मंगलवार, 5 सितंबर 2017

🙏समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

समस्त धार्मिक एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवादियों को नमस्कार..!!🙏

आप महान हैं, क्यूंकि आप पुन: इस ऋषि भूमि को विश्व गुरु बनाने हेतु संकल्पित होकर कार्य कर रहे हैं, मुझे आशा है परन्तु मैं आप सबको आश्वस्त करता हूँ कि आप सब स्वयं से आश्वस्त रहें कि आप ऐसा मात्र इसी जन्म में नहीं कर रहे अपितु पिछले कई जन्मों (योनियों) से आप इस पुण्य-कार्य हेतु संकल्पित हैं ।

आज तक जितने भी आन्दोलन, युद्ध, संघर्ष इत्यादि हुए हैं उनमे आप जैसी पुण्यात्माओं का योगदान सदैव रहा है, क्यूंकि आप जो इस जन्म में इस समय कर रहे हो, वो मात्र इस जन्म के संकल्प नहीं हैं, वो पूर्व में अनेकोनेक जन्मों (योनियों) से आप करते आये हैं… अर्थात आप केवल इस जन्म में ऐसे पुरुषार्थी हो … ऐसा नही है … आप पिछले अनेक जन्मों से ऐसे ही हो ।

इतिहास के साक्षी युद्धों, आंदोलनों में आप जैसे पुरुषार्थियों और कर्मयोगियों द्वारा जो संकल्प लिए गये उन्हें पूरा करने हेतु ही आप पुन: मनुष्य योनि में जन्म लेकर अपने संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आये हो ।

आप महाराणा प्रताप की सेना में भी थे…
आप छत्रपति शिवाजी की सेना में भी थे…
आप चाणक्य के शिष्य भी थे…
आप महाभारत के धर्मयुद्ध में भी थे…
आप देवासुर संग्राम में भी थे…
आप ऋषियों के यज्ञों में भी थे…
आप व्यास की स्मृतियों में भी थे…
आप श्री राम की वानर सेना में भी थे…
आप कृष्ण के पांचजन्य के निर्देश पर भी युद्ध करते थे…
आप ब्राह्मणों की श्रुतियों, स्मृतियों, साधनाओं में भी थे…
आप क्षत्रियों के शौर्य, वचन और पराक्रम में भी थे…
आप वैश्यों के व्यापार कौशल में भी थे…
आप शूद्रों के अनुभव और परिश्रम में भी थे…!!

वही पूर्वजन्मों के कर्म और संस्कार आपको इस जन्म में भी प्रेरित करते हैं अपने पूर्व जन्मों के अधूरे संकल्पों को पूरा करने हेतु, परन्तु यह भी तो हो सकता है कि पूर्व जन्मों में आप जितने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी थे… इस जन्म में आप उतने पराक्रमी, अनुभवी, निपुण, ज्ञानी न हों… या हो सकता है कि पूर्वजन्मों से अधिक भी हों ।

परन्तु यह स्पष्ट है कि शिक्षा पद्धति, रहन-सहन, भौतिकवाद के कारण हमारा स्तर तो गिरा ही है, चाहे वो किसी भी रूप में हो ।

कुछ प्रश्न आप सबके लिए छोड़ रहा हूँ… इनके उत्तर भी मैं यहाँ पर लिख सकता हूँ, परन्तु चाहता हूँ कि आप स्वयं अपने स्तर पर इनके प्रश्नों के उत्तर खोजें…

जन्म एवं मृत्यु क्या कर्म-फल के सिद्धान्त और नियम से बाहर है ?
क्या नये जन्म मे आपके पूर्वजन्म मे किये गये कर्मों का कोई संबन्ध नहीं होता ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का प्रतिफ़ल आपको प्राप्त हो चुका है ?
क्या इस जन्म मे किये गये कर्मों का लेखा जोखा मृत्यु के साथ ही समाप्त हो जायेगा ?

कर्म कितने प्रकार के हैं ?
प्रारब्ध कर्म क्या होते हैं ?
संचित कर्म क्या होते हैं ?
क्रियमाण कर्म क्या होते हैं ?

