रविवार, 24 सितंबर 2017

✋कांग्रेस मुक्त भारत... आखिर क्यों..?✋

बहुत जिम्मेदारी से लिख रहा हूँ कृपया राजनीति से एक बार ऊपर उठ कर सोचियेगा जरूर।

हमेशा से हिंदू विरोधी रही है कांग्रेस..

1. वंदेमातरम से थी दिक्कत:
आजादी के बाद यह तय था कि वंदे मातरम राष्ट्रगान होगा। लेकिन जवाहरलाल नेहरू ने इसका विरोध किया और कहा कि वंदे मातरम से मुसलमानों के दिल को ठेस पहुंचेगी। जबकि इससे पहले तक तमाम मुस्लिम नेता वंदे मातरम गाते थे। नेहरू ने ये रुख लेकर मुस्लिम कट्टरपंथियों को शह दे दी। जिसका नतीजा देश आज भी भुगत रहा है। आज तो स्थिति यह है कि वंदेमातरम को जगह-जगह अपमानित करने की कोशिश होती है। जहां भी इसका गायन होता है कट्टरपंथी मुसलमान बड़ी शान से बायकॉट करते हैं।

2. सोमनाथ मंदिर का विरोध:
गांधी और नेहरू ने हिंदुओं के सबसे अहम मंदिरों में से एक सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का विरोध किया था। गांधी ने तो बाकायदा एतराज जताते हुए कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मंदिर निर्माण में नहीं लगना चाहिए, जबकि इस समय तक हिंदू मंदिरों में दान की बड़ी रकम सरकारी खजाने में जमा होनी शुरू हो चुकी थी। जबकि सोमनाथ मंदिर के वक्त ही अगर बाबरी, काशी विश्वनाथ और मथुरा कृष्ण जन्मभूमि के विवादों को भी हल किया जा सकता था। लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं होने दिया।

3. बीएचयू में हिंदू शब्द से एतराज:
नेहरू और गांधी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदू शब्द पर आपत्ति थी। दोनों चाहते थे कि इसे हटा दिया जाए। इसके लिए उन्होंने महामना मदनमोहन मालवीय पर दबाव भी बनाया था। जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से दोनों को ही कोई एतराज नहीं था।

4. हज के लिए सब्सिडी शुरू की:
ये कांग्रेस सरकार ही थी जिसने हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत की। दुनिया के किसी दूसरे देश में ऐसी सब्सिडी नहीं दी जाती। जबकि कांग्रेस सरकार ने अमरनाथ यात्रा पर खास तौर पर टैक्स लगाया। इसके अलावा हिंदुओं की दूसरी धार्मिक यात्राओं के लिए भी बुनियादी ढांचा कभी विकसित नहीं होने दिया गया। अब मोदी सरकार के आने के बाद उत्तराखंड के चारों धाम को जोड़ने का काम शुरू हुआ है।

5. 26/11 के पीछे हिंदुओं का हाथ:
मुंबई हमले के बाद कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने इसके पीछे हिंदू संगठनों की साजिश का दावा किया था। दिग्विजय के इस बयान का पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया और आज भी जब इस हमले का जिक्र होता है तो पाकिस्तानी सरकार दिग्विजय के हवाले से यही साबित करती है कि हमले के पीछे आरएएस का हाथ है। दिग्विजय के इस बयान पर उनके खिलाफ कांग्रेस ने कभी कोई कार्रवाई या खंडन तक नहीं किया।

6. मंदिर जाने वाले छेड़खानी करते हैं:
राहुल गांधी ने कहा था कि जो लोग मंदिर जाते हैं वो लड़कियां छेड़ते हैं। यह बयान भी कांग्रेस और उसके शीर्ष नेतृत्व की हिंदू विरोधी सोच की निशानी थी। यह अलग बात कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद खुद राहुल गांधी कई मंदिरों के चक्कर काट चुके हैं। हालांकि उनकी मां सोनिया अब भी ऐसा कुछ नहीं करती हैं जिससे यह मैसेज जाए कि उनका हिंदू धर्म से कोई नाता है।

7. राम सेतु पर हलफनामा:
2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूंकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी वगैरह काल्पनिक किरदार हैं इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है। जब बीजेपी ने इस मामले को जोरशोर से उठाया तब जाकर मनमोहन सरकार को पैर वापस खींचने पड़े। हालांकि बाद के दौर में भी कांग्रेस रामसेतु को तोड़ने के पक्ष में दिखती रही है।

