शनिवार, 16 सितंबर 2017

आये दिन साम्प्रदायिक हिंसा के मामले देश में बढ़ते ही जा रहे हैं।

आये दिन साम्प्रदायिक हिंसा के मामले देश में बढ़ते ही जा रहे हैं। इसके बावजूद देश के कुछ तथाकथित सेक्युलर नेता देश में रोहिंग्या कट्टरपंथियों को घुसाने की वकालत कर रहे हैं। कुछ ही वक़्त पहले गणेश विसर्जन के दौरान देश में कई जगहों पर साम्प्रदायिक माहौल बन गया था और अब एक नया मामला भगवान् शिव के मंदिर को लेकर सामने आया है। ताजा मामला यूपी लखीमपुर थाना मैलानी की पुलिस चौकी कुकुरा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मुड़ा खजुहा का हैं।
शिवा मंदिर में कूड़ा फेकने को लेकर काटा बवाल !
यहाँ भगवान् शिव का एक प्राचीन मंदिर है. पिछले कुछ दिनों से कुछ मुस्लिम यहाँ कूड़ा फेकना शुरू हो गए। प्रतिदिन कूड़ा देख आसपास के लोग बेहद हैरान थे। दरअसल खुद को शान्ति प्रिय समुदाय कहने वालों की योजना थी, कूड़ा फेंक-फेंक कर पूरी जगह को कूड़े के ढेर से धक् देंगे और जगह हथिया लेंगे। कल जब मंदिर की सफाई का काम चल रहा था, तो कुछ मुस्लिम युवक वहां आ गए और सफाई से रोकने लगे।
सफाई का काम जारी रहने पर, उन युवकों ने कई अन्य लोगों को बुला लिया। फिर देखते ही देखते कट्टरपंथियों की भीड़ जमा हो गयी। कट्टरपंथी मुस्लिम युवकों ने लाठी-डंडों से उनको मारना शुरू कर दिया। जिसके बाद हिन्दू भी भड़क उठे और झगड़ा काफी बढ़ गया। मुस्लिम युवकों ने कश्मीर की ही तर्ज पर पथराव शुरू कर दिया।
हिंसा के चलते काफी लोगो को गम्भीर चोटे आई है। मिली जानकारी के मुताबिक़ कट्टरपंथियों ने वहां से आने-जाने वालों को भी पीटना शुरू कर दिया। यहाँ तक कि औरतो को भी नहीं छोड़ा गया। पथराव व् डंडों के कारण जियालाल पुत्र भवानी, मालती देवी पत्नी हरिचंदन लाल, कौसिल्या देवी पत्नी रामपाल पासी बुरी तरह से घायल हो गए। हालत गंभीर होने के कारण उन्हें फ़ौरन जिला अस्पताल रेफर किया गया।
हिंसा की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुँच गई. तब जा कर मामला शांत हुआ। मौके पर पहुची पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच समझौता कराया और घायलों को अस्पताल में एडमिट करवाया। सवाल ये खड़ा हो रहा है कि रोहिंग्या मुस्लिमों को देश में बसाने की मांग करने वालों के समर्थक जिस तरह से देश की अलग-अलग जगह पर हिंसा व् उपद्रव मचा रहे हैं। उसे देखते हुए क्या इन पर सख्त एक्शन नहीं लेना चाहिए ? 🇮🇳🙏

*क्षत्रिय साम्राज्य की टीम के अनुसार भारत के समस्त राज्यों से राजपूतो जनसँख्या।*

*क्षत्रिय साम्राज्य की टीम ने 2 महीने की मेहनत कर भारत के समस्त राज्यों से राजपूत  जनसँख्या जानने की कोशिश की है जिसके अनुसार सूची तयार हुई है। उम्मीद है राजपूत अपनी शक्ति पहचाने और एकजुट होकर कार्य करे। :-*

*1) जम्मू कश्मीर :- 2 लाख + 4 लाख विस्थापित*
*2) पंजाब :- 9 लाख राजपूत*
*3) हरयाणा :- 14 लाख राजपूत*
*4) राजस्थान :- 78 लाख राजपूत*
*5) गुजरात :- 60 लाख राजपूत*
*6) महाराष्ट्र :- 45 लाख राजपूत*
*7) गोवा :- 5 लाख राजपूत*
*8) कर्णाटक :- 45 लाख राजपूत*
*9) केरल :- 12 लाख राजपूत*
*10) तमिलनाडु :- 36 लाख राजपूत*
*11) आँध्रप्रदेश :- 24 लाख राजपूत*
*12) छत्तीसगढ़ :- 24 लाख राजपूत*
*13) उड़ीसा :- 37 लाख राजपूत*
*14) झारखण्ड :- 12 लाख राजपूत*
*15) बिहार :- 90 लाख राजपूत*
*16) पश्चिम बंगाल :- 18 लाख राजपूत*
*17) मध्य प्रदेश :- 42 लाख राजपूत*
*18) उत्तर प्रदेश :- 2 करोड़ राजपूत*
*19) उत्तराखंड :- 20 लाख राजपूत*
*20) हिमाचल :- 45 लाख राजपूत*
*21) सिक्किम :- 1 लाख राजपूत*
*22) आसाम :- 10 लाख राजपूत*
*23) मिजोरम :- 1.5 लाख राजपूत*
*24) अरुणाचल :- 1 लाख राजपूत*
*25) नागालैंड :- 2 लाख राजपूत*
*26) मणिपुर :- 7 लाख राजपूत*
*27) मेघालय :- 9 लाख राजपूत*
*28) त्रिपुरा :- 2 लाख राजपूत* 

*सबसे ज्यादा राजपूत वाला राज्य:- उत्तर प्रदेश*
*सबसे कम राजपूत वाला राज्य :- सिक्किम*

*सबसे ज्यादा राजपूत  राजनैतिक वर्चस्व :- पश्चिम बंगाल*

*सबसे ज्यादा प्रतिशत वाला राज्य :- उत्तराखंड में जनसँख्या के 20 % राजपूत*

*अत्यधिक साक्षर राजपूत राज्य :- केरल और हिमाचल*

*सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में राजपूत  :- आसाम*

*सबसे ज्यादा राजपूत मुख्यमंत्री वाला राज्य :- राजस्थान*

*सबसे ज्यादा राजपूत  विधायक वाला राज्य :- उत्तर प्रदेश,*
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*भारत लोकसभा में राजपूत  :- 48 %*
*भारत राज्यसभा में राजपूत  :- 36 %*
*भारत में राजपूत राज्यपाल :- 50 %*
*भारत में राजपूत कैबिनेट सचिव :- 33 %*
*भारत में मंत्री सचिव में राजपूत :- 54%*
*भारत में अतिरिक्त सचिव राजपूत :- 62%*
*भारत में पर्सनल सचिव* *राजपूत :-70%*
*यूनिवर्सिटी में राजपूत* *वाईस चांसलर :- 51%*
*सुप्रीम कोर्ट में राजपूत  जज:- 56%*
*हाई कोर्ट में राजपूत जज:-40 %*
*भारतीय राजदूत राजपूत  :- 41%*
*पब्लिक अंडरटेकिंग राजपूत  :-*
*केंद्रीय : 57%*
*राज्य : 82 %*

*बैंक में राजपूत  : 57 %*
*एयरलाइन्स में राजपूत : 61%*
*IAS राजपूत 72%*
*IPS राजपूत : 61%*
*टीवी कलाकार एव* *बॉलीवुड : राजपूत 83%*
*CBI Custom राजपूत 72%*

*" मिट गये जहां से हमको मिटाने वाले ,*
*कुछ बात है कि हस्ती मिटती नही हमारी !! "*

*इस संदेश को इतना फैलाओ कि हर राजपूत के मोबाईल मे पहुँचे ...!!*

भाईयो आज हम महाराज खेतसिंह के पूर्बज तथा वंशजो के नामो से परिचित होते है !

भाईयो डाभराय वंश का आरम्भ डाभराय से होता है जो कि सृष्टी कर्ता ब्रह्मा के द्बारा उत्पन्न माने जाते है। :-

१-डाभराय के दशरथसेन

२-दशरथसेन के शत्रुगुण

३-शत्रुगुण के प्रभुजीत

४-प्रभुजीत के पुंडरीक

५-पुंडरीक के हेमरक

६-हेमरक के रिखपाल

७-रिखपाल के दीनरिख

८-दीनरिख के पत्रसुन्न

९-पत्रसुन्न के बेणुआ
(इनकी पत्नि नागनीचा)

१०-बेणुआ के महदुआपाल उर्फ महीपाल उर्फ मेनकपाल

११-महीपाल के नर सुल्तान
(इनकी पत्नि निहालदे कीचकगढ़ की थीं )

१२-नरसुल्तान के गूजरमल
(हमीर गढ़ का राज्य किया)

१३-नरसुल्तान के महपाल

१४-महपाल के अजयधीरपाल

१५-अजयधीरपाल के नाहरराय
(मंडोबर का राज्य किया जूनागढ़ मडोबर शाशित प्रदेश था तथा महाराज नाहरराय ने पुष्कर तीर्थ की स्थापना कराई)

१६-नाहरराय के नौधनराय (नौधनराय के १२ पुत्रों से ही हमारा वंश १२ प्रशाखाओं में वटजाता है )

१७-नौधनराय के खेंगेराब (खेंगेराव से ही खंगार वंश का प्रारम्भ होता है खेंगेराब को रावखंगार भी कहा जाता था रावखंगार ने ही कच्छ में मांडली का राज्य किया तथा सोमनाथ का मंदिर बनबाया )

१८-खेंगेराब के भीमजी

१९-भीमजी के उदलजी

२०-उदलजी के रूढ़खंगार (रूढ़खंगार को रायकवाट भी कहा जाता था इनकी पत्नि चित्तोढ़गढ़ के राणासांगा की पुत्री किशोर कुंअर थीं रूढ़खंगार ने संबत ११२५ में जूनागढ़ मे तालाव बनबाया,देबी का मंदिर बनबाया तथा संबत ११३३ में जूनागढ किले का परकोटा बनबाया )

२१-रूढ़खंगार के खेता (खेता ने जसमनगढ़ का तालाब बनबाया, बाग लगबाया तथा अपने भाई कानपाल को जूनागढ़ का राज्य देकर पृथ्वीराज चौहान के साथ दिल्ली आगये और वैसाख सुदी ३-अक्षयतृतीया संबत ११४० मे गढ़कुंडार को जीता तथा संबत ११५३ में अपने कुटुम्ब को भी अपने पास बुला लिया ! खेतसिंह की तीन रानिया एंब एक दासी थी ! जिनकी संतानो का विबरण आगे देने की कोशिश करेंगे ! तथा सिंह को चीर देने के बाद से ही खेतसिंह कहलाये ,आमेरी का किला वनबाया )

२२-खेतसिंह के नंदपाल

२३-नंदपाल के क्षत्रशाल

२४-क्षत्रशाल के खूबसिंह (खूबसिंह की दो रानियॉ थी संबत १३०२ मे गढ़कुडार के किले मे मॉ सिंहबाहिनी का मंदिर वनबाया तथा संबत १३०७ में मूर्ती स्थापित कराई )

२५-खूबसिंह के मानसिंह  (संबत १३०९ में गद्दी संभाली मान सिंह की पुत्री केशरदे(विशालकुंअर) की मॉग की गई दिल्ली शासक द्बारा न देने पर युद्ध हुआ तथा संबत १३१३ मे खंगार सत्ता का पतन )। 🙏

शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

क्षत्रियों के रीति रिवाज जिनकी जानकारी हमारे लिए आवश्यक है।

1.) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !!

2.) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता, हां ,सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हो, तो सर ढकने के लिए हाथ रखें।

3.) पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते।

4.) मटिया, गहरा हरा, नीला, सफेद ये शोक के साफे है।

5.) खम्मा घणी का असली मतलब है "माफ़ करना में आप के सामने बोलने की जुरत कर रहा हूं, जिस का आज के युग में कोई मायने नहीं रहा गया है !!

6.) असल में खम्माघणी , चारण, भाट, राज्यसभा मे ठिकानेदार / राजा /महाराजा के सामने कुछ बोलने की आज्ञा मांगने के लिए प्रयोग करते थे।

7.) ये सरासर गलत बात है की घणी खम्मा, खम्मा-घणी का उत्तर है, असल में दोनों का मतलब एक ही है !!

8.) हर राज के, ठिकाने के, यहाँ Clan/Subclan के इस्थ देवता होते थे, जो की जायदातर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूपों में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार आप का गreet करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की...जय गोपीनाथ जी की ।

9.) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नंगारा, निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!

10.) मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे।

11.) अमल घोलना, चिलम, हुक्का या दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई, बंधु, भाईपे, रिश्तेदारों को एक जाजम पर लाना !!

12.)ढोली के ढोल को "अब बंद करो या ले जायो" नहीं कहा जाता है "पधराओ " कहते हैं।

13.) आज भी कई घरों में तलवार को म्यान से निकालने नहीं देते, क्योंकि तलवार की एक परंपरा है - अगर वो म्यान से बाहर आई तो या तो उनके खून लगेगा, या लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार म्यान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से म्यान में डालते है !!

14.) तोरण मारना इसलिए कहते है क्योकि तोरण एक राक्षश था, जिसने शिवजी के विवाह में बाधा डालने की कोशिश की थी और उसका शिवजी ने वध किया था।

15.) ये कहना गलत है की माताजी के बलि चढाई, माताजी तो माँ है वो भला कैसे किसी प्राणी की बलि ले सकती है, दरअसल बलि माताजी के भेरू (शेर) के लिए चढ़ती है, उसको प्रसन्न करने के लिए।

सोमवार, 11 सितंबर 2017

क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में नमाज और जुम्मे अर्थात शुक्रवार का क्या महत्व है..??

दरअसल यह जानना इसीलिए जरुरी है... क्योंकि... आज दुनिया में हर जगह मुसलमान ""धार्मिक स्वतंत्रता"" का नाम लेकर नमाज़ पढने को लेकर तूफ़ान मचाए हुए हैं.....

और स्थिति तो यह है कि.... मुल्ले कहीं भी चादर बिछा कर नमाज पढ़ने बैठ जाते हैं....
चाहे वो व्यस्ततम सड़क ही क्यों ना हो....!

लेकिन, यह जानकर आपका मुँह खुला का खुला रह जाएगा कि.....

इस्लाम के धार्मिक ग्रन्थ कहे जाने वाले तथाकथित किताब कुरान में .... ""नमाज"" शब्द का कहीं "जिक्र तक नहीं" है...!

हालाँकि... मुझ समेत दुनिया के हरेक लोगों ने नमाज के समय ""मुर्गे की बांग की तरह दिए जाने वाले अजान"" को सुना होगा.... लेकिन, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि....
उस "अजान में भी" नमाज शब्द का कहीं कोई जिक्र नहीं है... बल्कि... उसमे "हय्या अलस्-सलात" कहा जाता है...जिसका अर्थ होता है .... "खुदा की इबादत के लिए आओ"

तो, सबसे बड़ा सवाल ये ही उठता है कि..... आखिर ये नमाज है किस बला का नाम और ... ये शब्द आया कहाँ से ....??????

कुछ कूढ़मगज किस्म के लोगों का मानना है कि.... नमाज एक ""फारसी शब्द"" है.... और, फारसी शब्द का मूल यानी धातु "मसदर" कही जाती है,

लेकिन, मजे की बात यह है कि..... नमाज का मसदर नम हो तो....... नम का अर्थ गीला या भीगा हुआ होता है... मतलब कि .... नहाना या भीग जाना हो गया ....!

परन्तु.... यदि आप इसी ""नम शब्द"" का अर्थ संस्कृत में ढूँढोगे तो.....

संस्कृत में इसी नम का अर्थ है .......""झुकना""

लेकिन... फिर सवाल वहीँ आ खड़ा होता है कि..... झुकना.... लेकिन किसके लिए और क्यों...??????

तो.... इसका जबाब जाहिर है ..... इबादत के लिए.......

लेकिन, किसकी इबादत के लिए......??????

तो जबाब होगा..... खुदा की इबादत के लिए....!!

परन्तु.... इसके बाद तो..... और भी बड़ी समस्या हो जाती है..... क्योंकि...

इस्लाम कि मान्यता के अनुसार तो खुदा ""अज यानी अजन्मा है"".... और, अजन्मा का जब आकार ही नहीं तो इबादत किस ओर .....और... कैसे करें....???

अब मुल्ले कहेंगे कि.... मक्का मदीना की ओर...!!

तो ....

तथ्यों से अब ये स्थापित हो चुका है कि.....

जिसे आज मुसलमान ....मक्का मदीना के नाम से जानते हैं..... उस मक्का मदीना का प्राचीन नाम मख-मेदीनी है....वहां गुरू शुक्राचार्य का मठ था..., जिसे मोहम्मद ने तोड़ दिया....!

और.... अगर मुसलमानों को ये बात नहीं मालूम है तो मैं उन्हें बता दूँ कि....

उस ज़माने में गुरू शुक्राचार्य के मठ में पूजा तथा यज्ञ "अज" अर्थात भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए होता था..... एवं...... यज्ञों में पूजा आहुति देकर होती ही होती है ...

और, यह हम सभी जानते हैं कि..... किसी भी यज्ञ मे आहुति हमेशा ही बैठ कर या झुक कर ही प्रदान की जाती है... इसीलिए , मुसलमान उसी तर्ज़ पर झुक कर ही नमाज पढ़ते हैं....!

और, वहां के गुरु शुक्राचार्य थे..... इसीलिए, शुक्राचार्य के नाम पर ""शुक्र"" का दिन मुसलमानों के लिए ""बड़ा"" हो गया ....

और, ""शुक्र"" का फ़ारसी अनुवाद ""जुम्मा"" होता है ... इसीलिए, मुसलमानों के लिए ""जुम्मे का दिन भी बड़ा"" हो गया ....!!

और, जहाँ तक बात रह गई नमाज के दौरान दिए जाने वाले अजान की तो......

अब अजान की क्या कहानी है... और.. इसकी शुरुआत कैसे हुई.... जरा इसे भी समझ लें...!

हुआ कुछ यूँ कि..... जब मुहम्मद मक्का से मदीना आए, तो एक रोज़ इकठ्ठा हो कर सलाह मशविरा किया कि ... नमाज़ियों को नमाज़ का वक्त बताने के लिए कि क्या तरीका अपनाया जाए ...!

इसपर... सभी ने अपनी-अपनी राय पेश कीं....

और, किसी ने राय दी कि.. यहूदियों की तर्ज़ पर सींग बजाई जाए... तो किसी ने हिन्दू की तर्ज़ पर नाक़ूश (शंख) फूंकने की राय दी.. तो किसी ने कुछ किसी ने कुछ....!

मुहम्मद चुपचाप सब की राय को सुनते रहे.... मगर अंत में उनको उमर की ये राय पसंद आई कि...... अज़ान के बाकायदा एक बोल बनाए जाएँ.... और, उस बोल को बाआवाज़ बुलंद पुकारा जाए.....

इस पर मुहम्मद ने बिलाल को हुक्म दिया.... उठो बिलाल अज़ान दो." (बुखारी ३५३)

इस तरह ... अज़ान चन्द लोगों के बीच किया गया एक मजाकिया फैसला था ....जिस में मुहम्मद के जेहनी गुलामों की सियासी टोली थी...!!

🙏 जय महाकाल...!!🙏

रविवार, 10 सितंबर 2017

गलत कर्मों का खामियाजा भुगतना ही पड़ता है,बाद में आंखें खुलतीं हैं !

कमला दास केरल की जानी मानी लेखिका थी ...
जो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थी ...और केरल की रायल परिवार से थी और नायर थी ... पति के निधन के बाद ये अकेलेपन में थी ... पति के निधन के समय इनकी उम्र 65 साल थी ... लेकिन फिर भी इनके अंदर सेक्सुअल इच्छाए भरी थी ...।

तीन काफी बड़े बच्चे थे जो बड़ी बड़ी पोस्ट पर थे ..एक बेटा माधव दास नलपत टाइम्स ऑफ़ इंडिया का चीफ एडिटर था जो बाद में यूनेस्को का बड़ा अधिकारी भी बना ... उसकी पत्नी त्रावनकोर स्टेट की राजकुमारी है ..।
एक बेटा चिम्मन दास विदेश सेवा का अधिकारी है और एक बेटा केरल में कांग्रेस से विधायक है ...।

इनके घर पर इनके बेटे का एक मित्र अब्दुसमद समदानी उर्फ़ सादिक अली जो मुस्लिम लीग पार्टी का सांसद था और उनसे उम्र में 32 साल छोटा था वो आता जाता था ... ।

उस मुस्लिम लीग के सांसद ने अपनी माँ की उम्र की कमला पर डोरे डाले और उन्हें अपने प्रेम जाल नही बल्कि सेक्स जाल में फंसा लिया .. क्योकि खुद कमला ने अपने और समदानी के बीच के मुलाकातों का वर्णन ऐसे किया है जैसे "मस्तराम" की सडकछाप किताबो में होता है .. ।

और कमला ने लिखा है की उम्र बढने के साथ साथ उनकी सेक्स की चाहत भी पता नही क्यों बढने लगी है ... और मेरे सेक्स की चाहत को अब्दुसमद समदानी ने मिटाने को तैयार हुआ इसलिए मै उसकी मुरीद बन गयी ...।

फिर बाद में कमला ने #इस्लाम स्वीकार करके अपना नाम कमला सुरैया रख लिखा ... तीनो बेटे अपनी माँ के इस कुकर्मो से इतने आहत हुए की उन्होंने अपनी माँ से सभी सम्बन्ध तोड़ लिए ...।

सबसे चौकाने वाली खबर ये थी की उनके इस्लाम कुबूल करने पर सऊदी अरब के प्रिंस ने अपना दूत उनके घर भेजकर उन्हें गुलदस्ता भेजा था और भारत सरकार ने इसका विरोध नही किया ..।

फिर 2009 में उन्हें कैंसर हुआ .. और केरल सरकार ने उन्हें पहले मुंबई फिर बाद में पुणे की एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया ... तीनो बेटो और सभी रिश्तेदारों ने पहले ही उनसे सम्बन्ध तोड़ लिए थे ... और उनका मुस्लिम पति जिसकी वो तीसरी बीबी थी वो एक बार भी उनका हालचाल लेने नही गया था ...।

मरने के पहले उन्होंने लिखा "काश मुझे किसी ने तभी गोली मार दी होती जब मै समदानी के सेक्स जाल में फंस गयी थी ... मुझे पता ही नही चला की मुझे सिर्फ राजनीतिक साजिश के तहत केरल की हिन्दू महिलाओ को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए ही फंसाया गया था और इसमें सऊदी अरब के कई लोग काफी हद तक शामिल है ...।

पुरे आठ महीने तक अस्पताल में तडप तडप कर अपने बेटो और पोतो को याद करते करते उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए .. फिर केरल सरकार ने उन्हें मालाबार के जामा मस्जिद के बगल में कब्रिस्तान में दफना दिया।

अब ये देखो..
जिस #हिंदूधर्म में पता कौन से अच्छे कर्मों से इसने जन्म लिया....फिर पैसों के लालच में धर्मपरिवर्तन करके #मुसलिम...बन गया....#लालचियों को भारत कभी भी पसंद आ ही नहीं सकता...पता नहीं किसका नमक खाकर नमकहरामी पर उतर आते है...चला जा बे...जहां तुम्हे कोई दूसर भारत नसीब हो...#गौरी लंकेश को मार दिया, ये भारत ठीक नहीं, यहाँ आवाज को दबाया जाता है : ए आर रहमान .

टीवी और कैमरे के सामने बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोग अक्सर अपना असली रंग दिखा ही जाते है और रहमान ने भी दिखा दिया कि उनका असली रंग क्या है दरअसल बंगलौर में वामी और फर्जी पत्रकार, ऐसी पत्रकार  जिसे कोर्ट ने फर्जी पत्रकारिता के लिए 6 महीने की सजा सुनाई हुई थी, और वो जमानत पर थी हम बात कर रहे है गौरी लंकेश की, उसकी हत्या नक्सलियों ने की ,राज्य की पुलिस जो कि कांग्रेस के अधीन है वो भी नक्सली एंगेल की जांचकर रही है, वहीँ गौरी लंकेश के भाई ने भी नक्सली हमले की बात ही कही है और बताया है कि नक्सली उनकी बहन से गुस्से में थे और उन्हें धमकियाँ दी गयी थी अब गौरी लंकेश की हत्या हुई और रहमान ने भारत को असहिष्णु बता दिया रहमान ने कहा कि ये वो भारत नहीं है, ये मेरा वाला भारत नहीं है, यहाँ तो लोगों की आवाज दबाई जा रही है ,गौरी लंकेश की हत्या के बाद रहमान को भारत ख़राब लगने लगा है वैसे इसी कर्णाटक और पडोसी राज्य केरल में हिन्दुओ की बर्बरता से आये दिन हत्या की जाती है, कभी जिन्दा जलाकर तो कभी धारदार हथियारों से काटकर पर हिन्दुओ की होती हत्याओं पर रहमान के मुँह से आजतक 1 भी शब्द नहीं निकल सका है ये ही तो इनका मानवतावाद है जो की दोगलेपन से भरा है !

पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, अफगानिस्तान, ईरान में हिंदुओं के खात्मे के बाद अब भारत में भी संकट में हिन्दुओं का अस्तित्व…

1. कोई धर्म या समुदाय कब तक सुरक्षित रह सकता है या माना जा सकता है ? इस सवाल का जबाब हम सभी जानते हैं, लेकिन इस सवाल का जबाब सभी लोग अपने-अपने तरीके से देना चाहेंगे। इसका एक जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म का कोई राष्ट्र नहीं है तो आप इंतजार कीजिए अपने धर्म को खोने का और एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपने धर्म के अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद से जूझना पड़ेगा।

2. इसका दूसरा जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म के लोगों की जन्मदर कम होती जा जाएगी तो निश्चित ही आपके पास लड़ने के लिए सैनिक नहीं होंगे। और जब सैनिक नहीं होंगे तो युद्ध की स्थिति में आपको हार का मुँह देखना पड़ सकता है और हार का मतलब है आपके धर्म पर अत्याचार।

3. तीसरा जवाब यह है कि यदि आपका धर्म आपको अहिंसा और सहिष्णुता सिखा रहा है तो निश्‍चित ही आप एक दिन खुद को घिरा हुआ पाएंगे।

4. इसका चौथा जवाब यह हो सकता है कि धर्म से बढ़कर है इंसानियत। खून-खराबे से कभी किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।

5. इसका पांचवां जवाब यह हो सकता है कि जनसंख्या या राष्‍ट्र के होने से बढ़कर जरूरी है विकास और तकनीक में उक्त समुदाय का आगे होना।

अब आप किसी भी जवाब को अपना जवाब बना सकते हैं। वामपंथियों के पास सभवत: और भी अद्भुत जवाब हो सकते हैं।

दुनिया की आबादी लगभग 7 अरब से ज्यादा है जिसमें से 2.2 अरब ईसाई और सवा अरब मुसलमान हैं और लगभग इतने ही बौद्ध। पूरी दुनिया में ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और बौद्ध राष्ट्र अस्तित्व में हैं। हालांकि प्रथम 2 ही धर्म की नीतियों के कारण उनका कई राष्ट्रों और क्षेत्रों पर दबदबा कायम है।

उक्त धर्मों की छत्रछाया में कई जगहों पर अल्पसंख्‍यक अपना अस्तित्व खो चुके हैं या खो रहे हैं तो कुछ जगहों पर उनके अस्तित्व को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा भी ऐसे कई मामले हैं जिसमें उक्त धर्मों के दखल न देने के बावजूद वे धर्म अपना अस्तित्व खो रहे हैं।

आइये अब बात करते है पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म के अस्तित्व पर मंडराते संकट की…

एक जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं। नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।

कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था, लेकिन आज कहीं भी उनका शासन नहीं है। अब वे एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप संप्रदायों को गैर हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने की साजिश भी जारी है।

अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं क्योंकि जरूरी नहीं है कि यह एक धार्मिक समस्या ही हो, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। आप तर्क द्वारा इसे धार्मिक समस्या से अलग कर सकते हैं या मुंह छुपा कर जी सकते हैं ।

बर्मा के बौद्ध गुरु विराथु जी ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो...

जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है ..
वैसे ही विराथु ने '९६९ ' का नंबर निकाला ... और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया ... कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपने जगह पर लगायें ...

इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर... दूकान वालों ने दूकान पर .... इसको लगाना शुरू किया ... लेकिन विराथु का सन्देश साफ़ था ... कि हम बौद्ध अपने सारे खरीदारी और व्यापार वहीँ करेंगे जहां ये स्टीकर लगा होगा ... .किसी को टैक्सी में चढ़ना हो तो उसी टैक्सी में चढ़ेंगे जिसके ऊपर ये स्टीकर होगा .... उसी रेस्टोरेंट में खायेंगे जहां ये स्टीकर होगा ।

उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है ऐसी हालत में मुस्लिम सऊदी से आये पैसों के दम पर अपने माल को कम कीमत पर बेच कर आपको आकर्षित करे ... लेकिन आप ध्यान रखना ... आप दो पैसा ज्यादा देना ... और सोचना कि आपने अपने देश के लिए पैसा लगाया है ... दो पैसे कम में खरीद कर मातृभूमि से गद्दारी मत करना .... वो आपके पैसे आपको ही मिटाने में लगाते हैं...मुर्खता मत करना ...

दोस्तों ... हालत ये हो गए .. कि मुस्लिम के व्यापार ठप्प पड़ गए... मुस्लिम इतने आतंकित हुए कि इस स्टीकर लगे टैक्सी को चढ़ना तो दूर ... किनारे से कन्नी काटने लगे... पुरे देश में मुसलमानों के होश ठिकाने आ गए ... और फिर ये स्टीकर एक तरह से देशभक्ति का प्रमाण बन गया... उनके जिहाद का जवाब बन गया.... और इस अनोखे आईडिया का प्रभाव आप देख सकते हैं कि आज बर्मा से मुस्लिम भाग चुके हैं...

अगर आप भी इन मुसलमानो की अकल ठिकाने लगाने चाहते है तो सिर्फ हिन्दुओ व आर्यो से ही व्यापार करे।

अगर सभी हिन्दू भाई अपनी कार्यस्थलो पर का या जय श्री राम का स्टिकर लगाये तो मुस्लिम जिहाद को बहुत बड़ी चोट पहुंचाई जा सकती है।