मंगलवार, 5 सितंबर 2017

👍👌 इतिहास का सच 👍👌

हेडगेवार ने कहा, "हिन्दुओ की रक्षा के लिए कांग्रेस छोड़ RSS नहीं बनाता तो गजवा हिन्द हो जाता भारत"।

संसद में मोदी ने हामिद मियां पर तंज कसते हुए कहा था कि आपके परिवार के लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था जिस पर हामिद मियां खींसे निपोरते रह गए, तो आखिर क्या था खिलाफत आंदोलन? जिसे सुनते ही हामिद मियां और कांग्रेस असहज हो उठी?

खिलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान लें, खलीफा एक अरबी शब्द है जिसे अंग्रेज़ी में Caliph (खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है, तो कौन होता है खलीफा?
खलीफा मुसलमानों का वह धार्मिक शासक (सुल्तान) होता है जिसे मुसलमान मुहम्मद साहब का वारिस या successor मानते हैं, खलीफा का काम होता है युद्ध कर के पूरे विश्व पर इस्लाम का निज़ाम कायम करना (जो कश्मीर में बुरहान वानी करना चाहता था), यानी इस्लाम की ऐसी हुकूमत कायम करना जिसमे इस्लामिक यानी शरीया कानून चले और जिसमे इस्लाम के अलावा किसी और धर्म की इजाज़त नही होती है, जितने हिस्से या राज्य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा में Khilafa (खिलाफा) कहते हैं, खलीफा यानी इस्लामिक सुल्तान और खिलाफा यानी इस्लामिक राज्य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तुर्की में ओटोमन वंश के आखिरी सुन्नी खलीफा अब्दुल हमीद-2 का खिलाफा यानी शासन चल रहा था जो कि जल्दी ही धराशाई होने वाला था, इस आखिरी इस्लामिक खिलाफा (शासन) को बचाने के लिए अब्दुल हमीद-2 ने जिहाद का आवाहन किया ताकि विश्व के मुसलमान एक हो कर इस आखिरी खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने आगे आएं, पूरे विश्व मे इसकी कोई प्रतिक्रिया नही हुई सिवाए भारत के, भारत के अलावा एशिया का कोई भी दूसरा देश इस मुहिम का हिस्सा नही बना..

लेकिन भारत के कुछ मुट्ठी भर गद्दार मुसलमान इस मुहिम से जुड़ गए और हज़ारों-लाखों किलोमीटर दूर सात समंदर पार तुर्की के खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने और अंग्रेज़ों पर दबाव बनाने निकल पड़े, जबकि इस समय भारत खुद गुलाम था और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन अंतः 1922 में तुर्की से सुलतान के इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंका गया और वहाँ सेक्युलर लोकतंत्र राज्य की स्थापना हुई और कट्टर मुसलमानों का पूरे विश्व पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपने को संजोए आजकल ISIS काम कर रहा है..

भारत के चंद मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा एक आंदोलन खड़ा किया जिसका नाम था खिलाफा आंदोलन (Caliphate movement) अब क्योंकि अंग्रेज़ी में लिखे जाने पर इसका हिन्दी उच्चारण खलिफत होता है (अरबी में caliphate को khilafa=खिलाफा लिखते है) तो कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई से इसका नाम खिलाफत आंदोलन रख दिया ताकि देश की जनता को मूर्ख बनाया जा सके और लोगों को लगे कि यह खिलाफत आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ है, जबकि इसका असल मकसद purely religious यानी पूर्णतः धार्मिक था..

इसका भारत की आज़ादी या उसके आंदोलन से कोई लेना देना नही था, कुछ समझ मे आया? कैसे शब्दों की बाज़ीगरी से जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था, कैसे खलिफत को खिलाफत बताया जा रहा था, (ठीक वैसे ही जैसे Feroze Khan Ghandi (घांदी) को Feroze Gandhi (फ़िरोज़ गांधी) बना दिया गया)..

