शनिवार, 28 दिसंबर 2019

ज़िला मुजफ़्फ़रनगर के शामली/अब शामली जिले में "जलालाबाद" पहले राजा मनहर सिंह पुंडीर का राज्य था। और इसे "मनहर खेडा " कहा जाता था।

ज़िला मुजफ़्फ़रनगर के शामली/अब शामली जिले में "जलालाबाद" पहले राजा मनहर सिंह पुंडीर का राज्य था। और इसे "मनहर खेडा " कहा जाता था। इनका औरंगजेब से शाकुम्भरी देवी की ओर सड़क बनवाने को लेकर विवाद हुआ। इसके बाद औरंगजेब के सेनापति जलालुदीन पठान ने हमला किया और एक भेदीये ने किले का दरवाजा खोल दिया। जिसके बाद नरसंहार में सारा राजपरिवार मारा गया। सिर्फ एक रानी जो गर्भवती थी और उस समय अपने मायके में थी, उसकी संतान से उनका वंश आगे चला और मनहरखेडा रियासत के वंशज आज सहारनपुर के "भारी-भावसी" गाँव में रहते हैं। पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सहारनपुर श्री मानवीर सिंह पुण्डीर भी उसी राजपरिवार से हैं। मनहर खेड़ा वालो के 12 गांव है
भारी, भाबसी, काशीपुर
माही, ठसका, कल्लरपुर
रोनी, हरनाकी, मगनपुर
भनेड़ा, दखोड़ी, उमरपुर

ये सब एक ही बाबा के है
जो अलग अलग जाकर बस
गये थे। 
एक परिवार गांव मसावी मे भी रहता है।
इस राज्य पर जलालुदीन ने कब्जा कर इसका नाम 'जलालाबाद' रख दिया। ये किला आज भी शामली-सहारनपुर रोड़ पर जलालाबाद में स्थित है। इसके गुम्बद सड़क से ही दिखते हैं।

जलालाबाद के पठानो के उत्पीड़न की शिकायत बन्दा सिंह पर गई और राजपूताने के राजाओं पर गयी। राजपूताना मतलब (वर्तमान राजस्थान) जिसका नाम पहले राजपूताना था, आजदी के बाद राजस्थान हुआ। राजस्थान के राजाओं ने सेना की छोटी-2 टुकड़ी को सहायता के लिए भेज दिया। थानाभवन के रैकवार राजपूत(राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री सुरेश राणा जी का परिवार), खट्टा प्रह्लादपुर के दाहिमा-राजपूत, बिराल के कुशवाहा राजपूत सब उसी समय राजस्थान से यहाँ युद्ध लड़ने आये थे। चौहान राजा की सेना युद्ध के बाद वापिस लौट गई थी। कुछ दिन बाद ही इस इलाके के पुण्डीर राजपूत व राजपूताने से आयी राजपूती फ़ौज की मदद से जलालाबाद पर ( बन्दासिंह बहादुर सिख राजपूत ) के नेतृत्व मे हमला किया। बीस दिनों तक सिक्खो और  राजपूतो ने किले को घेरे रखा। यह मजबूत किला पूर्व में पुंडीर राजपूतो ने ही बनवाया था, इस किले के पास ही कृष्णा नदी बहती थी,बन्दासिंंह बहादुर ने किले पर चढ़ाई के लिए सीढियों का इस्तेमाल किया। रक्तरंजित युद्ध में जलाल खान के भतीजे ह्जबर खान, पीर खान, जमाल खान और सैंकड़ो गाजी मारे गए। जलाल खान ने मदद के लिए दिल्ली गुहार लगाई, दुर्भाग्य से उसी वक्त जोरदार बारिश शुरू हो गई और कृष्णा नदी में बाढ़ आ गई। वहीँ दिल्ली से बहादुर शाह ने दो सेनाएं एक जलालाबाद और दूसरी पंजाब की और भेज दी। पंजाब में बंदा की अनुपस्थिति का फायदा उठा कर मुस्लिम फौजदारो ने हिन्दू सिखों पर भयानक जुल्म शुरू कर दिए। इतिहासकार खजान सिंह के अनुसार इसी कारण बन्दासिंंह बहादुर और उसकी सेना ने वापस पंजाब लौटने के लिए किले का घेरा समाप्त कर दिया और जलालुदीन पठान बच गया। 

 नोट :– उपयुक्त जानकारी क्षेत्र के बड़े बुजुर्गों एवं मित्रों द्वारा इकट्ठा की है । लेख को पढ़ रहे सभी बंधुओ से अपील करूँगा की जलालाबाद का नाम बदलकर इस कलंक को साफ करने के लिए आगे आएं। इस ऐतिहासिक भूमि को इसकी पहचान वापस दिलाये। 🙏🙏

बुधवार, 18 दिसंबर 2019

एक निहत्थे और घायल वीर योद्वा की गाथा।

एक निहत्था और घायल शख्स सामने बैठा था और अकबर का जल्लाद बहरम खान  उसे इस्लाम कबूल करने पर जोर डाल रहा था.….||
ये निहत्था और घायल शख्स था हेमचंद विक्रमादित्य उर्फ़ हेमू..
वो राजा जिसने 350 वर्ष के मुग़ल सल्तनत को उखड फेका था...||
वो राजा जिसने अपने जीवन में लड़े 24 युद्ध में से 22 को जीता था....||
वो राजा जिसके चलते दिल्ली ने कई सौ वर्ष बाद हिन्दु रीतीरिवाज़ से हुआ राज्य अभिषेक देखा था..
पानीपत की दूसरी लड़ाई में हेमू ने अकबर की फौज को तिनके की तरह बिखेर दिया था.. हेमू की तलवार के सामने अकबर का कोई भी योद्धा आने को तैयार नही था....||
पर शायद भारत की इस भूमि के नसीब में अभी और मुगलिया अत्याचार लिखे थे...||
और तभी किसी ने धोखे से हेमू की आँख में एक तीर मार दिया...
जिसके बाद युद्ध का रूप बिलकुल पलट गया और अकबर की सेना ने हेमू को गिरफ्तार कर लिया...||
इस पर भी अकबर का जब कोई भी जल्लाद हेमू की वीरता से प्रभावित हो  उसका सर कलम करने को राजी नही हुआ और बहरम खान की लाख यातनायो पर भी हेमू ने इस्लाम नही कबूला
तो क्रूर बहरम खान ने निहत्थे हेमू का सर कलम कर दिया...||
और भारत की भूमि फिर से मुगलों के आधीन हो गई..
और फिर मां भारती के एक और वीर सपूत राजा हेमचन्द्र ने मातृभूमि के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए...||

मंगलवार, 10 दिसंबर 2019

👑सयंम नही है अपने में…!!✌

⛳【👑 सयंम नही है अपने में…🔫 अपना 😎 एक ही उसूल ✊ है… जो उंगली 👉 करें…☝ उसका हाथ 👋 काट 🔪 दो।💀】⛳