शुक्रवार, 23 फ़रवरी 2018

जिन लोगों को राजपूतों से घृणा है वह इस को अवश्य पढ़े।

जिन लोगों को राजपूतों से घृणा है वह इस  को अवश्य पढ़े।   और  क्षत्रिय राजपूत भाई अधिक से अधिक शेयर करे और कमेंट में जय राजपूताना अवश्य लिखें ।


जिन जिन लोंगों को क्षत्रिय राजपूतो से नफरत है वो.. जयपुर,जोधपुर,उदयपुर,जैसलमेर,बीकानेर,हरयाणा,जामनगर,उधमपुर आदि के साथ ही सैकड़ो शहरो के नाम बदल दे..

ध्यान वर्तमान भारत के सीमा वर्ती क्षेत्र और पूर्व रियासते.. जैसलमेर,बीकानेर,जोधपुर,जम्मू,कच्छ में राजपूत शाशन ना होता तो ये भी पाकिस्तान में होते और आज क्षत्रिय राजपूत विरोधी हिन्दू टोपी पहन कर कुरान पढ़ रहे होते ।

शायद इन क्षत्रिय राजपूतो ने गलती कर दी मुग़ल तुर्को से लड़ाई कर के अपनी संस्कृति को बनाये रखा..

हर्षवर्धन बैंस के बाद के सबसे महान राजपूत शासको की सूची।
1-बाप्पा रावल
2-नागभट परिहार
3-मिहिरभोज परिहार
4-अमोघवर्ष राष्ट्रकूट
6-इंद्र-3 राष्ट्रकूट
7-भोज परमार
8-विग्रहराज बीसलदेव
9-यशोवर्मन चन्देल
10-लक्ष्मीकरंण कलचुरी
11-पृथ्वीराज चौहान
12-गोविंदचंद्र गहरवार
13-भीमदेव सोलंकी
14-राणा कुम्भा
15-राव मालदेव
16-राणा सांगा
17- जाम रावल
18-महाराणा प्रताप
19-महाराणा राजसिंह
20-गुलाब सिंह डोगरा।
21-सुहेलदेव बैस
22-कुमारपाल तोमर
23-कैमास दाहिमा
24-आल्हा-उदल
25-वीरधवल बाघेला
26-हठी हमीर
27-जैता
28-कुंपा
29-जयमल राठौर मेड़तिया
30-फत्ता जी सिसोदिया
31-भानजी दल जाडेजा
32-दुर्गादास
33-विरमदेव सोनिगरा
34-कान्हडदेव सोनीगरा
35- राव सुरतन देवड़ा
34 कर्ण सिंह सेंगर
35-कुंवर सिंह
36-जोरावर सिंह
37-डूंगर सिंह भाटी
39-रामशाह तोमर
39-मानसिंह झाला
40-राव बीका
41-राव जोधा
42-कल्ला जी राठौड़
43-गोगा जी
44-डूंगर सिंह भाटी
45-राणा बेनीमाधव सिंह
46-जयपाल आनन्दपाल जंजुआ
47-दुल्ला भाटी
48-मोहन सिंह मुंढाड
49-धीरसेन पुंडीर
50-जयसिंह रावल पताई रावल
51-रावल खुमान
52-पज्जवन राय कछवाह
53-काका कान्ह
54-अखेराज सोनीगरा
55-जाम लाखो फुलानि
56-वीर हमीर जी गोहिल
57-जाम साताजी
58-राम शाह तंवर
59-वीर पाबूजी
60-गोगा जी
61-रामदेव जी तंवर
62-राव शेखा जी
63-राव दूदा जी मेड़ता
64-वीरमदेव मेड़ता
65-वचरा दादा
66-अमर सिंह राठौड़
67-सिद्धार्थ जय सिंह
68-अनंगपाल तोमर
69- खेतसिंह खँगार
आदि

1-कर्मावती
2-दुर्गावती
3-पद्मनी
4-हाड़ी राणी
5-किरण बाई
आदि

𺠠𺠊🔰ऐसे ही हजारो क्षत्रिय योद्धा जो हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति के लिए कुर्बान हो गए।

💪वीर कुंवर सिंह,अमरसिंह,रामसिंह पठानिया,आऊवा ठाकुर कुशाल सिंह,राणा बेनीमाधव सिंह,चैनसिंह परमार,रामप्रसाद तोमर बिस्मिल,ठाकुर रोशन सिंह,महावीर सिंह राठौर जैसे महान क्षत्रिय क्रांतिकारी अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गए।

