सोमवार, 25 मई 2020

आखिर कौन थे ? सम्राट पृथ्वीराज चौहान?

पुरा नाम :- पृथ्वीराज चौहान
अन्य नाम :- राय पिथौरा
वंश :- अग्निवंश
गौत्र :- वत्स (बच्छस)
माता/पिता :- राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी
पत्नी :- संयोगिता
जन्म :- 1149 ई.
राज्याभिषेक :- 1169 ई.
मृत्यु :- 1192 ई.
राजधानी :- दिल्ली, अजमेर
वंश :- चौहान (राजपूत)

आज की पिढी इनकी वीर गाथाओ के बारे मे....बहुत कम जानती है..!!
तो आइए जानते है.. सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य…!!

(1) प्रथ्वीराज चौहान ने 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ ड़ाला था।

(2) पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की आयु मे ही
महाबली नाहरराय को युद्ध मे हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।

(3) पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक वार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था।

(4) महान सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो था, और उसे एक हाथ से चलाते थे ..सुनने पर विश्वास नहीं हुआ होगा किंतु यह सत्य है..
(5) सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे।

(6) महान सम्राट पुर्ण रूप से मर्द थे ।
अर्थात उनकी छाती पर स्तंन नही थे ।

(8) प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे और तीन वर्ष के बाद यानि 1169 मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया।

(9) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की तेरह पत्निया थी।
इनमे संयोगिता सबसे प्रसिद्ध है..
(10) पृथ्वीराज चौहान ने महमुद गौरी को 16 बार युद्ध मे हराकर जीवन दान दिया था..
और 16 बार कुरान की कसम का खिलवाई थी ।

(11) गौरी ने 17 वी बार मे चौहान को धौके से बंदी बनाया और अपने देश ले जाकर चौहान की दोनो आँखे फोड दी थी ।
उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।

(12) महमूद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर अनेको प्रकार की पिड़ा दी थी और कई महिनो तक भुखा रखा था..
फिर भी सम्राट की मृत्यु न हुई थी ।

(13) सम्राट पृथ्वीराज चौहान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी की...
जन्मसे शब्द भेदी बाण की कला ज्ञात थी।
जो की अयोध्या नरेश "राजा दशरथ" के बाद..
केवल उन्ही मे थी।

(14) पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को उसी के भरे दरबार मे शब्द भेदी बाण से मारा था।
गौरी को मारने के बाद दुश्मन के हाथो नहीं मरे..
अर्थार्त अपने मित्र के हाथो मरे दोनो ने एक दुसरे को मार लिया.. क्योंकि और कोई विकल्प नहीं था।
👑जय💪राजपूताना🚩

जोधाबाई के बारे में ये बात आपको भी जाननी चाहिए।

जब भी कोई राजपूत किसी मुग़ल की गद्दारी की बात करता है तो कुछ मुग़ल प्रेमियों द्वारा उसे जोधाबाई का नाम लेकर चुप कराने की कोशिश की जाती है!
बताया जाता है की कैसे जोधा ने अकबर की आधीनता स्वीकार की या उससे विवाह किया! परन्तु अकबर कालीन किसी भी इतिहासकार ने जोधा और अकबर की प्रेम कहानी का कोई वर्णन नही किया!
सभी इतिहासकारों ने अकबर की सिर्फ 5 बेगम बताई है!
1.सलीमा सुल्तान
2.मरियम उद ज़मानी
3.रज़िया बेगम
4.कासिम बानू बेगम
5.बीबी दौलत शाद

अकबर ने खुद अपनी आत्मकथा अकबरनामा में भी, किसी  रानी से विवाह का कोई जिक्र नहीं किया।परन्तु  राजपूतों को नीचा दिखने के लिए कुछ इतिहासकारों ने अकबर की मृत्यु के करीब 300 साल बाद 18 वीं सदी में “मरियम उद ज़मानी”, को जोधा बाई बता कर एक झूठी अफवाह फैलाई!
और इसी अफवाह के आधार पर अकबर और जोधा की प्रेम कहानी के झूठे किस्से शुरू किये गए! जबकि खुद अकबरनामा और जहांगीर नामा के अनुसार ऐसा कुछ नही था!

18वीं सदी में मरियम को हरखा बाई का नाम देकर राजपूत बता कर उसके मान सिंह की बेटी होने का झूठ पहचान शुरू किया गया। फिर 18वीं सदी के अंत में एक ब्रिटिश लेखक जेम्स टॉड ने अपनी किताब "एनालिसिस एंड एंटटीक्स ऑफ़ राजस्थान" में मरीयम से हरखा बाई बनी इसी रानी को जोधा बाई बताना शुरू कर दिया!
और इस तरह ये झूठ आगे जाकर इतना प्रबल हो गया की आज यही झूठ भारत के स्कूलों के पाठ्यक्रम का हिस्सा बन गया है और जन जन की जुबान पर ये झूठ सत्य की तरह आ चूका है!

और इसी झूठ का सहारा लेकर राजपूतों को निचा दिखाने की कोशिश जाती है! जब भी मैं जोधाबाई और अकबर के विवाह प्रसंग को सुनता या देखता हूं तो मन में कुछ अनुत्तरित सवाल कौंधने लगते हैं!

आन,बान और शान के लिए मर मिटने वाले शूरवीरता के लिए पूरे विश्व मे प्रसिद्ध भारतीय क्षत्रिय अपनी अस्मिता से क्या कभी इस तरह का समझौता कर सकते हैं??

हजारों की संख्या में एक साथ अग्नि कुंड में जौहर करने वाली क्षत्राणियों में से कोई स्वेच्छा से किसी मुगल से विवाह कर सकती हैं????जोधा और अकबर की प्रेम कहानी पर केंद्रित अनेक फिल्में और टीवी धारावाहिक मेरे मन की टीस को और ज्यादा बढ़ा देते हैं!

अब जब यह पीड़ा असहनीय हो गई तो एक दिन इस प्रसंग में इतिहास जानने की जिज्ञासा हुई तो पास के पुस्तकालय से अकबर के दरबारी 'अबुल फजल' द्वारा लिखित 'अकबरनामा' निकाल कर पढ़ने के लिए ले आई, उत्सुकतावश उसे एक ही बैठक में पूरा पढ़ डाली पूरी किताब पढ़ने के बाद घोर आश्चर्य तब हुआ जब पूरी पुस्तक में जोधाबाई का कहीं कोई उल्लेख ही नही मिला!

मेरी आश्चर्य मिश्रित जिज्ञासा को भांपते हुए मेरे मित्र ने एक अन्य ऐतिहासिक ग्रंथ 'तुजुक-ए-जहांगिरी' जो जहांगीर की आत्मकथा है उसे दिया! इसमें भी आश्चर्यजनक रूप से जहांगीर ने अपनी मां जोधाबाई का एक भी बार जिक्र नही किया!

हां कुछ स्थानों पर हीर कुँवर और हरका बाई का जिक्र जरूर था। अब जोधाबाई के बारे में सभी एतिहासिक दावे झूठे समझ आ रहे थे कुछ और पुस्तकों और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के पश्चात हकीकत सामने आयी कि “जोधा बाई” का पूरे इतिहास में कहीं कोई जिक्र या नाम नहीं है!

इस खोजबीन में एक नई बात सामने आई जो बहुत चौकानें वाली है! ईतिहास में दर्ज कुछ तथ्यों के आधार पर पता चला कि आमेर के राजा भारमल को दहेज में 'रुकमा' नाम की एक पर्सियन दासी भेंट की गई थी जिसकी एक छोटी पुत्री भी थी!

रुकमा की बेटी होने के कारण उस लड़की को 'रुकमा-बिट्टी' नाम से बुलाते थे आमेर की महारानी ने रुकमा बिट्टी को 'हीर कुँवर' नाम दिया चूँकि हीर कुँवर का लालन पालन राजपूताना में हुआ इसलिए वह राजपूतों के रीति-रिवाजों से भली भांति परिचित थी!

राजा भारमल उसे कभी हीर कुँवरनी तो कभी हरका कह कर बुलाते थे। राजा भारमल ने अकबर को बेवकूफ बनाकर अपनी परसियन दासी रुकमा की पुत्री हीर कुँवर का विवाह अकबर से करा दिया जिसे बाद में अकबर ने मरियम-उज-जमानी नाम दिया!

चूँकि राजा भारमल ने उसका कन्यादान किया था इसलिये ऐतिहासिक ग्रंथो में हीर कुँवरनी को राजा भारमल की पुत्री बता दिया! जबकि वास्तव में वह कच्छवाह राजकुमारी नही बल्कि दासी-पुत्री थी!

राजा भारमल ने यह विवाह एक समझौते की तरह या राजपूती भाषा में कहें तो हल्दी-चन्दन किया था। इस विवाह के विषय मे अरब में बहुत सी किताबों में लिखा है!

(“ونحن في شك حول أكبر أو جعل الزواج راجبوت الأميرة في هندوستان آرياس كذبة لمجلس”) हम यकीन नहीं करते इस निकाह पर हमें संदेह
इसी तरह ईरान के मल्लिक नेशनल संग्रहालय एन्ड लाइब्रेरी में रखी किताबों में एक भारतीय मुगल शासक का विवाह एक परसियन दासी की पुत्री से करवाए जाने की बात लिखी है!

'अकबर-ए-महुरियत' में यह साफ-साफ लिखा है कि (ہم راجپوت شہزادی یا اکبر کے بارے میں شک میں ہیں) हमें इस हिन्दू निकाह पर संदेह है क्योंकि निकाह के वक्त राजभवन में किसी की आखों में आँसू नही थे और ना ही हिन्दू गोद भरई की रस्म हुई थी!

सिक्ख धर्म गुरू अर्जुन और गुरू गोविन्द सिंह ने इस विवाह के विषय मे कहा था कि क्षत्रियों ने अब तलवारों और बुद्धि दोनो का इस्तेमाल करना सीख लिया है, मतलब राजपुताना अब तलवारों के साथ-साथ बुद्धि का भी काम लेने लगा है!

17वी सदी में जब 'परसी' भारत भ्रमण के लिये आये तब उन्होंने अपनी रचना ”परसी तित्ता” में लिखा “यह भारतीय राजा एक परसियन वैश्या को सही हरम में भेज रहा है अत: हमारे देव(अहुरा मझदा) इस राजा को स्वर्ग दें"!

भारतीय राजाओं के दरबारों में राव और भाटों का विशेष स्थान होता था वे राजा के इतिहास को लिखते थे और विरदावली गाते थे उन्होंने साफ साफ लिखा है-

”गढ़ आमेर आयी तुरकान फौज ले ग्याली पसवान कुमारी ,राण राज्या राजपूता ले ली इतिहासा पहली बार ले बिन लड़िया जीत! (1563 AD)

मतलब आमेर किले में मुगल फौज आती है और एक दासी की पुत्री को ब्याह कर ले जाती है! हे रण के लिये पैदा हुए राजपूतों तुमने इतिहास में ले ली बिना लड़े पहली जीत 1563 AD!

ये ऐसे कुछ तथ्य हैं जिनसे एक बात समझ आती है कि किसी ने जानबूझकर गौरवशाली क्षत्रिय समाज को नीचा दिखाने के उद्देश्य से ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ की और यह कुप्रयास अभी भी जारी है!

लेकिन अब यह षणयंत्र अधिक दिन नही चलेगा।

मंगलवार, 19 मई 2020

हिन्दू ह्रदय सम्राट पृथ्वीराज चौहान जयंती पर विशेष


जयंती ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी मंगलवार तिथि 19 मई 2020 पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.....||
तराइन के युद्ध से देश को सन्देश..... 
जय राजपूताना…
                देश का भाग्य पलटने वाला था
आतताइयों के लंबे और असफल आक्रमण अब सफल होने वाले थे.....
हिन्दवी शौर्य धर्म और धरती अब धूल-धूसित होने ही वाली थी..
तराइन के ही मैदान में महान पृथ्वीराज और गौरी के बीच दूसरा मुकाबला होने वाला था...||

🏹 सम्राट के परमवीर सामन्त चामुंडराय नाराज होकर हथियार न पकड़ने की प्रतिज्ञा कर चुके थे...
सम्राट का एक और समर्थ वीर सामन्त हुहुलीराय राष्ट्र के दुर्भाग्य का वाहक बनकर गौरी की तरफ से लड़ने आया था...||

सम्राट को कुछ कुछ दुर्दैव का पूर्वाभास हो चुका  था..
हठी चामुंडराय को स्वयं जाकर मनाया...
किन्तु जब राष्ट्र का दुर्भाग्य शुरू होने वाला ही तो विवेक दूर चला जाता है...||

हठी चामुंडराय ने कहा कि सम्राट का आग्रह है तो मैं अपनी प्रतिज्ञा से हटकर  सिर्फ एक बाण चलाऊंगा...
युद्ध मैदान में गौरी के कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र के दुर्भाग्य का अग्रदूत घर का गद्दार हुहुलीराय भी खड़ा था...
चामुंडराय ने सम्राट से आज्ञा मांगी मेरे अचूक एक बाण से कहो तो दुष्ट गौरी के प्राण हर लूं....||

🏹सम्राट ने भावी का पूर्वानुमान लगा दिया था सोचकर बोले" एक गौरी को मार भी देंगे तो भी यह आक्रमणों का सिलसिला अनवरत रहेगा ....लेकिन घर के गद्दार को खत्म करो, अगर गद्दारी का सिलसिला रुक गया तो राष्ट्र फिर उठ खड़ा होगा...||

⚔️परमवीर के अचूक बाण ने राष्ट्रघाती के रक्त से तराइन की धरती को तृप्त कर दिया...
उसके बाद जो हुआ वो इतिहास है....||
राष्ट्र को खतरा घर के गद्दारो से है सम्राट पृथ्वीराज चौहान संकेत कर गए थे...||

                         👑राष्ट्र सर्वोपरि.. हैं।

           जय माँ भवानी            जय पिथौरा 

                             जय💪क्षात्र धर्म।

सोमवार, 11 मई 2020

राजपूतों और मुस्लिम लड़कियो के वैवाहिक संबंध बनाने का इतिहास।

अक्सर हिन्दू राजपूतों को नीचा दिखाने के लिए जोधा अकबर का झूठा वैवाहिक संबंध इतिहास बता दिया जाता है!
तो आज हम बताते हैं राजपूतों और मुस्लिम लड़कियो के वैवाहिक संबंध बनाने का इतिहास!

1:- अकबर की बेटी शहज़ादी खानूम से महाराजा अमर सिंह जी का विवाह!

2:- कुँवर जगत सिंह ने उड़ीसा के अफगान नवाब कुतुल खां कि बेटी मरियम से विवाह!

3:- महाराणा सांगा मुस्लिम सेनापति की बेटी मेरूनीसा से ओर तीन मुस्लिम लड़किया से विवाह!

4:- महाराणा कुंभा (अपराजित योद्धा) का जागीरदार वजीर खां की बेटी से विवाह!

5:- बप्पा रावल (फादर ऑफ रावलपिंडी) गजनी के मुस्लिम शासक की पुत्री से और 30 से अधिक मुस्लिम राजकुमारीयों से विवाह!

6:- विक्रमजीत सिंह गौतम का आज़मगढ़ की मुस्लिम लड़की से विवाह!

7:- जोधपुर के राजा राजा हनुमंत सिंह का मुस्लिम लड़की ज़ुबेदा से विवाह!

8:- चंद्रगुप्त मौर्य (राजपूत) का सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस निकेटर की बेटी हेलेना से विवाह!

9:- महाराणा उदय सिंह ने एक मुस्लिम लड़की लाला बाई से विवाह!

10:- राजा मान सिंह मुस्लिम लड़की मुबारक से विवाह!

11:- अमरकोट के राजा वीरसाल का हामिदा बानो से विवाह!

12:- राजा छत्रसाल का हैदराबाद के निजाम की बेटी रूहानी बाई से विवाह!

13:- मीर खुरासन की बेटी नूर खुरासन का राजपूत राजा बिन्दुसार से विवाह!
ये तो वैवाहिक संबंध की बात हुई अब राजपूत राजाओ की मुस्लिम प्रेमिकाओ पर बात करते हैं!

1:- अल्लाउदीन खिलजी की बेटी "फिरोजा"" जो जालोर के राजकुमार विरमदेव की दीवानी थी वीरमदेव की युद्ध मै वीरगति प्राप्त होने पर फिरोजा सती हो गयी थी!

2:- औरंगजेब की एक बेटी ज़ेबुनिशा जो कुँवर छत्रसाल के पीछे दीवानी थी ओर प्रेम पत्र लिखा करती थी ओर छत्रसाल के अलावा किसी ओर से शादी करने से इंकार कर दिया था!

3:- औरंगजेब की पोती ओर मोहम्मद अकबर की बेटी सफियत्नीशा जो राजकुमार अजीत सिंह के प्रेम की दीवानी थी!

4:- इल्तुतमिश की बेटी रजिया सुल्तान जो राजपूत जागीरदार कर्म चंद्र से प्रेम करती थी!

5:- औरंगजेब की बहन भी छत्रपति शिवाजी की दीवानी थी शिवाजी से मिलने आया करती थी!
राजपूत राजाओ की और भी बहुत सी मुस्लिम बीवीयां थी लेकिन वो राज परिवार और कुलीन वर्ग से नहीं थी!

लेकिन उस समय की किताबो में ब्रिटिश और उस समय के कवियों के रचनाओ मैं जिक्र स्पष्ट है!
और ब्रिटिश रिकॉर्ड में भी औऱ ज्यादातर राजपूतो राजाओ की एक से ज्यादा मुस्लिम बीवीया थी लेकिन रक्त शुध्दता की वजह से इनके बच्चो को अपनाया नहीं जाता ओर उन बच्चों को वर्णशंकर मान के जागिर दे दी जाती थी!

तो ये ऐतिहासिक प्रक्षेप चप्पल की तरह फेंक कर उनके मुह पर अवश्य मारिए जो हिन्दुओ को जोधा अकबर जैसे झूठे ऐतिहासिक तथ्यों पर बहस करते हैं!

जय श्री राम 🚩🚩
वीर भोग्य वसुंधरा 💪
जय राजपूताना ⚔️🚩