8. हिंदू आतंकवाद शब्द गढ़ा:
इससे पहले हिंदू के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था। मालेगांव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद कांग्रेस सरकारों ने बहुत गहरी साजिश के तहत हिंदू संगठनों को इस धमाके में लपेटा और यह जताया कि देश में हिंदू आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा है। जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं। इस केस में जिन बेगुनाहों को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद बेकसूर साबित हो रहे हैं।

9. राम की तुलना इस्लामी कुरीति से:
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने इसकी तुलना भगवान राम से की। यह तय है कि कपिल सिब्बल ने यह बात अनजाने में नहीं, बल्कि बहुत सोच-समझकर कही है। उनकी नीयत भगवान राम का मज़ाक उड़ाने की है। कोर्ट में ये दलील देकर कांग्रेस ने मुसलमानों को खुश करने की कोशिश की है।

माना जा रहा है कि कपिल सिब्बल ने सोच-समझकर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नीयत से ये बयान दिया है। लेकिन कपिल सिब्बल का बयान इस लंबे सिलसिले की एक कड़ी भर है।

10. सेना में फूट डालने की कोशिश:
सोनिया गांधी के वक्त में भारतीय सेना को जाति और धर्म में बांटने की बड़ी कोशिश हुई थी। तब सच्चर कमेटी की सिफारिश के आधार पर सेना में मुसलमानों पर सर्वे की बात कही गई थी। बीजेपी के विरोध के बाद मामला दब गया, लेकिन इसे देश की सेनाओं को तोड़ने की गंभीर कोशिश के तौर पर आज भी देखा जाता है।

एस सी श्रीवास्तव जी की वाल से ...

शनिवार, 23 सितंबर 2017

आपके आसपास का एक कट्टर से कट्टर हिन्दू क्या सोचता है?

आपके आसपास का एक कट्टर से कट्टर हिन्दू क्या सोचता है?

कि देश में हिन्दू धर्म किसी तरह बचा रहे। शांति बनी रहे, सुख समृद्धि हो, देश प्रगति करे क्योंकि देश है तो धर्म है...और दूसरे सारे धर्म भी हमारे साथ साथ सहअस्तित्व में रहें।
     जब कि एक लिबरल हिन्दू का क्या अर्थ है? उसके लिए हिन्दू धर्म का कोई अर्थ नहीं है. उसे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हिन्दू हैं या नहीं रहें. धर्म कोई खाने को देता है क्या? नाम के हिन्दू हैं, बाप दादे हिन्दू थे इसलिए हिन्दू हैं, वरना हिन्दू होने और नहीं होने में फर्क ही क्या है?

    इसी का एक सबसेट है सेक्युलर हिन्दू, जो घोर हिन्दू विरोधी हैं...इन्हें हिन्दू धर्म में सारी बुराइयाँ दिखाई देती हैं...और उन बुराइयों को मिटाने का उनका एक ही तरीका है - हिन्दू धर्म को मिटा देना. यह वर्ग लगभग कनवर्टेड है, या कन्वर्शन की कगार पर है. इसे कनवर्टेड मान भी लें तो बचे खुचे हिंदुओं में खुद को सहजता से हिन्दू मानने वाले हिन्दू 10-20% से ज्यादा नहीं हैं।

        दूसरी ओर इस्लाम को देखिए...लिबरल से लिबरल मुसलमान के लिए अपने मुस्लिम होने में कोई भी दुविधा नहीं है. अवसर पड़ने पर दूसरे मुसलमानों की उचित या अनुचित मांगों के लिए भी खड़े होने में उसे कोई दुविधा नहीं है. अपनी उदारता के सबसे जबरदस्त दौरे पड़ने पर वह हिंदुओं के साथ सह-अस्तित्व को स्वीकार कर सकता है, पर बिना मुस्लिम हितों के साथ कोई समझौता किये. अगर मुसलमानों की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक सुप्रीमेसी सुनिश्चित हो तो उसे हिंदुओं के अस्तित्व से कोई ज्यादा शिकायत नहीं है...इस्लाम के कॉन्टेक्स्ट में यह उदारता का चरम विंदु है और किसी भी परिभाषा से इस दायरे में 10-20% से ज्यादा मुस्लिम नहीं आते. यानि कट्टर से कट्टर हिन्दू, लिबरल से लिबरल मुसलमान के मुश्किल से समकक्ष बैठता है।

