रविवार, 3 अक्टूबर 2021

अल्लाउद्धिन खिलजी की बेटी दिल्ली की फिरोजा बाई के प्यार और राजपूत वंश गौरव की युद्ध गाथा।


फिरोजा बाई जो दिल्ली की मुस्लिम राजकुमारी थी वह अल्लाउद्धिन खिलजी की लाडली और जिद्दी बेटी थी
वो जालौर के चौहान राजकुमार की वीरगति बाद सती हुई थी वह उस राजपूत राजकुमार से बेइंतहा मुहब्बत करती थी फीरोजा बाई बेहद सुंदर भी थी पर वो मुहब्बत इकतरफा थी क्योंकि उस राजपूत राजकुमार ने उसके विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दिया और इसी कारण वो युद्ध में वीरगति को प्राप्त होता है। 

हम फिर भी फीरोजा बाई के उस राजपूत राजकुमार के प्रति ऐसे एकतरफा प्यार समर्पण का सम्मान करते हैं।

क्योंकि वह दुनिया की पहली ऐसी मुस्लिम राजकुमारी थी जो एक राजपूत राजकुमार की मृत्यु बाद श्री यमुना जी में उस राजकुमार के कटे सिर साथ जल समाधि ले सती हुई जब उसके पिता अल्लाउद्धिन खिलजी ने अपनी बेटी समक्ष थाली मे सजा वीरमदेव का कटा सिर भेजा तो वो दिल्ली स्थित यमुना जी नदी में उस कटे सिर साथ जल समाधि ले इतिहास में अनूठी प्रेम कथा को अमर कर गई |

पर इस प्रेम एवम युद्ध गाथा के पीछे क्षत्रिय वंश गौरव की एक पारंपरिक कहानी है जो संक्षिप्त में इस प्रकार से है फिरोजा उस रणबांकुरे राजकुमार के सुंदर वीरता पर मुग्ध हो अपनी सुध बुद्ध खो बेठी थी और उसने 'वीरम दे' नाम के उस राजपूत राजकुमार को अपनी तरफ से प्रणय निवेदन भेजा।

पर राजपूत राजकुमार ने अपने क्षत्रिय संस्कारो कारण उस राजकुमारी को खेद जताते हुए सविनय मना कर दिया असमर्थता जता दी कि यह हम लोगों के धर्म एवं रक्त वंश परंपरा के खिलाफ है।

अपने खुद के कुल वंश के दाग लगने साथ अपने ननिहाल के यदुवंशी भाटीयों को भी उस म्लेच्छ युवती संग विवाह करने से लज्जित न होना पड़े ऐसा स्वरचित दोहा कहते हुए कि मामा लाजै भाटियां कुल लाजै चह्वमान जे तै परणू तुर्कसी पश्चिम उगै भान।

उस सुंदर मुस्लिम राजकुमारी से विवाह न कर पाने का कह उसके विवाह प्रस्ताव को एक तरह से ठुकरा दिया
और उसी कारण क्रोध में आ उस हठी राजकुमारी के बाप दिल्ली के सुल्तान उस अल्लाउद्धिन खिलजी ने
जो एक क्रुर और निर्दयी शासक के रुप में कुख्यात था उसने अपनी भारी भरकम फौजी लश्करों साथ जालौर की राजपूत रियासत पर 1311-12 में आक्रमण कर दिया।

अल्लाउद्धिन खिलजी की सेना ने जालौर दुर्ग को घेरते हुए वहीं पड़ाव डाल दिया और कई महीनों के घेरे बाद आखिर थक हारकर सुल्तान अल्लाउद्धिन खिलजी ने उस जालौर राजकुमार के पास एक सुंदर सा मन को लुभाने वाला संधी प्रस्ताव भेजा।

पर अपने वंश की मर्यादा पर दाग न लगे यह विचार कर लड़ने मरने की ठानते हुए उस सोनगरा राजकुमार ने अल्लाउद्धिन खिलजी के उस प्रलोभन को भी ठुकराते हुए युद्ध में अपनी जौहर प्रदर्शित करते हुए लड़ने का निर्णय।

और ऐसे प्रलोभन को ठुकराने वाला वो एक राजपूत ही हो सकता है जिसने सुंदर राजकुमारी और हिंदुस्तान की आधी सल्तनत ठुकरा दी जाहिर है कि सुल्तान के मरने बाद फीरोजा ही एकमात्र बेटी होने के कारण उत्तराधिकारी तो उसका दामाद ही बनता इस प्रकार उसने हिंदुस्तान की सल्तनत ठुकरा दी अपनी वंश परंपरा और क्षत्रिय संस्कारो के लिए जहाँ स्व धर्म को सर्वोपरि मानने की रीत रही है।

उस वीर बांकुरे राजपूत राजकुमार ने विवाह करने पर आधे हिंदुस्तान की सल्तनत देने के अल्लाउद्धिन खिलजी के प्रस्ताव को ठुकराते हुए युद्ध का अनुसरण किया शक्तिशाली दुश्मनों की बड़ी फौज मुकाबले अपनी कम संख्या वाली सेना वीर राजपूत सैनिकों की मदद से बड़ी तादाद में दुश्मन सेना को मारते काटते हुए वह शूरमा आखिर वीरगति को प्राप्त हुआ।

ऐसे वीर वंश से हैं हम राजपूत जिन्होंने धर्म की रक्षा को रियासतों के सुख वैभव से भी सदैव ऊपर माना धर्म और स्वाभिमान की रक्षा सर्वोपरि मानते हुए हम राजपूतों की वीरता साथ हमारे पूर्वजो के त्याग और बलिदान के ऐसे असंख्य उदाहरण है।

जो विश्व में कहीं भी देखने सुनने और पढ़ने को नहीं मिलेंगे इसीलिए कर्नल टॉड ने राजपूतो की बहादुरी पर लिखा कि अगर कोई यह कहे कि मैं मरने से नहीं डरता तो या तो वो झूठ बोल रहा है या फिर वो कोई राजपूत है।

कुछ सिरफिरे इतिहासकारों ने लिखा है कि राजपूत तो लड़ना नहीं वो तो मरना जानते हैं और यह सही भी है कि हम लोगों नें तुर्को माफिक चाल अपनाई होती तो आज संपूर्ण दुनिया में हमारी ही हुकूमत होती।

⚔ जय 👑 राजपूताना।⚔