उस समय भारत मे इतने पढ़े लिखे लोग और नेता नही थे कि गांधी नेहरू की इस चाल को समझ सकें, लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस में एक पढ़ा लिखा शख्स मौजूद था जिसका नाम था डॉ. केशव बलिराम हेगड़ेवार, इस शख्स ने इस आंदोलन का जम कर विरोध किया क्योंकि खिलाफा सिर्फ तुर्की तक सीमित नही रहना था, इसका उद्देश्य तो पूरे विश्व पर इस्लाम की हुकूमत कायम करना था जिसमे गज़वा-ए-हिन्द यानी भारत भी शामिल था, डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के गांधी और नेहरू को बहुत समझने की कोशिश की लेकिन वे नही माने..

अंतः डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के इस खिलाफत आंदोलन का विरोध किया और कांग्रेस छोड़ दी, तो अब समझ मे आया मित्रों की कांग्रेसी जो कहते हैं कि RSS ने आज़ादी के आंदोलन का विरोध किया था, तो वो असल मे किस आंदोलन का विरोध था?

आप डॉ हेगड़ेवार की जगह होते तो क्या करते?

क्या आप भारत को गज़वा-ए-हिन्द यानी इस्लामिक देश बनते देखते?

या फिर डॉ साहब की तरह इसका विरोध करते?

1919 में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ था और 1920 में डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस छोड़ दी और सभी को इस आंदोलन के बारे में जागरूक किया कि इस आंदोलन का भारत की आज़ादी से कोई लेना देना नही है और यह एक इस्लामिक आंदोलन है, जिसका नतीजा यह हुआ कि यह आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप साबित हुआ औए 1922 में आखिरी इस्लामिक हुकूमत धराशाई हो गयी, मुस्लिम नेता इस से बौखला गए और मन ही मन हिन्दुओ और RSS को अपना दुश्मन मानने लगे और इसका बदला उन्होंने 1922-23 में केरल के मालाबार में हिन्दुओ पर हमला कर के लिया और असहाय अनभिज्ञ हिन्दुओ को बेरहमी से काटा गया हिन्दू लड़कियों की इज़्ज़त लूटी गई, जबकि इस आंदोलन का भारत या उसके पड़ोसी देशों तक से कोई लेना देना नही था..

1923 के दंगों में गांधी ने हिन्दुओ को दोषी ठहराते हुए हिन्दुओ को कायर और बुजदिल कहा था, गांधी ने कहा हिन्दू अपनी कायरता के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं, अगर हिन्दू अपने जान माल की सुरक्षा नही कर सकता तो इसमें मुसलमानों का क्या दोष? हिन्दुओ की औरतों की इज़्ज़त लूटी जाती है तो इसमें हिन्दू दोषी है, कहा थे उसके रिश्तेदार जब उस लड़की की इज़्ज़त लूटी जा रही थी? कुलमिला कर गांधी ने सारा दोष दंगा प्रभावित हिन्दुओ पर मढ़ दिया और कहा कि उन्हें हिन्दू होने पर शर्म आती है, जब हिन्दू कायर होगा तो मुसलमान उस पर अत्याचार करेगा ही..

डॉ हेगड़ेवार को अब समझ आ चुका था कि सत्ता के भूखे भेड़िये भारत की जनता की बलि देने से नही चूकेंगे, इसलिए उन्होंने हिन्दुओ की रक्षा और उनको एकजुट करने के उद्देश्य से तत्काल एक नया संगठन बनाने का काम शुरू कर दिया और अंतः 1925 में RSS की स्थापना हुई, आज अगर आप होली और दीवाली मानते हैं, आज अगर आप हिन्दू हैं तो सिर्फ उसी खिलाफत आंदोलन के विरोध और RSS की स्थापना की वजह से वरना जाने कब का गज़वा-ए-हिन्द बन चुका होता..

और ये वही कांग्रेस है जिसने खिलाफत आंदोलन का पूरा सहयोग किया, आज ये कांग्रेस और हामिद अंसारी जैसे लोग कहते है की आज़ादी की लड़ाई में इनका योगदान है, ये देशभक्त थे,अरे जिन्ना तो छोड़िये, मुशर्रफ और नवाज शरीफ भी भारतीय मुसलमान ही थे, देशभक्त थे तो पाकिस्तान कैसे बन गया..!!🙏

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

🙏समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

आप महान हैं, क्यूंकि आप पुन: इस ऋषि भूमि को विश्व गुरु बनाने हेतु संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं, मुझे आशा है परन्तु मैं आप सबको आश्वस्त करता हूँ कि आप सब स्वयं से आश्वस्त रहें कि आप ऐसा मात्र इसी जन्म में नहीं कर रहे अपितु पिछले कई जन्मों (योनियों) से आप इस पुण्य-कार्य हेतु संकल्पित हैं ।

आज तक जितने भी आन्दोलन, युद्ध, संघर्ष इत्यादि हुए हैं उनमे आप जैसी पुण्यात्माओं का योगदान सदैव रहा है, क्यूंकि आप जो इस जन्म में इस समय कर रहे हो, वो मात्र इस जन्म के संकल्प नहीं हैं, वो पूर्व में अनेकोनेक जन्मों (योनियों) से आप करते आये हैं… अर्थात आप केवल इस जन्म में ऐसे पुरुषार्थी हो … ऐसा नही है … आप पिछले अनेक जन्मों से ऐसे ही हो ।

इतिहास के साक्षी युद्धों, आंदोलनों में आप जैसे पुरुषार्थियों और कर्मयोगियों द्वारा जो संकल्प लिए गये उन्हें पूरा करने हेतु ही आप पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेकर अपने संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आये हो ।

आप महाराणा प्रताप की सेना में भी थे…
आप छत्रपति शिवाजी की सेना में भी थे…
आप चाणक्य के शिष्य भी थे…
आप महाभारत के धर्मयुद्ध में भी थे…
आप देवासुर संग्राम में भी थे…
आप ऋषियों के यज्ञों में भी थे…
आप व्यास की स्मृतियों में भी थे…
आप श्री राम की वानर सेना में भी थे…
आप कृष्ण के पांचजन्य के निर्देश पर भी युद्ध करते थे…
आप ब्राह्मणों की श्रुतियों, स्मृतियों, साधनाओं में भी थे…
आप क्षत्रियों के शौर्य, वचन और पराक्रम में भी थे…
आप वैश्यों के व्यापार कौशल में भी थे…
आप शूद्रों के अनुभव और परिश्रम में भी थे…!!

वही पूर्वजन्मों के कर्म और संस्कार आपको इस जन्म में भी प्रेरित करते हैं अपने पूर्व जन्मों के अधूरे संकल्पों को पूरा करने हेतु, परन्तु यह भी तो हो सकता है कि पूर्व जन्मों में आप जितने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी थे… इस जन्म में आप उतने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी न हों… या हो सकता है कि पूर्वजन्मों से अधिक भी हों ।

परन्तु यह स्पष्ट है कि शिक्षा पद्धति, रहन-सहन, भौतिकवाद के कारण हमारा स्तर तो गिरा ही है, चाहे वो किसी भी रूप में हो ।

कुछ प्रश्न आप सबके लिए छोड़ रहा हूँ… इनके उत्तर भी मैं यहाँ पर लिख सकता हूँ, परन्तु चाहता हूँ कि आप स्वयं अपने स्तर पर इनके प्रश्नों के उत्तर खोजें…

जन्म एवं मृत्यु क्या कर्म-फल के सिद्धान्त और नियम से बाहर है ?
क्या नये जन्म मे आपके पूर्वजन्म मे किये गये कर्मों का कोई संबन्ध नहीं होता ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का प्रतिफ़ल आपको प्राप्त हो चुका है ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का लेखा जोखा मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जायेगा ?

कर्म कितने प्रकार के हैं ?
प्रारब्ध कर्म क्या होते हैं ?
संचित कर्म क्या होते हैं ?
क्रियमाण कर्म क्या होते हैं ?

