शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

~~जुझौतखंड v/s बुंदेलखंड~~

गुजरात के जूनागढ़ के राजा रा कवाट-२ के पुत्र खेतसिंह खंगार महाराज पृथ्वीराज चौहान के सामंत रहे तथा अपनी वीरता एवं पराकृम से गढ़कुंडार जीत कर जुझौतिखंड (बर्तमान बुंदेलखंड) मे खंगार राज्य की स्थापना की जुझौतखंड (बुदेलखंड) पर १७० वर्षों से भी अधिक खंगारों ने राज्य किया..!!

चलिये मुद्दे पर बात करते हैं...!!

१३ वीं सदी मे मुस्लिम आकृमण कारीयों ने कई हिंदु राजाओं को अपने आधीन कर लिया ! उस समय दिल्ली पर मुसलमानों का राज्य स्थापित हो चुका था ! कुछ हिंदु राजपूतों ने मुसलमानो से भय के कारण उन से विबाह संवंध बना लिये थे ! तथा कुछ ने मुसलमानों की दासता स्बीकार करली थी ! जिससे कि उनके राज्य मुसलमानों के आधीन सुरक्षित रहे ! गढ़ कुंडार के खंगार राजा मानसिंह से भी दिल्ली शहंशाह द्बारा खंगार कुल कंन्या केशरदे का हाथ मांगा  गया था ! परन्तु खंगार तो शेर थे रिस्ते को मना कर दिया ! तथा युद्ध स्बीकार कर लिया ! तथा जो चापलूस मुसलमानों मे मिलगये थे ! (जो कि खंगार राजाओं और उनकी बांदियों की संतान जो कि बांदैला कहलाते थे ) तथा सवंत १२५७ मे महाराज ने  उत्तम  सेबाके फलस्वरूप ब्योना जागीर के १२ गॉव पट्टा लिख कर दे दिये गये थे ! जिसमे मॉ गजानन को साक्षी रखा गया था !  यही नौकर (बांदैला)  सोहनपाल दिल्ली सुल्तान से मिला और खंगार राजा मानसिंह की कंन्या केशर दे का हाथ मॉगने को उकसाया ! हम  उनकी घोर निंदा करते थे ! मोहम्मद तुगलक से युद्ध हुआ जिसमे महाराज बीर गति को प्राप्त हुऐ ! केशरदे एबं अन्य रानियों ने जौहर किया ! गढ़कुडार राज घराने से संबधित कुछ खंगारो ने काल्पनिक जातियों का सहारा लेकर जंगलों मे बागी जीबन यापन किया ! इस कारण खंगार एक लंबे अर्से तक सामाजिक मुख्यधारा से दूर रहे ! तथा अलग अलग गोत्र निर्माण कर आपस मे बिबाह संबध करने लगे ! इधर तुगलकों द्बारा गढ़कुंडार जीत कर अपने चापलूस गुलामों (दासी पुत्रों बांदैलों ) को दे दिया गया ! जिनने जुझौति खंड नाम बदल कर बुंदेलखंड कर दिया ! तथा राजधानी को ओरछा स्थानातरित कर लिया ! तथा अपनी पीढ़ीयो मे खंगारों के बारे मे गलत संदेश दिये जाने लगे यहां तक की अपने बच्चो को यह भी कहा जाने लगा कि खंगार क्षत्रीय नही होते ! वाह रे बांदी पुत्र अपने बाप को पहचानने से मना कर रहे हो ! और तो और बृनदाबन लाल बर्मा जैसे लालची लोगों को ४० एकड़ की जागीर देकर खंगार बिरोधी उपन्यास लिखबाया गया ! जिसमे खंगारों के इतिहास को बिगाड़ने की पूरी कोशिश की गई है..! दासी पुत्रों ने तो नीचता की हद तव करदी जव अपने राज्य को मुल्लों से सुरक्षित रखने के लिये अपने ही महल में अपने आकाओं को अय्याशी के लिये जहॉगीर महल बनबाया गया ! जो आज भी ओरछा के राजमहल में जिंदा प्रमाण है ! जरा सोचो भाईयो कामुक मुल्लों ने क्या नही किया होगा इनकी बहन बेटियों के साथ ! दूसरी नीचता सगे भाई के अपनी भाभी संबध होने का झूठा लांछन लगाकर कलंकित कर जहर दिलबा कर मार दिया वाहरे क्षत्रीयों..जो सगे देव तुल्य भाई के नही हुये वह किसके हो सकते हैं....खुद को राजपूत कहते हैं.......मुल्लों के चमचे..शर्म करो तुम्हारे इतिहास मे तुमने क्षत्रीयों बाला कोई काम नही किया !

चमचों की खिदमत मे पेश है :-

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होंय सुखारी !

रोटी खाबतई हमखों याद तुमारी आबे,
राजदरबार में भी तुमरी जरूरत पड़ जाबे !

सच्चों खों झूठा बनादो तुम,
झूठों खों बना दो तुम साकाहारी !

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होंय सुखारी !

चमचों कौ दुनिया में बोलबालो है,
सच्चों को जा दुनिया में मुंह कालो है !

चमचा चाहें तो बनादयें रंक खौं राजा,
राजा खौं बना दयें चमचा भिखारी !

बाहरे चमचो तुमरी लीला न्यारी,
चमचों से चमचा मिलें होय सुखारी !

सादर समर्पित दासी पुत्रों को...!

यह वह जाति है जिसे तत्कालीन क्षत्रीय सभा बुलाकर क्षत्रीय समाज से वहिष्कृित कर दिया गया था ! 
इनमे खून तो यदुवंशी खंगारों का था ! अब इनको खुदको  तक पता नही है ! कि हम हिंदु हैं या मुसलमान !

~~~~जय राजपुताना ~~~~

बुधवार, 20 सितंबर 2017

देखिए हर साल गरीब जनता के लिए कितनी योजनाएं चलाती थी कान्ग्रेस..!?😢

1987 - बोफोर्स तोप घोटाला, 960 करोड़
1992 - शेयर घोटाला, 5,000 करोड़।।
1994 - चीनी घोटाला, 650 करोड़
1995 - प्रेफ्रेंशल अलॉटमेंट घोटाला, 5,000 करोड़
1995 - कस्टम टैक्स घोटाला, 43 करोड़
1995 - कॉबलर घोटाला, 1,000 करोड़
1995 - दीनार / हवाला घोटाला, 400 करोड़
1995 - मेघालय वन घोटाला, 300 करोड़
1996 - उर्वरक आयत घोटाला, 1,300 करोड़
1996 - चारा घोटाला, 950 करोड़
1996 - यूरिया घोटाला, 133 करोड
1997 - बिहार भूमि घोटाला, 400 करोड़
1997 - म्यूच्यूअल फण्ड घोटाला, 1,200 करोड़
1997 - सुखराम टेलिकॉम घोटाला, 1,500 करोड़
1997 - SNC पॉवेर प्रोजेक्ट घोटाला, 374 करोड़
1998 - उदय गोयल कृषि उपज घोटाला, 210 करोड़
1998 - टीक पौध घोटाला, 8,000 करोड़
2001 - डालमिया शेयर घोटाला, 595 करोड़
2001 - UTI घोटाला, 32 करोड़
2001 - केतन पारिख प्रतिभूति घोटाला, 1,000 करोड़
2002 - संजय अग्रवाल गृह निवेश घोटाला, 600 करोड़
2002 - कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला, 120 करोड़
2003 - स्टाम्प घोटाला, 20,000 करोड़
2005 - आई पि ओ कॉरिडोर घोटाला, 1,000 करोड़
2005 - बिहार बाढ़ आपदा घोटाला, 17 करोड़
2005 - सौरपियन पनडुब्बी घोटाला, 18,978 करोड़
2006 - ताज कॉरिडोर घोटाला, 175 करोड़
2006 - पंजाब सिटी सेंटर घोटाला, 1,500 करोड़
2008 - काला धन, 2,10,000 करोड
2008 - सत्यम घोटाला, 8,000 करोड
2008 - सैन्य राशन घोटाला, 5,000 करोड़
2008 - स्टेट बैंक ऑफ़ सौराष्ट्र, 95 करोड़
2008 - हसन् अली हवाला घोटाला, 39,120 करोड़
2009 - उड़ीसा खदान घोटाला, 7,000 करोड़
2009 - चावल निर्यात घोटाला, 2,500 करोड़
2009 - झारखण्ड खदान घोटाला, 4,000करोड़
2009 - झारखण्ड मेडिकल उपकरण घोटाला, 130 करोड़
2010 - आदर्श घर घोटाला, 900 करोड़
2010 - खाद्यान घोटाला, 35,000 करोड़
2010 S - बैंड स्पेक्ट्रम घोटाला, 2,00,000 करोड़
2011 - 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, 1,76,000 करोड़
2011 - कॉमन वेल्थ घोटाला, 70,000 करोड़
सालो राम मंदिर और पेट्रोल पर रो रहे हो, इनमे से 5 के नाम भी पता थे क्या |
वो बेचारा अकेला इतनी मेहनत कर रहा है, पर तुम्हारी आदत है न हर चीज में डंडा करने की | अगर ये तंग आकर हट गया न तो, तुम्हे फिर यही कांग्रेस मिलेगी | जितने भी उसके बाहर घूमने से परेशान है, वो बाहर हनीमून नही मना रहा है | सुरक्षा मजबूत कर रहा है अपने देश की | आज तुम सबको को किसान दिख रहे, हैं और जब यूरिया और खाद घोटाला हुये तो, कुछ नही दिखा |
अगर दिल में अभी भी थोडीसी भी सच्ची जीवित हैं, तो इस पोस्ट को शेअर करो और लोगों को भी निंद से जगाओ |
मोदीजी को प्रधानमंत्री बने, 4 वर्ष भी नहीं हुआ की, अच्छे दिन का ताना मारने लगे हैं कुछ लोग | वो लोग जर इनका भी कार्य काल देखो, और इन्होने क्या क्या किया हैं सोचो |
1. जवाहरलाल नेहरु, 16 व. र्ष 286 दिन
2. इंदिरा गाँधी, 15 वर्ष 91 दिन
3. राजीव गाँधी, 5 वर्ष 32 दिन
4. मनमोहन सिंह, 10 वर्ष 4 दिन
कुल मिला कर 47 वर्ष 48 दिन में अच्छे दिन को ढूंढ नहीं सके और 3 वर्ष में हीं अच्छे दिन चाहिए।🙏

रोहिंग्या मुसलमान बर्मा में क्यों मारे गए।

साल 1947  यह समय था, भारत और पाकिस्तान दो अलग देश बन रहे थे।

जहां मुसलमानो ने अलग राष्ट्र पाकिस्तान बनाने के लिए हिन्दुओ का नरसंहार किया, वहीं बर्मा के मुसलमान बौद्धों का नरसंहार कर पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे, कश्मीर की तर्ज पर ही ये रोहिंग्या सेना और जनता दोनों पर पत्थर बरसाते।

अपने ही देश के खिलाफ उनके इस "जिहाद" की शुरुवात हुई दूसरे विश्व युद्ध के समय, जब ब्रिटेन ने अलग राष्ट्र देने के बदले, रोहिंग्यों को जापान से लड़ने को तैयार किया और उनके हाथों में हथियार दिए गए।

इन रोहिंग्यों ने जापान से लड़ने की जगह अपने ही देश के 20,000 बौद्धों को मार डाला और असंख्य बौद्ध महिलाओं का बलात्कार किया।

स्वभाव से ही झगड़ालू इन रोहिंग्यों ने 1946 में जिन्ना से संपर्क किया कि बर्मा के *' माउ '*  क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल किया जाए, परंतु जिन्ना ने इससे मना कर दिया।

गुस्साए रोहिंग्यों ने अपने ही देश मे हत्या और बलात्कार का नंगा नाच शुरू कर दिया, इन्होंने अपनी आतंकी सेना तक भी बना ली, जो पाकिस्तान जाकर ट्रेनिग लेती और बौद्धों को मारती।

*1946 से लेकर अब तक इन जिहादी रोहिंग्यों से बौद्ध जनता त्रस्त थी।*

लेकिन वहां उदय हुआ विराथु नाम के एक सच्चे सन्त का, जिसने कहा, "आप कितने भी शांतिप्रिय क्यों ना हो, लेकिन पागल कुत्तों के साथ आप नही सो सकते, खतरे की घण्टी बज चुकी है, अगर खुद को बचाना है, तो बर्मा से रोहिंग्यों को जड़ से खत्म करना होगा।

2001 मे उन्होंने व्यापार से रोहिंग्यों के पूर्ण बहिष्कार का अभियान, *"अभियान - 969"*  चलाया, अगर किसी दुकान पर 969 लगा होता, तभी बौद्ध वहां से सामान खरीदते।

2012 में  एक बौद्ध महिला का बलात्कर कर रोहिंग्यों ने उसकी हत्या कर दी। फिर तो बर्मा जल उठा, इस घटना ने आग में घी का काम किया, विराथु के भाषणों से इस आग की लपट भारत के आजाद मैदान तक आयी।

बौद्धों ने अब हथियार उठा लिए थे, विराथु ने कहा, "रोहिंग्या, 'अल्पसंख्यक बौद्ध' लड़कियों को फंसाकर शादियाँ कर रहे हैं एवं बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करके पूरे देश के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने के मिशन में दिन रात लगे हुए हैं, जिससे बर्मा की आन्तरिक सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। उनका कहना था कि इस तरह ये रोहिंग्या एक दिन पूरे देश में फैल जाएंगे और बर्मा में बौद्धों का नरसंहार शुरू हो जाएगा।"

संयुक्तराष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली ने सेकुलरिज्म दिखाते हुए बर्मा का दौरा किया और विराथु की साम्प्रदायिक सोच की निंदा की।

विराथु की हिम्मत देखिये, उसने उन्हें खुलेआम धमकी दी एवं यहाँ तक कि उन्हें वेश्या और कुतिया भी कह दिया और कहा, "आपकी संयुक्त राष्ट्र में प्रतिष्ठा है, इसलिए आप अपने आप को बहुत को बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति न समझ लें। बर्मा के लोग अपने देश की रक्षा स्वयं करेंगे। उन्हें आपके सलाह की जरूरत नहीं है।"

मीडिया के सामने कहे गये अपने निर्भीक विचारों के कारण उनकी ख्याति पूरी दुनियाँ में फैल गयी। पूरी जनता विराथु के साथ थी।

उन्होने ढूंढ-ढूंढकर, चुन-चुनकर रोहिंग्यों का कत्ले-आम सुरु कर दिया, ना बच्चे बख्से, ना बूढ़े, और ना ही औरतें और उनके हर एक धार्मिक स्थान भी ढहा दिए गये।

आज वे रोहिंग्या दर-बदर की ठोकर खा रहे हैं और भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी व मुल्ला-मौलवी उन्हें भारत में बसाने हेतु सरकार पर दबाव लाने के लिए देशभर मे मोर्चे, आंदोलन, दंगा-फसाद, तोड़-फोड़ करने हेतु यहां के मुस्लिम समाज को भड़काने-बरगलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

पूरे विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं और वो सभी इन रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश में शरण देने से इंकार कर चुके हैं, ऐसे में भारत को धर्मशाला बनाकर भविष्य में बर्मा जैसे संकट में डालने हेतु ये कवायद तथाकथित बुद्धिजीवीयों और मुल्ले-मौलवियों का एक और राष्ट्रघाती कदम नही है क्या??

😡 ने अलग राष्ट्र पाकिस्तान बनाने के लिए हिन्दुओ का नरसंहार किया, वहीं बर्मा के मुसलमान बौद्धों का नरसंहार कर पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे, कश्मीर की तर्ज पर ही ये रोहिंग्या सेना और जनता दोनों पर पत्थर बरसाते।

अपने ही देश के खिलाफ उनके इस "जिहाद" की शुरुवात हुई दूसरे विश्व युद्ध के समय, जब ब्रिटेन ने अलग राष्ट्र देने के बदले, रोहिंग्यों को जापान से लड़ने को तैयार किया और उनके हाथों में हथियार दिए गए।

इन रोहिंग्यों ने जापान से लड़ने की जगह अपने ही देश के 20,000 बौद्धों को मार डाला और असंख्य बौद्ध महिलाओं का बलात्कार किया।

स्वभाव से ही झगड़ालू इन रोहिंग्यों ने 1946 में जिन्ना से संपर्क किया कि बर्मा के *' माउ '*  क्षेत्र को पाकिस्तान में शामिल किया जाए, परंतु जिन्ना ने इससे मना कर दिया।

गुस्साए रोहिंग्यों ने अपने ही देश मे हत्या और बलात्कार का नंगा नाच शुरू कर दिया, इन्होंने अपनी आतंकी सेना तक भी बना ली, जो पाकिस्तान जाकर ट्रेनिग लेती और बौद्धों को मारती।

*1946 से लेकर अब तक इन जिहादी रोहिंग्यों से बौद्ध जनता त्रस्त थी।*

लेकिन वहां उदय हुआ विराथु नाम के एक सच्चे सन्त का, जिसने कहा, "आप कितने भी शांतिप्रिय क्यों ना हो, लेकिन पागल कुत्तों के साथ आप नही सो सकते, खतरे की घण्टी बज चुकी है, अगर खुद को बचाना है, तो बर्मा से रोहिंग्यों को जड़ से खत्म करना होगा।

2001 मे उन्होंने व्यापार से रोहिंग्यों के पूर्ण बहिष्कार का अभियान, *"अभियान - 969"*  चलाया, अगर किसी दुकान पर 969 लगा होता, तभी बौद्ध वहां से सामान खरीदते।

2012 में  एक बौद्ध महिला का बलात्कर कर रोहिंग्यों ने उसकी हत्या कर दी। फिर तो बर्मा जल उठा, इस घटना ने आग में घी का काम किया, विराथु के भाषणों से इस आग की लपट भारत के आजाद मैदान तक आयी।

बौद्धों ने अब हथियार उठा लिए थे, विराथु ने कहा, "रोहिंग्या, 'अल्पसंख्यक बौद्ध' लड़कियों को फंसाकर शादियाँ कर रहे हैं एवं बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करके पूरे देश के जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ने के मिशन में दिन रात लगे हुए हैं, जिससे बर्मा की आन्तरिक सुरक्षा को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। उनका कहना था कि इस तरह ये रोहिंग्या एक दिन पूरे देश में फैल जाएंगे और बर्मा में बौद्धों का नरसंहार शुरू हो जाएगा।"

संयुक्तराष्ट्र की विशेष प्रतिनिधि यांग ली ने सेकुलरिज्म दिखाते हुए बर्मा का दौरा किया और विराथु की साम्प्रदायिक सोच की निंदा की।

विराथु की हिम्मत देखिये, उसने उन्हें खुलेआम धमकी दी एवं यहाँ तक कि उन्हें वेश्या और कुतिया भी कह दिया और कहा, "आपकी संयुक्त राष्ट्र में प्रतिष्ठा है, इसलिए आप अपने आप को बहुत को बहुत प्रतिष्ठित व्यक्ति न समझ लें। बर्मा के लोग अपने देश की रक्षा स्वयं करेंगे। उन्हें आपके सलाह की जरूरत नहीं है।"

मीडिया के सामने कहे गये अपने निर्भीक विचारों के कारण उनकी ख्याति पूरी दुनियाँ में फैल गयी। पूरी जनता विराथु के साथ थी।

उन्होने ढूंढ-ढूंढकर, चुन-चुनकर रोहिंग्यों का कत्ले-आम सुरु कर दिया, ना बच्चे बख्से, ना बूढ़े, और ना ही औरतें और उनके हर एक धार्मिक स्थान भी ढहा दिए गये।

आज वे रोहिंग्या दर-बदर की ठोकर खा रहे हैं और भारत के तथाकथित बुद्धिजीवी व मुल्ला-मौलवी उन्हें भारत में बसाने हेतु सरकार पर दबाव लाने के लिए देशभर मे मोर्चे, आंदोलन, दंगा-फसाद, तोड़-फोड़ करने हेतु यहां के मुस्लिम समाज को भड़काने-बरगलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

पूरे विश्व में 57 मुस्लिम देश हैं और वो सभी इन रोहिंग्या मुसलमानों को अपने देश में शरण देने से इंकार कर चुके हैं, ऐसे में भारत को धर्मशाला बनाकर भविष्य में बर्मा जैसे संकट में डालने हेतु ये कवायद तथाकथित बुद्धिजीवीयों और मुल्ले-मौलवियों का एक और राष्ट्रघाती कदम नही है क्या..??🙏

मंगलवार, 19 सितंबर 2017

किसानों को अब खेती करना बंद कर देना चाहिए।

किसानों को अब खेती करना बंद कर देना चाहिए और केवल अपने परिवार के लायक उपजा कर बाकी ज़मीन को पड़त छोड़ देना चाहिए।
जो लोग अपने बच्चों को डेढ़ लाख की मोटर साइकल, लाख का मोबाइल लेकर देने में एक बार भी नहीं कहते कि महँगा है, वे लोग किसानों की माँग पर बहस कर रहे है कि दूध और गेहूँ महँगा हो जाएगा।

माॅल्स में जाकर अंधाधुंध पैसा उजाड़ने वाले गेंहूँ की कीमत बढ़ जाने से डर रहे हैं। तीन सौ रुपये किलो के भाव से मल्टीप्लैक्स के इंटरवल में पॉपकॉर्न खरीदने वाले मक्का के भाव किसान को तीन रुपये किलो से अधिक न मिलें इस पर बहस कर रहे है।

एक बार भी कोई नहीं कह रहा कि मैगी, पास्ता, कॉर्नफ़्लैक्स के दाम बहुत हैं। सबको किसान का क़र्ज़ दिख रहा है और यह कि उस क़र्ज़ की माफी की माँग करके किसान बहुत नाजायज़ माँग कर रहा है। यह जान लीजिए कि किसान क़र्ज़ में आप और हमारे कारण डूबा है। उसकी फसल का उसको वाजिब दाम इसलिए नहीं दिया जाता क्योंकि उससे खाद्यान्न महँगे हो जाएँगे।

1975 में सोने का दाम 500 रुपये प्रति दस ग्राम था और गेंहू का समर्थन मूल्य किसान को मिलता था 100 रुपये। आज चालीस साल बाद गेंहू लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल है मतलब केवल पन्द्रह गुना बढ़ा और उसकी तुलना में सोना आज तीस हज़ार रुपये प्रति दस ग्राम है। मतलब 60 गुना की दर से महँगाई बढ़ी मगर किसान के लिए उसे पन्द्रह गुना ही रखा गया।

ज़बरदस्ती, ताकी खाद्यान्न महँगे न हो जाएँ।
1975 में एक सरकारी अधिकारी को 400 रुपये वेतन मिलता था जो आज साठ हज़ार मिल रहा है मतलब एक सौ पचास गुना की राक्षसी वृद्धि उसमें हुई है।

इसके बाद भी सबको किसान से ही परेशानी है। किसानों को आंदोलन करने की बजाय खेती करना छोड़ देना चाहिए। बस अपने परिवार के लायक उपजाए और कुछ न करे। उसे पता ही नहीं कि उसे असल में आज़ादी के बाद से ही ठगा जा रहा है।

किसान क्यों हिंसक हो गया है यह समझना होगा, जनता को भी और सरकार को भी। किसान अब मूर्ख बनने को तैयार नहीं है। बरसों तक किया जा रहा शोषण अंततः हिंसा को ही जन्म देता है।

आदिवासियों पर हुए अत्याचार ने नक्सल आंदोलन को जन्म दिया और अब किसान भी उसी रास्ते पर है। आप क्या चाहते हैं कि आप समर्थन मूल्य के झाँसे में फँसे किसान के खून में सनी रोटियाँ अपनी इटालियन मार्बल की टॉप वाली डाइनिंग टेबल पर खाते रहें और जब किसान को समझ में आए सारा खेल तो वह विरोध भी नहीं करे।

आपको पता है आपका एक सांसद साल भर में चार लाख की बिजली मुफ़्त फूँकने का अधिकारी होता है, लेकिन किसान का चार हजार का बिजली का बिल माफ करने के नाम पर आप टीवी चैनल देखते हुए बहस करते हैं।

यह चेत जाने का समय है। कहिए कि आप साठ से अस्सी रुपये लीटर दूध और कम से कम साठ रुपये किलो गेंहू खरीदने के लिए तैयार हैं, कुछ कटौती अपने ऐश और आराम में कर लीजिएगा। 

नहीं तो कल जब अन्न ही नहीं उपजेगा तो फिर तो आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों से उस दाम पर खरीदेंगे ही जिस दाम पर वे बेचना चाहेंगी।

एक किसान की नजर..

कृपया किसानों एवं हिंदुस्तान के हित में इस  पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
एक किसान का बेटा हूँ।🙏

कांग्रेस हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों करवाती है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?

कभी आपने सोचा है की कांग्रेस हिन्दुओ पर अत्याचार क्यों करवाती है, नहीं पता चलिये मैं आपको बताता हूँ क्यों ?

क्योंकि कांग्रेस के नेता ईसाई या मुसलमान है बस धोखे देने को नाम ही हिन्दू की तरह है हिन्दू वोटरो को लुभाने के लिए....

• सबसे पहले सोनिया गांधी असली नाम एंटोनिया माइनो कट्टर कैथोलिक ईसाई।

• राहुल गांधी असली नाम राउल विंची।

• प्रियंका गांधी का पति राबर्ट वाड्रा कट्टर ईसाई।

• प्रियंका के दो बच्चे रेहना और मिराया।

• दिग्विजय सिंह ईसाई धर्म अपना चुका है, इसकी वेबसाइट पर जाकर देख सकते है।

• छतीसगढ़ के पूर्व कांग्रेसी मुख्यमंत्री अजित जोगी और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म
अपना चुका है।

• कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ईसाई बन चुके है और उनकी पत्नी नलिनी 167 ईसाई
मिशनरी एनजीओ की मालकिन है।

• पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन चावला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस केजी बालाकृषडन भी ईसाई धर्म अपना चुके है।

• 2जी घोटाले का आरोपी ए राजा ईसाई है।

• द्रमुक प्रमुख एम के करुणानिधि व उनका पूरा खानदान ईसाई बन चुका है।

• वरिष्ठ कांग्रेसी नेता प्रणव मुखर्जी, सुबोध कान्त सहाय, कपिल सिब्बल, सत्यव्रत चतुर्वेदी, अंबिका सोनी,पीवी थामस, ए के एन्टोनी, जनार्दन दिवेदी, मनीष तिवारी ये सभी ईसाई
धर्म अपना चुके है।

• धर्म को अफीम मनाने वाले कम्युनिस्ट सीताराम येचूरी, प्रकाश करात, विनायक
सेन ईसाई है।

• अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेस, सारे कांग्रेसी पत्रकार ईसाई हो चुके है।

• आंध्र प्रदेश के 150 से ज्यादा मंत्री ईसाई बन चुके है इसलिए आंध्र प्रदेश मे सारे
मंदिरो को तोड़ा जा चुका है।

• बाकी बचे नेता मुस्लिम है जैसे सलमान खुर्सीद, अहमद पटेल इत्यादि ।

• आंध्र प्रदेश के वाईएसआर रेड्डी ईसाई है और उसका बेटा अनिल जो की ईसाई मिशनरी समाज का सबसे बड़ा माफिया है, इसी अनिल पर यह भी आरोप है की धर्म परिवर्तन के लिए जो कमीशन बाहर से आता है उसके लेन-देन संबंधी बँटवारे को लेकर अनिल ने वाईएसआर के हत्या का षड्यंत्र रचा था । इसी अनिल ने पूरे भारत के जन-मानस को ईसाई बनाने का ठेका लिया है । इसके पास 21 निजी हेलीकाप्टर है व खरबो रुपये की संपति है। इसने केवल हैदराबाद मे ही 100 से ज्यादा Conversion Workshops लगा रखी है, धर्म परिवर्तन के लिए।
इसका ढांचा किसी बहुत बड़ी एम एन सी कंपनी द्वारा बनाया गया जिसमे सीईओ से लेकर मार्केटिंग Professionals तक भर्ती किए जाते है। प्रत्येक ईसाई मिशनरी को टार्गेट दिया जाता है की प्रति सप्ताह 10 हिन्दुओ को ईसाई बनाने का और कमीशन दिया जाता है।
औसतन 200 हिन्दुओ को ईसाई धर्म परिवर्तन न करने के कारण जला दिया जाता है।
यह सरकारी आंकड़ा है असली संख्या इससे ज्यादा हो सकती है ।

जवाहरलाल नेहरू की अदूरदर्शी और मूर्खताओं की सज़ा,जो हम आज तक भुगत रहे हैं।

#जिनको नहीं #पता उनके लिए
*#जवाहरलाल_नेहरू की #अदूरदर्शी और #मूर्खताओं की #सज़ा, जो #हम आज तक #भुगत रहे हैं।

*1. #कोको_आइसलैंड* -
1950 में नेहरू ने भारत का 'कोको द्वीप समूह' (Google Map location
-14.100000, 93.365000) बर्मा को गिफ्ट दे दिया। यह द्वीप समूह कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है। बाद में बर्मा ने यह द्वीप समूह चीन को दे दिया, जहाँ से आज चीन भारत पर नजर रखता है।

*2. #काबू_वैली_मणिपुर -*
नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मणिपुर प्रांत की काबू वैली मित्रता के तौर पर बर्मा को दी। काबू वैली का क्षेत्रफल
लगभह 11,000 वर्ग किमी है और कहते हैं कि यह कश्मीर से भी अधिक खूबसरत है।

आज बर्मा ने काबू वैली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है। चीन यहां से भी भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देता है।

*3 #भारत_नेपाल_विलय* -
1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल के भारत में विलय का प्रस्ताव नेहरू के सामने रखा।

लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी कि इस विलय से दोनों देशों को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होगा। यही नहीं, इससे नेपाल का पर्यटन भी खत्म हो जाएगा।

*#जबकि असल वजह ये थी की नेपाल जम्मू कश्मीर की तरह विशेष अधिकार के तहत अपनी हिन्दू राष्ट्र की पहचान को बनाये रखना चहता था जो की नेहरू को मंजूर नही थी*

*4 #सुरक्षा_परिषद_स्थायी_सीट* -
नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत को सुरक्षा परिषद ( United Nations) में स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। नेहरू ने इसकी जगह चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली। चीन आज पाकिस्तान का हम दर्द बना हुआ है। वह पाक को बचाने के लिए भारत के कई प्रस्तावों को सुरक्षा परिषद में नामंजूर कर चुका है।

हाल ही उसने आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के भारतीत प्रस्ताव को कई बार वीटो किया है।

*5.  #जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन* -
लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है कि नेहरू और लेडी माउन्टबेटन के बीच अंतरंग संबंध थे। लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे। लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन ने जवाहरलाल नेहरू से अनेक राजनैतिक निर्णय करवाए थे जिनमें कश्मीर में युद्ध विराम व सयुंक्त राष्ट्र के हस्ताक्षेप का निर्णय भी शामिल है।

*6 #पंचशील_समझौता* -
नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। 1954 में उन्होंने चीन के साथ पंचशील समझौता किया और तिब्बत को चीन के हिस्से के रूप में मान्यता दे दी। 1962 में इसी चीन ने भारत पर हमला किया और चीन की सेना इसी
तिब्बत से भारत की सीमा में दाखिल हुई।

*7. #1962_भारत_चीन_युद्ध* -
चीनी सेना ने 1962 में भारत को हराया था। हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले. जनरल हेंडरसन और कमान्डेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी।

दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया था।

रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना जब अरुणाचल प्रदेश,असम, सिक्किम तक अंदर घुस आई थी, तब भी नेहरू ने हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेने से रोके रखा। परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 वर्ग किमी भाग पर चीन ने कब्जा कर लिया।

इसमें कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।

*#भारत का सही इतिहास जानना आपका हक़ है*
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