🔰आजादी के बाद सबसे ज्यादा परमवीर चक्र क्षत्रिय राजपूतो ने जीते।
💪शैतान सिंह भाटी,जदुनाथ सिंह राठौड़,पीरु सिंह शेखावत,गुरुबचन सिंह सलारिया,संजय कुमार डोगरा जैसे परमवीरो का बलिदान क्या भुला जा सकता है????
🔰आज भी
⛳राजपूत रेजिमेंट,
🎋राजपूताना रायफल्स,
⛳डोगरा रेजिमेंट,
🎋गढ़वाल रेजिमेंट,
⛳कुमायूं रेजिमेंट,
🎋जम्मू कश्मीर रायफल्स के जवान सीमा पर दुश्मन का फन कुचलने और गोली खाने के लिए सबसे आगे होते हैं।

🔰देश के एकीकरण के लिए हमने अपनी सैकडो रियासते कुर्बान कर दी,सारी जमीदारी कुर्बान कर दी,अपने खजाने खाली कर दिए!!!!!
👉क्या इस त्याग को यूँ ही भुला दिया जाएगा???❓

💪 क्षत्रिय राजपूत मतलब क्षत्रियो राजपुत्रः
📖गीता से लेकर रामायण तक में वर्णित है यहाँ क्षत्रियो में
💪भगवान राम,
💪भगवान कृष्णा से लेकर..
💪 महात्मा बुद्ध भगवान..
💪 महावीर से लेकर सभी सभी तीर्थनकर
🔰साथ ही लोकदेवता कल्ला जी बाबा रामदेव गोगाजी कल्लाजी सहित सैकड़ो लोकदेवता,जाम्भा जी परमार(विश्नोई मत) हुएं ।

वही राजपुतनिया भी अपना धर्म निभा गयी

↘देश की पहली महिला शहिद एक राजपुतानी
↘अमेरिकी राष्ट्रपति को गॉर्ड और ओनर देने वाली एक राजपूतानी
↘26 जनवरी को एयरफोर्स टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली एक राजपूतानी

ये खून है अभिमानी - सतीत्व की रक्षा
देश के कुछ किले जो अमर हो गए राजपुतनियो के जौहर और राजपूतो के शाका से
चित्तौड़ गढ़ ,जैसलमेर का, किला गढ़कुण्डार का किला ,जालौर का किला, गगरोन का किला,रणथम्बोर का किला,सिवाना गढ़ ,ग्वालियर ,राइसिन का किला,तारागढ़ अजमेर आदि

🔘 जौहर : युद्ध के बाद अनिष्ट परिणाम और होने वाले अत्याचारों व व्यभिचारों से बचने और अपनी पवित्रता कायम रखने हेतु महिलाएं अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा कर,तुलसी के साथ गंगाजल का पानकर जलती चिताओं में प्रवेश कर अपने सूरमाओं को निर्भय करती थी कि नारी समाज की पवित्रता अब अग्नि के ताप से तपित होकर कुंदन बन गई है और राजपूतनिया जिंदा अपने इज्जत कि खातिर आग में कूद कर आपने सतीत्व कि रक्षा करती थी | पुरूष इससे चिंता मुक्त हो जाते थे कि युद्ध परिणाम का अनिष्ट अब उनके स्वजनों को ग्रसित नही कर सकेगा | महिलाओं का यह आत्मघाती कृत्य जौहर के नाम से विख्यात हुआ |सबसे ज्यादा जौहर और शाके चित्तोड़ के दुर्ग में हुए | शाका : महिलाओं को अपनी आंखों के आगे जौहर की ज्वाला में कूदते देख पुरूष कसुम्बा पान कर,केशरिया वस्त्र धारण कर दुश्मन सेना पर आत्मघाती हमला कर इस निश्चय के साथ रणक्षेत्र में उतर पड़ते थे कि या तो विजयी होकर लोटेंगे अन्यथा विजय की कामना हृदय में लिए अन्तिम दम तक शौर्यपूर्ण युद्ध करते हुए दुश्मन सेना का ज्यादा से ज्यादा नाश करते हुए रणभूमि में चिरनिंद्रा में शयन करेंगे | पुरुषों का यह आत्मघाती कदम शाका के नाम से विख्यात हुआ

🎯 शाका ""जौहर के बाद राजपूत पुरुष जौहर कि राख का तिलक कर के सफ़ेद कुर्ते पजमे में और केसरिया फेटा ,केसरिया साफा या खाकी साफा और नारियल कमर पर बांध कर तब तक लड़के जब तक उन्हें वीरगति न मिले ये एक आतमघाती कदम होता। ....."""|

卐 जैसलमेर के जौहर में 24,000 राजपूतानियों ने इज्जत कि खातिर अल्लाउदीन खिलजी के हरम जाने की बजाय आग में कूद कर अपने सतीत्व के रक्षा कि ..

