रविवार, 27 अगस्त 2017

सभी राजपूत समाज को जागरूक करने की एक छोटी सी कोशिश!

हुक़्म जय माता जी की सा
  हुक्म आजकल एक नया फैशन युग आया है कि हम अपने बच्चो के नाम आजकल ऐंजल " लवली" " पिमु" सिमु रिहान पिहांन  रखते है क्या है भाइयो यह सब !...हमारे पूर्वज हमारे दादोसा हुक्म हमारे नाम भी ऐसे रखते थे ! की नाम से ही पता लग जाता था !...की यह राजपूत घराने से है !....जैसे यशवर्द्धन प्रताप योगेन्द्र प्रताप "भवानी प्रताप " कुँवर अभिमन्यू  सिंह सूर्य प्रताप लक्ष्यराज .आदि आदि यह नाम कुछ हज़ारो में है यह सभी नाम राजपूत  घराने के बन्ना लोगो के नाम है और सोभा भी देते है उनको  !....तो आप सब अपने अपने बच्चो के नाम अपने योद्धाओ के नाम पर ही रखे !.....

दूसरी बात :----सभी बाईसा लोगो से निवेदन है कि आप अपने fb frnd भी ज्यादा से ज्यादा अपने राजपूताना समाज के ही रखे !..... ताकि आप एक अच्छे परिवार संस्कारी घर की बहू बहन बेटी लगो !.....मै काफी बार देखता हूं जो गैर समाज के उनके frnd उनकी पॉस्ट पर cmnt करते है कि nicy..... oya..... mst lg rhi ho yrr.......ooh kha chli ....ohh gjb yh sb cmnt अक्शर दूसरे समाज के लोगो के ज्यादा देखे मैंने बुरा मत मानना मैं बूरा नही हु मुझे दर्द होता है आपका हु तब कह रहा हु !!!.....

तीसरी बात :----सभी भाभीसा हुक्म दादीसा व बाईसा यह सूट जीन्स साड़ियां यह सब आप देखते है आजकल जो सीरियल आते है टीवी पर राजपूताना के उसमे किसी ने यह पहना है !...... नही तो आप सब मेरी बहन माता जी अपने रजपूती पोशाक ओढ़ना ही पहने जितना हो सके ताकि आप दूर से लगे की यह ठाकुर साहब के घर से है बाईसा !......

चौथी बात:---आजकल बन्ना लोगो ने शौक पाले है कुते रखने का bully . Roadvhiler.....pummy smmy pta नही क्या क्या है इनके नाम भी !....
अगर आप पालने का शौक़ ही है तो आप गौ माता को पालो ★
हाथी पालो .-घोड़े पालो -शेर पालो
मगरमच्छ पालो - चीते पालो अरे बावले भाई कुते कब से हम पालने लगे !........😷👿😨😱😰  बात कड़वी पर सोच राजपूताना की है !.....

पांचवी बात :--- ज्यादा किसी के मुँह मत लगो अपने काम से काम करना है हमने क्योकि हम आज की हालात को देखते हुए राजपूताना काफी नीचे स्तर पर जा रहा है !.....तो बन्ना बाईसा ज्यादा से ज्यादा पढं लिखकर अच्छे जॉब की तैयारी करो !....और एक बड़े अफशर बनकर अपने समाज की सेवा करो फिर देश की करो     क्योकि अपने पहले है मेरी नजरो में !......
जब देश धर्म पर बात आती है तो उसकी आवाज बनो!...और एक बेहतरीन राजपूताना ऐसे ही कायम रखो एक बनकर रहो दुनियॉ पर राज करो !....... कभी गलत मत करो गलत दुनियॉ में कभी जाना मत ! क्योकि वो एक ऐसे दुनिया है !...एक बार पैर फस गया तो वापिस नही निकलता क्योकि वो बिन बैक गेर की गाड़ी है !.......

:---आपके घर ठिकाने रावले में जहाँ मेहमानों का कक्ष होता है जैसे की guest room ,,,,, उसमे अपने सभी महान पूर्वजो की तस्वीरें और ढाल तलवारे लगाये !.......ताकि हमारे आने वाली पीढ़ियों को भी लगे की हमारे पूर्वजो को राजपूताना पर काफी गर्व था !....ताकि आने वाली पीढ़ी भी राजपूताना कल्चर को बरक़रार रखे !......... ओर विवाह शादी पार्टी में कही भी उपस्थित हो तो बन्ना बाईसा सभी अपने रजपूती पोशाक और तलवार और साफा लगाकर जाये
क्योकि कुछ लोगो ने हमारे इतिहाश तो चोरी कर ही लिए !..... कही हमारे रजपूती साफा और तलवार का trade भी न चुराले !..... कई लोग हमारे योद्धाओ को अपना बताने लगे बड़ी खुसी की बात है कि हमारे बाप दादाओ को वो अपना मानते  है 😜😝😜

अभी आप इन सब मेरी बातों पर अम्ल करे !.....मेरे दिल की गहराइयों की बात है यह !!!...... आप किसी को मेरी बात सोच गलत लगे तो अपना समझकर माफ़ करना !!!....... जय महाराणा जय  जय मेवाड़ जय जय भवानी जय जय राजपूताना !.......

नमन करता हूँ और करता रहूंगा सदैव ★राजस्थान ★की भूमि धरा को जिसने हमेशा हम राजपूत क्षत्रियों के लिए  शूरवीर योद्धाओ ने जन्म लिया नमन है राजस्थान की धरा को  !!!.......जिस की मिट्टी के कण कण में क्षत्रियो का खून है !......अखण्ड राजपूताना बुलन्द राजपूताना   क्षत्रिय एक बनो राज करो।    :---मेरे रग रग विच खून राजपूती दौड़े

              *जय राजपूताना *

गुरुवार, 24 अगस्त 2017

ये हैं शक्तिशाली हिंदू शासक महाराणा प्रताप के वंशज, रोल्स रॉयस से मर्सडीज तक हैं इनके पास

महाराणा प्रताप के वंशज अभी भी राजस्थान में रह रहे हैं। अरविंद सिंह मेवाड़ नाम के वंशज ने विदेश में पढ़ाई की है और इन्हें पुरानी महंगी कारों का शौक है।

अब वो 72 साल के हो चुके हैं और उदयपुर में अपने फैमिली के साथ रह रहे हैं। मैनचेस्टर इवनिंग न्यूज ने ये स्टोरी पब्लिश की है। उदयपुर राजघराने के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ घराने के 76वें संरक्षक हैं। उनके पिता भगवत सिंह ने 1955 से 1984 तक मेवाड़ घराने की कमान संभाली। बता दें कि अरविंद सिंह की शुरुआती पढ़ाई मेयो कॉलेज से हुई है। इसके बाद वे होटल मैनेजमेंट की डिग्री लेने ब्रिटेन चले गए।

विंटेज कारों के शौकीन अरविंद सिंह के पास कई रोल्स रॉयस गाड़ियां हैं। ये सभी गाड़ियां मेवाड़ के राजाओं की निशानी हैं। उनके पास एक एमजी टीसी,1939 कैडिलेक कन्वर्टेबल और मर्सडीज के कई मॉडल्स हैं। वे अक्सर नई गाड़ियों के लॉन्च प्रोग्राम में देखे जाते हैं। यह भी कहते हैं कि कई गाड़ियां तो खासतौर से मेवाड़ के राजाओं के लिए डिजाइन की गई हैं। लग्जरी गाड़ियां आम लोग भी देख सकें,इसके लिए राजघराने की ओर से खास इंतजाम भी किए गए हैं।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है

राजपूत एक खतरनाक प्राणी है 🗡यह देश के हर जगह पाये जाते है 🗡यह 22 साल की आयू तक कुँवर साहब कहलाते है🗡ईसके बाद यें बंन्ना का विकराल रूप धारण कर लेते है🗡 रात के 8 बजे के बाद ईनके पास नही जाना चाहीए🗡 ,खतरनाक साबीत हो सकता है🗡
ईन्हे राज करना आता है 🗡बंन्दूकों और तलवारों से खेलना ईनका शौक है 🗡ईस प्रकार के प्राणी ज्यादातर फौज में भरती होते है🗡क्योंकी ईनका दिमाग कम और ✋🏻हात ज्यादा चलता है...
Rajput Boy....

Jai Rajputana..✍🏻

कुंवर साहब

#कुंवर__साहब_के_घर_कोई_मिलने_वाला_आया।

#कुंवर__सहाब_ने_बन्दुक_उठाई_और_हवा_में_2_फायर #कर_दिए ।

#मिलने_वाला_आदमी_भी_भौचक्का_सा_देखता_रह_गया ।

#डरते_डरते_पूछा - #कुंवर_साहब_आपने_फायर_क्यों #किये ❓
#कुंवर__साहब -  #ठेके_वाले_को_2__बियर_बोली_है !
🍻🍻🍺🍺

रविवार, 20 अगस्त 2017

इन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लंबे वक्त तक गुलाम रहा..आज भी लोग इन्हें धिक्कारते हैं।

देश का नमक खाकर देश के साथ गद्दारी करने वाले इन राजाओं ने अपने निजी स्वार्थ और घटिया राजनीति के लिए देश को गुलाम बने रहने दिया और अंग्रेजो की मदद करते रहे। चलिए जानते हैं किन राजाओं की गद्दारी की वजह से हमारा देश लम्बे वक्त तक गुलाम रहा ...

जयचंद- किसी को भी जयचंद कहना ही इस बात का द्योतक है कि उसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है। कहा जाता है कि जयचंद कन्नौज के राजा थे और दिल्ली के शासक पृथ्वी राज सिंह चौहान की बढ़ती प्रसिद्धि से ख़ासे शशंकित थे। इसके साथ ही एक और बात जो कई जगह पढ़ने को मिल जाती है कि पृथ्वीराज सिंह चौहान उनकी पुत्री संयोगिता की ख़ूबसूरती पर फिदा थे और दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे। यह बात जयचंद को कतई नामंजूर थी और शायद इसी खुन्नस में उन्होंने पृथ्वीराज के दुश्मन और विदेशी आक्रांता मुहम्मद गोरी से हाथ मिला लिया। जिसके परिणाम स्वरूप तराइन के प्रथम युद्ध 1191 में बुरी तरह हारने के बाद मुहम्मद गोरी ने जयचंद की शह पर दोबारा 1192 में पृथ्वीराज सिंह चौहान को हराने और उन्हें मारने में सफल रहा।

मान सिंह- एक समय जहां महाराणा प्रताप भारत वर्ष को अक्षुण्ण बनाने की कोशिश में दर-दर भटक रहे थे, घास की रोटियां खा रहे थे। मुगलों से उनकी सत्ता को बचाने के लिए अपना सर्वस्व दांव पर लगाए हुए थे वहीं हमारे देश में कई ऐसे बी वीर बहादुर थे जो मुगलों के सेना की अगुआई कर रहे थे और उनमें से एक थे मुगलों के सेना प्रमुख मान सिंह। राजा मान सिंह आमेर के कच्छवाहा राजपूत थे। महाराणा प्रताप और मुगलों की सेना के बीच लड़े गए भयावह और ख़ूनी जंग (1576 हल्दी घाटी) युद्ध में वे मुगल सेना के सेनापति थे। इस युद्ध में महाराणा प्रताप वीरता पूर्वक लड़ते हुए बुरी तरह घायल हो जाने के पश्चात् जंगलों की ओर भाग गए थे और जंगल में ही रह कर और मुगलों से बच-बच कर ही उन्हें पराजित करने और उनका राज्य वापस लेने के लिए संघर्ष कर रहे थे।

मीर जाफर- किसी को गद्दार कहने के लिए मीर जाफर कहना ही काफी होता है। मीर जाफर बंगाल का पहला नवाब था जिसने बंगाल पर शासन करने के लिए छद्म रास्ते का अख़्तियार किया। उसके राज को भारत में ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शुरुआत माना जाता है। 1757 के प्लासी युद्ध में सिराज-उद-दौल्ला को हराने के लिए उसने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का सहारा लिया था। जिस देश ने उसके सारे विदेशी आक्रांताओ को भी ख़ुद में समाहित कर लिया उसे शासकों ने उनके निहित स्वार्थ के तहत तार-तार कर दिया।

मीर कासिम- मीर क़ासिम सन् 1760 से 1763 के बीच अंग्रेजों की मदद से ही बंगाल नवाब नियुक्त किया था। तो भाई लोग सोचिए कि दो बंदरों की लड़ाई का फायदा किस प्रकार कोई बिल्ली उठा लेती है। इस पूरी लड़ाई में अगर किसी ने कुछ या सबकुछ खोया है तो वह हमारा भारतवर्ष ही है। हालांकि मीर क़ासिम ने अंग्रेजों से बगावत करके 1764 में बक्सर का युद्ध लड़ा था, मगर अफ़सोस कि तब तक बड़ी देर हो चुकी थी और भारत बड़ी तेज़ी से गुलामी की जकड़न में फंसता चला गया था।

रविवार, 21 मई 2017

📶【भूलकर भी स्त्रियों को नहीं करना चाहिए ये 4 काम】📶

हमारे समाज में स्त्रियों, लड़कियों का बहुत ही ऊंचा दर्जा है। उन्हें घर की लक्ष्मी माना जाता है। जिनके बिना घर मंदिर के बजाय और ही कुछ बन जाता है। एक स्त्री किसी भी रुप में हो सकती है। फिर चाहे वो मां, बहन, पत्नी या दोस्त ही क्यों न हो। इस कारण इनकी रक्षा, मान-सम्मान करना हमारा फर्ज है। स्त्रियों को लेकर गरुड़ पुराण में कई ऐसी चीजें बताई गई है। जो कि हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा प्रभाव डालती है।  
गरुण पुराण हिंदू धर्म का एक ग्रंथ है। इसे वेदव्यास ने रचा था। उस पुराण में 279 अध्याय और 18000 श्लोक है। जिसमें मृत्यु के बाद की घटनाएं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक स्वरुपी जीवन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है।
गरुड़ पुराण में ये बताया गया है कि स्त्रियों को किस बात का ध्यान रखना चाहिए। जिससे कि उनका मान-सम्मान हमेशा बने रहे। जानिए इन बातों के बारें में।

अपनों का न करें अपमान :-
कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। नहीं तो आपको कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही कभी भी अपने लोगों की बुराई करके पराए लोगों की हमदर्दी लेने की कोशिश न करें। पराए लोग आपके खुशहाल जीवन में समस्याएं ला सकते है।   

किसी पराएं के घर न जाएं :-
कभी बी ऐसे घर में मत जाएं। जिसके घर के लोगों के बारें में आप न जानती है। न ही किसी पराएं के घर में रुकना चाहिए। इससे आपको किसी बड़ी आपदा का बी सामना करना पड़ सकता है। पराए घर में रहने वाली स्त्री को घर-परिवार और समाज में भी गलत नजर से देखा जाता है। इससे आपके चरित्र से संबंधित सवाल हो सकते है।

ज्यादा समय तक न रहे अपने पति से दूर :-
इस पुराण में बताया गया है कि अगर आपकी शादी हो चुकी है, तो कोशिश करें कि अपने पति से द्यादा समय के लिए दूर न रहें। पार्टनर से विरह स्त्री को मानसिक रूप से कमजोर कर सकता है। पति से दूर रहने वाली महिला को समाज में कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही समाज की नजरों, मान-सम्मान में बी उंगली उठने लगती है।           
 

                                                 
बुरे चरित्र वालों के साथ संगत :-
कहा जाता है कि अगर आप बुरे लोगों के साथ रहेगे, तो समाज में उन्हीं में से आपकी गिनती की जाएगा। गलत आचरण के लोगों की संगत से कभी भी संकट की स्थिति निर्मित हो सकती है। जिस व्यक्ति की सोच गलत हो, वो कभी भी किसी के बारें में अच्छा नहीं सोच सकता है। अगर आप ऐसे लोगों के साथ है, तो आपको असुरक्षा, अपमान आदि का सामना करना पड़ सकता है।

शनिवार, 13 मई 2017

🌞☀【सूर्य देव को जल चढ़ाते इन बातो का रखे ध्यान】☀🌞

हिन्दू धर्म में सूर्यनारायण को जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देते कुछ ऐसी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखना होता है। 

हमारे शास्‍त्रों में पूजा-पाठ की सारी विधियां लिखी हुई हैं, मगर हम उन्‍हें नज़र अंदाज कर देते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से जहां मन को शांति का अनुभव होता है वहीं पर शरीर के रोग नष्ट होते है, और जिंदगी में खुशहाली आती है।

शास्त्रों के अनुसार सुबह के समय सूर्य को अर्घ्य देते कुछ ऐसी बातें हैं जिनका खास ध्यान रखना होता है। क्योंकि अगर सूर्य को अर्घ्य देते हुए ये गलतियां हो जाती हैं तो भगवान प्रसन्न होने के बजाय क्रोधित हो जाते हैं।


सूर्य देव को हमेशा नहाने के बाद ही जल चढ़ाना चाहिये। आप उन्‍हें 8 बजे के अंदर ही जल चढाएं।

साथ ही यह कार्य ब्रह्म मुहूर्त की कर लेना चाहिये।जल चढ़ाने के लिये चांदी, शीशे या स्‍टील के लोटे या गिलास का प्रयोग नहीं करना चाहिये। सूर्यदेव को तांबे के पात्र से ही जल दें।

जल सदैव सिर के ऊपर से अर्पित करें। इससे सूर्य की किरणें व्यक्ति के शरीर पर पड़ती है। जिससे सूर्य के साथ नवग्रह भी मजबूत बनते हैं।

जल चढ़ाते वक्‍त सूर्य को सीधे ना देंख कर बल्‍कि लोटे से जो जल बह रहा हो, उसकी धार में ही सूर्य के दर्शन करें। पूर्व दिशा की ओर ही मुख करके ही जल देना चाहिए। यदि किसी दिन ऐसा हो कि सूर्य देव नजर ना आ रहे हों तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल दे दें।

मंगलवार, 9 मई 2017

🔯【मंगल और शनिवार को बदलिए कलावा, जानें इसे बांधने के धार्मिक और वैज्ञानिक कारण】🔯

अस्‍था का प्रतीक :-

कलावा बांधना वैदिक परंपरा का एक अहम हिस्‍सा है। यह कलाई में बांधा जाता हैं। धार्मिक अस्‍था का प्रतीक कलावा यज्ञ की शुरुआत में बांधा जाता है। इसके अलावा मांगलिक कार्यक्रमों में भी इसे बांधना अनिवार्य माना जाता है।  

रक्षा कवच है कलावा :- 

हिंदू शास्‍त्रों के मुताबिक कलावा बांधने से देवताओं की विशेष कृपा मिलती हैं। कलावा किसी भी देवी देवता के नाम का बांधा जा सकता है। यह हमेशा संकटों और विपत्तियों के समय रक्षा कवच बनता है। वहीं कलावा मंगलवार और शनिवार के दिन बदला जाता है। 

 

 

3 बार ही लपेटें :-

मान्‍यता है कि कलावा केवल 3 बार ही लपेटना चाहिए। पुरुषों को व अविवाहित कन्याओं को हमेशा दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। इसके अलावा विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में बांधना चाहिए। वहीं ध्‍यान रखें कलावा बांधते समय मुट्ठी बंधी हो और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए। 

यह मंत्र जरूर पढ़ें :- 

कलावा किसी पुरोहित से बांधना शुभ होता है क्‍योंकि यह मंत्रों से बांधे जाने पर ज्‍यादा असर करता है। हालांकि आज बड़ी संख्‍या में ऐसे लोग हैं जो अपने हाथ से घर पर भी कलावा बांध लेते हैं। ऐसे में उन्‍हें कलावा बांधते समय यह मंत्र जरूर पढ़ना चाहिए। 

‘येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।’

 

 

दो तरह का कलावा :-  

कलावा 3 धागों वाला और 5 धागों वाला भी होता है। जिसमें 3 धागों वाले में लाल, पीला और हरा होता है। इसे त्रिदेव का कलावा कहते हैं। वहीं 5 धागों वाले कलावे में लाल, पीला हरा, नीला और सफेद रंग का धागा होता है। जिसे पंचदेव कलावा कहते हैं। 

वैज्ञानिक कारण भी :-

कलावा बांधने से वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक और लकवा जैसे रोगों से बचाने में मददगार है। इससे नसों में दबाव पड़ता है। पुराने वैद्य इसीलिए हाथ, कमर, गले व पैर के अंगूठे में बंधवाते थे। 

 

 

सकारात्‍मक ऊर्जा :- 

कलावा बांधने से व्‍यक्‍ति को हर पल शक्‍तिशाली होने का अहसास होता है। उसे अपने अंदर से सकारात्‍मक ऊर्जा मिलती रहती है। इतना ही नहीं उसका मन शांत रहता है और भटकाव नहीं होता है। जिससे वह एक सही दिशा में चलता रहता है। 

गुरुवार, 4 मई 2017

👹☠【दुश्मन बिना बात परेशान कर रहा है, तो इस पारंपरिक उपाय को आजमाएं】☠👹


कई बार कोई आपको बिना बात के परेशान करता रहता है :-

किसी को आपकी हंसी और खुशी नहीं भाती। ऐसे लोग आपके जीवन में अड़ंगा लगाते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए यह पारंपरिक उपाय बरसों से गांव में प्रचलित है। आप भी आजमा कर देख लें....
साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदम नहीं उठाएगा।

अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए :-

यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर आप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यह प्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है।