हाथ जोड़ करूँ विनती,
करनल पधारो आज।
शक्ति दो शत्रिय ने ,
बिगड़े सुधारो काज।।
धुँ धुँ कर जल रही ढ़ाणया,
छात्रधर्म फिर क्यूँ ख़ामोश है ।
मर मिटे मगर नहीं झुके ,
आज कहाँ वो जोश है ।।
पाली सदा ही प्रीत ,
रीत रावली राखी है।
सह रहे है अन्याय अब ,
और क्या देखना बाक़ी है।।
ख़ामोश है चारणो की कलम,
या फिर इतिहास झूठा है।
जम गया है राजपूती ख़ून ,
या अपना ही अपनो से रूठा है।।
क्यूँ नहीं जन्म लेता प्रताप ,
फिर से घमासान मसाने को ।
कहाँ खो गया वीर दुर्गादास,
अब तो पुकारों आने को ।।
कोहराम मचा है आज ,
गीदड़ गीत गाते है ।
शान्त बेठा है राजपूत ,
फिर भी धमकाते है।।
कर रहे है मनमानी ,
कुछ खद्दर लंगोट धारी।
समझ रहे है शेर को चूहा,
यह भूल है उनकी भारी ।।
जो लड़ सकते है मुग़लों से ,
हिंदू धर्म बचाने को।
क्यूँ मजबूर कर रहे हो ,
आज फिर तलवार उठाने को ।।
न बुरा किया है ,
न बुरा करेंगे यह इतिहास गवाह है ।।
मगर अत्याचार नहीं सहेंगे,
यह एक सलाह है।।
गीत बोहोत गा सूके,
अब हुंकार सुना दो।
उतर जाओ रण मैदान मै,
फिर से डंका बजवा दो ।।
आवड़ दान जी रामा की कलम से क्रमशः.........
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🙏🏻 जय 🔱 भवानी। 🙏🏻
👑जय 💪🏻राजपूताना। 🔫
👑जय 💪🏻महाराणा प्रताप।🚩
🙋🏻♂️जय 👑सम्राट💪🏻पृथ्वीराज🎯चौहान।💣
👉🏻▄︻̷̿┻̿═━,’,’• Ⓡ︎ⓐⓝⓐ Ⓖ︎ 👈🏻