एक निहत्था और घायल शख्स सामने बैठा था और अकबर का जल्लाद बहरम खान उसे इस्लाम कबूल करने पर जोर डाल रहा था.….||
ये निहत्था और घायल शख्स था हेमचंद विक्रमादित्य उर्फ़ हेमू..
वो राजा जिसने 350 वर्ष के मुग़ल सल्तनत को उखड फेका था...||
वो राजा जिसने अपने जीवन में लड़े 24 युद्ध में से 22 को जीता था....||
वो राजा जिसके चलते दिल्ली ने कई सौ वर्ष बाद हिन्दु रीतीरिवाज़ से हुआ राज्य अभिषेक देखा था..
पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू ने अकबर की फौज को तिनके की तरह बिखेर दिया था.. हेमू की तलवार के सामने अकबर का कोई भी योद्धा आने को तैयार नही था....||
पर शायद भारत की इस भूमि के नसीब में अभी और मुगलिया अत्याचार लिखे थे...||
और तभी किसी ने धोखे से हेमू की आँख में एक तीर मार दिया...
जिसके बाद युद्ध का रूप बिलकुल पलट गया और अकबर की सेना ने हेमू को गिरफ्तार कर लिया...||
इस पर भी अकबर का जब कोई भी जल्लाद हेमू की वीरता से प्रभावित हो उसका सर कलम करने को राजी नही हुआ और बहरम खान की लाख यातनायो पर भी हेमू ने इस्लाम नही कबूला
तो क्रूर बहरम खान ने निहत्थे हेमू का सर कलम कर दिया...||
और भारत की भूमि फिर से मुगलों के आधीन हो गई..
और फिर मां भारती के एक और वीर सपूत राजा हेमचन्द्र ने मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए...||
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