वर्तमान योनि और पूर्व-पूर्व जन्म में प्राप्त हुई योनियो का DNA  पूर्व पूर्व योनियो मे किये गये कर्मो द्वारा निर्धारित और फलित हो चुका है… अत: आपके वर्तमान जन्म के कर्मो से ही आने वाली समस्त योनियो का DNA निर्धारित होगा ।

संक्षेप में कहूं तो आने वाली योनियों के DNA का Updation इस जन्म में बरते गये कर्मों के आधार पर भी होगा और पूर्व जन्मों के आधार पर भी ।

आप जो इस जन्म में हैं, आपका स्वभाव, प्रकृति, प्रवृत्ति, विकृति, सत्य, “धर्म-परायणता तथा धर्म-निरपेक्षता”, यम-नियम, क्रोध, अहंकार, कोमलता, दयाभाव, पौरुष, कायरता, ब्राह्मणत्व, क्षात्रत्व, वैश्यत्व, शूद्रत्व… आदि सब पूर्व पूर्व योनियों में किये गये कर्मों द्वारा जनित होता रहा है और Updated भी होता रहा है ।

ये भी निश्चित ही है कि ऋषियों की हम संताने पिछले कई जन्मों से अपने कर्मों, शास्त्रों से दूरी, शस्त्रों से दूरी, आदि जैसे कई कारणों के माध्यम से अपना DNA DownGrade करते चले आ रहे हैं, आप आकलन कीजिये अपने पूर्वजों के संस्कारों, बल, बुद्धि आदि का अपने
साथ और फिर एक बार सोचिये कि क्या हम सही अर्थों में आज धर्म, राष्ट्र, संस्कृति की रक्षा करने लायक हैं … ??

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अपनी धर्म-परायणता को निखारने और उसको प्रखर रूप में स्थापित कर ऋषि भूमि को पुन: विश्व गुरु बनाने हेतु अपने इस जन्म के DNA को भी और प्रखर बनाएं, जिससे कि यदि इस जन्म में भी कुछ संकल्प अधूरे रह जाएँ तो आगे आने वाले जन्मों (योनियों) में उन संकल्पों को पूर्ण करने हेतु आप दक्ष हो सकें… Update हो सकें ।

कठिन हो सकता है परन्तु असंभव नही…

किसी योग्य गुरु का चुनाव करें और उनके सान्निध्य में व्याकरण की शिक्षा प्राप्त करें उसके उपरान्त वेद, वेदाङ्ग, दर्शनो, पुराणो इत्यादि मे से जो भी सुलभ् हो उसका अध्ययन करें और और अपने धर्म को जान कर अपनी धर्म-परायणता को निश्चित दिशा प्रदान करें ।

धर्म-परायणता जिसे अधिकाँश हिन्दू उर्दू में कट्टरता कहते हैं… उसे बढायें … यदि संभव हो तो कट्टर कहने के स्थान पर धर्म-परायण कहना आरम्भ करें ।

क्यूंकि कट्टरता के अर्थों को देखें तो कट्टरता जड़ता का पर्याय है… तमस का प्रयाय है, जिस प्रकार ठहरे हुए पानी में कीड़े पड़ जाते हैं, उसी प्रकार होती है ये कट्टरता ।

इसके विपरीत धर्म-परायणता सात्विकता का पर्याय है, गति-शीलता का जिसके अंतर्गत स्वाध्याय के माध्यम से अविरल बहते जल के समान ज्ञान के प्रकाश को बढ़ाते हैं तथा अपनी प्रज्ञा को निखारते हैं l सत्यापित अर्थों में धर्म-निरपेक्षता का मूक एवं सटीक प्रयुत्तर आप अपने विरोधियों को देने लगेंगे ।

चुनाव आपको करना है … धर्म-परायण या धर्म-निरपेक्ष ।

और यदि धर्म-परायणता का प्रचार प्रसार आपने किया तो आपके आने वाले जन्मों में आप और अधिक प्रखर बन कर जन्म लेंगे और आपकी इस प्रखरता का लाभ आपकी आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होगा ।

“क्या आप अपनी आने वाली पीढ़ियों को विरासत में सर्वोत्तम DNA देना नहीं चाहेंगे ?”

यदि अब भी सनातन-धर्मी कुछ न समझें…
तो वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान से भी निम्न-स्तर पर पहुंचा देंगे ।
जबकि हमारे पूर्वजों ने हमे उत्तम से उत्तम संस्कारों से परिपूर्ण होकर अपने बल, बुद्धि, वीर्य, शौर्य, पराक्रम, प्रज्ञा से हमारे DNA को सबसे समृद्धशाली बनाया, जिसका लोहा पूरे विश्व ने माना है ।

जिस प्रकार आप अपने परिवार के लिए आने वाले वर्षों के लिए व्यापार-सेवा आदि करके धन अर्जित करते हैं और संचित करते हैं… ऐसे ही पुण्य कार्यों द्वारा अपने क्रियमाण और संचित कर्मों का उत्तम निर्वाह करके… उन्हें अपने प्रारब्ध कर्मों में जोड़िये अर्थात उनका Fixed-Diposit कर दीजिये ।

ईश्वर में विश्वास रखिये… यह निवेश आपको आने वाले अनेकोनेक जन्मों (योनियों) तक लाभान्वित करेगा और इसका ब्याज भी आपको समय समय पर लाभान्वित करके आपकी प्रसन्नता को बढाता रहेगा तथा आपको आने वाले जन्मो में धर्म, राष्ट्र और संस्कृति हेतु प्रज्ञावान और वीर्यवान बनाता रहेगा ।

इससे अच्छी TIP आपको Share-Market में भी कोई नहीं दे सकता ।

आने वाली पीढ़ियों के संरक्षण और विकास हेतु इस लेख का अधिक से अधिक प्रचार करें l

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

जय हिन्दू राष्ट्र!
जय श्री राम

✍🙏 क्षमा याचना 🙏✍

आज जैन धर्म की परंपरा के अनुसार क्षमा मांगने का दिन है मैं जैन तो नही हूँ ,लेकिन किसी भी धर्म में कोई अच्छी चीज है तो उसका जरूर अनुसरण करना चाहिए ।

मेरे अहंकार से....यदि मैने किसी को नीचा दिखाया हो...

मेरे क्रोध से.... यदि किसी को दुःख पहुचाया हो।

मेरे झूठ से... किसी को कोई परेशानी हुई हो।

मेरे ना से.... किसी की सेवा में, बाधा आयी हो।

मेरे हर एक कण कण से जो मैने किसी को निराश किया हो।

मेरे शब्दों से.... जो किसी के हृदय को ठेस पहुचाई हो।

जाने अनजाने में यदि मैं आपके कष्ट का कारण बना हूँ।

तो मैं मेरा मस्तक झुकाकर,हाथ जोड़कर 🙏, सहृदय..!!

आप से क्षमा मांगता हूँ..!!

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी
🙏 🙏🙏🙏

🐯 सिंह गर्जना 🐯

लव-जिहाद  कहीं आपकी बहन बेटी की मुस्लिम महिला मित्र तो नही ??

सबसे पहले मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों की सहेलियां बनती है !

उन्हें इस्लाम की मीठी मीठी चिकनी चुपड़ी बातों से प्रभावित करती है ।

उन्हें मन्नत मांगने ओर उसके शत प्रतिशत पूरा होने का दावा कर पीर, बाबा आदि की मजार में लेकर जाती है ।

एक आध कोई तुक्का बैठ जाता है, ओर ना भी बेठे थे, तो  अपनी दोस्ती में मुस्लिम लडकिया हिन्दू लड़कियों का इतना ब्रेनवाश कर देती है, की लड़कियां हिन्दू धर्म से बहुत दूर चली जाती है ।

उसके बाद वह किसी मुस्लिम लड़के से उसकी दोस्ती करवाती है, वह मुस्लिम लड़का शुरू शुरू में मानवता की मिसाल बनता है । उस हिन्दू लड़की का ह्रदय जीत लेता है ।

वहीं से प्यार शुरू होता है, उसके बाद हिन्दू लड़की का निकाह ओर धर्म परिवर्तन
यही लव जिहाद की कहानी है ।

अगर अपने घर की बहन बेटी की इज्जत बचानी है, तो बिना कोई बात सुने उन्हें उनकी मुस्लिम महिला मित्रो से दूर कीजिये । धर्म का ज्ञान दीजिये, इतिहास से परिचित करवाइए ।

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

सोमवार, 4 सितंबर 2017

आखिर दोषी कौन..? ठग या जनता..?

सात लाख रूपये दीजिये तो राधे माँ ( जसबिंदर कौर) आपको गोद में बैठाकर आशीर्वाद देंगी और पन्द्रह लाख रूपये दीजिये तो आप धूर्त ठग राधे माँ को किसी फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ आशीर्वाद ले सकते हैं ! तब भी वो देवी है मूर्ख हिंदुओं की।

निर्मल बाबा है जो लाल चटनी और हरी चटनी में भगवान की कृपा दे रहा है ! रात दिन पूज रहा है।

रामपाल भक्त हैं जो कबीर को पूर्ण परब्रह्म परमात्मा मानते हैं ! ओर अपने नहाए हुए पानी को अपने भक्तों को पिला कर कृतार्थ करता है।

ब्रह्मकुमारीमत वाले हैं जो दादा लेखराज के वचनों को सच्ची गीता बताते हैं और परमात्मा को बिन्दुरुप बताते हैं ! इन्होंने भगवद गीता भी फेल कर दी।

राधास्वामी वाले अपने गुरु को ही मालिक परमेश्वर भगवान ईश्वर मानते हैं । वो साक्षात ईश्वर का अवतार है और वेद गलत है ।

निरंकारी है जिनका उद्धार करने वाला ही कई करोड़ की गाड़ी में 350 कई स्पीड पर भयंकर दुर्घटना में औरों के तो पता नही , अपना मिलन परमात्मा से करवा लेता है।

कुछ चाँद मियाँ ऊर्फ साई  बाबा को भगवान बनाने पर तुले हैं।

मजार-मरघट-पीर-फकीर मर्दे कलंदर न जाने क्या-क्या सभी हिन्दू है।

आसाराम के भक्त तो और भी महान है सब पोल खुल जाने पर भी सड़को पर भक्त बनकर आसाराम को ईश्वर मान रात दिन उसके गुण गाते है।

हिन्दुस्तान में रहने वाले जैन, बौद्ध, कबीरपंथी, अम्बेडकरवादि, मांसाहारी, शाकाहारी, साकारी, निराकारी सब हिन्दू हैं।

            लेकिन हिंदु सच में है कौन
          खुद इन हिन्दुओ को नहीं पता।

कब जागोगे आखिरकार हिंदुओं तुमने स्वयं ही वैदिक सनातन धर्म की सबसे ज्यादा हानि की है।

कोई विदेशी इसका जिम्मेदार नहीं है।

यह हैं हिंदू जिन्हें जिसने जैसा बेबकूफ बनाया वैसे बन गये।
जिसने अपनी दुकान ज्यादा सजायी वो ही उतना बड़ा परमेश्वर हो गया ।

सच में हिंदुत्व का ऐसा विकृत रूप देखकर दुःख होता है।
आओ लौट चले, सनातन धर्म की और,
पुनः विश्व मे वैदिक धर्म का परचम लहरायें भारत को पुनः आर्यवर्त बनाकर विश्व गुरू बनायें।🙏🇮🇳

⛳🚩 भगवा केसरिया की आत्मकथा 🚩⛳

#मै_भगवा_केसरिया_बोल_रहा_मेरा_दर्द_तो_सुनो :-

#मैं_भगवा_केसरिया_हूँ जो भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास का साक्षी रहा है। गूंगा हूँ पर सुनता हूँ देखता हूँ।
मैं मुक गवाह हूँ इस प्राचीन देश के बनते और बिगड़ते का।
जब एक फिल्म अभीनेता कमल हासन ने कहा कि मुझे सभी रंग पसंद है लेकिन भगवा पसंद नही है तो दर्द छलक आया।
मै फिर जोर-जोर से रोने लगा और रोते-रोते इतिहास अपने स्वर्णमिम इतिहास में खो गया।
जो वैदिक काल में कभी देवराज इन्द्र के ऐरावत पर लहराया करता था।जब ऋषि-मुनी यज्ञ करते थें तो मुझे छोटे-छोटे आकार में बनाकर देवताओं पर चढाया जाता था।

#मै_वही_भगवा_केसरिया...मेरा निर्माण और नामकरण ऋषिओं ने किया था।उषाकाल के सूर्य और अग्नि के रंग को देखकर ऋषिओं ने उसी रंग में मुझे रंग डाला।देवी उषा भग के बहन थी इसलिए ऋषिओं ने मेरा नाम भगवा कर दिया क्योंकी उषाकाल के समय आकाश और ब्रह्मांड दोनों ही भगवा रंग में रंगा रहता है।ऋग्वेद के मंत्रों में मुझे अरूणा कहा गया।

...वैदिक काल में मैं ऋषिओं के कुटीओं में लहराया करता था फिर उंचे-उंचे महलों पर भी मुझे स्थान दिया गया।

...रामायणकाल में श्री राम ने भी मुझे बहुत सत्कार किया जब राम-रावण युद्ध शुरू हुआ तो सैनिकों की एक टुकड़ी बना दी गयी थी जो मुझे थामे हुए आगे-आगे चलते थे और पिछे-पिछे श्री राम की सेना चलती थी।मेरा रंग श्री राम के सेना के पहचान था।

..महाभारतकाल में श्री कृष्ण ने भी अपना पहचान बनाया उन्होनें अपने रथ पर मुझमें हनुमान के चित्र अंकित कर लहराया।युधिष्ठीर के रथ पर मुझमें नछत्र से युक्त चंद्रमा को अंकित किया गया।

..मध्यकाल में भी कई राजाओं ने मेरा मान रखा।अनेक राजमहलों के उंचे शिखर पर हमें लहराया जाता था किसी ने मुझपर तलवार का चित्र उकेर दिया तो किसी ने सूर्य का, किसी ने चंद्रमा का ,किसी ने स्वास्तीक का तो किसी ने वृक्ष का तो किसी राजा ने अपने कुलदेवता का।मुझ पर उकेरा गया चित्र ही राजाओं के अपना-अपना पहचान होता था।

..फिर #भक्तिकाल_में_शिव_के_शैवभक्तों ने #मुझपर_नंदी_का_चित्रांकन_कर_नंदी_ध्वज बोला

तो #विष्णु_के_भक्त_वैष्णवों ने #गरूड़_को_अंकित_कर_गरूड़ध्वज बोला

तो उसी तरह #देवी_सम्प्रदाय_वाले_शाक्तों ने #सिंह_का_प्रतिक_देकर_मुझे_सिंहध्वज बताया।

#मै_भगवा_केसरिया.हूं मुझ में ही .#भगवान_जगन्नाथ_मंदिर_के_शिखर पर #बिचोबिच_अर्धचंद्र_अंकित_किया_गया_है तो #दक्षीण_के_मंदिरों_में_हमारे_बिचोबिच #ॐ_को_चित्रांकित_कर_उनके_शिखरों पर फहराया जाता है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूं मुझे ही #गुजरात_के_द्वारिकाधीश_मंदिर_के_शिखर_पर #चक्र_के_चित्र_के_साथ_लहराया_गया।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..इसके अलावा #महाभारत_के_युद्धकाल में #मेरा_नाम_भीमध्वज_के_रूप अलग प्रयोग संकेत के रूप में होता था।
हमें #युद्ध_में_तेजी_लाने_के_संकेत के रूप लहराया जाता था।

#मै_भगवा_केसरिया_हँ #मेरे_ध्वज_के_तले_भारतवर्ष_की_भूमि पर #अनेक_युद्ध_हुए_हैं !
मैं भारत वर्ष में लड़े गये प्रत्येक युद्ध का #मूक_गवाह_हूँ।

##मै_भगवा_केसरिया_हूँ #चंद्रगुप्त_की_राजधानी_पाटलिपुत्र के #हर_भवननुमा_शिखरों पर भी #मुझे_उचीत_स्थान_दिया_गया।

मुझे समुद्रगुप्त, हर्षवर्धन , विक्रमादित्य , यशोवर्मा , पृथ्वीराज चौहान आदि सभी #सनातनी_हिन्दू_बौद्ध_जैन_सिख_राजाओं ने भी बहुत मान बढाया।

मुगलकाल में छत्रपति शिवा जी ,महाराणा प्रताप और राजा कृष्ण देवराय ने अपना-अपना प्रतिक बनाया।नावीकों ने अपने-अपने नावों पर भी मुझे लहराने की कोई कसर नही छोड़ा।

..भारतवर्ष में जब अंग्रेज आए तो मुझे दरकिनार किया गया।फिर मेरे लिए खुशी के दिन तब आया जब 1926 में करांची में कांग्रेस के अधिवेशन में मुझे राष्ट्रध्वज बनाने का प्रस्ताव किया लेकिन खुशी तब काफुर हो गयी जब बाद में अनेक मुस्लिम नेताओं ने विरोध कर दिया।एक बार फिर जब देश को राष्ट्रध्वज चुनने की बात आयी तो सरदार वल्लभ भाई पटेल,जवाहर लाल नेहरू,-डा.पट्टाभि सीतारमैया, डा.ना.सु.हर्डीकर ,आचार्य काका कालेलकर, मास्टर तारा सिंह आदि ने एक स्वर में यह मांग की राष्ट्रध्वज भगवा ही होना चाहिए लेकिन गांधी जी ने धूर्ततावश मुझे राष्ट्रध्वज के रूप में रखने से इंकार कर दिया।

तब से दरकिनार पड़ा हूँ।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मेरे दर्द को समझकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक परमपूज्य डाक्टर केशव बलराम हेडगेवार जी ने अपने संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आन ब पहचान बनाया।

... मेरी पहचान कभी वीरता,त्याग और संस्कृति के प्रतिक के रूप में होता था अचानक से 2008 के बाद वामपंथी षडयंत्र कम्युनिष्टी सोष़्लिष्टी ईसाई मिशनरी इस्लामी जिहादी मुल्ला मौलवियों एवं जातिवादी वर्गवादी क्षेत्रवाद भाषावादी बौद्धिक षड़यंत्रकारी आतंकवादियों ने मेरी पहचान भगवा आतंकवाद के रूप में होने लगी है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ इस दर्द से मै तभी से ब्यथित हुं मुझे अभी तक न्याय नहीं मिला है।

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ मुझे न्याय चाहिए कि मुझ जैसे  त्याग, तप, विरता और संस्कृति के प्रतिक को #आतंक का प्रतिक कब किसने क्यों कैसे किसलिये बना दिया गया ?

#मै_भगवा_केसरिया_हूँ..अंत में मैं यही कहना चाहुंगा ---------
"अपने ही निगाहों में हमने अपना चमन जलते देखा।
अपना मधुवन जलते देखा अपना उपवन जलते देखा ।।
बस्तियां जलाने वाले को कोई दोष न दे तो अच्छा है।
घर के चिरागों से हमने ये घर आंगन जलते देखा। 🙏🇮🇳

ठाकुर सचिन चौहान अग्निवंशी

गुरुवार, 31 अगस्त 2017

श्री महाराणा प्रताप सिंह जी

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)
जन्म - 9 मई, 1540 ई.
जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान
पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई.
पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी
माता - राणी जीवत कँवर जी
राज्य - मेवाड़
शासन काल - 1568–1597ई.
शासन अवधि - 29 वर्ष
वंश - सुर्यवंश
राजवंश - सिसोदिया
राजघराना - राजपूताना
धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म
युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध
राजधानी - उदयपुर
पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह
उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह

अन्य जानकारी -
महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था,
जिसका नाम 'चेतक' था।

राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर,
मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे।

वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि
राणा प्रताप का जन्म हुआ।

महाराणा का नाम
इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है।

महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर
के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती
है।

महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:-

1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत दुश्मन सैनिक को काट डालते थे।

2.... जब इब्राहिम लिंकन भारत दौरे पर आ रहे थे तब उन्होने
अपनी माँ से पूछा कि हिंदुस्तान से आपके लिए क्या लेकर
आए| तब माँ का जवाब मिला- ”उस महान देश की वीर भूमि
हल्दी घाटी से एक मुट्ठी धूल लेकर आना जहाँ का राजा अपनी प्रजा के प्रति इतना वफ़ादार था कि उसने आधे हिंदुस्तान के बदले अपनी मातृभूमि को चुना ” लेकिन बदकिस्मती से उनका वो दौरा रद्द हो गया था | “बुक ऑफ़
प्रेसिडेंट यु एस ए ‘किताब में आप यह बात पढ़ सकते हैं |

3.... महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलोग्राम था और कवच का वजन भी 80 किलोग्राम ही था|

कवच, भाला, ढाल, और हाथ में तलवार का वजन मिलाएं तो कुल वजन 207 किलो था।

4.... आज भी महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान
उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं |

5.... अकबर ने कहा था कि अगर राणा प्रताप मेरे सामने झुकते है तो आधा हिंदुस्तान के वारिस वो होंगे पर बादशाहत अकबर की ही रहेगी|
लेकिन महाराणा प्रताप ने किसी की भी अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया |

6.... हल्दी घाटी की लड़ाई में मेवाड़ से 20000 सैनिक थे और
अकबर की ओर से 85000 सैनिक युद्ध में सम्मिलित हुए |

7.... महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का मंदिर भी बना हुआ है जो आज भी हल्दी घाटी में सुरक्षित है |

8.... महाराणा प्रताप ने जब महलों का त्याग किया तब उनके साथ लुहार जाति के हजारो लोगों ने भी घर छोड़ा और दिन रात राणा कि फौज के लिए तलवारें बनाईं| इसी
समाज को आज गुजरात मध्यप्रदेश और राजस्थान में गाढ़िया लोहार कहा जाता है|
मैं नमन करता हूँ ऐसे लोगो को |

9.... हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहाँ जमीनों में तलवारें पाई गई।
आखिरी बार तलवारों का जखीरा 1985 में हल्दी घाटी में मिला था |

10..... महाराणा प्रताप को शस्त्रास्त्र की शिक्षा "श्री जैमल मेड़तिया जी" ने दी थी जो 8000 राजपूत वीरों को लेकर 60000 मुसलमानों से लड़े थे। उस युद्ध में 48000 मारे गए थे
जिनमे 8000 राजपूत और 40000 मुग़ल थे |

11.... महाराणा के देहांत पर अकबर भी रो पड़ा था |

12.... मेवाड़ के आदिवासी भील समाज ने हल्दी घाटी में
अकबर की फौज को अपने तीरो से रौंद डाला था वो महाराणा प्रताप को अपना बेटा मानते थे और राणा बिना भेदभाव के उन के साथ रहते थे|
आज भी मेवाड़ के राजचिन्ह पर एक तरफ राजपूत हैं तो दूसरी तरफ भील |

13..... महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक महाराणा को 26 फीट का दरिया पार करने के बाद वीर गति को प्राप्त हुआ | उसकी एक टांग टूटने के बाद भी वह दरिया पार कर गया। जहाँ वो घायल हुआ वहां आज खोड़ी इमली नाम का पेड़ है जहाँ पर चेतक की मृत्यु हुई वहाँ चेतक मंदिर है |

14..... राणा का घोड़ा चेतक भी बहुत ताकतवर था उसके
मुँह के आगे दुश्मन के हाथियों को भ्रमित करने के लिए हाथी
की सूंड लगाई जाती थी । यह हेतक और चेतक नाम के दो घोड़े थे|

15..... मरने से पहले महाराणा प्रताप ने अपना खोया
हुआ 85 % मेवाड फिर से जीत लिया था । सोने चांदी और
महलो को छोड़कर वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में घूमे |

16.... महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लम्बाई 7’5” थी, दो म्यान वाली तलवार और 80 किलो का भाला रखते थे हाथ में।

महाराणा प्रताप के हाथी
की कहानी:

मित्रो आप सब ने महाराणा
प्रताप के घोड़े चेतक के बारे
में तो सुना ही होगा,
लेकिन उनका एक हाथी
भी था। जिसका नाम था रामप्रसाद। उसके बारे में आपको कुछ बाते बताता हुँ।

रामप्रसाद हाथी का उल्लेख
अल- बदायुनी, जो मुगलों
की ओर से हल्दीघाटी के
युद्ध में लड़ा था ने अपने एक ग्रन्थ में किया है।

वो लिखता है की जब महाराणा
प्रताप पर अकबर ने चढाई की
थी तब उसने दो चीजो को
ही बंदी बनाने की मांग की
थी एक तो खुद महाराणा
और दूसरा उनका हाथी
रामप्रसाद।

आगे अल बदायुनी लिखता है
की वो हाथी इतना समझदार
व ताकतवर था की उसने
हल्दीघाटी के युद्ध में अकेले ही
अकबर के 13 हाथियों को मार
गिराया था

वो आगे लिखता है कि
उस हाथी को पकड़ने के लिए
हमने 7 बड़े हाथियों का एक
चक्रव्यूह बनाया और उन पर
14 महावतो को बिठाया तब
कहीं जाकर उसे बंदी बना पाये।

अब सुनिए एक भारतीय
जानवर की स्वामी भक्ति।

उस हाथी को अकबर के समक्ष
पेश किया गया जहा अकबर ने
उसका नाम पीरप्रसाद रखा।
रामप्रसाद को मुगलों ने गन्ने
और पानी दिया।
पर उस स्वामिभक्त हाथी ने
18 दिन तक मुगलों का न
तो दाना खाया और न ही
पानी पिया और वो शहीद
हो गया।

तब अकबर ने कहा था कि
जिसके हाथी को मैं अपने सामने
नहीं झुका पाया उस महाराणा
प्रताप को क्या झुका पाउँगा।
ऐसे ऐसे देशभक्त चेतक व रामप्रसाद जैसे तो यहाँ
जानवर थे।

इसलिए मित्रो हमेशा अपने
भारतीय होने पे गर्व करो।
पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो
तो शेयर कर देना।
                जय महाराणा
                  जय मेवाड़
              ⛳जय राजपुताना।🙏

बुधवार, 30 अगस्त 2017

हिन्दु क्यों दुर हो रहा है अपने धर्म से ?

हिन्दु क्यों दुर हो रहा है अपने धर्म से ?

हिन्दु को राम राम कहने में क्यों आती है शर्म ?

हिन्दु तिलक लगाने में क्यों हिचकता है ?

हिन्दु मंदिर जाने में क्यों शरमाता है ?

कारण एक ही है.........

आप फिल्में तो देखते ही हैं उसमें आपने देखा होगा की फिल्म में जो नमस्ते करता है ,
राम राम कहता है ,
भगवान का नाम लेकर बात करता है ,
बात करते करते हे!राम बोलता है , उस पर सब हंसते हैं
उसकी हंसी उड़ाते हैं ,
उसे गांव वाला कहा जाता है..

कुछ दृश्यो में दिखाया जाता है कि लड़कियां उन लड़को को बिलकुल भाव नहीं दे रही जिनके गले में रुद्राक्ष की माला है ,
तिलक लगा रखा है , भगवान
का नाम ले रहा है , मंदीर जा रहा है..
क्या किसी फिल्म में किसी दुसरे धर्म को मानने पर उसे इस तरह गांव वाला दिखाया गया हो जरा याद किजिए..
नहीं याद आ रहा ना , आयेगा भी नहीं क्योंकी एसा किसी फिल्म
में दिखाया ही नहीं गया है..
चलिए और गोर से समझ लेते हैं आप किसी हिन्दु के छोटे बच्चे को राम राम बोलो वो आपको बदले में क्या जवाब देगा..

फिर एक दुसरे धर्म के बच्चे को उसके धर्म के अनुसार कहिये वो आपको क्या जवाब देता है..

आप खुद समझ जायेंगे की हमारी आने वाली पिढ़ी कहा जा रही है..
एक और उदाहरण.......

अब अपने आफिस में किसी हिन्दु को राम-राम बोलो..

आप भी जानते हैं सब हंसने लगेंगे
आपको हाय हलो कहने को कहेंगे..
अब अगर कोई गलती हो जाये तो हे!राम बोलिये
सब फिर हंसेंगे पर
ओह गॉड बोलिये कोई नहीं हंसेगा..
अब अगर आपके फ्रेंड्स में कोई मुस्लिम हो तो उसे अस-सलाम-वालेकुम बोलिए चाहे वो कितना भी पढ़ा लिखा हो वो हंसेगा नहीं आपको वालेकुम-अस-सलाम जरुर बोलेगा..
और आपके अंदर हिम्मत हो तो उस पर हंस कर बताइये..

पर

हिन्दु को राम-राम बोलो वो चार दिन तक आपकी हंसी उड़ायेगा..
ये सब हिन्दुओं के दिमाग में किसने भरा की राम राम बोलने वाला गांव वाला और हाय हैलो बोलने वाला पढ़ा लिखा और हाई-फाई..

जवाब है .......

फिल्मों ने ये एक षडयंत्र रचा है हिन्दुओं के खिलाफ ताकी हिन्दु दुर हो जाये अपने धर्म से..

जरा सोचिये..

हिन्दुस्तान में लगभग 75 करोड़ हिन्दु है,
ये फिल्में अपनी कमाई का 70% हमसे ही कमाते हैं और हमारे ही धर्म की कब्र खोद रहे हैं।

हाय हाय नहीं राम-राम बोलो
क्योंकी हाय हाय तो हिजड़े भी बोलते हैं।

अब एक किस्सा सुनो..!!

पिछले संडे को मैने सोचा सबको राम राम बोल के देखुं तो संडे को घुमने का मुड़ था सब दोस्त एक मॉल के बाहर मिले कुछ लड़कियां भी थी..
तो वहां मैने सोचा चलो सबको राम राम बोलता हुं और सबके सामने जाते ही कहा राम-राम दोस्तो..
जैसा की होना था साले पेट पकड़-पकड़ कर हंसने लगे..

मैं भी कमर कस के गया था मैने वहां से एक मुस्लमान निकला, मैने उसे अस-सलाम-वालेकुम कहा उसने
तुरंत वालेकुम-अस-सलाम कहा..
सबकी शकल देखने लायक थी..
मैं बोला दम हो तो अब हंस के
दिखाओ..

आप भी समझ गये होंगे.. की हमें क्या करना है..
फिर भी याद रखने के लिए...!!👇

🚩अपने घर में छोटे बच्चो को राम राम कहिये,
उनसे भी जवाब में राम-राम कहने की आदत डालिए।

🚩उन्हे रोज़ मंदिर घुमाने लेकर जाइए।

🚩हिन्दु देवी देवताओं की कहानी सुनाये।

🚩महाराणा प्रताप , शिवाजी राव जैसे वीरो की कहानी सुनाये ना की अकबर बीरबल और
सिकंदरो की।

🚩उन्हे तिलक लगाने की आदत डालें।

🚩गायत्री मंत्र , हनुमान चालीसा , व महा मृत्युन्ज्य मंत्र याद करायें।

🚩गलती होने पर हे!राम बोलने की आदत डालें बजाय ओह गॉड के।

🚩मुसीबत आये तो "हे! हनुमान रक्षा करो" बोले बजाय
"ओह गॉड सेव मी" के।

🚩ये सारी बातें आप भी अपनाये व अमल में लायें।

हिन्दु संस्कृति बचेगी ,
तब ही हिन्दु बचेगा...!!

🚩 जय श्री राम 🚩