शुक्रवार, 15 सितंबर 2017

क्षत्रियों के रीति रिवाज जिनकी जानकारी हमारे लिए आवश्यक है।

1.) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !!

2.) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता, हां ,सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हो, तो सर ढकने के लिए हाथ रखें।

3.) पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते।

4.) मटिया, गहरा हरा, नीला, सफेद ये शोक के साफे है।

5.) खम्मा घणी का असली मतलब है "माफ़ करना में आप के सामने बोलने की जुरत कर रहा हूं, जिस का आज के युग में कोई मायने नहीं रहा गया है !!

6.) असल में खम्माघणी , चारण, भाट, राज्यसभा मे ठिकानेदार / राजा /महाराजा के सामने कुछ बोलने की आज्ञा मांगने के लिए प्रयोग करते थे।

7.) ये सरासर गलत बात है की घणी खम्मा, खम्मा-घणी का उत्तर है, असल में दोनों का मतलब एक ही है !!

8.) हर राज के, ठिकाने के, यहाँ Clan/Subclan के इस्थ देवता होते थे, जो की जायदातर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूपों में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार आप का गreet करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की...जय गोपीनाथ जी की ।

9.) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नंगारा, निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!

10.) मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे।

11.) अमल घोलना, चिलम, हुक्का या दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई, बंधु, भाईपे, रिश्तेदारों को एक जाजम पर लाना !!

12.)ढोली के ढोल को "अब बंद करो या ले जायो" नहीं कहा जाता है "पधराओ " कहते हैं।

13.) आज भी कई घरों में तलवार को म्यान से निकालने नहीं देते, क्योंकि तलवार की एक परंपरा है - अगर वो म्यान से बाहर आई तो या तो उनके खून लगेगा, या लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार म्यान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से म्यान में डालते है !!

14.) तोरण मारना इसलिए कहते है क्योकि तोरण एक राक्षश था, जिसने शिवजी के विवाह में बाधा डालने की कोशिश की थी और उसका शिवजी ने वध किया था।

15.) ये कहना गलत है की माताजी के बलि चढाई, माताजी तो माँ है वो भला कैसे किसी प्राणी की बलि ले सकती है, दरअसल बलि माताजी के भेरू (शेर) के लिए चढ़ती है, उसको प्रसन्न करने के लिए।

सोमवार, 11 सितंबर 2017

क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में नमाज और जुम्मे अर्थात शुक्रवार का क्या महत्व है..??

दरअसल यह जानना इसीलिए जरुरी है... क्योंकि... आज दुनिया में हर जगह मुसलमान ""धार्मिक स्वतंत्रता"" का नाम लेकर नमाज़ पढने को लेकर तूफ़ान मचाए हुए हैं.....

और स्थिति तो यह है कि.... मुल्ले कहीं भी चादर बिछा कर नमाज पढ़ने बैठ जाते हैं....
चाहे वो व्यस्ततम सड़क ही क्यों ना हो....!

लेकिन, यह जानकर आपका मुँह खुला का खुला रह जाएगा कि.....

इस्लाम के धार्मिक ग्रन्थ कहे जाने वाले तथाकथित किताब कुरान में .... ""नमाज"" शब्द का कहीं "जिक्र तक नहीं" है...!

हालाँकि... मुझ समेत दुनिया के हरेक लोगों ने नमाज के समय ""मुर्गे की बांग की तरह दिए जाने वाले अजान"" को सुना होगा.... लेकिन, यह जानकर आपके हैरानी की सीमा नहीं रहेगी कि....
उस "अजान में भी" नमाज शब्द का कहीं कोई जिक्र नहीं है... बल्कि... उसमे "हय्या अलस्-सलात" कहा जाता है...जिसका अर्थ होता है .... "खुदा की इबादत के लिए आओ"

तो, सबसे बड़ा सवाल ये ही उठता है कि..... आखिर ये नमाज है किस बला का नाम और ... ये शब्द आया कहाँ से ....??????

कुछ कूढ़मगज किस्म के लोगों का मानना है कि.... नमाज एक ""फारसी शब्द"" है.... और, फारसी शब्द का मूल यानी धातु "मसदर" कही जाती है,

लेकिन, मजे की बात यह है कि..... नमाज का मसदर नम हो तो....... नम का अर्थ गीला या भीगा हुआ होता है... मतलब कि .... नहाना या भीग जाना हो गया ....!

परन्तु.... यदि आप इसी ""नम शब्द"" का अर्थ संस्कृत में ढूँढोगे तो.....

संस्कृत में इसी नम का अर्थ है .......""झुकना""

लेकिन... फिर सवाल वहीँ आ खड़ा होता है कि..... झुकना.... लेकिन किसके लिए और क्यों...??????

तो.... इसका जबाब जाहिर है ..... इबादत के लिए.......

लेकिन, किसकी इबादत के लिए......??????

तो जबाब होगा..... खुदा की इबादत के लिए....!!

परन्तु.... इसके बाद तो..... और भी बड़ी समस्या हो जाती है..... क्योंकि...

इस्लाम कि मान्यता के अनुसार तो खुदा ""अज यानी अजन्मा है"".... और, अजन्मा का जब आकार ही नहीं तो इबादत किस ओर .....और... कैसे करें....???

अब मुल्ले कहेंगे कि.... मक्का मदीना की ओर...!!

तो ....

तथ्यों से अब ये स्थापित हो चुका है कि.....

जिसे आज मुसलमान ....मक्का मदीना के नाम से जानते हैं..... उस मक्का मदीना का प्राचीन नाम मख-मेदीनी है....वहां गुरू शुक्राचार्य का मठ था..., जिसे मोहम्मद ने तोड़ दिया....!

और.... अगर मुसलमानों को ये बात नहीं मालूम है तो मैं उन्हें बता दूँ कि....

उस ज़माने में गुरू शुक्राचार्य के मठ में पूजा तथा यज्ञ "अज" अर्थात भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए होता था..... एवं...... यज्ञों में पूजा आहुति देकर होती ही होती है ...

और, यह हम सभी जानते हैं कि..... किसी भी यज्ञ मे आहुति हमेशा ही बैठ कर या झुक कर ही प्रदान की जाती है... इसीलिए , मुसलमान उसी तर्ज़ पर झुक कर ही नमाज पढ़ते हैं....!

और, वहां के गुरु शुक्राचार्य थे..... इसीलिए, शुक्राचार्य के नाम पर ""शुक्र"" का दिन मुसलमानों के लिए ""बड़ा"" हो गया ....

और, ""शुक्र"" का फ़ारसी अनुवाद ""जुम्मा"" होता है ... इसीलिए, मुसलमानों के लिए ""जुम्मे का दिन भी बड़ा"" हो गया ....!!

और, जहाँ तक बात रह गई नमाज के दौरान दिए जाने वाले अजान की तो......

अब अजान की क्या कहानी है... और.. इसकी शुरुआत कैसे हुई.... जरा इसे भी समझ लें...!

हुआ कुछ यूँ कि..... जब मुहम्मद मक्का से मदीना आए, तो एक रोज़ इकठ्ठा हो कर सलाह मशविरा किया कि ... नमाज़ियों को नमाज़ का वक्त बताने के लिए कि क्या तरीका अपनाया जाए ...!

इसपर... सभी ने अपनी-अपनी राय पेश कीं....

और, किसी ने राय दी कि.. यहूदियों की तर्ज़ पर सींग बजाई जाए... तो किसी ने हिन्दू की तर्ज़ पर नाक़ूश (शंख) फूंकने की राय दी.. तो किसी ने कुछ किसी ने कुछ....!

मुहम्मद चुपचाप सब की राय को सुनते रहे.... मगर अंत में उनको उमर की ये राय पसंद आई कि...... अज़ान के बाकायदा एक बोल बनाए जाएँ.... और, उस बोल को बाआवाज़ बुलंद पुकारा जाए.....

इस पर मुहम्मद ने बिलाल को हुक्म दिया.... उठो बिलाल अज़ान दो." (बुखारी ३५३)

इस तरह ... अज़ान चन्द लोगों के बीच किया गया एक मजाकिया फैसला था ....जिस में मुहम्मद के जेहनी गुलामों की सियासी टोली थी...!!

🙏 जय महाकाल...!!🙏

रविवार, 10 सितंबर 2017

गलत कर्मों का खामियाजा भुगतना ही पड़ता है,बाद में आंखें खुलतीं हैं !

कमला दास केरल की जानी मानी लेखिका थी ...
जो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थी ...और केरल की रायल परिवार से थी और नायर थी ... पति के निधन के बाद ये अकेलेपन में थी ... पति के निधन के समय इनकी उम्र 65 साल थी ... लेकिन फिर भी इनके अंदर सेक्सुअल इच्छाए भरी थी ...।

तीन काफी बड़े बच्चे थे जो बड़ी बड़ी पोस्ट पर थे ..एक बेटा माधव दास नलपत टाइम्स ऑफ़ इंडिया का चीफ एडिटर था जो बाद में यूनेस्को का बड़ा अधिकारी भी बना ... उसकी पत्नी त्रावनकोर स्टेट की राजकुमारी है ..।
एक बेटा चिम्मन दास विदेश सेवा का अधिकारी है और एक बेटा केरल में कांग्रेस से विधायक है ...।

इनके घर पर इनके बेटे का एक मित्र अब्दुसमद समदानी उर्फ़ सादिक अली जो मुस्लिम लीग पार्टी का सांसद था और उनसे उम्र में 32 साल छोटा था वो आता जाता था ... ।

उस मुस्लिम लीग के सांसद ने अपनी माँ की उम्र की कमला पर डोरे डाले और उन्हें अपने प्रेम जाल नही बल्कि सेक्स जाल में फंसा लिया .. क्योकि खुद कमला ने अपने और समदानी के बीच के मुलाकातों का वर्णन ऐसे किया है जैसे "मस्तराम" की सडकछाप किताबो में होता है .. ।

और कमला ने लिखा है की उम्र बढने के साथ साथ उनकी सेक्स की चाहत भी पता नही क्यों बढने लगी है ... और मेरे सेक्स की चाहत को अब्दुसमद समदानी ने मिटाने को तैयार हुआ इसलिए मै उसकी मुरीद बन गयी ...।

फिर बाद में कमला ने #इस्लाम स्वीकार करके अपना नाम कमला सुरैया रख लिखा ... तीनो बेटे अपनी माँ के इस कुकर्मो से इतने आहत हुए की उन्होंने अपनी माँ से सभी सम्बन्ध तोड़ लिए ...।

सबसे चौकाने वाली खबर ये थी की उनके इस्लाम कुबूल करने पर सऊदी अरब के प्रिंस ने अपना दूत उनके घर भेजकर उन्हें गुलदस्ता भेजा था और भारत सरकार ने इसका विरोध नही किया ..।

फिर 2009 में उन्हें कैंसर हुआ .. और केरल सरकार ने उन्हें पहले मुंबई फिर बाद में पुणे की एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया ... तीनो बेटो और सभी रिश्तेदारों ने पहले ही उनसे सम्बन्ध तोड़ लिए थे ... और उनका मुस्लिम पति जिसकी वो तीसरी बीबी थी वो एक बार भी उनका हालचाल लेने नही गया था ...।

मरने के पहले उन्होंने लिखा "काश मुझे किसी ने तभी गोली मार दी होती जब मै समदानी के सेक्स जाल में फंस गयी थी ... मुझे पता ही नही चला की मुझे सिर्फ राजनीतिक साजिश के तहत केरल की हिन्दू महिलाओ को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए ही फंसाया गया था और इसमें सऊदी अरब के कई लोग काफी हद तक शामिल है ...।

पुरे आठ महीने तक अस्पताल में तडप तडप कर अपने बेटो और पोतो को याद करते करते उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए .. फिर केरल सरकार ने उन्हें मालाबार के जामा मस्जिद के बगल में कब्रिस्तान में दफना दिया।

अब ये देखो..
जिस #हिंदूधर्म में पता कौन से अच्छे कर्मों से इसने जन्म लिया....फिर पैसों के लालच में धर्मपरिवर्तन करके #मुसलिम...बन गया....#लालचियों को भारत कभी भी पसंद आ ही नहीं सकता...पता नहीं किसका नमक खाकर नमकहरामी पर उतर आते है...चला जा बे...जहां तुम्हे कोई दूसर भारत नसीब हो...#गौरी लंकेश को मार दिया, ये भारत ठीक नहीं, यहाँ आवाज को दबाया जाता है : ए आर रहमान .

टीवी और कैमरे के सामने बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोग अक्सर अपना असली रंग दिखा ही जाते है और रहमान ने भी दिखा दिया कि उनका असली रंग क्या है दरअसल बंगलौर में वामी और फर्जी पत्रकार, ऐसी पत्रकार  जिसे कोर्ट ने फर्जी पत्रकारिता के लिए 6 महीने की सजा सुनाई हुई थी, और वो जमानत पर थी हम बात कर रहे है गौरी लंकेश की, उसकी हत्या नक्सलियों ने की ,राज्य की पुलिस जो कि कांग्रेस के अधीन है वो भी नक्सली एंगेल की जांचकर रही है, वहीँ गौरी लंकेश के भाई ने भी नक्सली हमले की बात ही कही है और बताया है कि नक्सली उनकी बहन से गुस्से में थे और उन्हें धमकियाँ दी गयी थी अब गौरी लंकेश की हत्या हुई और रहमान ने भारत को असहिष्णु बता दिया रहमान ने कहा कि ये वो भारत नहीं है, ये मेरा वाला भारत नहीं है, यहाँ तो लोगों की आवाज दबाई जा रही है ,गौरी लंकेश की हत्या के बाद रहमान को भारत ख़राब लगने लगा है वैसे इसी कर्णाटक और पडोसी राज्य केरल में हिन्दुओ की बर्बरता से आये दिन हत्या की जाती है, कभी जिन्दा जलाकर तो कभी धारदार हथियारों से काटकर पर हिन्दुओ की होती हत्याओं पर रहमान के मुँह से आजतक 1 भी शब्द नहीं निकल सका है ये ही तो इनका मानवतावाद है जो की दोगलेपन से भरा है !

पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, अफगानिस्तान, ईरान में हिंदुओं के खात्मे के बाद अब भारत में भी संकट में हिन्दुओं का अस्तित्व…

1. कोई धर्म या समुदाय कब तक सुरक्षित रह सकता है या माना जा सकता है ? इस सवाल का जबाब हम सभी जानते हैं, लेकिन इस सवाल का जबाब सभी लोग अपने-अपने तरीके से देना चाहेंगे। इसका एक जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म का कोई राष्ट्र नहीं है तो आप इंतजार कीजिए अपने धर्म को खोने का और एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपने धर्म के अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद से जूझना पड़ेगा।

2. इसका दूसरा जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म के लोगों की जन्मदर कम होती जा जाएगी तो निश्चित ही आपके पास लड़ने के लिए सैनिक नहीं होंगे। और जब सैनिक नहीं होंगे तो युद्ध की स्थिति में आपको हार का मुँह देखना पड़ सकता है और हार का मतलब है आपके धर्म पर अत्याचार।

3. तीसरा जवाब यह है कि यदि आपका धर्म आपको अहिंसा और सहिष्णुता सिखा रहा है तो निश्‍चित ही आप एक दिन खुद को घिरा हुआ पाएंगे।

4. इसका चौथा जवाब यह हो सकता है कि धर्म से बढ़कर है इंसानियत। खून-खराबे से कभी किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।

5. इसका पांचवां जवाब यह हो सकता है कि जनसंख्या या राष्‍ट्र के होने से बढ़कर जरूरी है विकास और तकनीक में उक्त समुदाय का आगे होना।

अब आप किसी भी जवाब को अपना जवाब बना सकते हैं। वामपंथियों के पास सभवत: और भी अद्भुत जवाब हो सकते हैं।

दुनिया की आबादी लगभग 7 अरब से ज्यादा है जिसमें से 2.2 अरब ईसाई और सवा अरब मुसलमान हैं और लगभग इतने ही बौद्ध। पूरी दुनिया में ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और बौद्ध राष्ट्र अस्तित्व में हैं। हालांकि प्रथम 2 ही धर्म की नीतियों के कारण उनका कई राष्ट्रों और क्षेत्रों पर दबदबा कायम है।

उक्त धर्मों की छत्रछाया में कई जगहों पर अल्पसंख्‍यक अपना अस्तित्व खो चुके हैं या खो रहे हैं तो कुछ जगहों पर उनके अस्तित्व को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा भी ऐसे कई मामले हैं जिसमें उक्त धर्मों के दखल न देने के बावजूद वे धर्म अपना अस्तित्व खो रहे हैं।

आइये अब बात करते है पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म के अस्तित्व पर मंडराते संकट की…

एक जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं। नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।

कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था, लेकिन आज कहीं भी उनका शासन नहीं है। अब वे एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप संप्रदायों को गैर हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने की साजिश भी जारी है।

अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं क्योंकि जरूरी नहीं है कि यह एक धार्मिक समस्या ही हो, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। आप तर्क द्वारा इसे धार्मिक समस्या से अलग कर सकते हैं या मुंह छुपा कर जी सकते हैं ।

बर्मा के बौद्ध गुरु विराथु जी ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो...

जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है ..
वैसे ही विराथु ने '९६९ ' का नंबर निकाला ... और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया ... कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपने जगह पर लगायें ...

इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर... दूकान वालों ने दूकान पर .... इसको लगाना शुरू किया ... लेकिन विराथु का सन्देश साफ़ था ... कि हम बौद्ध अपने सारे खरीदारी और व्यापार वहीँ करेंगे जहां ये स्टीकर लगा होगा ... .किसी को टैक्सी में चढ़ना हो तो उसी टैक्सी में चढ़ेंगे जिसके ऊपर ये स्टीकर होगा .... उसी रेस्टोरेंट में खायेंगे जहां ये स्टीकर होगा ।

उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है ऐसी हालत में मुस्लिम सऊदी से आये पैसों के दम पर अपने माल को कम कीमत पर बेच कर आपको आकर्षित करे ... लेकिन आप ध्यान रखना ... आप दो पैसा ज्यादा देना ... और सोचना कि आपने अपने देश के लिए पैसा लगाया है ... दो पैसे कम में खरीद कर मातृभूमि से गद्दारी मत करना .... वो आपके पैसे आपको ही मिटाने में लगाते हैं...मुर्खता मत करना ...

दोस्तों ... हालत ये हो गए .. कि मुस्लिम के व्यापार ठप्प पड़ गए... मुस्लिम इतने आतंकित हुए कि इस स्टीकर लगे टैक्सी को चढ़ना तो दूर ... किनारे से कन्नी काटने लगे... पुरे देश में मुसलमानों के होश ठिकाने आ गए ... और फिर ये स्टीकर एक तरह से देशभक्ति का प्रमाण बन गया... उनके जिहाद का जवाब बन गया.... और इस अनोखे आईडिया का प्रभाव आप देख सकते हैं कि आज बर्मा से मुस्लिम भाग चुके हैं...

अगर आप भी इन मुसलमानो की अकल ठिकाने लगाने चाहते है तो सिर्फ हिन्दुओ व आर्यो से ही व्यापार करे।

अगर सभी हिन्दू भाई अपनी कार्यस्थलो पर का या जय श्री राम का स्टिकर लगाये तो मुस्लिम जिहाद को बहुत बड़ी चोट पहुंचाई जा सकती है।

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

👍👌 इतिहास का सच 👍👌

हेडगेवार ने कहा, "हिन्दुओ की रक्षा के लिए कांग्रेस छोड़ RSS नहीं बनाता तो गजवा हिन्द हो जाता भारत"।

संसद में मोदी ने हामिद मियां पर तंज कसते हुए कहा था कि आपके परिवार के लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था जिस पर हामिद मियां खींसे निपोरते रह गए, तो आखिर क्या था खिलाफत आंदोलन? जिसे सुनते ही हामिद मियां और कांग्रेस असहज हो उठी?

खिलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान लें, खलीफा एक अरबी शब्द है जिसे अंग्रेज़ी में Caliph (खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है, तो कौन होता है खलीफा?
खलीफा मुसलमानों का वह धार्मिक शासक (सुल्तान) होता है जिसे मुसलमान मुहम्मद साहब का वारिस या successor मानते हैं, खलीफा का काम होता है युद्ध कर के पूरे विश्व पर इस्लाम का निज़ाम कायम करना (जो कश्मीर में बुरहान वानी करना चाहता था), यानी इस्लाम की ऐसी हुकूमत कायम करना जिसमे इस्लामिक यानी शरीया कानून चले और जिसमे इस्लाम के अलावा किसी और धर्म की इजाज़त नही होती है, जितने हिस्से या राज्य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा में Khilafa (खिलाफा) कहते हैं, खलीफा यानी इस्लामिक सुल्तान और खिलाफा यानी इस्लामिक राज्य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तुर्की में ओटोमन वंश के आखिरी सुन्नी खलीफा अब्दुल हमीद-2 का खिलाफा यानी शासन चल रहा था जो कि जल्दी ही धराशाई होने वाला था, इस आखिरी इस्लामिक खिलाफा (शासन) को बचाने के लिए अब्दुल हमीद-2 ने जिहाद का आवाहन किया ताकि विश्व के मुसलमान एक हो कर इस आखिरी खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने आगे आएं, पूरे विश्व मे इसकी कोई प्रतिक्रिया नही हुई सिवाए भारत के, भारत के अलावा एशिया का कोई भी दूसरा देश इस मुहिम का हिस्सा नही बना..

लेकिन भारत के कुछ मुट्ठी भर गद्दार मुसलमान इस मुहिम से जुड़ गए और हज़ारों-लाखों किलोमीटर दूर सात समंदर पार तुर्की के खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने और अंग्रेज़ों पर दबाव बनाने निकल पड़े, जबकि इस समय भारत खुद गुलाम था और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अंतः 1922 में तुर्की से सुलतान के इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंका गया और वहाँ सेक्युलर लोकतंत्र राज्य की स्थापना हुई और कट्टर मुसलमानों का पूरे विश्व पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपने को संजोए आजकल ISIS काम कर रहा है..

भारत के चंद मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा एक आंदोलन खड़ा किया जिसका नाम था खिलाफा आंदोलन (Caliphate movement) अब क्योंकि अंग्रेज़ी में लिखे जाने पर इसका हिन्दी उच्चारण खलिफत होता है (अरबी में caliphate को khilafa=खिलाफा लिखते है) तो कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई से इसका नाम खिलाफत आंदोलन रख दिया ताकि देश की जनता को मूर्ख बनाया जा सके और लोगों को लगे कि यह खिलाफत आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ है, जबकि इसका असल मकसद purely religious यानी पूर्णतः धार्मिक था..

इसका भारत की आज़ादी या उसके आंदोलन से कोई लेना देना नही था, कुछ समझ मे आया? कैसे शब्दों की बाज़ीगरी से जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था, कैसे खलिफत को खिलाफत बताया जा रहा था, (ठीक वैसे ही जैसे Feroze Khan Ghandi (घांदी) को Feroze Gandhi (फ़िरोज़ गांधी) बना दिया गया)..

उस समय भारत मे इतने पढ़े लिखे लोग और नेता नही थे कि गांधी नेहरू की इस चाल को समझ सकें, लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस में एक पढ़ा लिखा शख्स मौजूद था जिसका नाम था डॉ. केशव बलिराम हेगड़ेवार, इस शख्स ने इस आंदोलन का जम कर विरोध किया क्योंकि खिलाफा सिर्फ तुर्की तक सीमित नही रहना था, इसका उद्देश्य तो पूरे विश्व पर इस्लाम की हुकूमत कायम करना था जिसमे गज़वा-ए-हिन्द यानी भारत भी शामिल था, डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के गांधी और नेहरू को बहुत समझने की कोशिश की लेकिन वे नही माने..

अंतः डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के इस खिलाफत आंदोलन का विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी, तो अब समझ मे आया मित्रों की कांग्रेसी जो कहते हैं कि RSS ने आज़ादी के आंदोलन का विरोध किया था, तो वो असल मे किस आंदोलन का विरोध था?

आप डॉ हेगड़ेवार की जगह होते तो क्या करते?

क्या आप भारत को गज़वा-ए-हिन्द यानी इस्लामिक देश बनते देखते?

या फिर डॉ साहब की तरह इसका विरोध करते?

1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ था और 1920 में डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस छोड़ दी और सभी को इस आंदोलन के बारे में जागरूक किया कि इस आंदोलन का भारत की आज़ादी से कोई लेना देना नही है और यह एक इस्लामिक आंदोलन है, जिसका नतीजा यह हुआ कि यह आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ औए 1922 में आखिरी इस्लामिक हुकूमत धराशाई हो गयी, मुस्लिम नेता इस से बौखला गए और मन ही मन हिन्दुओ और RSS को अपना दुश्मन मानने लगे और इसका बदला उन्होंने 1922-23 में केरल के मालाबार में हिन्दुओ पर हमला कर के लिया और असहाय अनभिज्ञ हिन्दुओ को बेरहमी से काटा गया हिन्दू लड़कियों की इज़्ज़त लूटी गई, जबकि इस आंदोलन का भारत या उसके पड़ोसी देशों तक से कोई लेना देना नही था..

1923 के दंगों में गांधी ने हिन्दुओ को दोषी ठहराते हुए हिन्दुओ को कायर और बुजदिल कहा था, गांधी ने कहा हिन्दू अपनी कायरता के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं, अगर हिन्दू अपने जान माल की सुरक्षा नही कर सकता तो इसमें मुसलमानों का क्या दोष? हिन्दुओ की औरतों की इज़्ज़त लूटी जाती है तो इसमें हिन्दू दोषी है, कहा थे उसके रिश्तेदार जब उस लड़की की इज़्ज़त लूटी जा रही थी? कुलमिला कर गांधी ने सारा दोष दंगा प्रभावित हिन्दुओ पर मढ़ दिया और कहा कि उन्हें हिन्दू होने पर शर्म आती है, जब हिन्दू कायर होगा तो मुसलमान उस पर अत्याचार करेगा ही..

डॉ हेगड़ेवार को अब समझ आ चुका था कि सत्ता के भूखे भेड़िये भारत की जनता की बलि देने से नही चूकेंगे, इसलिए उन्होंने हिन्दुओ की रक्षा और उनको एकजुट करने के उद्देश्य से तत्काल एक नया संगठन बनाने का काम शुरू कर दिया और अंतः 1925 में RSS की स्थापना हुई, आज अगर आप होली और दीवाली मानते हैं, आज अगर आप हिन्दू हैं तो सिर्फ उसी खिलाफत आंदोलन के विरोध और RSS की स्थापना की वजह से वरना जाने कब का गज़वा-ए-हिन्द बन चुका होता..

और ये वही कांग्रेस है जिसने खिलाफत आंदोलन का पूरा सहयोग किया, आज ये कांग्रेस और हामिद अंसारी जैसे लोग कहते है की आज़ादी की लड़ाई में इनका योगदान है, ये देशभक्त थे,अरे जिन्ना तो छोड़िये, मुशर्रफ और नवाज शरीफ भी भारतीय मुसलमान ही थे, देशभक्त थे तो पाकिस्तान कैसे बन गया..!!🙏

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी