रविवार, 10 सितंबर 2017

गलत कर्मों का खामियाजा भुगतना ही पड़ता है,बाद में आंखें खुलतीं हैं !

कमला दास केरल की जानी मानी लेखिका थी ...
जो माधवी कुट्टी के नाम से लिखती थी ...और केरल की रायल परिवार से थी और नायर थी ... पति के निधन के बाद ये अकेलेपन में थी ... पति के निधन के समय इनकी उम्र 65 साल थी ... लेकिन फिर भी इनके अंदर सेक्सुअल इच्छाए भरी थी ...।

तीन काफी बड़े बच्चे थे जो बड़ी बड़ी पोस्ट पर थे ..एक बेटा माधव दास नलपत टाइम्स ऑफ़ इंडिया का चीफ एडिटर था जो बाद में यूनेस्को का बड़ा अधिकारी भी बना ... उसकी पत्नी त्रावनकोर स्टेट की राजकुमारी है ..।
एक बेटा चिम्मन दास विदेश सेवा का अधिकारी है और एक बेटा केरल में कांग्रेस से विधायक है ...।

इनके घर पर इनके बेटे का एक मित्र अब्दुसमद समदानी उर्फ़ सादिक अली जो मुस्लिम लीग पार्टी का सांसद था और उनसे उम्र में 32 साल छोटा था वो आता जाता था ... ।

उस मुस्लिम लीग के सांसद ने अपनी माँ की उम्र की कमला पर डोरे डाले और उन्हें अपने प्रेम जाल नही बल्कि सेक्स जाल में फंसा लिया .. क्योकि खुद कमला ने अपने और समदानी के बीच के मुलाकातों का वर्णन ऐसे किया है जैसे "मस्तराम" की सडकछाप किताबो में होता है .. ।

और कमला ने लिखा है की उम्र बढने के साथ साथ उनकी सेक्स की चाहत भी पता नही क्यों बढने लगी है ... और मेरे सेक्स की चाहत को अब्दुसमद समदानी ने मिटाने को तैयार हुआ इसलिए मै उसकी मुरीद बन गयी ...।

फिर बाद में कमला ने #इस्लाम स्वीकार करके अपना नाम कमला सुरैया रख लिखा ... तीनो बेटे अपनी माँ के इस कुकर्मो से इतने आहत हुए की उन्होंने अपनी माँ से सभी सम्बन्ध तोड़ लिए ...।

सबसे चौकाने वाली खबर ये थी की उनके इस्लाम कुबूल करने पर सऊदी अरब के प्रिंस ने अपना दूत उनके घर भेजकर उन्हें गुलदस्ता भेजा था और भारत सरकार ने इसका विरोध नही किया ..।

फिर 2009 में उन्हें कैंसर हुआ .. और केरल सरकार ने उन्हें पहले मुंबई फिर बाद में पुणे की एक अस्पताल में भर्ती करवा दिया ... तीनो बेटो और सभी रिश्तेदारों ने पहले ही उनसे सम्बन्ध तोड़ लिए थे ... और उनका मुस्लिम पति जिसकी वो तीसरी बीबी थी वो एक बार भी उनका हालचाल लेने नही गया था ...।

मरने के पहले उन्होंने लिखा "काश मुझे किसी ने तभी गोली मार दी होती जब मै समदानी के सेक्स जाल में फंस गयी थी ... मुझे पता ही नही चला की मुझे सिर्फ राजनीतिक साजिश के तहत केरल की हिन्दू महिलाओ को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए ही फंसाया गया था और इसमें सऊदी अरब के कई लोग काफी हद तक शामिल है ...।

पुरे आठ महीने तक अस्पताल में तडप तडप कर अपने बेटो और पोतो को याद करते करते उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए .. फिर केरल सरकार ने उन्हें मालाबार के जामा मस्जिद के बगल में कब्रिस्तान में दफना दिया।

अब ये देखो..
जिस #हिंदूधर्म में पता कौन से अच्छे कर्मों से इसने जन्म लिया....फिर पैसों के लालच में धर्मपरिवर्तन करके #मुसलिम...बन गया....#लालचियों को भारत कभी भी पसंद आ ही नहीं सकता...पता नहीं किसका नमक खाकर नमकहरामी पर उतर आते है...चला जा बे...जहां तुम्हे कोई दूसर भारत नसीब हो...#गौरी लंकेश को मार दिया, ये भारत ठीक नहीं, यहाँ आवाज को दबाया जाता है : ए आर रहमान .