वर्तमान योनि और पूर्व-पूर्व जन्म में प्राप्त हुई योनियो का DNA  पूर्व पूर्व योनियो मे किये गये कर्मो द्वारा निर्धारित और फलित हो चुका है… अत: आपके वर्तमान जन्म के कर्मो से ही आने वाली समस्त योनियो का DNA निर्धारित होगा ।

संक्षेप में कहूं तो आने वाली योनियों के DNA का Updation इस जन्म में बरते गये कर्मों के आधार पर भी होगा और पूर्व जन्मों के आधार पर भी ।

आप जो इस जन्म में हैं, आपका स्वभाव, प्रकृति, प्रवृत्ति, विकृति, सत्य, “धर्म-परायणता तथा धर्म-निरपेक्षता”, यम-नियम, क्रोध, अहंकार, कोमलता, दयाभाव, पौरुष, कायरता, ब्राह्मणत्व, क्षात्रत्व, वैश्यत्व, शूद्रत्व… आदि सब पूर्व पूर्व योनियों में किये गये कर्मों द्वारा जनित होता रहा है और Updated भी होता रहा है ।

ये भी निश्चित ही है कि ऋषियों की हम संताने पिछले कई जन्मों से अपने कर्मों, शास्त्रों से दूरी, शस्त्रों से दूरी, आदि जैसे कई कारणों के माध्यम से अपना DNA DownGrade करते चले आ रहे हैं, आप आकलन कीजिये अपने पूर्वजों के संस्कारों, बल, बुद्धि आदि का अपने
साथ और फिर एक बार सोचिये कि क्या हम सही अर्थों में आज धर्म, राष्ट्र, संस्कृति की रक्षा करने लायक हैं … ??

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अपनी धर्म-परायणता को निखारने और उसको प्रखर रूप में स्थापित कर ऋषि भूमि को पुन: विश्व गुरु बनाने हेतु अपने इस जन्म के DNA को भी और प्रखर बनाएं, जिससे कि यदि इस जन्म में भी कुछ संकल्प अधूरे रह जाएँ तो आगे आने वाले जन्मों (योनियों) में उन संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आप दक्ष हो सकें… Update हो सकें ।

कठिन हो सकता है परन्तु असंभव नही…

किसी योग्य गुरु का चुनाव करें और उनके सान्निध्य में व्याकरण की शिक्षा प्राप्त करें उसके उपरान्त वेद, वेदाङ्ग, दर्शनो, पुराणो इत्यादि मे से जो भी सुलभ् हो उसका अध्ययन करें और और अपने धर्म को जान कर अपनी धर्म-परायणता को निश्चित दिशा प्रदान करें ।

धर्म-परायणता जिसे अधिकाँश हिन्दू उर्दू में कट्टरता कहते हैं… उसे बढायें … यदि संभव हो तो कट्टर कहने के स्थान पर धर्म-परायण कहना आरम्भ करें ।

क्यूंकि कट्टरता के अर्थों को देखें तो कट्टरता जड़ता का पर्याय है… तमस का प्रयाय है, जिस प्रकार ठहरे हुए पानी में कीड़े पड़ जाते हैं, उसी प्रकार होती है ये कट्टरता ।

इसके विपरीत धर्म-परायणता सात्विकता का पर्याय है, गति-शीलता का जिसके अंतर्गत स्वाध्याय के माध्यम से अविरल बहते जल के समान ज्ञान के प्रकाश को बढ़ाते हैं तथा अपनी प्रज्ञा को निखारते हैं l सत्यापित अर्थों में धर्म-निरपेक्षता का मूक एवं सटीक प्रयुत्तर आप अपने विरोधियों को देने लगेंगे ।

चुनाव आपको करना है … धर्म-परायण या धर्म-निरपेक्ष ।

और यदि धर्म-परायणता का प्रचार प्रसार आपने किया तो आपके आने वाले जन्मों में आप और अधिक प्रखर बन कर जन्म लेंगे और आपकी इस प्रखरता का लाभ आपकी आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होगा ।

“क्या आप अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत में सर्वोत्तम DNA देना नहीं चाहेंगे ?”

यदि अब भी सनातन-धर्मी कुछ न समझें…
तो वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान से भी निम्न-स्तर पर पहुंचा देंगे ।
जबकि हमारे पूर्वजों ने हमे उत्तम से उत्तम संस्कारों से परिपूर्ण होकर अपने बल, बुद्धि, वीर्य, शौर्य, पराक्रम, प्रज्ञा से हमारे DNA को सबसे समृद्धशाली बनाया, जिसका लोहा पूरे विश्व ने माना है ।

जिस प्रकार आप अपने परिवार के लिए आने वाले वर्षों के लिए व्यापार-सेवा आदि करके धन अर्जित करते हैं और संचित करते हैं… ऐसे ही पुण्य कार्यों द्वारा अपने क्रियमाण और संचित कर्मों का उत्तम निर्वाह करके… उन्हें अपने प्रारब्ध कर्मों में जोड़िये अर्थात उनका Fixed-Diposit कर दीजिये ।

ईश्वर में विश्वास रखिये… यह निवेश आपको आने वाले अनेकोनेक जन्मों (योनियों) तक लाभान्वित करेगा और इसका ब्याज भी आपको समय समय पर लाभान्वित करके आपकी प्रसन्नता को बढाता रहेगा तथा आपको आने वाले जन्मो में धर्म, राष्ट्र और संस्कृति हेतु प्रज्ञावान और वीर्यवान बनाता रहेगा ।

इससे अच्छी TIP आपको Share-Market में भी कोई नहीं दे सकता ।

आने वाली पीढ़ियों के संरक्षण और विकास हेतु इस लेख का अधिक से अधिक प्रचार करें l

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

जय हिन्दू राष्ट्र!
जय श्री राम

✍🙏 क्षमा याचना 🙏✍

आज जैन धर्म की परंपरा के अनुसार क्षमा मांगने का दिन है मैं जैन तो नही हूँ ,लेकिन किसी भी धर्म में कोई अच्छी चीज है तो उसका जरूर अनुसरण करना चाहिए ।

मेरे अहंकार से....यदि मैने किसी को नीचा दिखाया हो...

मेरे क्रोध से.... यदि किसी को दुःख पहुचाया हो।

मेरे झूठ से... किसी को कोई परेशानी हुई हो।

मेरे ना से.... किसी की सेवा में, बाधा आयी हो।

मेरे हर एक कण कण से जो मैने किसी को निराश किया हो।

मेरे शब्दों से.... जो किसी के हृदय को ठेस पहुचाई हो।

जाने अनजाने में यदि मैं आपके कष्ट का कारण बना हूँ।

तो मैं मेरा मस्तक झुकाकर,हाथ जोड़कर 🙏, सहृदय..!!

आप से क्षमा मांगता हूँ..!!

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी
🙏 🙏🙏🙏

🐯 सिंह गर्जना 🐯

लव-जिहाद  कहीं आपकी बहन बेटी की मुस्लिम महिला मित्र तो नही ??

सबसे पहले मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों की सहेलियां बनती है !

उन्हें इस्लाम की मीठी मीठी चिकनी चुपड़ी बातों से प्रभावित करती है ।

उन्हें मन्नत मांगने ओर उसके शत प्रतिशत पूरा होने का दावा कर पीर, बाबा आदि की मजार में लेकर जाती है ।

एक आध कोई तुक्का बैठ जाता है, ओर ना भी बेठे थे, तो  अपनी दोस्ती में मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों का इतना ब्रेनवाश कर देती है, की लड़कियां हिन्दू धर्म से बहुत दूर चली जाती है ।

उसके बाद वह किसी मुस्लिम लड़के से उसकी दोस्ती करवाती है, वह मुस्लिम लड़का शुरू शुरू में मानवता की मिसाल बनता है । उस हिन्दू लड़की का ह्रदय जीत लेता है ।

वहीं से प्यार शुरू होता है, उसके बाद हिन्दू लड़की का निकाह ओर धर्म परिवर्तन
यही लव जिहाद की कहानी है ।

अगर अपने घर की बहन बेटी की इज्जत बचानी है, तो बिना कोई बात सुने उन्हें उनकी मुस्लिम महिला मित्रो से दूर कीजिये । धर्म का ज्ञान दीजिये, इतिहास से परिचित करवाइए ।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

सोमवार, 4 सितंबर 2017

आखिर दोषी कौन..? ठग या जनता..?

सात लाख रूपये दीजिये तो राधे माँ ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देंगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

निर्मल बाबा है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

रामपाल भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

ब्रह्मकुमारीमत वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

राधास्वामी वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

निरंकारी है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही , अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ चाँद मियाँ ऊर्फ साई  बाबा को भगवान बनाने पर तुले हैं।

मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू है।

आसाराम के भक्त तो और भी महान है सब पोल खुल जाने पर भी सड़को पर भक्त बनकर आसाराम को ईश्वर मान रात दिन उसके गुण गाते है।

हिन्दुस्तान में रहने वाले जैन, बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

            लेकिन हिंदु सच में है कौन
          खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता।

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है।

कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है।

यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।
जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सनातन धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।🙏🇮🇳

⛳🚩 भगवा केसरिया की आत्मकथा 🚩⛳

#मै_भगवा_केसरिया_बोल_रहा_मेरा_दर्द_तो_सुनो :-

#मैं_भगवा_केसरिया_हूँ जो भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का साक्षी रहा है। गूंगा हूँ पर सुनता हूँ देखता हूँ।
मैं मुक गवाह हूँ इस प्राचीन देश के बनते और बिगड़ते का।
जब एक फिल्म अभीनेता कमल हासन ने कहा कि मुझे सभी रंग पसंद है लेकिन भगवा पसंद नही है तो दर्द छलक आया।
मै फिर जोर-जोर से रोने लगा और रोते-रोते इतिहास अपने स्वर्णमिम इतिहास में खो गया।
जो वैदिक काल में कभी देवराज इन्द्र के ऐरावत पर लहराया करता था।जब ऋषि-मुनी यज्ञ करते थें तो मुझे छोटे-छोटे आकार में बनाकर देवताओं पर चढाया जाता था।

#मै_वही_भगवा_केसरिया...मेरा निर्माण और नामकरण ऋषिओं ने किया था।उषाकाल के सूर्य और अग्नि के रंग को देखकर ऋषिओं ने उसी रंग में मुझे रंग डाला।देवी उषा भग के बहन थी इसलिए ऋषिओं ने मेरा नाम भगवा कर दिया क्योंकी उषाकाल के समय आकाश और ब्रह्मांड दोनों ही भगवा रंग में रंगा रहता है।ऋग्वेद के मंत्रों में मुझे अरूणा कहा गया।

...वैदिक काल में मैं ऋषिओं के कुटीओं में लहराया करता था फिर उंचे-उंचे महलों पर भी मुझे स्थान दिया गया।

...रामायणकाल में श्री राम ने भी मुझे बहुत सत्कार किया जब राम-रावण युद्ध शुरू हुआ तो सैनिकों की एक टुकड़ी बना दी गयी थी जो मुझे थामे हुए आगे-आगे चलते थे और पिछे-पिछे श्री राम की सेना चलती थी।मेरा रंग श्री राम के सेना के पहचान था।

..महाभारतकाल में श्री कृष्ण ने भी अपना पहचान बनाया उन्होनें अपने रथ पर मुझमें हनुमान के चित्र अंकित कर लहराया।युधिष्ठीर के रथ पर मुझमें नछत्र से युक्त चंद्रमा को अंकित किया गया।

..मध्यकाल में भी कई राजाओं ने मेरा मान रखा।अनेक राजमहलों के उंचे शिखर पर हमें लहराया जाता था किसी ने मुझपर तलवार का चित्र उकेर दिया तो किसी ने सूर्य का, किसी ने चंद्रमा का ,किसी ने स्वास्तीक का तो किसी ने वृक्ष का तो किसी राजा ने अपने कुलदेवता का।मुझ पर उकेरा गया चित्र ही राजाओं के अपना-अपना पहचान होता था।

..फिर #भक्तिकाल_में_शिव_के_शैवभक्तों ने #मुझपर_नंदी_का_चित्रांकन_कर_नंदी_ध्वज बोला

तो #विष्णु_के_भक्त_वैष्णवों ने #गरूड़_को_अंकित_कर_गरूड़ध्वज बोला

तो उसी तरह #देवी_सम्प्रदाय_वाले_शाक्तों ने #सिंह_का_प्रतिक_देकर_मुझे_सिंहध्वज बताया।

#मै_भगवा_केसरिया.हूं मुझ में ही .#भगवान_जगन्नाथ_मंदिर_के_शिखर पर #बिचोबिच_अर्धचंद्र_अंकित_किया_गया_है तो #दक्षीण_के_मंदिरों_में_हमारे_बिचोबिच #ॐ_को_चित्रांकित_कर_उनके_शिखरों पर फहराया जाता है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूं मुझे ही #गुजरात_के_द्वारिकाधीश_मंदिर_के_शिखर_पर #चक्र_के_चित्र_के_साथ_लहराया_गया।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..इसके अलावा #महाभारत_के_युद्धकाल में #मेरा_नाम_भीमध्वज_के_रूप अलग प्रयोग संकेत के रूप में होता था।
हमें #युद्ध_में_तेजी_लाने_के_संकेत के रूप लहराया जाता था।

#मै_भगवा_केसरिया_हँ #मेरे_ध्वज_के_तले_भारतवर्ष_की_भूमि पर #अनेक_युद्ध_हुए_हैं !
मैं भारत वर्ष में लड़े गये प्रत्येक युद्ध का #मूक_गवाह_हूँ।

##मै_भगवा_केसरिया_हूँ #चंद्रगुप्त_की_राजधानी_पाटलिपुत्र के #हर_भवननुमा_शिखरों पर भी #मुझे_उचीत_स्थान_दिया_गया।

मुझे समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन , विक्रमादित्य , यशोवर्मा , पृथ्वीराज चौहान आदि सभी #सनातनी_हिन्दू_बौद्ध_जैन_सिख_राजाओं ने भी बहुत मान बढाया।

मुगलकाल में छत्रपति शिवा जी ,महाराणा प्रताप और राजा कृष्ण देवराय ने अपना-अपना प्रतिक बनाया।नावीकों ने अपने-अपने नावों पर भी मुझे लहराने की कोई कसर नही छोड़ा।

..भारतवर्ष में जब अंग्रेज आए तो मुझे दरकिनार किया गया।फिर मेरे लिए खुशी के दिन तब आया जब 1926 में करांची में कांग्रेस के अधिवेशन में मुझे राष्ट्रध्वज बनाने का प्रस्ताव किया लेकिन खुशी तब काफुर हो गयी जब बाद में अनेक मुस्लिम नेताओं ने विरोध कर दिया।एक बार फिर जब देश को राष्ट्रध्वज चुनने की बात आयी तो सरदार वल्लभ भाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू,-डा.पट्टाभि सीतारमैया, डा.ना.सु.हर्डीकर ,आचार्य काका कालेलकर, मास्टर तारा सिंह आदि ने एक स्वर में यह मांग की राष्ट्रध्वज भगवा ही होना चाहिए लेकिन गांधी जी ने धूर्ततावश मुझे राष्ट्रध्वज के रूप में रखने से इंकार कर दिया।

तब से दरकिनार पड़ा हूँ।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मेरे दर्द को समझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डाक्टर केशव बलराम हेडगेवार जी ने अपने संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आन ब पहचान बनाया।

... मेरी पहचान कभी वीरता,त्याग और संस्कृति के प्रतिक के रूप में होता था अचानक से 2008 के बाद वामपंथी षडयंत्र कम्युनिष्टी सोष़्लिष्टी ईसाई मिशनरी इस्लामी जिहादी मुल्ला मौलवियों एवं जातिवादी वर्गवादी क्षेत्रवाद भाषावादी बौद्धिक षड़यंत्रकारी आतंकवादियों ने मेरी पहचान भगवा आतंकवाद के रूप में होने लगी है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ इस दर्द से मै तभी से ब्यथित हुं मुझे अभी तक न्याय नहीं मिला है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मुझे न्याय चाहिए कि मुझ जैसे  त्याग, तप, विरता और संस्कृति के प्रतिक को #आतंक का प्रतिक कब किसने क्यों कैसे किसलिये बना दिया गया ?

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..अंत में मैं यही कहना चाहुंगा ---------
"अपने ही निगाहों में हमने अपना चमन जलते देखा।
अपना मधुवन जलते देखा अपना उपवन जलते देखा ।।
बस्तियां जलाने वाले को कोई दोष न दे तो अच्छा है।
घर के चिरागों से हमने ये घर आंगन जलते देखा। 🙏🇮🇳

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी