी ने मुझपर तलवार का चित्र उकेर दिया तो किसी ने सूर्य का, किसी ने चंद्रमा का ,किसी ने स्वास्तीक का तो किसी ने वृक्ष का तो किसी राजा ने अपने कुलदेवता का।मुझ पर उकेरा गया चित्र ही राजाओं के अपना-अपना पहचान होता था।
..फिर #भक्तिकाल_में_शिव_के_शैवभक्तों ने #मुझपर_नंदी_का_चित्रांकन_कर_नंदी_ध्वज बोला
तो #विष्णु_के_भक्त_वैष्णवों ने #गरूड़_को_अंकित_कर_गरूड़ध्वज बोला
तो उसी तरह #देवी_सम्प्रदाय_वाले_शाक्तों ने #सिंह_का_प्रतिक_देकर_मुझे_सिंहध्वज बताया।
#मै_भगवा_केसरिया.हूं मुझ में ही .#भगवान_जगन्नाथ_मंदिर_के_शिखर पर #बिचोबिच_अर्धचंद्र_अंकित_किया_गया_है तो #दक्षीण_के_मंदिरों_में_हमारे_बिचोबिच #ॐ_को_चित्रांकित_कर_उनके_शिखरों पर फहराया जाता है।
#मै_भगवा_केसरिया_हूं मुझे ही #गुजरात_के_द्वारिकाधीश_मंदिर_के_शिखर_पर #चक्र_के_चित्र_के_साथ_लहराया_गया।
#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..इसके अलावा #महाभारत_के_युद्धकाल में #मेरा_नाम_भीमध्वज_के_रूप अलग प्रयोग संकेत के रूप में होता था।
हमें #युद्ध_में_तेजी_लाने_के_संकेत के रूप लहराया जाता था।
#मै_भगवा_केसरिया_हँ #मेरे_ध्वज_के_तले_भारतवर्ष_की_भूमि पर #अनेक_युद्ध_हुए_हैं !
मैं भारत वर्ष में लड़े गये प्रत्येक युद्ध का #मूक_गवाह_हूँ।
##मै_भगवा_केसरिया_हूँ #चंद्रगुप्त_की_राजधानी_पाटलिपुत्र के #हर_भवननुमा_शिखरों पर भी #मुझे_उचीत_स्थान_दिया_गया।
मुझे समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन , विक्रमादित्य , यशोवर्मा , पृथ्वीराज चौहान आदि सभी #सनातनी_हिन्दू_बौद्ध_जैन_सिख_राजाओं ने भी बहुत मान बढाया।
मुगलकाल में छत्रपति शिवा जी ,महाराणा प्रताप और राजा कृष्ण देवराय ने अपना-अपना प्रतिक बनाया।नावीकों ने अपने-अपने नावों पर भी मुझे लहराने की कोई कसर नही छोड़ा।
..भारतवर्ष में जब अंग्रेज आए तो मुझे दरकिनार किया गया।फिर मेरे लिए खुशी के दिन तब आया जब 1926 में करांची में कांग्रेस के अधिवेशन में मुझे राष्ट्रध्वज बनाने का प्रस्ताव किया लेकिन खुशी तब काफुर हो गयी जब बाद में अनेक मुस्लिम नेताओं ने विरोध कर दिया।एक बार फिर जब देश को राष्ट्रध्वज चुनने की बात आयी तो सरदार वल्लभ भाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू,-डा.पट्टाभि सीतारमैया, डा.ना.सु.हर्डीकर ,आचार्य काका कालेलकर, मास्टर तारा सिंह आदि ने एक स्वर में यह मांग की राष्ट्रध्वज भगवा ही होना चाहिए लेकिन गांधी जी ने धूर्ततावश मुझे राष्ट्रध्वज के रूप में रखने से इंकार कर दिया।
तब से दरकिनार पड़ा हूँ।
#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मेरे दर्द को समझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डाक्टर केशव बलराम हेडगेवार जी ने अपने संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आन ब पहचान बनाया।
... मेरी पहचान कभी वीरता,त्याग और संस्कृति के प्रतिक के रूप में होता था अचानक से 2008 के बाद वामपंथी षडयंत्र कम्युनिष्टी सोष़्लिष्टी ईसाई मिशनरी इस्लामी जिहादी मुल्ला मौलवियों एवं जातिवादी वर्गवादी क्षेत्रवाद भाषावादी बौद्धिक षड़यंत्रकारी आतंकवादियों ने मेरी पहचान भगवा आतंकवाद के रूप में होने लगी है।
#मै_भगवा_केसरिया_हूँ इस दर्द से मै तभी से ब्यथित हुं मुझे अभी तक न्याय नहीं मिला है।
#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मुझे न्याय चाहिए कि मुझ जैसे त्याग, तप, विरता और संस्कृति के प्रतिक को #आतंक का प्रतिक कब किसने क्यों कैसे किसलिये बना दिया गया ?
#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..अंत में मैं यही कहना चाहुंगा ---------
"अपने ही निगाहों में हमने अपना चमन जलते देखा।
अपना मधुवन जलते देखा अपना उपवन जलते देखा ।।
बस्तियां जलाने वाले को कोई दोष न दे तो अच्छा है।
घर के चिरागों से हमने ये घर आंगन जलते देखा। 🙏🇮🇳