टीवी और कैमरे के सामने बड़ी बड़ी बातें करने वाले लोग अक्सर अपना असली रंग दिखा ही जाते है और रहमान ने भी दिखा दिया कि उनका असली रंग क्या है दरअसल बंगलौर में वामी और फर्जी पत्रकार, ऐसी पत्रकार  जिसे कोर्ट ने फर्जी पत्रकारिता के लिए 6 महीने की सजा सुनाई हुई थी, और वो जमानत पर थी हम बात कर रहे है गौरी लंकेश की, उसकी हत्या नक्सलियों ने की ,राज्य की पुलिस जो कि कांग्रेस के अधीन है वो भी नक्सली एंगेल की जांचकर रही है, वहीँ गौरी लंकेश के भाई ने भी नक्सली हमले की बात ही कही है और बताया है कि नक्सली उनकी बहन से गुस्से में थे और उन्हें धमकियाँ दी गयी थी अब गौरी लंकेश की हत्या हुई और रहमान ने भारत को असहिष्णु बता दिया रहमान ने कहा कि ये वो भारत नहीं है, ये मेरा वाला भारत नहीं है, यहाँ तो लोगों की आवाज दबाई जा रही है ,गौरी लंकेश की हत्या के बाद रहमान को भारत ख़राब लगने लगा है वैसे इसी कर्णाटक और पडोसी राज्य केरल में हिन्दुओ की बर्बरता से आये दिन हत्या की जाती है, कभी जिन्दा जलाकर तो कभी धारदार हथियारों से काटकर पर हिन्दुओ की होती हत्याओं पर रहमान के मुँह से आजतक 1 भी शब्द नहीं निकल सका है ये ही तो इनका मानवतावाद है जो की दोगलेपन से भरा है !

पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, अफगानिस्तान, ईरान में हिंदुओं के खात्मे के बाद अब भारत में भी संकट में हिन्दुओं का अस्तित्व…

1. कोई धर्म या समुदाय कब तक सुरक्षित रह सकता है या माना जा सकता है ? इस सवाल का जबाब हम सभी जानते हैं, लेकिन इस सवाल का जबाब सभी लोग अपने-अपने तरीके से देना चाहेंगे। इसका एक जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म का कोई राष्ट्र नहीं है तो आप इंतजार कीजिए अपने धर्म को खोने का और एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब आपको अपने धर्म के अस्तित्व को बचाने की जद्दोजहद से जूझना पड़ेगा।

2. इसका दूसरा जवाब यह भी हो सकता है कि यदि आपके धर्म के लोगों की जन्मदर कम होती जा जाएगी तो निश्चित ही आपके पास लड़ने के लिए सैनिक नहीं होंगे। और जब सैनिक नहीं होंगे तो युद्ध की स्थिति में आपको हार का मुँह देखना पड़ सकता है और हार का मतलब है आपके धर्म पर अत्याचार।

3. तीसरा जवाब यह है कि यदि आपका धर्म आपको अहिंसा और सहिष्णुता सिखा रहा है तो निश्‍चित ही आप एक दिन खुद को घिरा हुआ पाएंगे।

4. इसका चौथा जवाब यह हो सकता है कि धर्म से बढ़कर है इंसानियत। खून-खराबे से कभी किसी को कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।

5. इसका पांचवां जवाब यह हो सकता है कि जनसंख्या या राष्‍ट्र के होने से बढ़कर जरूरी है विकास और तकनीक में उक्त समुदाय का आगे होना।

अब आप किसी भी जवाब को अपना जवाब बना सकते हैं। वामपंथियों के पास सभवत: और भी अद्भुत जवाब हो सकते हैं।