卐 1303 चित्तोड़ के दुर्ग में सबसे पहला जौहर चित्तोड़ की महारानी पद्मिनी के नेतृत्व में 16000 हजार राजपूत रमणियों ने अगस्त 1303 में किया था |
दुसरा जौहर गढ़कुण्डार की राजकुमारी केशर दे ने किया 1347 मे 15000 हजार क्षत्राणियो के साथ|
卐 चित्तोड़ के दुर्ग में तीसरा जौहर चित्तोड़ की महारानी कर्मवती के नेतृत्व में 8,000 हजार राजपूत रमणियों ने 1535 AD में किया था |

卐 चित्तोड़ के दुर्ग में चौथा जौहर अकबर से हुए युद्ध के समय 11,000 हजार राजपूत नारियो ने 1567 AD में किया था |

卐 ग्वालियर व राइसिन का जोहर ये जोहर तोमर सहिवाहन पुरबिया के वक़्त हुआ ये राणा सांगा के रिशतेदार थे और खानवा युद्ध में हर के बाद ये जोहर हुआ

卐 ये जोहर अजमेर में हुआ पृथ्वीराज चौहान कि शहाबुद्दीन मुहम्मद गोरी से ताराइन की दूसरी लड़ाई में हार के बाद हुआ इसमें रानी संयोगिता ने महल उपस्थित सभी महिलाओं के साथ जौहर किया ) जालोर का जौहर ,बारमेर का जोहर आदि

卐 अंतिम जौहर - पुरे विश्व के इतिहास में अंतिम जौहर अठारवी सदी में भरतपुर के जाट सूरजमल ने मुगल सेनापति के साथ मिलकर कोल के घासेड़ा के राजपूत राजा बहादुर सिंह पर हमला किया था। महाराजा बहादुर सिंह ने जबर्दस्त मुकाबला करते हुए मुगल सेनापति को मार गिराया। पर दुश्मन की संख्या अधिक होने पर किले में मौजूद सभी राजपूतानियो ने जोहर कर अग्नि में जलकर प्राण त्याग दिए उसके बाद राजा और उसके परिवारजनों ने शाका किया। इस घटना का जिकर आप "गुड़गांव जिले के गेजिएटर" में पढ़ सकते है

""". इतिहास गवाह है हम राजपूतो की हर लड़ाई में दुश्मन सेना तिगुनी चौगनी होती थी राजस्थान मालवा और सौराष्ट्र में मुगलो ने एक भी हमला राजपूतो पर तिगुनी और चौगनी फ़ौज से कम के बिना नही नही किया पर युद्ध के अंतः में दुश्मन आधे से ऊपर मरे जाते थे ""

卐卐 तलवार से कडके बिजली, लहु से लाल हो धरती, प्रभु ऐसा वर दो मोहि, विजय मिले या वीरगति ॥ 卐卐
    🚩🚩 जय भवानी 🚩🚩
                      🚩🚩जय राजपूताना  🚩🚩

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

रीति रिवाज जिनकी जानकारी हमारे लिए आवश्यक है।

1.) अगर आप के पिता जी /दादोसा बिराज रहे है तो कोई भी शादी ,फंक्शन, मंदिर आदि में आप के कभी भी लम्बा तिलक और चावल नहीं लगेगा, सिर्फ एक छोटी टीकी लगेगी !!

2.) जब सिर पर साफा बंधा होता है तो तिलक करते समय पीछे हाथ नही रखा जाता, हां ,सर के पीछे हाथ तभी रखते है जब आप नंगे सर हो, तो सर ढकने के लिए हाथ रखें।

3.) पिता का पहना हुआ साफा , आप नहीं पहन सकते

4.) मटिया, गहरा हरा, नीला, सफेद ये शोक के साफे है

5.) खम्मा घणी का असली मतलब है "माफ़ करना में आप के सामने बोलने की जुरत कर रहा हूं, जिस का आज के युग में कोई मायने नहीं रहा गया है !!

6.) असल में खम्माघणी , चारण, भाट, राज्यसभा मे ठिकानेदार / राजा /महाराजा के सामने कुछ बोलने की आज्ञा मांगने के लिए प्रयोग करते थे।

7.) ये सरासर गलत बात है की घणी खम्मा, खम्मा-घणी का उत्तर है, असल में दोनों का मतलब एक ही है !!

8.) हर राज के, ठिकाने के, यहाँ Clan/Subclan के इष्ट देवता होते थे, जो की जायदातर कृष्ण या विष्णु के अनेक रूपों में से होते थे, और उनके नाम से ही गाँववाले या नाते-रिश्तेदार आप का संबोधित करते थे, जैसे की जय रघुनाथ जी की , जय चारभुजाजी की...
जय गोपीनाथ जी की ।

9.) पैर में कड़ा-लंगर, हाथी पर तोरण, नंगारा, निशान, ठिकाने का मोनो ये सब जागीरी का हिस्सा थे, हर कोई जागीरदार नहीं कर सकता था, स्टेट की तरफ से इनायत होते थे..!!

10.) मनवार का अनादर नहीं करना चाहिए, अगर आप नहीं भी पीते है तो भी मनवार के हाथ लगाके या हाथ में ले कर सर पर लगाके वापस दे दे, पीना जरुरी नहीं है , पर ना -नुकुर कर उसका अनादर न करे

11.) अमल घोलना, चिलम, हुक्का या दारू की मनवार, मकसद होता था, भाई, बंधु, भाईपे, रिश्तेदारों को एक जाजम पर लाना !!

12.)ढोली के ढोल को "अब बंद करो या ले जायो" नहीं कहा जाता है "पधराओ " कहते हैं।

13.) आज भी कई घरों में तलवार को म्यान से निकालने नहीं देते, क्योंकि तलवार की एक परंपरा है - अगर वो म्यान से बाहर आई तो या तो उनके खून लगेगा, या लोहे पर बजेगी, इसलिए आज भी कभी अगर तलवार म्यान से निकलते भी है तो उसको लोहे पर बजा कर ही फिर से म्यान में डालते है !!

14.) तोरण मारना इसलिए कहते है क्योकि तोरण एक राक्षश था, जिसने शिवजी के विवाह में बाधा डालने की कोशिश की थी और उसका शिवजी ने वध किया था

15.) ये कहना गलत है की माताजी के बलि चढाई, माताजी तो माँ है वो भला कैसे किसी प्राणी की बलि ले सकती है, दरअसल बलि माताजी के भेरू (शेर) के लिए चढ़ती है, उसको प्रसन्न करने के लिए ।।

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👑 राजपूतों की वंशावली 👑

: राजपूतों की वंशावली :

"दस रवि से दस चन्द्र से, बारह ऋषिज प्रमाण,

चार हुतासन सों भये  , कुल छत्तिस वंश प्रमाण

भौमवंश से धाकरे टांक नाग उनमान

चौहानी चौबीस बंटि कुल बासठ वंश प्रमाण."

अर्थ:- दस सूर्य वंशीय क्षत्रिय,   दस चन्द्र वंशीय, बारह ऋषि वंशी एवं चार अग्नि वंशीय कुल छत्तिस क्षत्रिय वंशों का प्रमाण है, बाद में भौमवंश. , नागवंश क्षत्रियों को सामने करने के बाद जब चौहान वंश चौबीस अलग- अलग वंशों में जाने लगा तब क्षत्रियों के बासठ अंशों का पमाण मिलता है।


सूर्य वंश की दस शाखायें:-

१. कछवाह

२. राठौड

३. बडगूजर

४. सिकरवार

५. सिसोदिया

६.गहलोत

७.गौर ८.गहलबार

९.रेकबार

१०.जुनने

चन्द्र वंश की दस शाखायें:-

१.जादौन

२.भाटी

३.तोमर

४.चन्देल

५.छोंकर

६.होंड

७.पुण्डीर

८.कटैरिया

९.स्वांगवंश

१०.वैस

अग्निवंश की चार शाखायें:-

१.चौहान

२.सोलंकी

३.परिहार

४.पमार.

ऋषिवंश की बारह शाखायें:-

१.सेंगर

२.दीक्षित

३.दायमा

४.गौतम

५.अनवार (राजा जनक के वंशज)

६.विसेन

७.करछुल

८.हय

९.अबकू तबकू

१०.कठोक्स

११.द्लेला

१२.बुन्देला

चौहान वंश की चौबीस शाखायें:-

१.हाडा

२.खींची

३.सोनीगारा

४.पाविया

५.पुरबिया

६.संचौरा

७.मेलवाल

८.भदौरिया

९.निर्वाण

१०.मलानी

११.धुरा

१२.मडरेवा

१३.सनीखेची

१४.वारेछा

१५.पसेरिया

१६.बालेछा

१७.रूसिया

१८.चांदा

१९.निकूम

२०.भावर

२१.छछेरिया

२२.उजवानिया

२३.देवडा

२४.बनकर.

क्षत्रिय जातियो की सूची :-

(क्रमांक / नाम / गोत्र /वंश / स्थान और जिला)

१. सूर्यवंशी / भारद्वाज /सूर्य / बुलन्दशहर / आगरा , मेरठ,  अलीगढ

२. गहलोत / बैजवापेण/ सूर्य / मथुरा, कानपुर,  और पूर्वी जिले

३. सिसोदिया / बैजवापेड / सूर्य / महाराणा उदयपुर स्टेट

४. कछवाहा / मानव /सूर्य / महाराजा जयपुर और ग्वालियर राज्य

५. राठोड / कश्यप / सूर्य / जोधपुर, बीकानेर और पूर्व और मालवा

६. सोमवंशी /अत्रय / चन्द /प्रतापगढ और जिला हरदोई

७. यदुवंशी / अत्रय / चन्द राजकरौली, राजपूताने में

८. भाटी / अत्रय / जादौन महारlजा जैसलमेर. , राजपूताना

९. जाडेचा / अत्रय / यदुवंशी महाराजा कच्छ,  भुज

१०. जादवा /अत्रय / जादौन शाखा अवा. कोटला , ऊमरगढ, आगरा

११. तोमर / व्याघ्र /चन्द पाटन के राव,  तंवरघार, जिला ग्वालियर

१२. कटियार / व्याघ्र / तोंवर धरमपुर का राज और हरदोई

१३. पालीवार /व्याघ्र / तोंवर गोरखपुर/

१४. परिहार / कौशल्य /अग्नि / इतिहास में जानना चाहिये

१५. तखी / कौशल्य / परिहार पंजाब, कांगडा , जालंधर, जम्मू में

१६. पंवार / वशिष्ठ / अग्नि / मालवा, मेवाड, धौलपुर, पूर्व मे बलिया

१७. सोलंकी /  भारद्वाज / अग्नि / राजपूताना , मालवा सोरों,  जिला एटा

१८. चौहान / वत्स / अग्नि / राजपूताना पूर्व और सर्वत्र

१९. हाडा / वत्स / चौहान / कोटा , बूंदी और हाडौती देश

२०. खींची / वत्स / चौहान खींचीवाडा , मालवा , ग्वालियर

२१. भदौरिया / वत्स / चौहान/ नौगंवां , पारना, आगरा, इटावा ,गालियर

२२. देवडा /वत्स /चौहान / राजपूताना,  सिरोही राज

२३. शम्भरी /वत्स / चौहान नीमराणा , रानी का रायपुर, पंजाब

२४. बच्छगोत्री / वत्स / चौहान प्रतापगढ,  सुल्तानपुर

२५. राजकुमार /वत्स / चौहान/ दियरा , कुडवार, फ़तेहपुर जिला

२६. पवैया / वत्स / चौहान / ग्वालियर

२७. गौर, गौड/ भारद्वाज / सूर्य/ शिवगढ, रायबरेली, कानपुर, लखनऊ

२८. वैस / भारद्वाज /चन्द्र /उन्नाव, रायबरेली , मैनपुरी पूर्व में

२९. गेहरवार / कश्यप / सूर्य / माडा , हरदोई, उन्नाव, बांदा पूर्व

३०. सेंगर / गौतम/ ब्रह्मक्षत्रिय/ जगम्बनपुर, भरेह, इटावा , जालौन,

३१. कनपुरिया /भारद्वाज / ब्रह्मक्षत्रिय /पूर्व में राजा अवध के जिलों में हैं

३२. बिसैन / वत्स / ब्रह्मक्षत्रिय / गोरखपुर ,गोंडा , प्रतापगढ में हैं

३३. निकुम्भ / वशिष्ठ /सूर्य/ गोरखपुर, आजमगढ, हरदोई, जौनपुर

३४. सिरसेत /भारद्वाज / सूर्य/ गाजीपुर, बस्ती, गोरखपुर

३५. कटहरिया/ वशिष्ठ्या भारद्वाज / सूर्य / बरेली, बंदायूं, मुरादाबाद, शहाजहांपुर

३६. वाच्छिल/ अत्रय/ वच्छिल चन्द्र / मथुरा, बुलन्दशहर,  शाहजहांपुर

३७. बढगूजर /वशिष्ठ /सूर्य/ अनूपशहर, एटा , अलीगढ,  मैनपुरी , मुरादाबाद , हिसार,  गुडगांव,  जयपुर

३८. झाला मकवाना /मरीच /कश्यप /चन्द्र /धागधरा , मेवाड,  झालावाड, कोटा

३९. गौतम /गौतम / ब्रह्मक्षत्रिय/ राजा अर्गल , फ़तेहपुर

४०. रैकवार / भारद्वाज / सूर्य/ बहरायच, सीतापुर, बाराबंकी

४१. करचुल /हैहय /कृष्णात्रेय/ चन्द्र /बलिया ,फ़ैजाबाद, अवध

४२. चन्देल /चान्द्रायन/ चन्द्रवंशी/ गिद्धौर, कानपुर, फ़र्रुखाबाद, बुन्देलखंड, पंजाब, गुजरात

४३. जनवार/ कौशल्य/ सोलंकी शाखा /बलरामपुर, अवध के जिलों में

४४. बहरेलिया / भारद्वाज / वैस की गोद/  सिसोदिया /रायबरेली,  बाराबंकी

४५. दीत्तत /कश्यप /सूर्यवंश की शाखा/ उन्नाव, बस्ती, प्रतापगढ ,जौनपुर , रायबरेली,  बांदा

४६. सिलार / शौनिक /चन्द्र/ सूरत , राजपूतानी

४७. सिकरवार / भारद्वाज/ बढगूजर / ग्वालियर, आगरा और उत्तरप्रदेश में

४८. सुरवार / गर्ग / सूर्य / कठियावाड में

४९. सुर्वैया /वशिष्ठ /यदुवंश/ काठियावाड

५०. मोरी / ब्रह्मगौतम /सूर्य/ मथुरा, आगरा, धौलपुर

५१. टांक (तत्तक) /शौनिक / नागवंश, मैनपुरी और पंजाब

५२. गुप्त/ गार्ग्य /चन्द्र/ अब इस वंश का पता नही है

५३. कौशिक/ कौशिक/ चन्द्र/ बलिया, आजमगढ, गोरखपुर

५४. भृगुवंशी/ भार्गव/ चन्द्र /वनारस,  बलिया , आजमगढ, गोरखपुर

५५. गर्गवंशी /गर्ग ब्रह्

राजपूत का मतलब - क्षत्रिय

राजपूत इतिहास - राजपूत का मतलब

राजपूतों के लिये यह कहा जाता है कि वह केवल राजकुल में ही पैदा हुआ होगा, इसलिये ही राजपूत नाम चलाl

लेकिन राजा के कुल मे तो कितने ही लोग और जातियां पैदा हुई है सभी को राजपूत कहा जाता!

यह राजपूत शब्द राजकुल मे पैदा होने से नही बल्कि राजा जैसा बाना रखने और राजा जैसा धर्म "सर्व जन हिताय,सर्व जन सुखाय" का रखने से राजपूत शब्द की उत्पत्ति हुयी।

राजपूत को तीन शब्दों में प्रयोग किया जाता है,...

पहला "राजपूत",

दूसरा "क्षत्रिय"

और तीसरा "ठाकुर"

आज इन शब्दों की भ्रान्तियों के कारण यह राजपूत समाज कभी कभी बहुत ही संकट में पड जाता है।

राजपूत कहलाने से आज की सरकार और देश के लोग यह समझ बैठते है कि यह जाति बहुत ऊंची है और इसे जितना हो सके नीचा दिखाया जाना चाहियेl

नीचा दिखाने के लिये लोग संविधान का सहारा ले बैठे हैl संविधान भी उन लोगों के द्वारा लिखा गया है जिन्हे राजपूत जाति से कभी पाला नही पडाl

राजपूताने के किसी आदमी से अगर संविधान बनवाया जाता तो शायद यह छीछालेदर नही होती।

खूंख्वार बनाने के लिये राजनीति और समाज जिम्मेदार हैl
राजपूत कभी खूंख्वार नही थाl उसे केवल रक्षा करनी आती थीl लेकिन समाज के तानो से और समाज की गिरती व्यवस्था को देखने के बाद राजपूत खूंख्वार होना शुरु हुआ है l

राजपूत को अपशब्द पसंद नही है। वह कभी किसी भी प्रकार की दुर्वव्यवस्था को पसंद नही करता है।


गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

इतिहास की झलक

आजकल लोगों की एक सोच बन गई है कि राजपूतों ने लड़ाई तो की, लेकिन वे एक हारे हुए योद्धा थे, जो कभी अलाउद्दीन से हारे, कभी बाबर से हारे, कभी अकबर से, कभी औरंगज़ेब से...


क्या वास्तव में ऐसा ही है..?

यहां तक कि समाज में भी ऐसे कईं राजपूत हैं, जो महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान आदि योद्धाओं को महान तो कहते हैं, लेकिन उनके मन में ये हारे हुए योद्धा ही हैं

महाराणा प्रताप के बारे में ऐसी पंक्तियाँ गर्व के साथ सुनाई जाती हैं :-

"जीत हार की बात न करिए, संघर्षों पर ध्यान करो"

"कुछ लोग जीतकर भी हार जाते हैं, कुछ हारकर भी जीत जाते हैं"

असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं

* मेवाड़ के राणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र एक युद्ध में पराजित हुए और आज उसी एक युद्ध के बारे में दुनिया जानती है, उसी युद्ध से राणा सांगा का इतिहास शुरु किया जाता है और उसी पर ख़त्म

राणा सांगा द्वारा लड़े गए खंडार, अहमदनगर, बाड़ी, गागरोन, बयाना, ईडर, खातौली जैसे युद्धों की बात आती है तो शायद हम बता नहीं पाएंगे और अगर बता भी पाए तो उतना नहीं जितना खानवा के बारे में बता सकते हैं

भले ही खातौली के युद्ध में राणा सांगा अपना एक हाथ व एक पैर गंवाकर दिल्ली के इब्राहिम लोदी को दिल्ली तक खदेड़ दे, तो वो मायने नहीं रखता, बयाना के युद्ध में बाबर को भागना पड़ा हो तब भी वह गौण है

मायने रखता है तो खानवा का युद्ध जिसमें मुगल बादशाह बाबर ने राणा सांगा को पराजित किया

सम्राट पृथ्वीराज चौहान की बात आती है तो, तराईन के दूसरे युद्ध में गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को हराया

तराईन का युद्ध तो पृथ्वीराज चौहान द्वारा लडा गया आखिरी युद्ध था, उससे पहले उनके द्वारा लड़े गए युद्धों के बारे में कितना जानते हैं हम ?

* इसी तरह महाराणा प्रताप का ज़िक्र आता है तो हल्दीघाटी नाम सबसे पहले सुनाई देता है

हालांकि इस युद्ध के परिणाम शुरु से ही विवादास्पद रहे, कभी अनिर्णित माना गया, कभी अकबर को विजेता माना तो हाल ही में महाराणा को विजेता माना

बहरहाल, महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा, चावण्ड, मोही, मदारिया, कुम्भलगढ़, ईडर, मांडल, दिवेर जैसे कुल 21 बड़े युद्ध जीते व 300 से अधिक मुगल छावनियों को ध्वस्त किया

महाराणा प्रताप के समय मेवाड़ में लगभग 50 दुर्ग थे, जिनमें से तकरीबन सभी पर मुगलों का अधिकार हो चुका था व 26 दुर्गों के नाम बदलकर मुस्लिम नाम रखे गए, जैसे उदयपुर बना मुहम्मदाबाद, चित्तौड़गढ़ बना अकबराबाद

फिर कैसे आज उदयपुर को हम उदयपुर के नाम से ही जानते हैं ?... ये हमें कोई नहीं बताता

असल में इन 50 में से 2 दुर्ग छोड़कर शेष सभी पर महाराणा प्रताप ने विजय प्राप्त की थी व लगभग सम्पूर्ण मेवाड़ पर दोबारा अधिकार किया था

दिवेर जैसे युद्ध में भले ही महाराणा के पुत्र अमरसिंह ने अकबर के काका सुल्तान खां को भाले के प्रहार से कवच समेत ही क्यों न भेद दिया हो, लेकिन हम तो सिर्फ हल्दीघाटी युद्ध का इतिहास पढ़ेंगे, बाकी युद्ध तो सब गौण हैं इसके आगे!!!!

* महाराणा अमरसिंह ने मुगल बादशाह जहांगीर से 17 बड़े युद्ध लड़े व 100 से अधिक मुगल चौकियां ध्वस्त कीं, लेकिन हमें सिर्फ ये पढ़ाया जाता है कि 1615 ई. में महाराणा अमरसिंह ने मुगलों से संधि की | ये कोई नहीं बताएगा कि 1597 ई. से 1615 ई. के बीच क्या क्या हुआ |

* महाराणा कुम्भा ने 32 दुर्ग बनवाए, कई ग्रंथ लिखे, विजय स्तंभ बनवाया, ये हम जानते हैं, पर क्या आप उनके द्वारा लड़े गए गिनती के 4-5 युद्धों के नाम भी बता सकते हैं ?

महाराणा कुम्भा ने आबू, मांडलगढ़, खटकड़, जहांजपुर, गागरोन, मांडू, नराणा, मलारणा, अजमेर, मोडालगढ़, खाटू, जांगल प्रदेश, कांसली, नारदीयनगर, हमीरपुर, शोन्यानगरी, वायसपुर, धान्यनगर, सिंहपुर, बसन्तगढ़, वासा, पिण्डवाड़ा, शाकम्भरी, सांभर, चाटसू, खंडेला, आमेर, सीहारे, जोगिनीपुर, विशाल नगर, जानागढ़, हमीरनगर, कोटड़ा, मल्लारगढ़, रणथम्भौर, डूंगरपुर, बूंदी, नागौर, हाड़ौती समेत 100 से अधिक युद्ध लड़े व अपने पूरे जीवनकाल में किसी भी युद्ध में पराजय का मुंह नहीं देखा

* चित्तौड़गढ़ दुर्ग की बात आती है तो सिर्फ 3 युद्धों की चर्चा होती है :-
1) अलाउद्दीन ने रावल रतनसिंह को पराजित किया
2) बहादुरशाह ने राणा विक्रमादित्य के समय चित्तौड़गढ़ दुर्ग जीता
3) अकबर ने महाराणा उदयसिंह को पराजित कर दुर्ग पर अधिकार किया

क्या इन तीन युद्धों के अलावा चित्तौड़गढ़ पर कभी कोई हमले नहीं हुए ?

* इस तरह राजपूतों ने जो युद्ध हारे हैं, इतिहास में हमें वही पढ़ाया जाता है

बहुत से लोग हमें नसीहत देते हैं कि तुम राजपूतों के पूर्वजों ने सही रणनीति से काम नहीं लिया, घटिया हथियारों का इस्तेमाल किया इसीलिए हमेशा हारे हो

अब उन्हें किन शब्दों में समझाएं कि उन्हीं हथियारों से हमने अनगिनत युद्ध जीते हैं, मातृभूमि का लहू से अभिषेक किया है, सैंकड़ों वर्षों तक विदेशी शत्रुओं की आग उगलती तोपों का अपनी तलवारों से सामना किया है

साथ ही सभी भाइयों से निवेदन करूंगा कि आप अपने महापुरुषों के बारे में वास्तविक इतिहास पढिए, ताकि आने वाली पीढ़ियां हमें वही समझे, जो वास्तव में हम थे।

सभी राजपूत वंश और उनकी कुल देवियां।।

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1. भाटी :- स्वांगिया माता,आईनाथ
2.राठौड़ :- नागणेचिया माता
3.गहलोत :- बाण/बायण/ब्राह्मणी/बाणेश्वरी माता
4.कछवाहा :- जमवाय माता
.दहिया :- कैवाय माता
5.गोहिल :- बाण/बायण/ब्राह्मणी/बाणेश्वरी माता
6.चौहान :- आशापूर्णा माता
7.बुन्देला :- अन्नपूर्णा माता
8.भारदाज :- शारदा माता
9.चंदेल :- मेंनिया माता
10.नेवतनी :- अम्बिका भवानी माता
11.निमुडी:- प्रभावती माता
12.चुड़ासमा :- खोड़ियार माता
13.बड़गूजर :- कालिका(महालक्ष्मी)माँ
14.निकुम्भ :- कालिका माता
15.स्वाति :- कालिका माता
16.उदमतिया :- कालिका माता
17.उज्जेनिया :- कालिका माता
18.दोगाई :- कालिका(सोखा)माता
19.धाकर :- कालिका माता
20. गर्गवंश :- कालिका माता
21.परमार :- सच्चियाय माता
22.पड़िहार :- गाजण माता (केरला,चोटिला)
23.सोलंकी :- खीवज माता
24.इन्दा :- चामुण्डा माता
25.जेठंवा "- चामुण्डा माता
26.चावड़ा :- चामुण्डा माता
27.गोतम :- चामुण्डा माता
28.यादव :- योगेश्वरी माता
29.कौशिक :' योगेश्वरी माता
30.परिहार :- योगेश्वरी माता
31.बिलादरिया :- योगेश्वरी माता :
32.तंवर :- चिलाय माता
33.हैध्य :- विन्ध्यवासिनि माता
34.कलचूरी :- विन्धावासिनि माता
35.सेंगर :- विन्धावासिनि माता
36.भॉसले :' जगदम्बा माता
37.दाहिमा :- दधिमति माता
38.रावत :- चण्डी माता
39.लोह थम्ब :- चण्डी माता
40.काकतिय :' चण्डी माता
41.लोहतमी :- चण्डी माता
42.कणड़वार :' चण्डी माता
43.केलवाडा :- नंदी माता
44.हुल :- बाण माता
45.बनाफर :- शारदा माता
46.झाला :- शक्ति माता
47.सोमवंश :- महालक्ष्मी माता
48.जाडेजा :- आशपुरा माता
49.वाघेला :- अम्बाजी माता
50.सिंघेल :- पंखनी माता
51.निशान :- भगवती दुर्गा माता
52.बैस :- कालका माता
53.गोंड़ :- महाकाली माता
54.देवल :- सुंधा माता
55.खंगार :- गजानन माता
56.चंद्रवंशी :- गायत्री माता
57.पुरु :- महालक्ष्मी माता
58.जादोन :- कैला देवी (करोली ) माता
59.छोकर :' चन्डी केलावती माता
60.नाग :- विजवासिन माता
61.लोहतमी :-चण्डी माता
62.चंदोसिया :- दुर्गा माता
63.सरनिहा :- दुर्गा माता
64.सीकरवाल :- दुर्गा माता
65.किनवार :- दुर्गा माता
66.दीक्षित :- दुर्गा माता
67.काकन :- दुर्गा माता
68.तिलोर :- दुर्गा माता
69.विसेन :- दुर्गा माता
70.निमीवंश :- दुर्गा माता
71. शेखावत :- जामवाय माता
72. सिसोदिया वशं :- बायण माता
74.वाघेला:- विजयाशनि माता 
75 सोढा - नागनेशीया माता।🙏