      वहीं कट्टर या सिर्फ सामान्य मुसलमान हिंदुओं को नापसंद करने से लेकर उन्हें घृणा करने से आगे उन्हें नष्ट करने में सक्रिय भागीदारी से होते हुए उनकी हत्या और बलात्कार को पवित्र धार्मिक ड्यूटी समझने के स्पेक्ट्रम में फैला है...और इस स्पेक्ट्रम में वह कहाँ फिट होगा यह देश काल की स्थितियों पर निर्भर करता है।

        हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा गोल अधिक से अधिक क्या होता है - तात्कालिक सर्वाइवल. कट्टर से कट्टर हिन्दू क्या बोलता है - अरे, बीस करोड़ को मार तो नहीं सकते ना...1000 सालों में भी मुसलमान इस देश से कहीं चला थोड़े ना जाएगा...इन्हें कंट्रोल में रखना है, जैसा मोदी ने गुजरात में रखा है...

      यह गोल अधिक से अधिक हमारा सर्वाइवल सुनिश्चित करता है, वह भी सिर्फ एक पीढ़ी तक, वह भी सिर्फ अपेक्षाकृत सुरक्षित हिन्दू जनसंख्या बहुल इलाके में. स्ट्रेटेजिक सोच की तो शुरुआत भी नहीं होती।
   
       वहीं मुसलमान के गोल स्पष्ट हैं - हिंदुओं का नाश, हिंदुस्तान पर कब्ज़ा और इस्लामिक हुकूमत. कट्टर मुस्लिमों के लिए जहाँ यह जीवन का लक्ष्य है, लिबरल से लिबरल मुस्लिम भी इस लक्ष्य के रास्ते में खड़ा नहीं होता।

        यानि खेल की भाषा में बोलें तो मुस्लिम जीत के लिए खेल रहा है, जहाँ खराब से खराब अवस्था में मैच ड्रॉ छूटता है...वहीं हिन्दू की बड़ी से बड़ी महत्वाकांक्षा ड्रॉ कराना है...हिन्दू ड्रॉ के लिए ही खेल रहा है, वह भी आधी-चौथाई टीम के साथ...तीन चौथाई टीम को तो पता ही नहीं है कि मैच चल रहा है, खेल के नियम क्या हैं, गोलपोस्ट किधर है और स्कोरबोर्ड पर क्या लिखा है...

    जागें, जीत के लिए खेलें, जियें...!!🙏

शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

~~जुझौतखंड v/s बुंदेलखंड~~

गुजरात के जूनागढ़ के राजा रा कवाट-२ के पुत्र खेतसिंह खंगार महाराज पृथ्वीराज चौहान के सामंत रहे तथा अपनी वीरता एवं पराकृम से गढ़कुंडार जीत कर जुझौतिखंड (बर्तमान बुंदेलखंड) मे खंगार राज्य की स्थापना की जुझौतखंड (बुदेलखंड) पर १७० वर्षों से भी अधिक खंगारों ने राज्य किया..!!

चलिये मुद्दे पर बात करते हैं...!!

१३ वीं सदी मे मुस्लिम आकृमण कारीयों ने कई हिंदु राजाओं को अपने आधीन कर लिया ! उस समय दिल्ली पर मुसलमानों का राज्य स्थापित हो चुका था ! कुछ हिंदु राजपूतों ने मुसलमानो से भय के कारण उन से विबाह संवंध बना लिये थे ! तथा कुछ ने मुसलमानों की दासता स्बीकार करली थी ! जिससे कि उनके राज्य मुसलमानों के आधीन सुरक्षित रहे ! गढ़ कुंडार के खंगार राजा मानसिंह से भी दिल्ली शहंशाह द्बारा खंगार कुल कंन्या केशरदे का हाथ मांगा  गया था ! परन्तु खंगार तो शेर थे रिस्ते को मना कर दिया ! तथा युद्ध स्बीकार कर लिया ! तथा जो चापलूस मुसलमानों मे मिलगये थे ! (जो कि खंगार राजाओं और उनकी बांदियों की संतान जो कि बांदैला कहलाते थे ) तथा सवंत १२५७ मे महाराज ने  उत्तम  सेबाके फलस्वरूप ब्योना जागीर के १२ गॉव पट्टा लिख कर दे दिये गये थे ! जिसमे मॉ गजानन को साक्षी रखा गया था !  यही नौकर (बांदैला)  सोहनपाल दिल्ली सुल्तान से मिला और खंगार राजा मानसिंह की कंन्या केशर दे का हाथ मॉगने को उकसाया ! हम  उनकी घोर निंदा करते थे ! मोहम्मद तुगलक से युद्ध हुआ जिसमे महाराज बीर गति को प्राप्त हुऐ ! केशरदे एबं अन्य रानियों ने जौहर किया ! गढ़कुडार राज घराने से संबधित कुछ खंगारो ने काल्पनिक जातियों का सहारा लेकर जंगलों मे बागी जीबन यापन किया ! इस कारण खंगार एक लंबे अर्से तक सामाजिक मुख्यधारा से दूर रहे ! तथा अलग अलग गोत्र निर्माण कर आपस मे बिबाह संबध करने लगे ! इधर तुगलकों द्बारा गढ़कुंडार जीत कर अपने चापलूस गुलामों (दासी पुत्रों बांदैलों ) को दे दिया गया ! जिनने जुझौति खंड नाम बदल कर बुंदेलखंड कर दिया ! तथा राजधानी को ओरछा स्थानातरित कर लिया ! तथा अपनी पीढ़ीयो मे खंगारों के बारे मे गलत संदेश दिये जाने लगे यहां तक की अपने बच्चो को यह भी कहा जाने लगा कि खंगार क्षत्रीय नही होते ! वाह रे बांदी पुत्र अपने बाप को पहचानने से मना कर रहे हो ! और तो और बृनदाबन लाल बर्मा जैसे लालची लोगों को ४० एकड़ की जागीर देकर खंगार बिरोधी उपन्यास लिखबाया गया ! जिसमे खंगारों के इतिहास को बिगाड़ने की पूरी कोशिश की गई है..! दासी पुत्रों ने तो नीचता की हद तव करदी जव अपने राज्य को मुल्लों से सुरक्षित रखने के लिये अपने ही महल में अपने आकाओं को अय्याशी के लिये जहॉगीर महल बनबाया गया ! जो आज भी ओरछा के राजमहल में जिंदा प्रमाण है ! जरा सोचो भाईयो कामुक मुल्लों ने क्या नही किया होगा इनकी बहन बेटियों के साथ ! दूसरी नीचता सगे भाई के अपनी भाभी संबध होने का झूठा लांछन लगाकर कलंकित कर जहर दिलबा कर मार दिया वाहरे क्षत्रीयों..जो सगे देव तुल्य भाई के नही हुये वह किसके हो सकते हैं....खुद को राजपूत कहते हैं.......मुल्लों के चमचे..शर्म करो तुम्हारे इतिहास मे तुमने क्षत्रीयों बाला कोई काम नही किया !

चमचों की खिदमत मे पेश है :-

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होंय सुखारी !

रोटी खाबतई हमखों याद तुमारी आबे,
राजदरबार में भी तुमरी जरूरत पड़ जाबे !

सच्चों खों झूठा बनादो तुम,
झूठों खों बना दो तुम साकाहारी !

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होंय सुखारी !

चमचों कौ दुनिया में बोलबालो है,
सच्चों को जा दुनिया में मुंह कालो है !

चमचा चाहें तो बनादयें रंक खौं राजा,
राजा खौं बना दयें चमचा भिखारी !

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होय सुखारी !

सादर समर्पित दासी पुत्रों को...!

यह वह जाति है जिसे तत्कालीन क्षत्रीय सभा बुलाकर क्षत्रीय समाज से वहिष्कृित कर दिया गया था ! 
इनमे खून तो यदुवंशी खंगारों का था ! अब इनको खुदको  तक पता नही है ! कि हम हिंदु हैं या मुसलमान !

~~~~जय राजपुताना ~~~~

बुधवार, 20 सितंबर 2017

देखिए हर साल गरीब जनता के लिए कितनी योजनाएं चलाती थी कान्ग्रेस..!?😢

1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 960 करोड़
1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।।
1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़
1995 - प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़
1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़
1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़
1995 - दीनार / हवाला घोटाला, 400 करोड़
1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़
1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़
1996 - चारा घोटाला, 950 करोड़
1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड
1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़
1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़
1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़
1997 - SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़
1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़
1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़
2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़
2001 - UTI घोटाला, 32 करोड़
2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़
2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़
2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़
2003 - स्टाम्प घोटाला, 20,000 करोड़
2005 - आई पि ओ कॉरिडोर घोटाला, 1,000 करोड़
2005 - बिहार बाढ़ आपदा घोटाला, 17 करोड़
2005 - सौरपियन पनडुब्बी घोटाला, 18,978 करोड़
2006 - ताज कॉरिडोर घोटाला, 175 करोड़
2006 - पंजाब सिटी सेंटर घोटाला, 1,500 करोड़
2008 - काला धन, 2,10,000 करोड
2008 - सत्यम घोटाला, 8,000 करोड
2008 - सैन्य राशन घोटाला, 5,000 करोड़
2008 - स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र, 95 करोड़
2008 - हसन् अली हवाला घोटाला, 39,120 करोड़
2009 - उड़ीसा खदान घोटाला, 7,000 करोड़
2009 - चावल निर्यात घोटाला, 2,500 करोड़
2009 - झारखण्ड खदान घोटाला, 4,000करोड़
2009 - झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला, 130 करोड़
2010 - आदर्श घर घोटाला, 900 करोड़
2010 - खाद्यान घोटाला, 35,000 करोड़
2010 S - बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला, 2,00,000 करोड़
2011 - 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 1,76,000 करोड़
2011 - कॉमन वेल्थ घोटाला, 70,000 करोड़
सालो राम मंदिर और पेट्रोल पर रो रहे हो, इनमे से 5 के नाम भी पता थे क्या |
वो बेचारा अकेला इतनी मेहनत कर रहा है, पर तुम्हारी आदत है न हर चीज में डंडा करने की | अगर ये तंग आकर हट गया न तो, तुम्हे फिर यही कांग्रेस मिलेगी | जितने भी उसके बाहर घूमने से परेशान है, वो बाहर हनीमून नही मना रहा है | सुरक्षा मजबूत कर रहा है अपने देश की | आज तुम सबको को किसान दिख रहे, हैं और जब यूरिया और खाद घोटाला हुये तो, कुछ नही दिखा |
अगर दिल में अभी भी थोडीसी भी सच्ची जीवित हैं, तो इस पोस्ट को शेअर करो और लोगों को भी निंद से जगाओ |
मोदीजी को प्रधानमंत्री बने, 4 वर्ष भी नहीं हुआ की, अच्छे दिन का ताना मारने लगे हैं कुछ लोग | वो लोग जर इनका भी कार्य काल देखो, और इन्होने क्या क्या किया हैं सोचो |
1. जवाहरलाल नेहरु, 16 व. र्ष 286 दिन
2. इंदिरा गाँधी, 15 वर्ष 91 दिन
3. राजीव गाँधी, 5 वर्ष 32 दिन
4. मनमोहन सिंह, 10 वर्ष 4 दिन
कुल मिला कर 47 वर्ष 48 दिन में अच्छे दिन को ढूंढ नहीं सके और 3 वर्ष में हीं अच्छे दिन चाहिए।🙏

रोहिंग्या मुसलमान बर्मा में क्यों मारे गए।

साल 1947  यह समय था, भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बन रहे थे।

जहां मुसलमानो ने अलग राष्ट्र पाकिस्तान बनाने के लिए हिन्दुओ का नरसंहार किया, वहीं बर्मा के मुसलमान बौद्धों का नरसंहार कर पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे, कश्मीर की तर्ज पर ही ये रोहिंग्या सेना और जनता दोनों पर पत्थर बरसाते।

अपने ही देश के खिलाफ उनके इस "जिहाद" की शुरुवात हुई दूसरे विश्व युद्ध के समय, जब ब्रिटेन ने अलग राष्ट्र देने के बदले, रोहिंग्यों को जापान से लड़ने को तैयार किया और उनके हाथों में हथियार दिए गए।

इन रोहिंग्यों ने जापान से लड़ने की जगह अपने ही देश के 20,000 बौद्धों को मार डाला और असंख्य बौद्ध महिलाओं का बलात्कार किया।

स्वभाव से ही झगड़ालू इन रोहिंग्यों ने 1946 में जिन्ना से संपर्क किया कि बर्मा के *' माउ '*  क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल किया जाए, परंतु जिन्ना ने इससे मना कर दिया।

गुस्साए रोहिंग्यों ने अपने ही देश मे हत्या और बलात्कार का नंगा नाच शुरू कर दिया, इन्होंने अपनी आतंकी सेना तक भी बना ली, जो पाकिस्तान जाकर ट्रेनिग लेती और बौद्धों को मारती।

*1946 से लेकर अब तक इन जिहादी रोहिंग्यों से बौद्ध जनता त्रस्त थी।*

लेकिन वहां उदय हुआ विराथु नाम के एक सच्चे सन्त का, जिसने कहा, "आप कितने भी शांतिप्रिय क्यों ना हो, लेकिन पागल कुत्तों के साथ आप नही सो सकते, खतरे की घण्टी बज चुकी है, अगर खुद को बचाना है, तो बर्मा से रोहिंग्यों को जड़ से खत्म करना होगा।

2001 मे उन्होंने व्यापार से रोहिंग्यों के पूर्ण बहिष्कार का अभियान, *"अभियान - 969"*  चलाया, अगर किसी दुकान पर 969 लगा होता, तभी बौद्ध वहां से सामान खरीदते।

2012 में  एक बौद्ध महिला का बलात्कर कर रोहिंग्यों ने उसकी हत्या कर दी। फिर तो बर्मा जल उठा, इस घटना ने आग में घी का काम किया, विराथु के भाषणों से इस आग की लपट भारत के आजाद मैदान तक आयी।

बौद्धों ने अब हथियार उठा लिए थे, विराथु ने कहा, "रोहिंग्या, 'अल्पसंख्यक बौद्ध' लड़कियों को फंसाकर शादियाँ कर रहे हैं एवं बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करके पूरे देश के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने के मिशन में दिन रात लगे हुए हैं, जिससे बर्मा की आन्तरिक सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। उनका कहना था कि इस तरह ये रोहिंग्या एक दिन पूरे देश में फैल जाएंगे और बर्मा में बौद्धों का नरसंहार शुरू हो जाएगा।"

संयुक्तराष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली ने सेकुलरिज्म दिखाते हुए बर्मा का दौरा किया और विराथु की साम्प्रदायिक सोच की निंदा की।

विराथु की हिम्मत देखिये, उसने उन्हें खुलेआम धमकी दी एवं यहाँ तक कि उन्हें वेश्या और कुतिया भी कह दिया और कहा, "आपकी संयुक्त राष्ट्र में प्रतिष्ठा है, इसलिए आप अपने आप को बहुत को बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति न समझ लें। बर्मा के लोग अपने देश की रक्षा स्वयं करेंगे। उन्हें आपके सलाह की जरूरत नहीं है।"

मीडिया के सामने कहे गये अपने निर्भीक विचारों के कारण उनकी ख्याति पूरी दुनियाँ में फैल गयी। पूरी जनता विराथु के साथ थी।

उन्होने ढूंढ-ढूंढकर, चुन-चुनकर रोहिंग्यों का कत्ले-आम सुरु कर दिया, ना बच्चे बख्से, ना बूढ़े, और ना ही औरतें और उनके हर एक धार्मिक स्थान भी ढहा दिए गये।

आज वे रोहिंग्या दर-बदर की ठोकर खा रहे हैं और भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी व मुल्ला-मौलवी उन्हें भारत में बसाने हेतु सरकार पर दबाव लाने के लिए देशभर मे मोर्चे, आंदोलन, दंगा-फसाद, तोड़-फोड़ करने हेतु यहां के मुस्लिम समाज को भड़काने-बरगलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

पूरे विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं और वो सभी इन रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश में शरण देने से इंकार कर चुके हैं, ऐसे में भारत को धर्मशाला बनाकर भविष्य में बर्मा जैसे संकट में डालने हेतु ये कवायद तथाकथित बुद्धिजीवीयों और मुल्ले-मौलवियों का एक और राष्ट्रघाती कदम नही है क्या??

😡 ने अलग राष्ट्र पाकिस्तान बनाने के लिए हिन्दुओ का नरसंहार किया, वहीं बर्मा के मुसलमान बौद्धों का नरसंहार कर पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे, कश्मीर की तर्ज पर ही ये रोहिंग्या सेना और जनता दोनों पर पत्थर बरसाते।

अपने ही देश के खिलाफ उनके इस "जिहाद" की शुरुवात हुई दूसरे विश्व युद्ध के समय, जब ब्रिटेन ने अलग राष्ट्र देने के बदले, रोहिंग्यों को जापान से लड़ने को तैयार किया और उनके हाथों में हथियार दिए गए।

इन रोहिंग्यों ने जापान से लड़ने की जगह अपने ही देश के 20,000 बौद्धों को मार डाला और असंख्य बौद्ध महिलाओं का बलात्कार किया।

स्वभाव से ही झगड़ालू इन रोहिंग्यों ने 1946 में जिन्ना से संपर्क किया कि बर्मा के *' माउ '*  क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल किया जाए, परंतु जिन्ना ने इससे मना कर दिया।

गुस्साए रोहिंग्यों ने अपने ही देश मे हत्या और बलात्कार का नंगा नाच शुरू कर दिया, इन्होंने अपनी आतंकी सेना तक भी बना ली, जो पाकिस्तान जाकर ट्रेनिग लेती और बौद्धों को मारती।

*1946 से लेकर अब तक इन जिहादी रोहिंग्यों से बौद्ध जनता त्रस्त थी।*

लेकिन वहां उदय हुआ विराथु नाम के एक सच्चे सन्त का, जिसने कहा, "आप कितने भी शांतिप्रिय क्यों ना हो, लेकिन पागल कुत्तों के साथ आप नही सो सकते, खतरे की घण्टी बज चुकी है, अगर खुद को बचाना है, तो बर्मा से रोहिंग्यों को जड़ से खत्म करना होगा।

2001 मे उन्होंने व्यापार से रोहिंग्यों के पूर्ण बहिष्कार का अभियान, *"अभियान - 969"*  चलाया, अगर किसी दुकान पर 969 लगा होता, तभी बौद्ध वहां से सामान खरीदते।

2012 में  एक बौद्ध महिला का बलात्कर कर रोहिंग्यों ने उसकी हत्या कर दी। फिर तो बर्मा जल उठा, इस घटना ने आग में घी का काम किया, विराथु के भाषणों से इस आग की लपट भारत के आजाद मैदान तक आयी।

बौद्धों ने अब हथियार उठा लिए थे, विराथु ने कहा, "रोहिंग्या, 'अल्पसंख्यक बौद्ध' लड़कियों को फंसाकर शादियाँ कर रहे हैं एवं बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करके पूरे देश के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने के मिशन में दिन रात लगे हुए हैं, जिससे बर्मा की आन्तरिक सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। उनका कहना था कि इस तरह ये रोहिंग्या एक दिन पूरे देश में फैल जाएंगे और बर्मा में बौद्धों का नरसंहार शुरू हो जाएगा।"

संयुक्तराष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली ने सेकुलरिज्म दिखाते हुए बर्मा का दौरा किया और विराथु की साम्प्रदायिक सोच की निंदा की।

विराथु की हिम्मत देखिये, उसने उन्हें खुलेआम धमकी दी एवं यहाँ तक कि उन्हें वेश्या और कुतिया भी कह दिया और कहा, "आपकी संयुक्त राष्ट्र में प्रतिष्ठा है, इसलिए आप अपने आप को बहुत को बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति न समझ लें। बर्मा के लोग अपने देश की रक्षा स्वयं करेंगे। उन्हें आपके सलाह की जरूरत नहीं है।"

मीडिया के सामने कहे गये अपने निर्भीक विचारों के कारण उनकी ख्याति पूरी दुनियाँ में फैल गयी। पूरी जनता विराथु के साथ थी।

उन्होने ढूंढ-ढूंढकर, चुन-चुनकर रोहिंग्यों का कत्ले-आम सुरु कर दिया, ना बच्चे बख्से, ना बूढ़े, और ना ही औरतें और उनके हर एक धार्मिक स्थान भी ढहा दिए गये।

आज वे रोहिंग्या दर-बदर की ठोकर खा रहे हैं और भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी व मुल्ला-मौलवी उन्हें भारत में बसाने हेतु सरकार पर दबाव लाने के लिए देशभर मे मोर्चे, आंदोलन, दंगा-फसाद, तोड़-फोड़ करने हेतु यहां के मुस्लिम समाज को भड़काने-बरगलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

पूरे विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं और वो सभी इन रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश में शरण देने से इंकार कर चुके हैं, ऐसे में भारत को धर्मशाला बनाकर भविष्य में बर्मा जैसे संकट में डालने हेतु ये कवायद तथाकथित बुद्धिजीवीयों और मुल्ले-मौलवियों का एक और राष्ट्रघाती कदम नही है क्या..??🙏