दुनिया की आबादी लगभग 7 अरब से ज्यादा है जिसमें से 2.2 अरब ईसाई और सवा अरब मुसलमान हैं और लगभग इतने ही बौद्ध। पूरी दुनिया में ईसाई, मुस्लिम, यहूदी और बौद्ध राष्ट्र अस्तित्व में हैं। हालांकि प्रथम 2 ही धर्म की नीतियों के कारण उनका कई राष्ट्रों और क्षेत्रों पर दबदबा कायम है।

उक्त धर्मों की छत्रछाया में कई जगहों पर अल्पसंख्‍यक अपना अस्तित्व खो चुके हैं या खो रहे हैं तो कुछ जगहों पर उनके अस्तित्व को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा भी ऐसे कई मामले हैं जिसमें उक्त धर्मों के दखल न देने के बावजूद वे धर्म अपना अस्तित्व खो रहे हैं।

आइये अब बात करते है पूरी दुनिया में हिन्दू धर्म के अस्तित्व पर मंडराते संकट की…

एक जानकारी के मुताबिक पूरी दुनिया में अब मात्र 13.95 प्रतिशत हिन्दू ही बचे हैं। नेपाल कभी एक हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन वामपंथ के वर्चस्व के बाद अब वह भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है।

कभी दुनिया के आधे हिस्से पर हिन्दुओं का शासन हुआ करता था, लेकिन आज कहीं भी उनका शासन नहीं है। अब वे एक ऐसे देश में रहते हैं, जहां के कई हिस्सों से ही उन्हें बेदखल किए जाने का क्रम जारी है, साथ ही उन्हीं के उप संप्रदायों को गैर हिन्दू घोषित कर उन्हें आपस में बांटे जाने की साजिश भी जारी है।

अब भारत में भी हिन्दू जाति कई क्षेत्रों में अपना अस्तित्व बचाने में लगी हुई है। इसके कई कारण हैं क्योंकि जरूरी नहीं है कि यह एक धार्मिक समस्या ही हो, लेकिन इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता। आप तर्क द्वारा इसे धार्मिक समस्या से अलग कर सकते हैं या मुंह छुपा कर जी सकते हैं ।

बर्मा के बौद्ध गुरु विराथु जी ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो...

जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है ..
वैसे ही विराथु ने '९६९ ' का नंबर निकाला ... और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया ... कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपने जगह पर लगायें ...

इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर... दूकान वालों ने दूकान पर .... इसको लगाना शुरू किया ... लेकिन विराथु का सन्देश साफ़ था ... कि हम बौद्ध अपने सारे खरीदारी और व्यापार वहीँ करेंगे जहां ये स्टीकर लगा होगा ... .किसी को टैक्सी में चढ़ना हो तो उसी टैक्सी में चढ़ेंगे जिसके ऊपर ये स्टीकर होगा .... उसी रेस्टोरेंट में खायेंगे जहां ये स्टीकर होगा ।

उन्होंने ये भी कहा कि हो सकता है ऐसी हालत में मुस्लिम सऊदी से आये पैसों के दम पर अपने माल को कम कीमत पर बेच कर आपको आकर्षित करे ... लेकिन आप ध्यान रखना ... आप दो पैसा ज्यादा देना ... और सोचना कि आपने अपने देश के लिए पैसा लगाया है ... दो पैसे कम में खरीद कर मातृभूमि से गद्दारी मत करना .... वो आपके पैसे आपको ही मिटाने में लगाते हैं...मुर्खता मत करना ...

दोस्तों ... हालत ये हो गए .. कि मुस्लिम के व्यापार ठप्प पड़ गए... मुस्लिम इतने आतंकित हुए कि इस स्टीकर लगे टैक्सी को चढ़ना तो दूर ... किनारे से कन्नी काटने लगे... पुरे देश में मुसलमानों के होश ठिकाने आ गए ... और फिर ये स्टीकर एक तरह से देशभक्ति का प्रमाण बन गया... उनके जिहाद का जवाब बन गया.... और इस अनोखे आईडिया का प्रभाव आप देख सकते हैं कि आज बर्मा से मुस्लिम भाग चुके हैं...

अगर आप भी इन मुसलमानो की अकल ठिकाने लगाने चाहते है तो सिर्फ हिन्दुओ व आर्यो से ही व्यापार करे।

अगर सभी हिन्दू भाई अपनी कार्यस्थलो पर का या जय श्री राम का स्टिकर लगाये तो मुस्लिम जिहाद को बहुत बड़ी चोट पहुंचाई जा सकती है।

मंगलवार, 5 सितंबर 2017

👍👌 इतिहास का सच 👍👌

हेडगेवार ने कहा, "हिन्दुओ की रक्षा के लिए कांग्रेस छोड़ RSS नहीं बनाता तो गजवा हिन्द हो जाता भारत"।

संसद में मोदी ने हामिद मियां पर तंज कसते हुए कहा था कि आपके परिवार के लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था जिस पर हामिद मियां खींसे निपोरते रह गए, तो आखिर क्या था खिलाफत आंदोलन? जिसे सुनते ही हामिद मियां और कांग्रेस असहज हो उठी?

खिलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान लें, खलीफा एक अरबी शब्द है जिसे अंग्रेज़ी में Caliph (खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है, तो कौन होता है खलीफा?
खलीफा मुसलमानों का वह धार्मिक शासक (सुल्तान) होता है जिसे मुसलमान मुहम्मद साहब का वारिस या successor मानते हैं, खलीफा का काम होता है युद्ध कर के पूरे विश्व पर इस्लाम का निज़ाम कायम करना (जो कश्मीर में बुरहान वानी करना चाहता था), यानी इस्लाम की ऐसी हुकूमत कायम करना जिसमे इस्लामिक यानी शरीया कानून चले और जिसमे इस्लाम के अलावा किसी और धर्म की इजाज़त नही होती है, जितने हिस्से या राज्य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा में Khilafa (खिलाफा) कहते हैं, खलीफा यानी इस्लामिक सुल्तान और खिलाफा यानी इस्लामिक राज्य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तुर्की में ओटोमन वंश के आखिरी सुन्नी खलीफा अब्दुल हमीद-2 का खिलाफा यानी शासन चल रहा था जो कि जल्दी ही धराशाई होने वाला था, इस आखिरी इस्लामिक खिलाफा (शासन) को बचाने के लिए अब्दुल हमीद-2 ने जिहाद का आवाहन किया ताकि विश्व के मुसलमान एक हो कर इस आखिरी खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने आगे आएं, पूरे विश्व मे इसकी कोई प्रतिक्रिया नही हुई सिवाए भारत के, भारत के अलावा एशिया का कोई भी दूसरा देश इस मुहिम का हिस्सा नही बना..

लेकिन भारत के कुछ मुट्ठी भर गद्दार मुसलमान इस मुहिम से जुड़ गए और हज़ारों-लाखों किलोमीटर दूर सात समंदर पार तुर्की के खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने और अंग्रेज़ों पर दबाव बनाने निकल पड़े, जबकि इस समय भारत खुद गुलाम था और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अंतः 1922 में तुर्की से सुलतान के इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंका गया और वहाँ सेक्युलर लोकतंत्र राज्य की स्थापना हुई और कट्टर मुसलमानों का पूरे विश्व पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपने को संजोए आजकल ISIS काम कर रहा है..

भारत के चंद मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा एक आंदोलन खड़ा किया जिसका नाम था खिलाफा आंदोलन (Caliphate movement) अब क्योंकि अंग्रेज़ी में लिखे जाने पर इसका हिन्दी उच्चारण खलिफत होता है (अरबी में caliphate को khilafa=खिलाफा लिखते है) तो कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई से इसका नाम खिलाफत आंदोलन रख दिया ताकि देश की जनता को मूर्ख बनाया जा सके और लोगों को लगे कि यह खिलाफत आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ है, जबकि इसका असल मकसद purely religious यानी पूर्णतः धार्मिक था..

इसका भारत की आज़ादी या उसके आंदोलन से कोई लेना देना नही था, कुछ समझ मे आया? कैसे शब्दों की बाज़ीगरी से जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था, कैसे खलिफत को खिलाफत बताया जा रहा था, (ठीक वैसे ही जैसे Feroze Khan Ghandi (घांदी) को Feroze Gandhi (फ़िरोज़ गांधी) बना दिया गया)..

उस समय भारत मे इतने पढ़े लिखे लोग और नेता नही थे कि गांधी नेहरू की इस चाल को समझ सकें, लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस में एक पढ़ा लिखा शख्स मौजूद था जिसका नाम था डॉ. केशव बलिराम हेगड़ेवार, इस शख्स ने इस आंदोलन का जम कर विरोध किया क्योंकि खिलाफा सिर्फ तुर्की तक सीमित नही रहना था, इसका उद्देश्य तो पूरे विश्व पर इस्लाम की हुकूमत कायम करना था जिसमे गज़वा-ए-हिन्द यानी भारत भी शामिल था, डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के गांधी और नेहरू को बहुत समझने की कोशिश की लेकिन वे नही माने..

अंतः डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के इस खिलाफत आंदोलन का विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी, तो अब समझ मे आया मित्रों की कांग्रेसी जो कहते हैं कि RSS ने आज़ादी के आंदोलन का विरोध किया था, तो वो असल मे किस आंदोलन का विरोध था?

आप डॉ हेगड़ेवार की जगह होते तो क्या करते?

क्या आप भारत को गज़वा-ए-हिन्द यानी इस्लामिक देश बनते देखते?

या फिर डॉ साहब की तरह इसका विरोध करते?

1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ था और 1920 में डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस छोड़ दी और सभी को इस आंदोलन के बारे में जागरूक किया कि इस आंदोलन का भारत की आज़ादी से कोई लेना देना नही है और यह एक इस्लामिक आंदोलन है, जिसका नतीजा यह हुआ कि यह आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ औए 1922 में आखिरी इस्लामिक हुकूमत धराशाई हो गयी, मुस्लिम नेता इस से बौखला गए और मन ही मन हिन्दुओ और RSS को अपना दुश्मन मानने लगे और इसका बदला उन्होंने 1922-23 में केरल के मालाबार में हिन्दुओ पर हमला कर के लिया और असहाय अनभिज्ञ हिन्दुओ को बेरहमी से काटा गया हिन्दू लड़कियों की इज़्ज़त लूटी गई, जबकि इस आंदोलन का भारत या उसके पड़ोसी देशों तक से कोई लेना देना नही था..

1923 के दंगों में गांधी ने हिन्दुओ को दोषी ठहराते हुए हिन्दुओ को कायर और बुजदिल कहा था, गांधी ने कहा हिन्दू अपनी कायरता के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं, अगर हिन्दू अपने जान माल की सुरक्षा नही कर सकता तो इसमें मुसलमानों का क्या दोष? हिन्दुओ की औरतों की इज़्ज़त लूटी जाती है तो इसमें हिन्दू दोषी है, कहा थे उसके रिश्तेदार जब उस लड़की की इज़्ज़त लूटी जा रही थी? कुलमिला कर गांधी ने सारा दोष दंगा प्रभावित हिन्दुओ पर मढ़ दिया और कहा कि उन्हें हिन्दू होने पर शर्म आती है, जब हिन्दू कायर होगा तो मुसलमान उस पर अत्याचार करेगा ही..

डॉ हेगड़ेवार को अब समझ आ चुका था कि सत्ता के भूखे भेड़िये भारत की जनता की बलि देने से नही चूकेंगे, इसलिए उन्होंने हिन्दुओ की रक्षा और उनको एकजुट करने के उद्देश्य से तत्काल एक नया संगठन बनाने का काम शुरू कर दिया और अंतः 1925 में RSS की स्थापना हुई, आज अगर आप होली और दीवाली मानते हैं, आज अगर आप हिन्दू हैं तो सिर्फ उसी खिलाफत आंदोलन के विरोध और RSS की स्थापना की वजह से वरना जाने कब का गज़वा-ए-हिन्द बन चुका होता..

और ये वही कांग्रेस है जिसने खिलाफत आंदोलन का पूरा सहयोग किया, आज ये कांग्रेस और हामिद अंसारी जैसे लोग कहते है की आज़ादी की लड़ाई में इनका योगदान है, ये देशभक्त थे,अरे जिन्ना तो छोड़िये, मुशर्रफ और नवाज शरीफ भी भारतीय मुसलमान ही थे, देशभक्त थे तो पाकिस्तान कैसे बन गया..!!🙏

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

🙏समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

आप महान हैं, क्यूंकि आप पुन: इस ऋषि भूमि को विश्व गुरु बनाने हेतु संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं, मुझे आशा है परन्तु मैं आप सबको आश्वस्त करता हूँ कि आप सब स्वयं से आश्वस्त रहें कि आप ऐसा मात्र इसी जन्म में नहीं कर रहे अपितु पिछले कई जन्मों (योनियों) से आप इस पुण्य-कार्य हेतु संकल्पित हैं ।

आज तक जितने भी आन्दोलन, युद्ध, संघर्ष इत्यादि हुए हैं उनमे आप जैसी पुण्यात्माओं का योगदान सदैव रहा है, क्यूंकि आप जो इस जन्म में इस समय कर रहे हो, वो मात्र इस जन्म के संकल्प नहीं हैं, वो पूर्व में अनेकोनेक जन्मों (योनियों) से आप करते आये हैं… अर्थात आप केवल इस जन्म में ऐसे पुरुषार्थी हो … ऐसा नही है … आप पिछले अनेक जन्मों से ऐसे ही हो ।

इतिहास के साक्षी युद्धों, आंदोलनों में आप जैसे पुरुषार्थियों और कर्मयोगियों द्वारा जो संकल्प लिए गये उन्हें पूरा करने हेतु ही आप पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेकर अपने संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आये हो ।

आप महाराणा प्रताप की सेना में भी थे…
आप छत्रपति शिवाजी की सेना में भी थे…
आप चाणक्य के शिष्य भी थे…
आप महाभारत के धर्मयुद्ध में भी थे…
आप देवासुर संग्राम में भी थे…
आप ऋषियों के यज्ञों में भी थे…
आप व्यास की स्मृतियों में भी थे…
आप श्री राम की वानर सेना में भी थे…
आप कृष्ण के पांचजन्य के निर्देश पर भी युद्ध करते थे…
आप ब्राह्मणों की श्रुतियों, स्मृतियों, साधनाओं में भी थे…
आप क्षत्रियों के शौर्य, वचन और पराक्रम में भी थे…
आप वैश्यों के व्यापार कौशल में भी थे…
आप शूद्रों के अनुभव और परिश्रम में भी थे…!!

वही पूर्वजन्मों के कर्म और संस्कार आपको इस जन्म में भी प्रेरित करते हैं अपने पूर्व जन्मों के अधूरे संकल्पों को पूरा करने हेतु, परन्तु यह भी तो हो सकता है कि पूर्व जन्मों में आप जितने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी थे… इस जन्म में आप उतने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी न हों… या हो सकता है कि पूर्वजन्मों से अधिक भी हों ।

परन्तु यह स्पष्ट है कि शिक्षा पद्धति, रहन-सहन, भौतिकवाद के कारण हमारा स्तर तो गिरा ही है, चाहे वो किसी भी रूप में हो ।

कुछ प्रश्न आप सबके लिए छोड़ रहा हूँ… इनके उत्तर भी मैं यहाँ पर लिख सकता हूँ, परन्तु चाहता हूँ कि आप स्वयं अपने स्तर पर इनके प्रश्नों के उत्तर खोजें…

जन्म एवं मृत्यु क्या कर्म-फल के सिद्धान्त और नियम से बाहर है ?
क्या नये जन्म मे आपके पूर्वजन्म मे किये गये कर्मों का कोई संबन्ध नहीं होता ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का प्रतिफ़ल आपको प्राप्त हो चुका है ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का लेखा जोखा मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जायेगा ?

कर्म कितने प्रकार के हैं ?
प्रारब्ध कर्म क्या होते हैं ?
संचित कर्म क्या होते हैं ?
क्रियमाण कर्म क्या होते हैं ?

वर्तमान योनि और पूर्व-पूर्व जन्म में प्राप्त हुई योनियो का DNA  पूर्व पूर्व योनियो मे किये गये कर्मो द्वारा निर्धारित और फलित हो चुका है… अत: आपके वर्तमान जन्म के कर्मो से ही आने वाली समस्त योनियो का DNA निर्धारित होगा ।

संक्षेप में कहूं तो आने वाली योनियों के DNA का Updation इस जन्म में बरते गये कर्मों के आधार पर भी होगा और पूर्व जन्मों के आधार पर भी ।

आप जो इस जन्म में हैं, आपका स्वभाव, प्रकृति, प्रवृत्ति, विकृति, सत्य, “धर्म-परायणता तथा धर्म-निरपेक्षता”, यम-नियम, क्रोध, अहंकार, कोमलता, दयाभाव, पौरुष, कायरता, ब्राह्मणत्व, क्षात्रत्व, वैश्यत्व, शूद्रत्व… आदि सब पूर्व पूर्व योनियों में किये गये कर्मों द्वारा जनित होता रहा है और Updated भी होता रहा है ।

ये भी निश्चित ही है कि ऋषियों की हम संताने पिछले कई जन्मों से अपने कर्मों, शास्त्रों से दूरी, शस्त्रों से दूरी, आदि जैसे कई कारणों के माध्यम से अपना DNA DownGrade करते चले आ रहे हैं, आप आकलन कीजिये अपने पूर्वजों के संस्कारों, बल, बुद्धि आदि का अपने
साथ और फिर एक बार सोचिये कि क्या हम सही अर्थों में आज धर्म, राष्ट्र, संस्कृति की रक्षा करने लायक हैं … ??

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अपनी धर्म-परायणता को निखारने और उसको प्रखर रूप में स्थापित कर ऋषि भूमि को पुन: विश्व गुरु बनाने हेतु अपने इस जन्म के DNA को भी और प्रखर बनाएं, जिससे कि यदि इस जन्म में भी कुछ संकल्प अधूरे रह जाएँ तो आगे आने वाले जन्मों (योनियों) में उन संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आप दक्ष हो सकें… Update हो सकें ।

कठिन हो सकता है परन्तु असंभव नही…

किसी योग्य गुरु का चुनाव करें और उनके सान्निध्य में व्याकरण की शिक्षा प्राप्त करें उसके उपरान्त वेद, वेदाङ्ग, दर्शनो, पुराणो इत्यादि मे से जो भी सुलभ् हो उसका अध्ययन करें और और अपने धर्म को जान कर अपनी धर्म-परायणता को निश्चित दिशा प्रदान करें ।

धर्म-परायणता जिसे अधिकाँश हिन्दू उर्दू में कट्टरता कहते हैं… उसे बढायें … यदि संभव हो तो कट्टर कहने के स्थान पर धर्म-परायण कहना आरम्भ करें ।

क्यूंकि कट्टरता के अर्थों को देखें तो कट्टरता जड़ता का पर्याय है… तमस का प्रयाय है, जिस प्रकार ठहरे हुए पानी में कीड़े पड़ जाते हैं, उसी प्रकार होती है ये कट्टरता ।

इसके विपरीत धर्म-परायणता सात्विकता का पर्याय है, गति-शीलता का जिसके अंतर्गत स्वाध्याय के माध्यम से अविरल बहते जल के समान ज्ञान के प्रकाश को बढ़ाते हैं तथा अपनी प्रज्ञा को निखारते हैं l सत्यापित अर्थों में धर्म-निरपेक्षता का मूक एवं सटीक प्रयुत्तर आप अपने विरोधियों को देने लगेंगे ।

चुनाव आपको करना है … धर्म-परायण या धर्म-निरपेक्ष ।

और यदि धर्म-परायणता का प्रचार प्रसार आपने किया तो आपके आने वाले जन्मों में आप और अधिक प्रखर बन कर जन्म लेंगे और आपकी इस प्रखरता का लाभ आपकी आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होगा ।

“क्या आप अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत में सर्वोत्तम DNA देना नहीं चाहेंगे ?”

यदि अब भी सनातन-धर्मी कुछ न समझें…
तो वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान से भी निम्न-स्तर पर पहुंचा देंगे ।
जबकि हमारे पूर्वजों ने हमे उत्तम से उत्तम संस्कारों से परिपूर्ण होकर अपने बल, बुद्धि, वीर्य, शौर्य, पराक्रम, प्रज्ञा से हमारे DNA को सबसे समृद्धशाली बनाया, जिसका लोहा पूरे विश्व ने माना है ।

जिस प्रकार आप अपने परिवार के लिए आने वाले वर्षों के लिए व्यापार-सेवा आदि करके धन अर्जित करते हैं और संचित करते हैं… ऐसे ही पुण्य कार्यों द्वारा अपने क्रियमाण और संचित कर्मों का उत्तम निर्वाह करके… उन्हें अपने प्रारब्ध कर्मों में जोड़िये अर्थात उनका Fixed-Diposit कर दीजिये ।

ईश्वर में विश्वास रखिये… यह निवेश आपको आने वाले अनेकोनेक जन्मों (योनियों) तक लाभान्वित करेगा और इसका ब्याज भी आपको समय समय पर लाभान्वित करके आपकी प्रसन्नता को बढाता रहेगा तथा आपको आने वाले जन्मो में धर्म, राष्ट्र और संस्कृति हेतु प्रज्ञावान और वीर्यवान बनाता रहेगा ।

इससे अच्छी TIP आपको Share-Market में भी कोई नहीं दे सकता ।

आने वाली पीढ़ियों के संरक्षण और विकास हेतु इस लेख का अधिक से अधिक प्रचार करें l

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

जय हिन्दू राष्ट्र!
जय श्री राम

✍🙏 क्षमा याचना 🙏✍

आज जैन धर्म की परंपरा के अनुसार क्षमा मांगने का दिन है मैं जैन तो नही हूँ ,लेकिन किसी भी धर्म में कोई अच्छी चीज है तो उसका जरूर अनुसरण करना चाहिए ।

मेरे अहंकार से....यदि मैने किसी को नीचा दिखाया हो...

मेरे क्रोध से.... यदि किसी को दुःख पहुचाया हो।

मेरे झूठ से... किसी को कोई परेशानी हुई हो।

मेरे ना से.... किसी की सेवा में, बाधा आयी हो।

मेरे हर एक कण कण से जो मैने किसी को निराश किया हो।

मेरे शब्दों से.... जो किसी के हृदय को ठेस पहुचाई हो।

जाने अनजाने में यदि मैं आपके कष्ट का कारण बना हूँ।

तो मैं मेरा मस्तक झुकाकर,हाथ जोड़कर 🙏, सहृदय..!!

आप से क्षमा मांगता हूँ..!!

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी
🙏 🙏🙏🙏

🐯 सिंह गर्जना 🐯

लव-जिहाद  कहीं आपकी बहन बेटी की मुस्लिम महिला मित्र तो नही ??

सबसे पहले मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों की सहेलियां बनती है !

उन्हें इस्लाम की मीठी मीठी चिकनी चुपड़ी बातों से प्रभावित करती है ।

उन्हें मन्नत मांगने ओर उसके शत प्रतिशत पूरा होने का दावा कर पीर, बाबा आदि की मजार में लेकर जाती है ।

एक आध कोई तुक्का बैठ जाता है, ओर ना भी बेठे थे, तो  अपनी दोस्ती में मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों का इतना ब्रेनवाश कर देती है, की लड़कियां हिन्दू धर्म से बहुत दूर चली जाती है ।

उसके बाद वह किसी मुस्लिम लड़के से उसकी दोस्ती करवाती है, वह मुस्लिम लड़का शुरू शुरू में मानवता की मिसाल बनता है । उस हिन्दू लड़की का ह्रदय जीत लेता है ।

वहीं से प्यार शुरू होता है, उसके बाद हिन्दू लड़की का निकाह ओर धर्म परिवर्तन
यही लव जिहाद की कहानी है ।

अगर अपने घर की बहन बेटी की इज्जत बचानी है, तो बिना कोई बात सुने उन्हें उनकी मुस्लिम महिला मित्रो से दूर कीजिये । धर्म का ज्ञान दीजिये, इतिहास से परिचित करवाइए ।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी